Saturday, May 9, 2020

सारनाथ (Sarnath)

सारनाथ 


    

        बौद्ध धर्म में चार प्रमुख तीर्थ कहे गए हैं: लुम्बिनी, बौधगया, कुशीनगर और सारनाथ । लुम्बिनी भगवान बुद्ध की जन्म स्थली है । बौद्ध गया वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। कुशीनगर भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण की भूमि है।  सारनाथ को भगवान गौतम बुद्ध के द्वारा ज्ञान प्राप्ति के पश्चात् पहला उपदेश दिये जाने के लिए जाना जाता है। यहीं से जले प्रकाश पुंज ने समस्त विश्व को प्रकाशित किया। जिसे धर्म चक्र परिवर्तन का नाम दिया जाता है । आज तीर्थ स्थान विशेष में हम सारनाथ यात्रा की चर्चा करेंगें ।


      मुख्यतः सारनाथ बौद्ध धर्म के लिए जाना जाता है । यहाँ जैन तीर्थ और भगवान शिव के प्राचीन मंदिर भी स्थापित हैं । सारनाथ का जैन समुदाय में भी विशेष महत्तव है,जैन धर्म के अनुसार इसे सिंहपुर कहा गया है और यह मान्यता है कि जैन धर्म के ग्यारहवें तीर्थकर श्रेयांसनाथ जी का जन्म सारनाथ के निकट ही हुआ था । यहाँ हिन्दुओं के आस्था का प्रतिक पवित्र सारंगनाथ महादेव का मंदिर है, जो दो शिवलिंग के लिए विशेष रूप से जाना जाता है । इसी के नाम पर इस स्थान का नाम सारनाथ पड़ा।

  

        सारनाथ, बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी  से लगभग १० किलोमीटर पूर्व की ओर पड़ता है जहाँ आप सरलता से अपने निज वाहन अथवा सवारी गाड़ी से आ सकते हैं । जब आप सारनाथ पहुँचते हैं तो मन को प्रफुल्लित कर देने वाली खुशबू और शांत कर देने वाली शांति का एहसास होता है । एक खास बात यह कि आपको देखकर लगेगा कि आप कहीं विदेश में आ गए हों । यहाँ आपको मठ मंदिरों पर चाइनीज भाषा में लिखा दिखाई देता है और साथ ही विदेशी पर्यटकों की उपस्थिति इस जगह को रोमांचित और स्मरणीय बना देती हैं । यहाँ देश के नागरिकों से अधिक विदेशों से आने वाले बौद्ध अनुयायियों की संख्या अधिक दिखाई देती है । जिनकी सादगी और व्यवहार जीवन पर एक अमिट छाप छोड़ती है ।

  

        कभी सारनाथ आना हो तो पैदल ही इसके दर्शन करने निकल जाए। दर्शन करने के लिए यहाँ चीनी मंदिर, तिब्बती मंदिर, मुलगंधकुटी, जैन मंदिर, सारनाथ महादेव का मंदिर है। साथ ही धामेक स्तूप, चौखंडी स्तूप यहाँ का मुख्य केंद हैं, जो अब अपने वास्तविक स्वरुप में नहीं हैं फिर भी आप यहाँ स्थित पुरातत्व संग्राहलय से सारनाथ की प्राचीनतम स्थिति और भव्यता का अनुमान लगा सकते हैं । अन्दर प्रवेश करते ही आपको सामने अशोक स्तम्भ देखने को मिलता है, जिससे भारत का राजकीय प्रतिक "अशोक चिन्ह" लिया  गया है इसके अतिरिक कई अन्य अनमोल धरोहर संजो कर रखी गई हैं। जब आप संग्राहलय से बाहर निकलते हैं तो सीधे हाथ की ओर चलते ही आपको भगवान गौतम बुद्ध की विशालकाय प्रतिमा देखने को मिलेगी जिसके समीप एक बौद्ध मंदिर भी है । इसके साथ ही आप यहाँ स्थित चिड़िया घर में मगरमच्छ, घड़ियाल, विभिन्न पक्षी, कछुआ और भी अन्य जानवरों की उपस्थिति का भी आनन्द ले सकते हैं। मुहम्मद गौरी ने सारनाथ के पूजा स्थलों को नष्ट कर दिया  था वर्ष १९०९ में पुरातत्व विभाग ने यहाँ खुदाई का काम प्रारंभ किया उसी समय बौद्ध अनुयायियों का और इतिहासकारों का ध्यान सारनाथ की ओर आकर्षित हुआ ।

-प्रशान्त मिश्र 

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