अध्याय-४
समूह/ग्राम संगठन/संकुल संघ को
प्राप्त होने वाली निधियाँ
स्वयं सहायता समूह बचत के अलावा बैंक से ऋण भी प्राप्त करेंगें। हम एन.आर.एल.एम. से अपने संस्थाओं स्वयं सहायता समूह, ग्राम संगठन, सकुल स्तरीय संघ के लिए भी निधि प्राप्त करेंगें।
सामान्यत: सदस्य समूह से निधि ऋण के रूप में प्राप्त वापसी करते हैं; जिसका उपयोग सदस्यों के द्वारा अपनी विभिन्न जरूरतों जैसे उपभोग, कर्ज वापसी, आपातकाल के समय, स्वास्थ्य, शिक्षा, संपत्ति निर्माण, जीविकोपार्जन को बढ़ाने आदि में किया जाता है। हम इन निधियों का उपयोग जोखिम लेने में एवं जोखिम को दूर करने में करते हैं।
४.१ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से निधि प्राप्त करना:-
संस्थाओं के पंजीकरण हेतु राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से उत्प्रेरक निधि प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से स्वयं सहायता समूह हेतु रिवाल्विंग फण्ड एवं ग्राम संगठन स्तर पर सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.), जोखिम निवारण निधि तथा संकुल स्तरीय संघ स्तर पर सामुदायिक निवेश निधि -सीड कैपिटल एवं जीविकोपार्जन निधि प्राप्त की जाती है। स्वयं सहायता समूह 2,500/- रूपये, ग्राम संगठन
75,000/- रूपये एवं संकुल स्तरीय संघ 3.5 लाख गठन पुनर्गठन के समय स्टार्ट अप निधि भी प्राप्त कर सकते हैं।
4.2 रिवाल्विंग फण्ड (रूपये 15,000) प्रति स्वयं सहायता समूह :-
रिवाल्विंग फण्ड प्राप्त करने के मानकों को पूरा करने वाले एवं श्रेणीकरण समूह के रिवाल्विंग फण्ड आवेदन प्राप्त होने के बाद सीधे समूह के बैंक बचत कहते में यह फण्ड हस्तांतरित किया जाता है। रिवाल्विंग फण्ड हेतु निम्न मानक हैं:-
1. पंचसूत्र का पालन करने वाले A एवं B श्रेणी के समूह
2. समूह द्वारा पिछले 3-4 महीनों में (12 सप्ताह) से पंचसूत्र का पालन नियमित रूप से किया जाना चाहिए:-
* समूह की बैठकों में सदस्यों की उपस्तिथि कम से कम 90% होनी चाहिए।
*समूह में नियमानुसार निर्धारित नियमित साप्ताहिक बचत होनी चाहिए।
* समूह में की जा रही बचत की राशि का नियमित आंतरिक लेनदेन होना चाहिये।
* समूह में नियमित रूप से ऋण की वसूली करनी चाहिए और स्वयं सहायता समूह स्तर पर ऋण वापसी का प्रतिशत कम से कम 90% होना चाहिए।
* स्वयं सहयता समूह के लेखांकन हेतु एक प्रशिक्षित लेखाकार रखना होगा एवं समूह के लेखांकन पुस्तिकाओं (कार्यवाही पुस्तिका, रोकड़ बही, सामान्य खाता बही, बचत पुस्तिका, ऋण पुस्तिका) का सही तरीके से नियमित लेखांकन किया जायेगा।
* समूह का बैंक बचत खाता निकटतम बैंक शाखा में खुला होना चाहिए।
* समूह के सभी सदस्यों को स्वयं सहायता समूह की अवधारणा, समहू प्रबंधन और पंचसूत्र पर तीन दिवसीय सदस्य स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त होना चाहिए।
* सभी समूह सदस्यों में एक वचनबद्धता होनी चाहिए कि बचत के साथ-साथ रिवाल्विंग फण्ड का उपयोग आंतरिक ऋण समूह के लिए किया जायेगा। रिवाल्विंग फण्ड प्राप्त करने के पश्चात् अपनी सभी बैठकों में पंचसूत्र, समूह का बेहतर प्रबंधन और वित्तीय नियमों को जारी रखना होगा।
सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.)
सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.- कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फण्ड)
4.3 सी.आई.एफ. क्या है?
स्वयं सहायता समूहों को सी. आई. एफ. की धनराशि समूह के सदस्यों की क्रेडिट की जरुरत को पूरा करने के लिए उपलब्ध कराया जायेगा जिसे समूह के सदस्य अपने उपभोग की जरुरत, उत्पादन सम्बंधित जरूरतों/ जीविकोपार्जन जरुरत एवं संपत्ति निर्माण की जरुरत को पूरा करने हेतु उपयोग करेंगें। सी.आई.एफ़. की राशि स्वयं सहायता समूहों को सिर्फ इन्वेस्टमेंट विकास खण्डों में उपलब्ध करायी जायेगी।
4.4 सी.आई.एफ. की राशि :-
ऐसे समूह जो सी.आई.एफ. प्राप्त करने के मापदंडों को पूरा करेंगें एवं समूह का सूक्ष्म योजना (माइक्रो प्लान) तैयार करेंगें उन्हें प्रति समूह 1,10,000/ (एक लाख दस हजार) की राशि उपलब्ध कराई जायेगी, जो समूह को ऋण के रूप में दी जायेगी।
4.5 सी.आई.एफ. प्राप्त करने के मापदंड:-
* स्वयं सहायता समूह की उम्र 6-8 माह हो।
* स्वयं सहायता समूह 6-8 माह से पंच सूत्र का पालन कर रहा हो।
* स्वयं सहायता समूह के द्वारा माइक्रो प्लान (सूक्ष्म नियोजन) तैयार किया गया हो।
*समूह द्वारा बचत की राशि एवं रिवाल्विंग फण्ड की राशि का उपयोग आंतरिक लेन-देन के रूप में पिछले ६ माह से सदस्यों के बीच में उनकी जरुरत को पूरा करने के लिए किया जा रहा हो।
* समूह के सदस्यों को माइक्रो प्लान प्रशिक्षण दिया गया हो।
*समूह द्वारा कमिटमेंट देना होगा कि सी.आई.एफ. प्राप्त होने के बाद भी समूह द्वारा पंचसूत्र का पालन किया जायेगा तथा समूह प्रबंधन एवं वित्तीय नियमों का पालन किया जायेगा।
4.6 सी.आई.एफ. प्राप्त करने की प्रक्रिया:-
* समूह को 5 माह की अवधि तक माइक्रो प्लान योजना पर प्रशिक्षण करवाना।
* समूह को प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के बाद माइक्रो प्लान प्रक्रिया की शुरुवात करनी चाहिए।
* माइक्रो प्लान प्रक्रिया के अनुसार समूह को माइक्रो प्लान तैयार करना।
* समूह का आंकलन प्रपत्र/ग्रेडिंग करना।
* समहू द्वारा तैयार माइक्रों प्लान का एप्रेजल करना।
4.7 माइक्रो प्लान तैयार करने की प्रक्रिया:-
माईक्रो प्लान तैयार करने की प्रक्रिया:-
* समहू का माइक्रो प्लान तैयार करने हेतु यह देखना होगा कि दिए गए मापदंडों को समूह पूर्ण कर रहा है की नहीं। सुनिश्चित करना होगा कि माइक्रो प्लान प्रक्रिया में समूह के सभी सदस्यों की भागीदारी हो।
* माइक्रो प्लान तैयार करने से पूर्व ही सही जगह का चुनाव करना जहाँ समूह के सभी सदस्य भागीदारी कर सकें।
*माइक्रो प्लान तैयार करने के दौरान की प्रक्रिया- माइक्रो प्लान, प्रक्रिया शुरू होने के 2-3 दिनों के अन्दर पूर्ण कर ली जायेगी अर्थात् माइक्रो प्लान तैयार करने में 2-3 दिनों का समय लगेगा।
* समूह के सभी सदस्यों की उपस्थिति में माइक्रो प्लान के उद्देश्य के बारे में चर्चा करना।
* समूह के सदस्यों द्वारा सभी सदस्यों के परिवार के प्रोफाइल के बारे में चर्चा करना
(जैसा परिवार क सदस्य, शिक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, क्रियाकलाप, उपलब्ध स्त्रोत, संपत्ति, दायित्व/जिम्मेदारियां, सरकारी सुविधाओं के बारे में जानकारियां, खाद्य सुरक्षा, के मुद्दे इत्यादि)
* समूह के सदस्यों द्वारा सदस्यों के प्रोफाइल तैयार करने पर चर्चा।
* समूह के सभी सदस्यों द्वारा भविष्य की योजना के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करना।
* समूह के सभी सदस्यों द्वारा अपने परिवार की योजना (वर्तमान की योजना एवं भविष्य की योजना) परिवार के सभी सदस्यों से चर्चा के उपरान्त तैयार करना।
* समूह के सदस्यों द्वारा अपने-अपने योजना का प्राथमिकीकरण करना।
* समूह के सदस्यों द्वारा समूह की जरूरतों को पूरा करने हेतु उपलब्ध स्त्रोत के बारे में चर्चा करना।
* सूक्ष्म नियोजन प्रक्रिया करवाने वाले व्यक्ति द्वारा समूह के सभी सदस्यों एवं समूह के रूप में सम्पूर्ण एवं विस्तृत चर्चा के बाद सभी जानकारियों को माइक्रो प्लान प्रारूप पर लिखना एवं भरना।
* समूह के द्वारा तैयार माइक्रो प्लान को समूह द्वारा एप्रेजल करने हेतु ग्राम संगठन/प्री-लूज फेडरेशन/ऋण समिति के पक्ष में आवेदन करना।
4.8 माइक्रो प्लान एप्रेजल एवं CIF राशि को प्रदान करना:-
माइक्रो प्लान का एप्रेजल, जहाँ ग्राम संगठन का गठन नहीं हुआ है या ऐसे समूह जो ग्राम संगठन से नहीं जुड़ें हैं:-
* इस स्थिति में ग्राम स्तर पर सभी समूह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान को SRLM द्वारा गठित एप्रेजल समिति द्वारा एप्रेस किया जायेगा जिसमें 3-5 समूह प्रतिनिधि भी रहेंगें।
* समूह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान एप्रेजल बैठक करेंगी एवं सुनिश्चित करेंगीं कि समूह द्वारा प्रस्तुत/जमा किये गए माइक्रो प्लान का एप्रेजल समिति के सभी सदस्यों की उपस्थिति में उपयुक्त वर्णित प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।
* समिति प्रत्येक 15 दिनों में एप्रेजल हेतु बैठक करेंगीं एवं सुनिश्चित करेंगीं कि समूह द्वारा प्रस्तुत/जमा किये गए माइक्रो प्लान का एप्रेजल 15 दिनों में किया जाये।
* माइक्रो प्लान के एप्रेजल प्रक्रिया के दौरान सम्बंधित समूह जिसका माइक्रो प्लान एप्रेजल हेतु प्रस्तुत किया गया है उसके प्रतिनिधि एप्रेजल के दौरान उपस्थित रहे।
* समूह के माइक्रो प्लान का एप्रेजल होने के बाद एप्रेजल समिति द्वारा DMMU को सम्बंधित समूह CIF की राशि प्रदान करने हेतु अनुमोदन भेज दिया जायेगा।
* एप्रेजल समिति द्वारा प्रस्तुत अनुमोदन के आधार पर DMMU द्वारा CIF की राशि को सीधे सम्बंधित समूह के बचत खाते में RTGS के माध्यम से हस्तांतरित कर दी जायेगी।
* माइक्रो प्लान का एप्रेजल जहाँ ग्राम संगठन का गठन हो चूका है या ऐसे समूह जो ग्राम संगठन से जुड़ें हैं:-
इस स्थिति में समूह द्वारा तैयार माइक्रो प्लान को एप्रेजल हेतु ग्राम संगठन के सामने प्रस्तुत किया जायेगा।
* समूह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान का एप्रेजल ग्राम संगठन के सामने प्रस्तुत किया जायेगा।
* समूह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान का एप्रेजल ग्राम संगठन द्वारा (मिशन के स्टाफ़ के सहयोग) से उपरोक्त वर्णित प्रक्रिया को ध्यान में रखकर किया जायेगा।
* माइक्रो प्लान के एप्रेजल की प्रक्रिया के दौरान सम्बंधित समूह जिसका माइक्रो प्लान एप्रेजल हेतु प्रस्तुत किया गया है उसके प्रतिनिधि एप्रेजल के दौरान उपस्थित रहें।
* ग्राम संगठन को समयह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान का एप्रेजल 7 दिनों के अन्दर करके विकास खण्ड मिशन प्रबंधक इकाई के माध्यम से सम्बंधित इकाई में प्रस्तुत करना होगा।
* ग्राम संगठन द्वारा प्रस्तुत अनुमोदन एवं आवेदन के आधार पर DMMU द्वारा CIF की राशि 7 दिनों के अन्दर सीधे ग्राम संगठन के बचत खाते में हस्तांतरित कर दी जायेगी।
* ग्राम सब्ग्थान के द्वारा 7 दिनों के अन्दर सम्बंधित समूह जिसके लिए CIF की राशि ग्राम संगठन के बचत खाते में आ गई है उस खाते में CIF की राशि हस्तांतरित कर दिया जायेगा।
माइक्रो प्लान एप्रेजल करने के आधार बिंदु :-
* समूह द्वारा दिए गए प्रारूप पर सभी सूचनाएं सही उपलब्ध करायी हों।
* माइक्रो क्रेडिट की प्रक्रिया में समूह के सभी सदस्यों की भागीदारी होनी चाहिए।
* समूह के अति गरीब सदस्यों की जरूरतों को प्राथमिकता दी गई हो।
* समूह के सभी सदस्यों को अपने इन्वेस्टमेंट योजना को लागू करने की पूर्ण जानकारी एवं क्षमता/योग्यता हो।
* समूहों के सदस्यों द्वारा माइक्रो प्लान में किये जन वाले क्रियाकलापों में योगदान होना चाहिए।
उपरोक्त मानक ले आधार पर एप्रेजल समिति/ग्राम संगठन द्वारा अनुमोदित माइक्रो प्लान को DMMU द्वारा समूह/ग्राम संगठन को CIF की राशि निर्गत करनी चाहिये।
4.10 CIF निर्गत होने के बाद प्रक्रिया एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र:-
* अगर समूह ग्राम संगठन से जुड़ा हुआ नहीं है/ग्राम संगठन नहीं बना है उस स्थिति में एप्रेजल माइक्रो प्लान के आधार पर CIF की राशि का उपयोग हो रहा है, कि नहीं का निरीक्षण करेंगी एवं CIF की राशि का उपयोग होने केबाद उपयोगिता प्रमाण पत्र को ब्लॉक प्रबंधन इकाई में जमा करेंगीं।
* अगर समूह ग्राम संगठन से जुड़ा है/ ग्राम संगठन बना है उस स्थिति में ग्राम संगठन स्तर पर गठित स्वयं सहायता समूह निरीक्षण उप समिति माइक्रो प्लान के आधार पर CIF की राशि का उपयोग को रहा है कि नहीं, का निरीक्षण करेगी एबम CIF की राशि का उपयोग होने के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र को खण्ड प्रबंधन ईकाई में जमा किया जायेगा।
* उपयोगिता प्रमाण पत्र को ब्लॉक प्रबंधन ईकाई में जमा करना वैकल्पिक होगा यह SRLM की जरुरत के आधार पर किया जायेगा।
4.10 CIF की राशि का वापसी नियोजन एवं ब्याज दर :-
जैसा कि हम जानते हैं कि CIF क्लस्टर स्तर फेडरेशन पर कार्पस के रूप में दी जायेगी जो की क्लस्टर स्तर फेडरेशन से ग्राम संगठन, ग्राम संगठन से समूह एवं समूह से सदस्यों तक ऋण के रूप में जायेंगी। CIF की राशि का वापसी नियोजन एवं ब्याज दर का प्रवाह निम्न होगा:-
4.11 सूक्ष्म नियोजन:-
सुक्ष्म नियोजन स्वयं सहायता समूह के सदस्यों के सदस्यों एवं उनके परिवार की जीविकोपार्जन सम्बंधित जरूरतों, सामाजिक मुददों, आर्थिक जरुरत सम्बन्धी मुद्दों, सरकारी अधिकार सम्बन्धित/इनटाइटलमेंट सम्बंधित मुद्दे, सुरक्षा जाल सम्बन्धी मुद्दों की पहचान एवं उनकी अभिलाषा/महत्वकांक्षा समझने की प्रक्रिया है।
अन्य शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि स्वयं सहायता समूह के सदस्यों द्वारा अपनी जरूरतों की पहचान करना एवं उनके पास उपलब्ध संसाधनों के आधार पर अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार की जा रही योजना की एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया है जिसमें समूह के सभी सदस्य एवं सदस्यों के परिवार के सदस्य भी सम्मिलित होते हैं।
4.12 सूक्ष्म नियोजन के उद्देश्य:-
* संसाधन का विकास कर उनके सर्वोत्तम प्रयोग करने हेतु निर्णय क्षमता का विकास।
* व्यक्तियों की क्षमता तथा उनसे सम्बंधित सामुदायिक संस्थाओं को मजबूती प्रदान करना।
* समूह के सभी व्यक्तियों के ऋण सम्बंधित आवश्यकताओं की पहचान करना एवं उनकी पूर्ति करना।
* स्थायी एवं अस्थायी आवश्यकताओं की पूर्ति।
* अन्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण की सुविधा प्राप्त करना।
* समूह के सदस्यों की आवश्यकता के अनुसार प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करना।
* स्वयं सहायता समूह के वित्तीय प्रबंधन कौशल को विकसित करना।
* सामाजिक मुद्दो की पहचान करना एवं उनमें सभी की भागीदारी सुनिश्चित करना।
4.13 सूक्ष्म नियोजन के चरण
चरण 1- स्वयं सहायता समूह का विवरण:-
* समूह का नाम, समूह का पता, समूह में वर्गवार सदस्यों की संख्या।
* बैंक बचत खाता एवं विवरण, समूह का वित्तीय विवरण।
* सामाजिक कार्य, जीविकोपार्जन सम्बंधित किये गए कार्य।
* समूह द्वारा प्राप्त प्रशिक्षण आदि।
चरण-2 स्वयं सहायता समूह के सदस्यों के बारे में जानकारी का समावेश:-
* समूह के सदस्यों के परिवार का विवरण एवं उनके व्यवसाय।
* सदस्यों की संपत्ति का विवरण जैसे, जमीन, मवेशी, मकान, विवरण आदि।
* सरकारी सुविधाओं की प्राप्ति जैसे, जॉब कार्ड, राशन कार्ड BPL कार्ड आदि।
* समूह के सदस्यों के परिवारों की आरक्षिता।
चरण-3 स्वयं सहायता समूह के सदस्य के परिवार का आय एवं व्यय का विवरण।
* परिवार स्तर पर आय एवं व्यय के स्त्रोत
* परिवार के दायित्व-कर्ज आदि।
* समूह के सदस्यों के परिवार की जीविकोपार्जन क्रियाकलाप से सम्बंधित विवरण।
चरण-4 पारिवारिक निवेश योजना
(सदस्यों द्वारा किये जाने वाले आर्थिक का ब्यौरा एवं आंकलन)
* ऋण का उद्देश्य, आवश्यकता पूर्ति हेतु ऋण की राशि की जरुरत।
* सदस्यों द्वारा अंशदान, स्वयं सहायता समूह के अपेक्षित राशि।
* परिवार की मासिक आय।
* ऋण वापसी योजना।
* सदस्यों का समूह में प्रदर्शन बचत, ऋण वापसी, उपस्थिति आदि।
चरण-5 समूह के सदस्यों की जरूरतों का प्राथमिकीकरण
(पारिवारिक निवेश योजना के आधार पर)
* समूह द्वारा समूह की अत्यंत गरीब सदस्यों को प्राथमिकता दी जायेगी।
* आपातकालीन/अत्यधिक जरुरत को प्राथमिकता दी जायेगी जैसे- स्वास्थ्य सम्बंधित जरुरत, शिक्षा सम्बंधित जरुरत आदि।
* समूह के सदस्यों को प्राथमिकता दी जायेगी तत्पश्चात समूह के प्रतिनिधियों को प्राथमिकता दी जायेगी।
चरण-6 ऋण चक्रीकारन योजना प्राथमिकीकरण के आधार पर
चरण-7 मुद्दे एवं समाधान
(संसाधनों एवं जरूरतों से सम्बंधित मुद्दों पर निर्णय)
समूह के सदस्यों के बीच विस्तृत चर्चा के बाद के मुद्दे:-
* जीविकोपार्जन सम्बंधित मुद्दे- उपभोग की जरूरतें, उत्पादन संबंधित जरूरतें, संपत्ति निर्माण सम्बंधित जरूरतें।
* सामाजिक मुद्दे।
* प्रशिक्षण एवं क्षमतावर्धन सम्बंधित मुद्दे।
संसाधनों एवं जरूरतों सम्बंधित मुद्दों पर निर्णय:-
* स्वयं सहायता समूह स्तर पर।
* ग्राम संगठन स्तर पर।
* अन्य भागीदार के स्तर पर।
*************
स्त्रोत- उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रेरणा लघु मार्ग दर्शिका २०२०
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