Monday, August 7, 2023

अध्याय-१ स्वयं सहायता समूह Chapter-1 Self Help Group (SHG)

अध्याय-१  

स्वयं सहायता समूह

 (SHG)


        स्वयं सहायता समूह में जुड़े सभी सदस्य लगभग समान आर्थिक एवं सामाजिक स्तर के होंगें एवं सभी का निवास एक दुसरे के करीब होगा, हमारे स्वयं समूह में 10 से 20 महिलाएं होंगी

१.१ विशेष समूह :-

        विशेष परिस्थितियों  में समाज के द्वारा उपेक्षित एवं अति कमजोर समुदाय जैसे दिव्यांग, वृद्ध आदि के साथ भी विशेष वृद्ध स्वयं सहायता समूह न्यूनतम 5 सदस्यों के साथ गठित किये जा सकते हैं और विकलांग समूह १० लोगों को मिलाकर गठित किया जा सकता है। जिसमें आवश्यकतानुसार महिला एवं पुरुष दोनों सदस्य हो सकते हैं।

         स्वयं सहायता समूह द्वारा समस्त नियम, उपनियम का निर्माण एवं पालन किया जायेगा एवं समय-समय पर आवश्यकतानुसार संशोधन भी किया जायेगा। एक अच्छे स्वय सहायता समूहों की पहचान उसके द्वारा पंचसूत्र का पूर्ण रूप से पालन किया जाना है।  



१.३ समूह के पदाधिकारी :-

            समूह के सुचारू रूप से संचालन हेतु समूह अपने सदस्यों में से तीन पदाधिकारियों का चयन करेगा। पदाधिकारी के चयन में इस बात का ध्यान रखा जायेगा कि सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सबसे कमजोर सदस्य को सबसे पहले पदाधिकारी बनने का मौका मिले। पदाधिकारी का चुनाव अधिकतम ३ वर्षों के लिए होगा एवं नियमित अन्तराल पर पदाधिकारियों का बदलाव कर सभी सदस्यों को पदाधिकारी बनने  एवं नेतृत्व करने का मौका प्रदान किया जायेगा।

१.४ स्वयं सहायता समूह के पदाधिकारियों की भूमिकायें :-

अध्यक्ष :- 

        अपने समूह का संचालन करना, समूह के सभी सदस्यों की सहभागिता सुनिश्चित करना, सदस्यों के बीच उत्तरदायित्वों का निर्धारण सर्वसम्मति से करना, अपने समूह का विभिन्न मंचों जैसे की ग्राम संगठन में प्रतिनिधित्व करना, समूह के बैंक खाते का संचालन करना आदि।

सचिव :-
 
        अपने स्वयं सहायता समूह के रोजगार और प्रशासनिक मामलों के लिए उत्तरदायी होगा। अपने समूह की बैठक आयोजित करने एवं संचालन करने के लिए जिम्मेदार होगा। वह अपने समूह के सही खाता-बही को लिखवाने एवं सुरक्षित रखने के लिए जिम्मेदार होगा। समूह के बैंक खाते का संचालन करेगा।

कोषाध्यक्ष :- 

        अपने समूह के सभी वित्तीय लेन-देन एवं अंकेक्षण के लिए जिम्मेदार होगा। कोषाध्यक्ष अपने समूह के सभी संपत्तियों के सही रख-रखाव के लिए जिम्मेदार होगा। कोषाध्यक्ष की अनुपस्थिति में सचिव कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा। समूह के बैंक खाता का संचालन करेगा।

१.५  सदस्यों के कार्य एवं उत्तरदायित्व :-

१. सभी सदस्य समूह में एकता एवं सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करेंगें।

२. सभी सदस्य समान अवसर पैदा करेंगें एवं सदस्यों को प्रोत्साहित करेंगें।

३. सभी सदस्य आवश्यक संसाधनों का न्यायपूर्ण एवं उचित तरीके से प्रयोग एवं प्रबंधन करेंगें।

४. समूह के सभी सदस्यों का दायित्व होगा कि जान-बूझकर ऋण न चुकाने वाले सदस्यों से ऋण वसूल करने के लिए सामूहिक कार्यवाही करेंगें।

५. सभी सदस्य विकास सम्बन्धी कार्यों के लिए उत्तरदायी होंगें और सेवा भावना के साथ नेतृत्व की जिम्मेदारी लेंगें।'

६. सभी सदस्य समूह की एकता एवं अखंडता बनाये रहेंगें।

७. सभी सदस्य समूह की बैठक में अनुशासन बनाये रखेंगें एवं नियमों का अक्षरशः पालन करेंगें।


१.६ स्वयं सहायता समहू का प्रगति चक्र :-

० से ३ माह 

१. समूह गठन करना या समूह को पुनर्जीवित करना 

२. समूह में सदस्यों द्वारा नियमों/उपनियमों का पालन 

३. समूह में पंचसूत्र का पालन 

४. निर्धनता, लिंग भेद, पोषण, स्वास्थ्य, योजनाओं के बारे में जानकारी 

५. समूह का बचत खाता खुलना 

६. स्टार्ट अप फण्ड मिलना 

३ से ४ माह तक 

१. समूह का पंचसूत्र के अनुसार वर्गीकरण 

२. योग्य समूह में रिवाल्विंग फण्ड का वितरण 

३. रिवाल्विंग फण्ड का समूह के सदस्यों द्वारा आपस में लेन-देन

४ से ७ माह तक 

१. ग्राम संगठन का निर्माण 

२. सूक्ष्म ऋण नियोजन (एम.सी.पी.) का निर्माण, समीक्षा एवं अनुमोदन 

३. योग्य समूहों में सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.) का वितरण 

४. सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.) का समूह सदस्यों में लेन-देन 

५. योग्य समूह का बैंक से प्रथम लिंकेज 

६. सामाजिक समावेश एवं सामाजिक गतिविधियों से जुड़ाव 

७.  आजीविका गतिविधियों से जुड़ाव, बीमा में जुड़ाव 

७ से १२ माह तक 

१. सूक्ष्म ऋण नियोजन की पुनरावृत्ति, समीक्षा एवं अनुमोदन 

२. जोखिम कम करने एवं अन्य कार्यक्रमों/योजनाओं से जुड़ाव के लिए सदस्यवार एवं समूहवार कार्ययोजना का निर्माण 

३. जोखिम निवारण निधि (वी.आर.एफ.) का समूह में इस्तेमाल 

१२ से १८ माह तक 

१. योग्य समूहों का बैंक से द्वितीय बैंक लिंकेज 

१८ से ३६ माह तक 

१. योग्य समूहों का बैंक से तृतीय बैंक लिंकेज 

३६ से ६० माह तक 

१. योग्य समूहों का बैंक से चतुर्थ बैंक लिंकेज 

कुछ महत्त्वपूर्ण बातें :-

१. समूह अपनी साप्ताहिक बैठक एवं बचत नियमित रूप से जारी रखेगा।

२. समूह की बैठक नियमित रूप से निर्धारित दिन व समय पर सर्वसम्मति से चयनित स्थल या प्रत्येक बैठक अलग-अलग सदस्यों के घर पर या सार्वजानिक स्थल पर किया जायेगा।

३. ऋण की मांग, मांग का प्राथमिकता निर्धारण एवं ऋण का वितरण समूह की बैठक में ही होगा।

४. सभी लेन-देन और खाताबही प्रत्येक बैठक में ही लिखा जायेगा।

५. समूह बुक कीपर अथवा समूह सखी द्वारा नियमित रूप से खाता पुस्तिका संचारित की जायेगी।

६. सभी सदस्य समूह के नियमों/उपनियमों का पालन करेंगीं एवं समूह द्वारा पंचसूत्र का अनिवार्य रूप से पालन किया जायेगा।    

महिला स्वयं सहायता समूह की उप विधि 

१.७ समूह का कार्य : समूह द्वारा निम्नलिखित कार्य करना:- 

१. गरीब महिलाओं को संगठित करना।

२. आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं के प्रति जागरूक करना।

३. सदस्यों में स्वयं सहायता एवं आत्मविश्वास की भावना को जागरूक करना।

४. सदस्यों में  नेतृत्व की क्षमता विकसित करना।

५. सामाजिक समस्याओं का समाधान करने में सहायता करना।

६. सदस्यों को आयवर्धक कार्य करने में प्रोत्साहन।

७. स्थानीय संसाधनों को चिन्हित करना।

८. सदस्यों की बचत की आदत को विकसित करना।

९. सदस्यों में सूक्ष्म वित्तीय ऋण की सहायता प्रदान करना।

१०. सरकारी कार्यक्रमों के बारे में समझ विकसित करना।

११. समूह के सदस्यों को स्वस्थ, पोषण, बालिका शिक्षा मुददों पर जागृत करना।

१.८ समूह की सदस्यता :-

१. समूह की सदस्य एक परिवार से एक महिला ही होगी।

२. समूह की सदस्यता १० से २० महिलाओं तक सिमित होगी।

३. सभी सदस्य सामाजिक एवं आर्थिक तौर पर पिछड़े होंगें।

४. समूह के सभी सदस्य एक ही गाँव के स्थायी निवासी होंगें।

५. अन्य महिलाएँ जो समूह की सदस्यता लेना चाहेंगी, उन्हें समूह में आम सहमति के आधार पर जोड़ा जायेगा।

१.९ समूह की बैठक :-

१. समूह की बैठक साप्ताहिक होगी। बैठक का दिन और समय सर्वसम्मति से तय किया जायेगा।

२. बैक में सदस्यों द्वारा निर्धारित प्रस्ताव पर चर्चा की जायेगी।

३. एक कार्यवाही पुस्तिका में बैठक की कार्यवाही का विवरण लिखना अनिवार्य होगा।

१.१० बचत प्रतिमाह :-
 
१. समूह द्वारा आम सहमती के आधार पर ही बचत की राशि तय की जायेगी। जो अनिवार्य बचत के रूप में समझा जायेगा। यह अनिवार्य बचत .............प्रतिमाह होगा।

२. बचत केवल बैठक में ही जमा होगी।

३. बचत की राशि निर्धारित तिथि पर जमा नहीं करने पर.......... दण्ड दिया जायेगा।  

४. इसके अलावा सदस्यों द्वारा ऐच्छिक बचत भी समूह निर्धारित सूद की दर पर निश्चित अवधि के लिए जमा किया जा सकता है।

१.११ ऋण का लेन-देन :-

१. समूह के सदस्यों द्वारा आम सहमति के आधार पर ऋण की राशि तय की जायेगी।

२. ऋण के क़िस्त का निर्धारण समूह के सदस्यों द्वारा ऋण प्रकृति के आधार पर किया जायेगा।

३. सूद की दर प्रतिमाह ...........प्रतिशत होगी।

४. ऋण की वापसी विलम्ब दण्ड.............प्रतिशत होगा।

५. समूह के लिए आवश्यक नहीं होगा कि सभी सदस्यों को वह समान रूप ही ऋण दे तथा सबको एक समय में दें। समूह उपलब्ध कोष के आलोक में सदस्य की जरुरत के आधार पर ऋण वितरण की प्राथमिकता तय करेगा।

६. समूह में प्रस्ताव पास होने के बाद ही बैंक से रूपये की निकासी की जायेगी।

१.१२ पदाधिकारियों का चयन :-

        ...............महिला स्वयं सहायता समूह ..............में अध्यक्ष, सचिव एवं कोषाध्यक्ष होंगें। पदाधिकारियों का चयन आम सहमति के आधार पर किया जायेगा। यदि एक पद के लिए दो से अधिक सदस्य दावेदार होते हैं तो वैसी परिस्थितियों में दो-तिहाई बहुमत के आधार पर निर्णय लिया जायेगा। 

१.१३ पदाधिकारियों का चक्रीय बदलाव :-

        स्वयं सहायता समूह द्वारा पदाधिकारियों का चयन दो वर्षों के लिए होगा। दो वर्ष के बाद पुनः समूह के एक तिहाई पदाधिकारियों के लिए चुनाव होगा, ताकि समूह     के अन्य सदस्यों को भी समूह के नेतृत्व करने का मौका मिल सकें।

१.१४ बैंक खाते का संचालन :-

        बैंक खाते का संचालन समूह के पदाधिकारियों, अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष एवं सचिव द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा बैंक से पैसा निकासी के लिए अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष एवं सचिव में से कोई दो पदाधिकारियों के हस्ताक्षर आवश्यक होंगें। यदि पदाधिकारियों में परिवर्तन है तो समूह बैठक की कार्यवाही के साथ इसकी सूचना बैंक को दी जायेगी।

१.१५ लाभांश का वितरण :-

        लाभांश का वितरण समूह के सदस्यों द्वारा जमा बचत की राशि के आधार पर वित्तीय वर्ष के समाप्ति के पश्चात् किया जायेगा। लाभांश की राशि समूह के निर्णय के अनुसार सदस्यों द्वारा समूह कोष में जमा किया जायेगा या सदस्यों को वापस किया जायेगा।

१.१६ नियमावली में संशोधन :-

        नियमावली में संशोधन समूह के सदस्यों द्वारा दो तिहाई बहुमत के आधार पर किया जायेगा।

१.१७  समूह का विघटन :-

        समूह का विघटन समूह की कुल देनदारी समायोजन के बाद दो तिहाई मतों द्वारा आम सहमति के आधार पर होगा।

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स्त्रोत- उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रेरणा लघु मार्ग दर्शिका २०२० 

2 comments:

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