Monday, May 4, 2020

प्रेरक प्रसंग -सरदार वल्लभभाई पटेल


प्रेरक प्रसंग 

लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल 



मित्रों!
               अक्सर जब हम अपने जीवन में विषम परिस्थितियों से घिरे हुए होते हैं और हमें यह समझ नहीं आ रहा होता है कि क्या करें? उस स्थिति में जब हम अपने जीवन के कठोरतम निर्णय लेकर अपने कर्तव्यों को अधिक प्राथमिकता देते हैं तो यह न सिर्फ हमारे जीवन में प्रेरणा प्रसंग का आधार बनता है अपितु हमारे निकटतम और प्रसंग के प्रसार के क्षेत्रों में हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करते हुए अन्यों के लिए भी "प्रेरणा मन्त्र" बनता है । इस अंक में आज जिनकी हम चर्चा कर रहें हैं वह सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं और उनके विचारों और संकल्पों के कारण ही आज भी वो विश्व में लौह पुरुष के नाम से जाने जाते हैं । जी, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल । सरदार जी के जीवन के अनगिनत पहलूं ऐसे हैं जो उनको महान बनाते हैं और जिनसे सभी प्रेरणा प्राप्त करते हैं। चाहे वह उनके द्वारा आजादी के बाद देशी रियासतों का भारत देश में विलय हो अथवा देश के लिए उनके किये गए अनेकों त्याग । जिनका वर्णन करेंगें तो शब्द कम पड़ जाएँगें, ऐसा ही एक अनुभव है लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन का, जो उनको साधारण से असाधारण बना देता है।

             सरदार वल्लभभाई पटेल की गिनती तत्काल के दिग्गज वकीलों में की जाती थी । उस समय का वाक्या है जब वह एक हत्या का मुकदमा लड़ रहे थे तभी उन्हें यह समाचार प्राप्त हुआ कि उनकी पत्नी का स्वास्थ्य ख़राब है स्वास्थ्य अधिक ख़राब होने के कारण वह अपनी पत्नी के पास आ कर उसकी देखभाल करने लगे आये हुए कुछ ही समय बीता ही था कि जो मुकदमा वह लड़ रहे थे उसकी तारीख पड़ गई । सरदार जी के सामने असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई, एक तरफ उनकी जीवन-संगनी मृत्यु-शैया पर अपने जीवन के अंतिम क्षणों का इंतजार कर रहीं थीं, वही दूसरी ओर कोर्ट में पेशी के लिए शहर जाना भी नितांत आवश्यक था क्योंकि जिस व्यक्ति को वह मुकदमा लड़ रहे थे उसके फांसी होने की प्रबल सम्भावना थी ।

             अपने पति को चिंतित देख उनकी पत्नी ने उनका हौंसला बढ़ाते हुए कहा कि आप मेरी चिंता न कीजिये आपका पेशी पर जाना अधिक जरुरी है । आप भगवान पर विश्वास कीजिये, वह जो करेंगें अच्छा ही करेंगें । पत्नी की बात मानते हुए वह दु:खी मन से शहर वापस आ गए । कोर्ट में मुकदमा प्रारंभ हुआ सरकारी वकील ने मुलजिम पर दोषारोपण करते हुए जज से उसे फांसी देने की मांग की । सरदार जी बचाव पक्ष में खड़े होकर जवाब दे ही रहे थे कि उनके सहायक ने "तार" लाकर उनके हाथ में दिया । वह थोड़ी देर रुके और तार पढ़कर उसे अपनी ज़ेब में रख लिया और पुनः कोर्ट की बहस में  लग गए और उन्होंने यह साबित कर दिया कि उनका मुलजिम बेकसूर है । बहस के बाद जज ने फैंसला सुनाते हुए उस व्यक्ति को निरपराध घोषित किया । सदन में ख़ुशी की लहर दौड़ गई और सभी उनको बधाई देने लगे । वहाँ उपस्थित सभी ने उनसे उस तार के विषय में पूछा" उसमें लिखा था कि उनकी पत्नी का देहांत हो गया है" । यह देख सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए कि इतनी विषम स्थिति में भी सरदार जी ने अपने कर्तव्यों को अधिक प्राथमिकता दी । सभी की आँखे उनके त्याग और समर्पण को देखकर भर आयी ।

              ऐसे थे, हमारे लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल, त्याग,समर्पण कर्तव्य निष्ठा ही आपके व्यक्तित्व को महान बनाती है ।


- प्रशान्त मिश्र 

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