Thursday, May 7, 2020

गौतम बुद्ध


गौतम बुद्ध 




        महारानी ने एक विचित्र सपना देखा, जिसके बारे में जानकर राजा भी सोच में पड़ गएशंका का निवारण करने के लिए सुदूर क्षेत्रों से दिग्गज ज्योतिषियों और भविष्य वक्ताओं को बुलवाया गया और उनसे विषय पर मंथन कर परामर्श माँगे गएसभी ने एक स्वर में कहा "महारानी को पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी" होने वाली संतान का नाम सर्वत्र गूंजेगा या तो वह महान "सम्राट" बनेंगें या महान "सन्यासी"। ज्योतिषियों की कही हुई बात शत प्रतिशत  सत्य साबित हुईमहारानी की इसी संतान को आज समस्त विश्व में "भगवान बुद्ध" के नाम से पूजा जाता हैइन्हें ही गौतम बुद्ध, महात्मा बुद्ध, और बौद्ध धर्म के संस्थापक के रूप में जाना जाता है

          

        महात्मा बुद्ध का जन्म ५६३ ईसा पूर्व के बीच शाक्य गणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी नामक गाँव में हुआ था जो नेपाल में स्थित हैयह वन नेपाल के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से लगभगमील दूर स्थित हैकहा जाता है कि कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी को अपने नैहर देवदह जाते समय रास्ते में प्रसव पीड़ा हुई और वहीं उन्होंनें एक बालक को जन्म दिया । जिसका नाम सिद्धार्थ रखा गया इसका अर्थ होता है "वह जो सिद्धिप्राप्ति के लिए ही जन्मा हो"। इनके पिता का नाम राजा शुद्धोधन था वो क्षत्रिय कुल के राजा थे । जन्म देने के ७ दिन पश्चात् ही सिद्धार्थ की माता का देहांत हो गया । इनका  भरण पोषण इनकी मौसी और राजा की दूसरी पत्नी महाप्रजावती ने किया । सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के पास वेद, उपनिषद्, राजकाज, युद्ध कौशल की शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की । इनका विवाह मात्र सोलह वर्ष की आयु में यशोधरा के साथ हो गया । उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम राहुल रखा गया । राजा शुद्धोधन ने सिद्धार्थ के भोग विलास हेतु तीन अलग अलग ऋतुओं के लिए तीन सुन्दर महल बनवाए थे दास-दासी, मनोरंजन की सारी वस्तुओं का प्रबंध किया गया था । सिद्धार्थ का मन बचपन से दया और करुणा के भाव से भरा हुआ था। एक बार सिद्धार्थ भ्रमण के लिये निकले, बाहरी दुनिया देखकर उनका मन इतना विचलित हो गया कि वह महल, भोग विलास, परिवार का मोह छोड़कर तपस्या के लिए चले गए ।

          

        सिद्धार्थ के प्रथम गुरु आलार कलाम थे, जिन्होंने इन्हें सन्यास काल में शिक्षा प्रदान की । गया के निकट एक पीपल के वृक्ष के नीचे तपस्या करते हुए ही सिद्धार्थ की साधना पूर्ण हुई तभी से सिद्धार्थ "बुद्ध" कहलाये जिस पीपल के नीचे सिद्धार्थ को बोध मिला वह “बोधिवृक्ष” कहलाया और वह स्थान “बौद्धगया” । भगवान बुद्ध ने लोगों को मध्यम मार्ग का उपदेश दिया । उन्होंनें अपने ज्ञान के माध्यम से लोगों को दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया । उन्होंने अहिंसा पर बल दिया ।  इनके ज्ञान और प्रचार से भिक्षुओं की संख्या निरंतर बढ़ने लगी । बड़े-बड़े महाराजा भी इनके विचारों से प्रभावित होकर शिष्य बनने लगे । भगवान बुद्ध ने बहुजन हिताय लोककल्याण और अपने धर्म का देश-विदेश में प्रचार करने के लिए भिक्षुओं को भेजा । बौद्ध धर्म के प्रचार में सम्राट अशोक ने भी अपनी अहम् भूमिका निभाई ।

          

        भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण ४८३ ईस्वीं में पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ । इनके महापरिनिर्वाण के अगली पांच शताब्दियों में बौद्ध धर्म पुरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले २००० वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फ़ैल गया । वर्त्तमान समय में दुनिया के २०० से अधिक देशों में बौद्ध के आनुयायी हैं । जिनमें चीन, कोरिया, जापान, वर्मा, थाईलेंड, श्रीलंका, मंगोलिया, वियतनाम, भूटान, कम्बोडिया, सिहपुर, इंडोनेशिया, रूस देश प्रमुख हैं ।

-प्रशान्त मिश्र 


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