Friday, May 15, 2020

एक गाँव ऐसा भी - धोकड़ा गाँव

  

एक गाँव ऐसा भी - धोकड़ा गाँव   





            आज के इस बाजारीकरण के समय में जब प्रकृति का वरदान पानी, मिट्टी जैसे प्राकृतिक उपहार भी बिकने लगे हैंतब क्या आप  यह कल्पना भी कर सकते हैं कि क्या दुनिया में ऐसा भी कोई गाँव हो सकता है जो "दूध" मुफ्त में बाँट देता होभारत में दूध, दही की नदियाँ बहा करती थी कहे जाने वाले देश में गुजरात राज्य के अहमदाबाद जिले के मांडवी तहसील में आने वाला एक गाँव है धोकड़ा जो बीते ५०० वर्षों से अधिक समय से इस परम्परा को निभा रहा हैयह एक सोचनीय विषय है कि क्या कारण है कि इस ५०० आबादी वाले गाँव में पिछले ५०० वर्षों से एक ही परम्परा निभाई जा रही हैमांडवी से गढशीला के रास्ते भाडई से तीन किलोमीटर अन्दर है यह गाँवआज जब दूध का व्यापार कर गाँव सम्रद्ध बना है, तो वचन के अनुसार दूध का व्यापार  नहीं करता 

  

          अहमदाबाद - मांडवी तहसील का खेती पर आधारित सम्रद्ध गाँव धोकड़ा ५०० सालों सेवचनों में बंधा हुआ हैइन वचनों में एक यह भी है कि यहाँ की महिलाएं पांव में पायल के अतिरिक्त कुछ भी नहीं पहनेंगींइसके अलावा अन्य चार वचन भी ऐसे ही हैं, जो कुछ अजूबे होने के बाद भी गाँव वाले आज भी निभा रहे हैंइन्हीं वचनों का परिणाम है कि आज तक कभी इस गाँव में चोरी नहीं हुई, दो मंजिला मकान नहीं बना, पशुधन होने के बाद भी दूध नहीं बेचा जाता, इसके आलावा गाँव में कोई भी मच्छरदानी का इस्तेमाल नहीं करताइन वचनों के कारण आज भी गाँव खुशहाल है

 

          कुछ लोगों ने इन वचनों को तोड़ने की कोशिश कीतो उन्हें काफ़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा इसके पीछे एक अनोखी कहानी छुपी हुई है जो इस प्रकार है - आज से ५०० साल पहले इस गाँव में सिंध से एक सैयद अलिपीरे आये थेलोगों ने उन्हें अपने गाँव में ठहरने का आग्रह कियाइस पर बाबा ने कहा कि जो गाँव मेरीशर्ते मान लेगा, मैं उसी गाँव में रहूँगापहली शर्त थी कि गाँव का कोई भी व्यक्ति दूध की बिक्री नहीं करेगागाँव में कोई भी व्यक्ति दो मंजिला मकान नहीं बनाएगागाँव की महिलाएं पांव में पायल के अतिरिक्त कोई दूसरा गहना धारण नहीं करेंगीं, गाँव में कभी चोरी नहीं होनी चाहिए और गाँव का कोई भी व्यक्ति मच्छरदानी का प्रयोग नहीं करेगाबाबा को दिए गए इन वचनों का पालन आज भी इस गाँव के लोग कर रहे हैं

 

          धोकड़ा  गाँव राजपूतों का गाँव हैयहाँ के हर घर में गाय हैपरन्तु आज भी यहाँ कोई दूध नहीं बेचता गाँव में प्रतिदिन १००० से अधिक लीटर दूध का उत्पादन होता है पर इसे बेचा नहीं जातागाँव के लोग दूध का दही, छाछ, और घी बना कर बाजार में बेंच देते हैंऐसा नहीं है कि गाँव में किसी व्यक्ति ने इन वचनों को तोड़ने का प्रयास नहीं किया लोगों ने दो मंजिला मकान बनाया पर वह गिर गयाइसी प्रकार गाँव के लोगों ने दूध को बेचने का प्रयास किया तो उन्हें अत्यधिक नुकसान का सामना करना पड़ातब से गाँव के लोग सतर्क हो गए और इन पांचो वचनों का पालन कर रहे हैं



-प्रशान्त मिश्र 

No comments:

Post a Comment