Wednesday, April 20, 2022

ग्राम पंचायत की समितियाँ व उनके कार्य (उत्तर प्रदेश), Gram Panchayat Committees and their Functions (Uttar Pradesh)

ग्राम पंचायत की समितियाँ व उनके कार्य 

Gram Panchayat Committees and their Functions)



मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश पंचायती राज व्यवस्था में 4 प्रकार की समितियों का स्वरुप देखने को मिलता है :-

1- स्थायी समितियाँ

2- संयुक्त समितियाँ

3 - भूमि प्रबंधन समितियाँ

4- अन्य विभाग द्वारा गठित समितियाँ

 

आइये! इन सभी समितियों के विषय में विस्तार से चर्चा करते हैं-

स्थायी समितियाँ

1- स्थायी समितियाँ- उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1947 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या-26, 1947) की धारा-29 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर, राज्यपाल अधिसूचित करते हैं कि प्रत्येक ग्राम पंचायत स्थायी समितियों का गठन करेंगीं।

 

ग्राम पंचायत की स्थायी समितियों का गठन व कार्य

उत्तर प्रदेश राज्य में संयुक्त प्रान्त पंचायत राज अधिनियम, 1947 (संयुक्त प्रान्त अधिनियम संख्या 26, 1947) की धारा 29 में ग्राम पंचायत की समितियों के संघठन सम्बन्धी प्रावधान किये गए हैं। अधिसूचना संख्या- 4077/33-2-99-48 जी/99 दिनांक 29 जुलाई 1999 के माध्यम से निम्न प्रकार से समितियों के गठन तथा कार्यों के संपादन सम्बंधित दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं:-

स्थायी समितियों के प्रकार

स्थायी समितियाँ 6 प्रकार की होती हैं:-

1- जैव विविधता विविधता प्रबन्ध नियोजन एवं विकास समिति

2- शिक्षा समिति

3- प्रशासनिक समिति

4- निर्माण कार्य समिति

5- स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति

6- ग्राम पंचायत पेयजल एवं स्वच्छता समिति


आइये! अब इन समितियों के विषय में विस्तार से चर्चा करते हैं:-

 

जैव विविधता प्रबन्ध, नियोजन एवं विकास समिति

इस समिति का सभापति प्रधान होता है इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है।

 इसका मुख्य कार्य ग्राम पंचायत की योजना तैयार करना होता है। साथ ही कृषि, पशु पालन और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम का संचालन भी इसका महत्त्वपूर्ण कार्य है।

 

शिक्षा समिति

नियोजन एवं विकास समिति की तरह ही इस समिति का सभापति भी प्रधान ही होता है इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है।

 इसका मुख्य कार्य प्राथमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा, साक्षरता आदि सबंधी कार्यों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना है।

 

प्रशासनिक समिति

नियोजन एवं विकास समिति और शिक्षा समिति की तरह ही इस समिति का सभापति भी प्रधान ही होता है इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। याद रखने के उद्देश्य से समझे तो उक्त तीनों समितियों का सभापति प्रधान ही होता है।

 इसका मुख्य कार्य ग्राम पंचायत के कर्मियों सम्बन्धी समस्त विषयों की देख-रेख करना तथा राशन की दुकान सम्बन्धी व्यवस्था को देखना है।

 

निर्माण कार्य समिति

इस समिति के सभापति को ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा नामित किया जाता है ग्राम पंचायत का कोई भी सदस्य जिसे सभी सदस्यों की स्वीकृति से नामित किया जाये वह सभापति के रूप में समिति का संचालन करेगा,  इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। 

इसका मुख्य कार्य ग्राम पंचायत क्षेत्र में सभी निर्माण कार्य करवाना व उसकी गुणवत्ता को सुनिश्चित करना है।         

 

स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति

निर्माण कार्य समिति की तरह ही इस समिति के सभापति को ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा नामित किया जाता है ग्राम पंचायत का कोई भी सदस्य जिसे सभी सदस्यों की स्वीकृति से नामित किया जाये वह सभापति के रूप में समिति का संचालन करेगा,  इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। 

इसका कार्य चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण सम्बन्धी कार्य और समाज कल्याण विशेष रूप से महिला एवं बाल कल्याण की योजनाओं का संचालन करना है। इसके अतिरिक्त अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, तथा पिछड़े वर्गों की उन्नति एवं संरक्षण सम्बन्धी कार्य भी इस समिति के द्वारा ही किये जाते हैं।


ग्राम पंचायत पेयजल एवं स्वच्छता समिति

        निर्माण कार्य समिति और स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति की तरह ही इस समिति के सभापति को ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा नामित किया जाता है ग्राम पंचायत का कोई भी सदस्य जिसे सभी सदस्यों की स्वीकृति से नामित किया जाये वह सभापति के रूप में समिति का संचालन करेगा,  इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। 

        इस समिति का मुख्य कार्य राजकीय नलकूपों का संचालन करना व पेयजल सम्बन्धी कार्य है।

समितियों की बैठक का कोरम

समिति की बैठक के लिए 4 सदस्यों का कोरम होगा। समिति की बैठक माह में कम से कम एक बार अवश्य होगी। समितियों के सचिव, सचिव ग्राम पंचायत ही होंगें। प्रत्येक समिति का एक कार्यवाही रजिस्टर होगा जिसमें बैठक की कार्यवाही दर्ज की जाएगी।  

संयुक्त समितियाँ

इसका गठन दो या दो से अधिक ग्राम  पंचायतों के विशेष कार्य के लिए प्रशासनिक अधिकारी द्वारा किया जाता है। जिसे कार्य पूर्ण होने के बाद भंग कर दिया जाता है।

       

भूमि प्रबंधन समिति

ग्राम राजस्व समिति (भूमि प्रबंधन समिति का गठन उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम की धारा 28(क) के अंतर्गत किया जाता है। यह समिति ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आने वाली भूमि के प्रबंधन, देखभाल, संरक्षण एवं नियंत्रण का कार्य करती है। इसका अध्यक्ष प्रधान, इसका सचिव लेखपाल एवं समस्त वार्ड सदस्य इसके सम्मानित सदस्य होते हैं।

 

अन्य विभागों द्वारा गठित समितियाँ

समय-समय पर विभिन्न विभागों के द्वारा अपने कार्यों को भली प्रकार से संचालित करने के लिए भी कई समितियों का गठन किया जाता है। जैसे- नियोजन, विकास एवं जैवविविधता प्रबंधन समिति, ग्राम पंचायत आपदा प्रबंधन समिति, ग्राम पंचायत भूगर्भ जल उप-समिति, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति, जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्राम पंचायत पेयजल एवं स्वच्छता समिति एवं शिक्षा के अधिकार कानून के अंतर्गत स्कूल/ विद्यालय प्रबंधन समिति।


महत्त्वपूर्ण शासनादेश 




स्त्रोत- उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम,1947 तथा उत्तर प्रदेश पंचायती राज नियमावली, 1947 

1 comment:

  1. Bhai ji hmare giram panchayat Ramgarh pandipur main Tanki to lag gai Magar aaj tak pani nahin aaya

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