इन्हीं प्रयासों में से एक प्रयास है जो विगत ५ वर्षों से अधिक समय से ग्रामीण क्षेत्रों में ७३ वें संविधान संशोधन तथा राज्यों को पंचायती राज अधिनियम के प्रति देशवासियों को जागरूक और गतिशील कर रहा है साथ ही उन्हें स्वत: कार्य करने के लिए प्रेरित भी कर रहा है । यहाँ चर्चा हो रही है "अपनी सरकार" के संवैधानिक दर्जे को व्यवहार में उतारने के लिए नीति, अधिनियम व सामुदायिक स्तर पर आवश्यक पहल व जाग्रति के वाहक की भूमिका का निर्वाह करते हुए चल रहे डॉ. चंद्रशेखर "प्राण" के निर्देशन में देश व्यापी "तीसरी सरकार अभियान" की ।
"तीसरी सरकार अभियान" का बीज लोक नायक जय प्रकाश नारायण के जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित एक सम्मलेन में बोया गया जिसका विषय था "पंचायत का संस्थागत विकास" तारीख थी ११ अक्तूबर २०१४ और स्थान था उत्तर प्रदेश की राजधानी "लखनऊ" । धीरे-धीरे सतत प्रयास से ५ वर्ष पहले बोए गए इस बीज ने मेहनत और समर्पण के पसीने से सींचकर अब एक वट वृक्ष के रूप ले लिया है जिसकी जड़ें न सिर्फ उत्तर प्रदेश अपितु देश के अधिकाशं राज्यों के गाँव-गाँव तक फ़ैल रहीं हैं । इस अभियान के माध्यम से अनेकों जागरूकता अभियान जम्मू कश्मीर से लेकर केरल तक चलाये जा चुके हैं जिनके माध्यम से देश के लाखों लोग ग्राम पंचायतों के प्रति अपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित कर रहे हैं साथ ही ग्रामीण नेतृत्व विकास के माध्यम से अपने ग्रामीण परिवेश को एक सार्थक प्रयास के माध्यम से दिशा प्रदान कर रहे हैं ।
हाल ही में अपने जीवन के एक लम्बे समय के अनुभव और संघर्षों के बाद देश के युवाओं से संवाद कर इस अभियान में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से "पंचायत पार्लियामेंट" नाम से एक जन संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया । यह संवाद, भारत देश के इतिहास का पहला ऐसा संवाद था जिस जन संवाद में उत्तर प्रदेश के ५० जिलों तथा उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त देश के १० अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ प्रत्यक्ष रूप से जमीनी स्तर पर संवाद स्थापित कर संघ सरकार और राज्य सरकारों को पंचायतों को पूर्ण अधिकार सम्पन्न बनाने के लिए सुझाव दिए गए।
डॉ चंद्रशेखर "प्राण के निरंतर प्रयासों और समर्पण का ही परिणाम है कि आज " इस अभियान की लोकप्रियता इस तरह बढ़ी कि मिशन समृद्धि, विश्व युवक केंद्र, भारत सरकार जैसी संस्थाओं सहित देश में ग्राम्य विकास के क्षेत्र में कार्यरत सर्वोच्च संस्था, राष्ट्रीय ग्राम्य विकास संस्थान एवं पंचायती राज, तथा राज्यों के पंचायती राज विभाग भी इसके सहयोग के लिए आगे आ रहे हैं ।
-प्रशान्त मिश्र
No comments:
Post a Comment