Sunday, September 4, 2022

ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP)

 

ग्राम पंचायत विकास योजना

Gram Panchayat Development Plan

(GPDP)


ग्राम पंचायत प्रतिवर्ष दीर्घकालीन विकास को ध्यान में रखते हुए उपलब्ध संसाधनों के अनुसार अपनी कार्ययोजना तैयार करती है, जो की जन सभागिता एवं समुदाय की प्राथमिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार की जाती है। ग्राम सभा के अनुमोदन के पश्चात् ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार करने व उसे ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर अपलोड किया जाना अनिवार्य किया गया है।

ग्राम पंचायत विकास योजना क्या है?

भारत सरकार द्वारा ग्राम पंचायत विकास योजना का प्रारंभ वर्ष 2015 में किया और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सितम्बर 2015 में इससे संबंधित दिशा निर्देश जारी किये गये जो इस प्रकार हैं:-

·         ग्राम पंचायत विकास योजना विकेन्द्रित नियोजन (Decentralized Planning) है।

·      ग्राम पंचायतें दीर्घकालिन विकास, स्थानीय प्राथमिकताओं और उपलब्ध संसाधनों को ध्यान में रखते हुए एक निश्चित समय सीमा में स्वयं की पंचवर्षीय एवं एक वार्षिक ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार करती हैं जो सहभागी नियोजन एवं विभिन्न वित्तीय संसाधनों के अभिसरण पर आधारित है।

ग्राम पंचायत विकास योजना क्यों ?

·         ग्राम पंचायत स्तर पर उपलब्ध संसाधनों के बेहतर एवं कुशल प्रबंधन हेतु

·       ग्राम पंचायतों का समग्र एवं समेकित विकास, जिसमें न केवल अधोसंरचनात्मक विकास बल्कि सामाजिक, आर्थिक एवं वैयक्तिक विकास शामिल हो।

·        समुदाय को निर्णय लेने हेतु सक्षम बनाना तथा आवश्यकताओं का चिन्हीकरण एवं प्राथमिकीकरण।

·         सहयोगी नियोजन एवं संसाधनों के अभिसरण हेतु।

·     निर्धनों की आजीविका, निर्धनता एवं सामाजिक सुरक्षा प्रमुखता से सम्मिलित करते हुए अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति के कल्याण को प्राथमिकता देने हेतु।

 

ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण की प्रक्रिया

Process of preparation of Gram Panchayat Development Plan

ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण हेतु मुख्यतः पांच चरणों के माध्यम से ग्राम पंचायत विकास योजना का निर्माण में प्रयोग किया जाता है

आइये विस्तार से इन सभी चरणों पर विस्तार से चर्चा करते हैं:-


प्रथम चरण- वातावरण निर्माण

First Step - Environment Creation

        किसी भी कार्य को करने के लिए सबसे पहले उसके अनुकूल एक माहौल बनाया जाता है जिस प्रक्रिया को हम वातावरण निर्माण करना कहते हैं इस प्रक्रिया के मध्यम से हम निम्नलिखित लाभ उठा सकते हैं :-

·          समुदाय की सक्रिय भागीदारी से सही नियोजन की संभावनाएं बढ़ती हैं।

·         वंचित समुदाय के दृष्टिकोण से समस्याओं और संसाधनों के अधिक विकल्प सामने आने की सम्भावना बढ़ जाती है।

·         योजन निर्माण के आगे के चरण आसान हो जाते हैं तथा पूरी प्रक्रिया के प्रति स्वामित्व का भाव जागृत होता है।

·         प्रतिनिधियों के अलावा समुदाय के युवा, वंचित वर्ग, महिला, दिव्यांग, समुदाय आधारित संगठन हाशिए पर खड़े व्यक्ति तथा धार्मिक प्रतिनिधि भी महत्त्वपूर्ण भूमिका में आ जाते हैं।

·         सामाजिक विषयों कन्या भ्रूण हत्या, कुपोषण, बाल-विवाह बालश्रम, घरेलु हिंसा आदि पर दृष्टिकोण/ व्यवहार में बदलाव आता है।

 

वातावरण निर्माण करने हेतु हम निम्नलिखित तकनीकों का प्रयोग कर सकते हैं:-

·         प्रचार सामग्री का वितरण।

·        ग्राम पंचायत विकास योजना का परिचय देते हुए ग्राम पंचायत के सभी परिवारों को पात्र भेजना तथा योजना निर्माण की प्रक्रिया में प्रतिभाग करने हेतु आमंत्रित करना।

·         स्पीकर से घोषणा करवाना।

·         रैली निकालना।

·         स्थानीय मिडिया द्वारा प्रचार प्रसार।

·         स्कूली छात्र-छात्राओं आदि के द्वारा अभियान चलाना।

·         सोशल मिडिया का उपयोग।

·         स्वयं सहायता समूहों द्वारा अभियान चलाना।

·         मुनादी कराना।

·         बैनर पोस्टर का प्रयोग करना।

    जब पूरी ग्राम पंचायत में विकास योजना के लिए उपयुक्त वातावरण का निर्माण हो जाये तो इसके बाद अगला चरण आता है परिस्थितिकीय विश्लेषण यह चरण है गाँव के सभी सदस्यों के साथ मिलकर आंकडें एकत्र करने का

आइये अब इसके विषय में विस्तार से जानते हैं:-

 

द्वितीय चरण:- परिस्थितिकीय विश्लेषण

(Second Step Situational Analysis)

 

·         प्राथमिक एवं द्वितीयक/ सहयोगी आंकडे एकत्र करना

·         बैठकों की फोटोग्राफी/ वीडियोग्राफी कराना

·        आंकड़ों का विश्लेषण/ तुलनात्मक अध्ययन करना एवं ग्राम पंचायत के विकास स्थति की ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करना

·         मिशन अन्त्योदय का डाटा

मुख्यतः ग्राम पंचायत विकास योजना के आंकड़ों के संग्रह हेतु ग्रामीण सहभागी आंकलन (Participatory Rural Appraisal)पद्धति का उपयोग किया जाता है आइये PRA की मुख्य पद्धतियों पर प्रकाश डालते हैं।

·         घर- घर का सर्वेक्षण (Household Survey)

·         ग्राम भ्रमण (Transect Walk)

·         सामाजिक मानचित्र/ संसाधन मानचित्र (Social Mapping/ Resource Mapping)

·         समूह केन्द्रित चर्चा (Focus Group Discussion) 

तृतीय चरण

आवश्यकताओं/ समस्याओं की पहचान एवं प्राथमिकताओं का निर्धारण

Third Step

 Identification of Needs/Problems and setting Priorities

Ø  परिस्थिकीय विश्लेषण के फलस्वरूप निकली समस्याओं की लिस्ट बनाना

Ø  जो भी समस्याएं निकल कर आये उन्हें एक फोर्मेट पर समेकित कर लिखें। जिससे की गाँव की पूरी समस्याओं को एक जगह लाकर आगे की प्रक्रिया अर्थात प्राथमिकता का निर्धारण किया जा सके।

Ø  उपलब्ध संसाधनों के अनुसार ही प्राथमिकताओं को निर्धारित करना।

Ø  प्राथमिकता का निर्धारण करते समय निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना कि

·      ज्यादा से ज्यादा लोगों का हित समाहित हो।

·      अनुसूचित जाति/जनजाति एवं वंचित व कमजोर वर्ग के हित में हो।

·      महिलाओं और बच्चों के हित में हो।

·      गंभीर प्रकृति की समस्या जो वर्तमान या भविष्य में घटित होने की सम्भावना हो जैसे बाढ़ की समस्या, संक्रमण रोगों की समस्या , सूखे से निपटान की समस्या आदि।

·      ऐसी समस्यायें जिनका निराकरण स्थानीय स्तर पर किया जा सके।

Ø  प्राथमिकताओं को निर्धारित करते समय उन्हें दो भागों में विभाजित करना

·         वित्तीय प्राथमिकता, जीनेक लिए फण्ड की उपलब्धता आवश्यक नहीं है, जैसे नाली खडंजा निर्माण, हैंडपंप मरम्मत एवं अन्य निर्माण कार्य/मरम्मत कार्य।

·         सामाजिक कार्य जिनके लिए फण्ड की आव्श्यकता नहीं है, जैसे कुपोषण, अशिक्षा, टीकाकरण, लैंगिक असमानता, बाल संरक्षण, सुरक्षित पेयजल आदि पर चर्चा व जागरूकता के लिए गतिविधियाँ आयोजित करना।

आवश्यकताओं/ समस्याओं को सूचीबद्ध करने के साथ-साथ ग्राम पंचायत के उपलब्ध संसाधनों का भी आंकलन किया जायेगा। ग्राम पंचायत में उपलब्ध संसाधनों की सूचि तैयार करने में मानव संसाधन एवं वित्तीय संसाधनों की सूचि तैयार की जायेगी जिसे ग्राम पंचायत का रिसोर्स एनवलप कहा जाता है।

रिसोर्स एनवलप के मानव एवं वित्तीय संसाधन में भी सरकारी एवं गैर-सरकारी संसाधनों की सूची निम्न प्रकार तैयार की जायेगी। 

 

चतुर्थ चरण

संसाधनों का निर्धारण एवं ड्राफ्ट प्लान तैयार करना

Fourth Step

Determination of resources and preparation of draft plan

उपरोक्त वित्तीय एवं सामाजिक प्राथमिकताओं का निर्धारण हो जाने के पश्चात् समस्त प्राथमिकताओं के लिए ग्राम पंचायत विकास योजना का ड्राफ्ट प्लान तैयार किया जायेगा\ ड्राफ्ट प्लान बनाते समय निम्नलिखित बिन्दुओं का होना आवशयक है:-

·         प्रस्तावित क्षेत्र- इसमें प्रस्तावित क्षेत्र के लिए सम्पूर्ण गतिविधियों की सूची होगी जी पर ग्राम सभा के दौरान निर्णय लिया गया है।

·         प्राथमिकतायें- इसमें केवल उन गतिविधियों की सूची जिसे वार्षिक कार्ययोजना हेतु स्वीकृत किया गया है।

·         फंड का आवंटन- इसमें प्रत्येक क्षेत्र हेतु बनायी गयी परियोजना को पूरा करने के लिए आवंटित धनराशि का पूर्ण विवरण होगा।

·         फंड का स्त्रोत- फंड का स्त्रोत (Centrally/State sponsored, FFC, SFC, OSR, Community Contribution, CSR etc.) का विवरण प्रत्येक गतिविधि के साथ होना चाहिए।

 

पांचवा चरण

वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति एवं आगे की क्रियान्वयन की रणनीति पर चर्चा

Fifth Step

Discussion on Financial and Administrative Approval and Strategy for Further Implementation

प्रशासनिक स्वीकृति – ग्राम सभा से अनुमोदन के पश्चात् ग्राम पंचायत द्वारा

वित्तीय स्वीकृति के मापदंड –

5,00,000 रुपये तक :- ग्राम पंचायत द्वारा

5,00,001 रुपये से 7,50,000 रूपये तक :- ADO पंचायत द्वारा

7,50,001 रुपये से 10,00,000 रूपये तक:- DPRO के द्वारा

10,00,001 रुपये से अधिक के लिए :- जिलाधिकारी के द्वारा

प्रत्येक परियोजना दस्तावेज ग्राम पंचायत विकास योजना का हिस्सा होती है। निर्मित ग्राम पंचायत विकास योजना को अगली ग्राम सभा में रखा जाता है।   

स्त्रोत- पंचायती राज विभाग उत्तर प्रदेश  

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