एक गाँव ऐसा भी
क्या आप जानते हैं
कि हमारे देश
में एक गाँव ऐसा
भी है जहाँ आम
बोलचाल में शुद्ध संस्कृत भाषा का
प्रयोग किया जाता है
और हर परिवार में
एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं
। आइये गाँव संस्कृति के
इस अंक में
चर्चा करते हैं
ऐसे ही एक
गाँव की जो
वर्षों से हमारी मूल
भाषा "संस्कृत" को संजोये हुए
है
।
कर्नाटक के
शिमोंग जिले में
एक गाँव है
"मत्तूर" यह
एक मात्र ऐसा
गाँव है जहाँ आज
भी आम बोलचाल में
संस्कृत का प्रयोग किया जाता है
। यहाँ हर
कोई इसी भाषा में
बातचीत करता नज़र
आता है । वैदिक समय
से आज तक
यहाँ इसी तरह
से संवाद होता आ रहा है
।
मत्तूर का
अकादमिक रिकॉर्ड जिले में
सबसे अव्वल है
। अध्यापकों के
अनुसार संस्कृत सीखने से
छात्र की तर्क शक्ति, गणित और
कौशक में वृद्धि होती है
। मत्तूर के
कई छात्र विदेश में
इंजीनियरिंग और मेडिकल की
पढ़ाई कर रहे
हैं । आपको यह
जानकर हैरानी होगी कि
इस गाँव के
प्रत्येक घर से
एक बच्चा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है
। मत्तूर जिले के
३० से
अधिक व्यक्ति संस्कृत के
प्रोफ़ेसर के रूप
में कुवेम्पु, बंगलुरु, मैसूर, और
मंगलौर के विश्वविद्यालयों में
पढ़ाते हैं ।
गाँव में आज
भी संस्कृत के
ग्रंथों का पाठ
होता है । यहाँ एक
मंदिर और स्कूल भी
है जहाँ वेदों को
पारंपरिक रूप से
पढ़ाया जाता है
। छात्रों को
बेहद बारीकी के
साथ पांच सालों तक
इस पाठ्यक्रम को
पढ़ाया जाता है
ताकि छात्र बेहतर तरीके से
अपनी परंपरा और
भाषा को जान
सकें । यहाँ तक
के छात्र आम
लोगों की सुविधा के
लिए पाठशाला में
ही ताड़ के
पत्तों पर लिखित संस्कृत के
दुर्लभ और नष्ट होते लेखों को
सुधारते हैं । कई
छात्र विदेशों से
आकर पाठशाला में
संस्कृत भाषा सीखते हैं
।
आज भी यह गाँव हमारे देश की
संस्कृति और सभ्यता की अनमोल धरोहर को सैकड़ों वर्षों से संजोये हुए है संस्कृत न
सिर्फ एक भाषा है अपितु यह समस्त भाषाओँ की जननी है । हमारे अनेकों धर्म ग्रन्थ संस्कृत भाषा
में ही लिखे गए हैं ।
जिनके अन्दर छिपा ज्ञान का अनुपम भण्डार मात्र विषय के ज्ञान न होने के कारण
ग्रंथों में ही कैद है । यह
चिंता का विषय है । हम
सब को इस विषय का गहन चिन्तन करना होगा साथ ही संस्कृत भाषा के विकास के लिए
प्रयास करना होगा ।
धन्यवाद्
Thanks sar ji 🙏
ReplyDeleteVery nice sir Ji
ReplyDeleteThankyou for the good information
Great village👌👌
ReplyDelete