नेतृत्व कौशल
भारत देश में प्राचीनतम समय से ही नेतृत्व का एकाधिकार देखने को मिलता है । समय-समय पर जब कभी भी भारत देश को नेतृत्व की आवश्यकता महसूस हुई अपितु विश्व को एक अच्छे नेतृत्व की आवश्यकता महसूस हुई, उस दशा में भारत देश के प्रभावशाली नेतृत्व ने समस्त समस्या अथवा जरुरत को पूरा करने का बीड़ा स्वयं अपने मजबूत कन्धों पर उठा लिया । जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण भारत देश की संस्कृति व धर्म का परचम शिकागों में आयोजित विश्व धर्म सम्मलेन में लहराने वाले परम पूज्य स्वामी विवेकांनद हो, अहिंसा आन्दोलन के जनक कहे जाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, भारत देश से चलकर विश्व में सहयोग एकत्र कर आजाद हिन्द फ़ौज की स्थापना कर, अंग्रेजो को भारत देश से भाग जाना चाहिए, ये सोचने पर मजबूर करने वाले नेता जी सुभाष चन्द्र बोस जैसे अनगिनत उदाहरण आपको देखने को मिल जाएंगे । यदि आप भारत देश में नेतृत्व का जीता जगता उदाहरण देखना चाहते हैं, तो आप भारत देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देख सकते हैं जिन्होंने नेतृत्व के बल पर एक ग्रामीण परिवेश से निकलकर, आज समस्त विश्व को भारत देश के साथ आकर सहयोग करने व मिलकर आगे बढ़ने का सन्देश दिया ।
भारत देश एक सोने की चिड़िया कहा जाने वाला राष्ट्र था जिसका खजाना विदेशी आक्रान्ता लुट कर ले गए यह बात तब तक सही हो सकती है जब तक हम देश के खजाने में मात्र सोना-चांदी, हीरे और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की गणना करते हैं । परन्तु हम सदैव यह बात भूल जाते हैं कि भारत देश में एक विशाल खजाना छुपा हुआ है जिसकी मात्रा उस लुटे धन से कहीं अधिक है । यह खजाना है यहाँ का युवा, जो कोहिनूर हीरे से भी अधिक मूल्यवान है जिसकी शक्ति अनन्त है । ऐसे अमूल्य ख़जाने के भण्डार यहाँ कोने-कोने में छिपे हुए है । जिसका यदि हम आंकलन करें तो वर्तमान में भारत देश सोने की नहीं पारस की चिड़िया है जिसके छुने मात्र से कुछ भी सोने में परिवर्तित किया जा सकता है । बस हमें प्रयास करना चाहिए देश की इस अमूल्य सम्पदा का प्रयोग करने की। भारत देश में यदि विकास कि गंगा को और अधिक तीर्वता से बहाना है तो हमें हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में छिपी नेतृत्व की अद्भुत प्रतिभा को पहचानना होगा और उसके कौशल विकास पर अपना ध्यान केन्द्रित करना होगा जिससे वह न सिर्फ अपना मूल्य बढ़ाएगा अपितु जिसे छुएगा उसे भी सोना बना देगा। देश के युवाओं को अपनी राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए आगे बढ़कर नेतृत्व को अपने हांथो में लेना होगा ।
नेतृत्व एक ऐसा कौशल है जो प्रकृति द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को प्रचुर मात्रा में प्रदान किया गया है । कमी है तो उस क्षमता को पहचानने की और उसको सही दिशा और दशा प्रदान करने की । यह एक ऐसी प्रतिभा है जिसका आकलन मात्र देखकर या कुछ समय साथ रहकर नहीं किया जा सकता, यह अपनी आवश्यकता अनुसार और समय की माँग के अनुरूप स्वत: ही प्रकट हो जाती है । लोगों के लिए अत्यंत प्रेम और करुणा का भाव नेतृत्व का प्रतिबिम्ब है। यह कहना की उक्त व्यक्ति में नेतृत्व करने की क्षमता शुन्य है यह देखने वाले व्यक्ति की आँखों और मस्तिष्क का दोष हो सकता है । नेतृत्व की क्षमता को पहचानना और उसके सामर्थ्य का आकलन करना यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है । आप अपनी तत्कालिक समझ से उस समय किसी व्यक्ति के एक गुण को तो जान सकते हैं परन्तु नेतृत्व की क्षमता को नहीं ।
नेतृत्व की क्षमता प्रत्येक व्यक्ति में अपार है अंतर मात्र इतना है कि उसके प्रकटीकरण का समय क्या है, अथवा कब होगा, यह जानने के लिए व्यापक ज्ञान और अनुभव की आवश्यकता है । दैनिक जीवन में दो प्रकार के व्यक्ति देखने को मिलते हैं एक तो वह जो नेतृत्व के प्रदर्शन के माध्यम से अपना प्रभाव छोड़ते हैं और स्वयं को कुशल नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करते है और एक वह जो समय की माँग के अनुरूप अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं । एक अन्य विषय है जिसे जानना भी जरुरी है वह यह कि एक अकेला व्यक्ति अपने सम्पूर्ण जीवन में स्वयं का नेतृत्व करता है स्वयं के लिए मार्ग प्रशस्त करता है वहीँ जब वह किसी अन्य के साथ अथवा समूह में होता है तब वह परिस्थिति के अनुरूप अपने नेतृत्व क्षमता का प्रयोग करता है । किसी व्यक्ति के नेतृत्व कला का प्रदर्शन तभी प्रभावी रूप से संभव होता है, जब उसमें ह्रदय और शारीरिक रूप से नेतृत्व करने का भाव जाग्रत हो ।
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