*मनुष्य को अगर अपने जीवन में खुशियाँ प्राप्त करनी हैं तो उसे न तो अपने
भूतकाल में उलझना चाहिए और न ही अपने भविष्य की चिंता करनी चाहिए । मनुष्य को केवल
अपने वर्तमान पर ही ध्यान देना चाहिए ।
*मनुष्य को अपने जीवन में क्रोध की सजा नहीं मिलती है, बल्कि मनुष्य को
क्रोध से सजा मिलती है ।
मनुष्य हजारों लड़ाईयां जीतकर भी विजयी नहीं होता लेकिन जिस दिन वह अपने
ऊपर विजय प्राप्त कर लेता है उस दिन विजयी बन जाता है ।
*दुनिया में तीन चीजें ऐसी हैं जो कभी नहीं छिप सकती - सूर्य चन्द्र और सच
।
*मनुष्य के अपने जीवन में मंजिल या लक्ष्य को पाने से अच्छी उसकी यात्रा
होनी चाहिए, जैसे हजारों शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो मन को शांति प्रदान
करता है ।
*जीवन में कभी भी बुराई से बुराई को ख़त्म नहीं किया जा सकता । मनुष्य की
बुराइयाँ उसके जीवन से प्रेम को ख़त्म कर देतीं हैं ।
*एक जलते हुए दीपक से हजारों दीपक को जला सकते हो फिर भी दीपक की रौशनी कम
नहीं होती । उसी प्रकार आप में गुण हैं तो किसी के बुराई करने से वह समाप्त नहीं
हो सकते ।
*क्रोधित होने का मतलब है, जलता हुआ कोयला किसी और पर फेंकना । जो सबसे
पहले आपके हाथों को ही जलाता है ।
*सत्य पर चलने वाला मनुष्य अपने जीवन में सिर्फ दो ही गलतियाँ कर सकता है
या तो वह पूरा रास्ता तय नहीं करता या फिर शुरुवात ही नहीं करता ।
*जीवन में खुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं कभी कम नहीं होती इसलिए मनुष्य को
अपने जीवन में हमेशा दूसरों की खुशियों का ध्यान रखना चाहिए ।
*आप कितना भी शांति को तलाशते रहें पर वो आपके भीतर ही है ।
*अगर आपको मोक्ष पाना है तो आपको खुद ही मेहनत करनी होगी, दूसरों पर निर्भर
मत रहिए ।
*स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन और वफ़ादारी सबसे बड़ा
सम्बन्ध है ।
*जंगली जानवर के बजाय एक कपटी और दुष्ट मित्र से ज्यादा डरना चाहिए क्योंकि
जानवर तो बस आपके शरीर को ही नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन एक कपटी और दुष्ट आपकी
बुद्धि को हानि पहुंचाएगा ।
*चाहे आप कितने भी पवित्र शब्दों को पढ़ लें या बोल लें, परन्तु जब तक आप इन
शब्दों को प्रयोग में नहीं लाएँगें तब तक ये शब्द आपका कुछ भी भला नहीं कर सकते ।
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