जब हम एक अच्छे लीडर अथवा नेतृत्वकर्ता बनने के प्रयास
में होते हैं (वह राजनैतिक हो सकता है, सामाजिक, शिक्षा के क्षेत्र में अथवा किसी अन्य क्षेत्र में), तो हम सर्वप्रथम अपना सामाजिक दायरा बढ़ाने का प्रयास करते हैं जिसके लिए
हम प्रतिदिन नए नए लोगों से मिलते हैं उनको समझने का प्रयास करते हैं । ऐसे में यह अक्सर देखा गया है कि जब कभी हम
अधिक प्रतिभावान व्यक्ति से मिलते हैं तो उससे अधिक आकर्षित होते हैं और वह हमारे मन
मस्तिष्क में अपनी छवि की छाप छोड़ देता है । इसी प्रकार जब हम किसी ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं जो
हमारे धर्म का हो, क्षेत्र का हो, समुदाय का हो, हो
सकता है वह कई बार हम से उम्र में बड़ा और अधिक उच्च पद पर हो तो उसका प्रभाव हमारे
विचारों पर अधिक पड़ता है । यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । परन्तु एक कुशल लीडर के लिए यह सबसे
चुनौतीपूर्ण समय होता है क्योंकि इस प्रकार हम चाहते न चाहते हुए भी कही न कहीं इन
व्यक्तियों के विचारों को अधिक प्राथमिकता देने लग जाते हैं साथ ही ऐसे व्यक्तियों
को अधिक प्राथमिकता देने के कारण हमारे सामाजिक दायरे का क्षेत्र संकुचित होना
प्रारम्भ हो जाता है तब विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है ।
विचार करने अथवा आकलन करने की शक्ति सभी व्यक्तियों में अलग अलग होती है यह आपकी रुचियों अथवा अरुचियों पर निर्भर करती है। इस
स्थिति में एक अच्छे नेतृत्वकर्ता का यह दायित्व है कि वह सभी को समान दृष्टि से
देखें और सभी के साथ समान व्यवहार करे ।
-प्रशान्त
मिश्र
नोट-आपको जानकारी कैसी लगी यह कमेंट करके
अवश्य बताइए
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ReplyDeleteसूअर को सुस्पष्ट पढ़ा जाए
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