अध्याय-२
ग्राम संगठन
ग्राम स्तर पर स्वयं सहायता समूह के बाद ग्राम संगठन दूसरी स्तर की संस्था होगी। ग्राम के समस्त पंचसूत्र का पालन करने वाले समूह ग्राम संगठन के सदस्य होंगें। समूह गठन के ३ से ४ माह बाद ग्राम संगठन का गठन होगा। ग्राम संगठन में कम से कम ५ समूह एवं अधिकतम २० समूह हो सकते हैं।
२.१ ग्राम संगठन की मुख्य जिम्मेदारी :-
१. ग्राम से जुड़े समस्त गरीब परिवारों को समूह के साथ जोड़ते हुए ग्राम को संतृप्त करना।
२. ग्राम संगठन में जुड़े समस्त समूहों की देखरेख करना।
३. समहों का श्रेणीकरण, सूक्ष्म ऋण नियोजन (एम.सी.पी.) का निर्माण कर उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।
४. समूहों को बैंकों से लिंकेज करना।
५. संकट निवारक कार्ययोजना एवं समावेशन कार्ययोजना का निर्माण कर उन्हें लागू करवाना।
६. समूह के सदस्यों को उनके हक, अधिकारों, बीमा एवं अन्य योजनाओं की जानकारी देना एवं उन से लाभान्वित कराना।
७. ग्राम के सामुदायिक कैडर का प्रबन्धन
८. सामूहिक रूप से लिंगभेद आधारित मुददों, सामाजिक मुददों, जीविकोपार्जन मुददों आदि पर कार्य करना।
९. समस्त सदस्यों को ग्राम सभा, आम सभा में प्रतिभाग करने हेतु प्रोत्साहित करना।
१०. समस्त सदस्यों को अपने अनुभव एवं समस्याओं को साझा करने के मिले मंच प्रदान करना।
११. ग्राम संगठन से जुड़े समूहों का क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, उन्मुखीकरण, अंकेक्षण इत्यादि आवश्यकतानुसार करवाते रहना।
२.२ ग्राम संगठन (कार्यकारिणी समिति) बैठक की कार्यसूची :-
१. प्रार्थना
२. परिचय
३. उपस्थिति
४. पिछले बैठक की समीक्षा
५. एजेण्डा निर्धारण
६. सी.आई.एफ. ऋण वापसी
७. समूह के मासिक प्रतिवेदन के आधार पर समीक्षा
८. निर्धारित एजेण्डा पर चर्चा
९. ऋण मंजूर करना
१०. खाता लेखक (BK) द्वारा ग्राम संगठन का आज की बैठक का आय व्यय तैयार करना।
११. हस्ताक्षर
१२. बैठक की समाप्ति
२.३ ग्राम संगठन की संरचना :-
सामान्य निकाय :- ग्राम के समस्त समूह जो पंचसूत्र का पालन करते हों वे ग्राम में गठित संगठन/ संगठनों के सदस्य हो सकते हैं। ग्राम संगठन में जुड़े समस्त समूहों के सदस्यों को मिला कर ग्राम संगठन की सामान्य निकाय गठित होगी। इस सामान्य निकाय की बैठक का आयोजन आवश्यकतानुसार मासिक, अर्धवार्षिक या वार्षिक किया जायेगा।
सामान्य निकाय की बैठक का एजेण्डा निम्नवत होगा, जिसे आवश्यकतानुसार बदल भी सकते हैं :-
१. प्रार्थना एवं परिचय
२. पिछले प्रतिनिधि निकाय की कार्यवाही को कार्यवाही पंजिका से पढ़कर सब को सुनाना।
३. ग्राम में छुटे समस्त गरीबों को समूह के साथ जोड़ते हुए ग्राम को संतृप्त करने की समीक्षा।
४. पिछले सामान्य निकाय के बाद किये गए खर्चों की समीक्षा
५. आवश्यकतानुसार कार्य योजना/बजट का अनुमोदन
६. समूहों के द्वारा किये गए अच्छे कार्यों को साझा करना
७. समूहों के द्वारा किये गए कार्यों की समीक्षा
ग्राम संगठन की सामान्य निकाय की बैठक का संचालन ग्राम संगठन के अध्यक्ष के द्वारा किया जायेगा। सामान्य निकाय के सदस्यों को सामान्य निकाय की बैठक होने से कम से कम ३ दिन पूर्व सूचना दी जायेगी। सामान्य निकाय की बैठक में बैंक के अधिकारीयों, पंचायती राज संस्थान के प्रतिनिधियों को भी बुला सकते हैं।
कार्य समिति :-
ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति प्रत्येक समूह से ३ प्रतिनिधि को मिला कर गठित होगी एवं कार्यकारिणी समिति की बैठक माह में कम से कम एक बार अवश्य होगी।
कार्यकारिणी समिति अपने दिन प्रतिदिन कार्यों के लिए अपने पांच पदाधिकारियों का चयन करती है एवं अपनी उप समिति के सदस्य मनोनीत कर प्रतिनिधि निकाय से अनुमोदन कराती है। कार्यकारिणी समिति अपने वार्षिक/अर्धवार्षिक कार्य योजना का निर्माण कर उसे अपने प्रतिनधि निकाय से अनुमोदित करवाएगी एवं अपने पदाधिकारियों एवं उप समिति के सदस्यों के संग मिलकर अनुमोदित कार्य योजना को क्रियान्वित करेगी। कार्यकारिणी समिति अपने आडिटर का चयन कर उसे अपने प्रतिनिधि निकाय से अनुमोदित करवाएगी।
२.४ कार्यकारिणी समिति के मुख्य कार्य :-
१. नये समूह सदस्यों को जोड़ना, समूह सदस्यों को निष्कासित करने का अधिकार प्रतिनिधि निकाय को ही होगा।
२. आवश्यकतानुसार सामुदायिक कैडर, स्वयं सेवकों का चयन एवं नियुक्ति।
३. उपसमिति का गठन।
४. स्वयं सहायता समूह, पदाधिकारियों, सामुदायिक कैडर के मासिक कार्यों की समीक्षा।
५. स्वयं सहायता समूह का आवश्यकतानुसार श्रेणीकरण कर समूह में स्व-श्रेणीकरण को प्रोत्साहित करना।
६. ग्राम संगठन की वार्षिक कार्य योजना/बजट का निर्माण/क्रियान्वयन एवं समीक्षा करना।
७. समूह द्वारा ग्राम संगठन में जमा किये जाने वाले समस्त शुल्कों का निर्धारण।
८. पदाधिकारियों को अधिकृत करना।
९. आडिटर का चयन।
१०. संकुल स्तरीय संघ को प्रेषित किये जाने वाले दस्तावेजों एवं प्रतिवेदनों को अनुमोदित करना। हमारी कार्यकारिणी समिति मुख्यतया वार्षिक कार्ययोजना के अनुरूप किये गए कार्यों की समीक्षा करेगी एवं लक्ष्य प्राप्ति के अनुरूप नई रणनीति/कार्ययोजना निर्धारित करेगी।
२.५ ग्राम संगठन के पदाधिकारी :-
ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति अपने पदाधिकारियों का चयन करती है। समस्त पदाधिकारियों का कार्यकाल अधिकतम २ वर्ष के लिए एवं उपनियम के अनुसार पदाधिकारियों का नियमित अन्तराल में बदलाव किया जायेगा। ग्राम संगठन में निम्नवत पदाधिकारी होंगें:-
१. अध्यक्ष
२. उपाध्यक्ष
३. सचिव
४. उपसचिव
५. कोषाध्यक्ष
पदाधिकारियों में से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सचिव हमारे ग्राम संगठनों का बैंक खाता संचालित करने के लिए अधिकृत होंगीं। इन तीनों में से कोई दो पदाधिकारी ही हमारे ग्राम संगठनों के बैंक खाता का संचालन करेंगीं।
अध्यक्ष के कार्य :-
१. ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति एवं प्रतिनिधि निकाय की बैठक की अध्यक्षता करना।
२. ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति एवं प्रतिनिधि निकाय की बैठक का एजेंडा निर्धारित करना एवं बैठक क्रियान्वित करवाना।
३. अपने ग्राम संगठन को संकुल स्तरीय संघ सहित विभिन्न मंचों पर प्रतिनिधित्व प्रदान करना।
४. सुनिश्चित करना कि ग्राम संगठन अपने उपनियम के अनुरूप ही कार्य कर रहा है।
५. ग्राम संगठन की कार्य योजना का निर्माण एवं कार्ययोजना के क्रियान्वयन की निगरानी करना।
उपाध्यक्ष के कार्य :-
अध्यक्ष के कार्यों में मदद करना एवं अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष के कार्यों को सम्पादित करना।
सचिव के कार्य :-
१. ग्राम संगठन की प्रतिनिधि निकाय एवं कार्यकारिणी समिति की बैठक समय से करवाना।
२. ग्राम संगठन के दस्तावेजों एवं संपत्ति की निगरानी करना।
३. ग्राम संगठन के दस्तावेजों को नियमित अध्ययन करना।
४. ग्राम संगठन की सामान्य निकाय एवं कार्यकारिणी समिति को वार्षिक कार्य योजना के सापेक्ष किये जा रहे कार्यों से अवगत कराना।
उपसचिव के कार्य :-
१. सचिव के कार्यों में मदद करना एवं सचिव की अनुपस्थिति में सचिव के कार्यों को सम्पादित करना।
कोषाध्यक्ष के कार्य:-
१. ग्राम संगठन के समस्त वित्तीय प्रबंधन एवं बैंक सम्बन्धी कार्य।
२. ग्राम संगठन का समस्त अंकेषण करवाना।
३. अंकेक्षण एवं वित्तीय रिपोर्ट को ग्राम संगठन के प्रतिनिधि निकाय एवं कार्यकारिणी समिति में प्रस्तुत करना।
२.६ ग्राम संगठन की उपसमिति :-
ग्राम संगठन में आवश्यकतानुसार उपसमिति का गठन करेंगें जो समूह को प्राप्त होने वाली विभिन्न सेवाओं के क्रियान्वयन एवं उनकी निगरानी करने के कार्य करेंगीं। ग्राम संगठन गठित होने पर आवश्यकतानिम्नवत उपसमिति का गठन करेंगीं :-
सामाजिक समावेशन उपसमिति के कार्य :-
यह उपसमिति ग्राम में छुटे गरीब एवं अति गरीब परिवारों की पहचान कर उन्हें समूह से जोड़ते हुए ग्राम को संतृप्त करेगी। यह उपसमिति ग्राम में कार्यरत सामुदायिक कैडर का प्रबंधन करेगी एवं समूह के सदस्यों को आवश्यक प्रशिक्षण उपलब्ध करवाएगी।
समूह निगरानी उपसमिति के कार्य :-
यह उपसमिति ग्राम में गठित स्वयं सहायता समूहों की निगरानी करेगी एवं सुनिश्चित करेगी कि ग्राम के सभी समूह पंचसूत्र का पालन करें। यह उपसमिति समूहों की सूक्ष्म ऋण नियोजन (माइक्रो क्रेडिट प्लान) का अनुमोदन क्र ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति को सामुदायिक निवेश निधि या बैंक को बैंक लिंकेज उपलब्ध करने के लिए उपलब्ध करवाएगी। यह उपसमिति समूह में सूक्ष्म ऋण नियोजन (एम.सी.पी.) के अनुसार कार्य किया जा रहा है या नहीं इसकी भी निगरानी करती है एवं समूह का श्रेणीकरण व अंकेक्षण भी करवाती है।
आजीविका, सामुदायिक निवेश निधि, बैंक लिंकेज एवं ऋण वापसी (रिपेमेंट) उपसमिति के कार्य :-
यह उपसमिति समूह एवं बैंक के मध्य मध्यस्त का कार्य करती है एवं बैंक बचत, बैंक लिंकेज एवं ऋण वापसी का कार्य करती है। यह उपसमिति सामुदायिक निवेश निधि के ऋण वापसी की भी निगरानी करती है एवं समूहों में ऋण के उपयोग की जाँच करती है।
सामाजिक कार्य उपसमिति के कार्य :-
यह उपसमिति सामाजिक समवेश, लिंग भेद आधारित मुददे, जोखिम न्यूनीकरण, सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक विकास, अभिसरण (कन्वर्जेन्स) इत्यादि मुद्दों पर कार्य करती है। यह उपसमिति दिव्यांग, वृद्ध, अति गरीब, बच्चों, युवकों के विशेष समूहों की विशेष जरूरतों पर लारी करती है एवं संचालित योजनाओं जैसे-मनरेगा, ग्राम पंचायत विकास योजना, (GPDP) सामाजिक सुरक्षा योजना, सार्वजानिक वितरण प्रणाली (PDS) से समूहों को जोड़ती है। यह उपसमिति ग्राम में जोखिम न्यूनीकरण कोष एवं अन्य आपदा न्यूनीकरण कोष का प्रबंधन करती है। यह उपसमिति ग्राम में घरेलू हिंसा, शौचालय निर्माण एवं उपयोग, शराबबंदी, नशा मुक्ति, बच्चों के स्कूल में दाखिला कराने पर भी अपाने ग्राम में कार्य करेगी।
स्वास्थ्य (खाद्य, पोषण-पेयजल स्वच्छता-साफ सफाई) उपसमिति के कार्य :-
यह उपसमिति ग्राम में खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य, पेयजल, स्वच्छता पर कार्य करेगी एवं सदस्यों को जागरूक करेगी। अपना एवं परिवार के सदस्यों का अच्छा स्वास्थ्य होने पर इलाज पर व्यय कम होता है एवं परिवार की बचत होती है। यह उपसमिति ANM/आशा बहु/आंगनबाड़ी कार्यकत्री/ग्राम पंचायत/ग्राम पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य कमेटी/ग्राम आपदा प्रबंधन समिति के साथ मिलकर कार्य करेगी।
१. खाद्य सुरक्षा के तहत- सार्वजानिक वितरण प्रणाली, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम/आंगन वाटिका/पोषण वाटिका के सहयोग से। ,
२. पोषण सुरक्षा के तहत- रक्त की कमी की रोकथाम एवं प्रबंधन पर जागरूकता, स्तनपान एवं आयु के अनुसार सहायक भोजन, समन्वित बाल विकास योजना, आंगनबाड़ी के सहायता पौष्टिक एवं साफ सुथरा खाना बनाने के तरीकों पर जागरूकता।
३. अच्छी स्वास्थ्य के तहत- ग्रामों में ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस में सहभागिता, टीकाकरण सेवा, संस्थागत प्रसव, रेफेरल सेवा, रोग एवं बीमारियों के बचाव पर जागरूकता के सहयोग है।
४. पेयजल, स्वच्छता, सफाई के तरीके के तहत (पेयजल पर सामान हक़ के अनुसार पहुँच, कठिन श्रम को कमतर करना
पानी की बचत एवं संरक्षण, स्वच्छता एवं सफाई के तरीके, माहवारी, से सम्बंधित मुददों पर जागरूकता, घर में शौचालय निर्माण पर जागरूकता
५. चिकित्सीय सेवा के लिए निधि के तहत (जोखिम निवारण निधि, स्वास्थ्य सुरक्षा निधि), स्वास्थ्य बीमा सेवायें जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना आदि से जुड़ाव, जीवन एवं दुर्घटना बीमा योजनायें, समुदाय संचालित स्वास्थ्य योजनायें, सामुदायिक उत्तरदायित्वों योजनाओं तक पहुँच बनाना।
यदि ग्राम संगठन को आवश्यकता महसूस हो तो वो और भी उप समितियों का गठन कर सकते हैं। ग्राम संगठन की प्रतिनधि निकाय/कार्यकारिणी समिति ग्राम संगठन के उपसमिति का गठन, बदलाव या विघटन करेगी। ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति के सदस्यों को मनोनीत करती है।
प्रत्येक उप समिति में ३ से ५ तक कार्यकारिणी समिति के सदस्य होंगें एवं प्रत्येक उपसमिति अपने कार्यों के लिए अपनी कार्यकारिणी समिति के प्रति जवाबदेही होगी। प्रत्येक उपसमिति अपने कार्यों के लिए अपनी कार्यकारिणी समिति से अनुमोदित करवाएगी एवं अनुमोदित कार्ययोजना के अनुरूप कार्य करेगी। किसी भी उपसमिति में कार्यकारिणी समिति के दो पदाधिकारी एक साथ सदस्य नहीं हो सकती हैं। अध्यक्ष किसी भी उपसमिति की बैठक में प्रतिभाग कर सकती है। (यद्यपि वो उपसमिति की सदस्य नहीं है)
२.७ प्राथमिक स्तर फेडरेशन के लिए संसाधन की व्यवस्था करना:-
प्राथमिक स्तर के संघ के कोष की व्यवस्था हम निम्न स्त्रोतों से करेंगें: -
१. सदस्यता शुल्क, सेवा शुल्क, वार्षिक योगदान, दान, शेयर पूंजी, बचत और स्वयं सहायता समूह सदस्यों का योगदान। (जो भी लागू हो)
२. जेंडर/खाद्य/पोषण/स्वास्थ्य कोष,
३. स्टार्टअप फण्ड।
४. जोखिम निवारण निधि।
५. अन्य कोष से अर्जित ब्याज।
६. सरकार, गैर सरकारी संगठन, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाओं से सामान्य और विशेष उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्राप्त अनुदान, दान और ऋण।
७. निवेश से आय।
८. अन्य आय।
२.८ ग्राम संगठन में अभिलेखों का प्रबंधन :-
ग्राम संगठन की बचत खाता निकटतम बैंक में खोला जाएगा जिसका निर्णय कार्यकारिणी समिति द्वारा लिया जाएगा। हमारे ग्राम संगठनों के ३ पदाधिकारी अध्यक्ष, सचिव, एवं कोषाध्यक्ष में से कोई दो पदाधिकारी ग्राम संगठन के बैंक बचत खाते के संयुक्त हस्ताक्षरकर्ता होंगें। हमारे ग्राम संगठन आवश्यकतानुसार निम्नवत दस्तावेज अपने कार्यालय में रखेंगें।
१. कार्यवाही पंजिका: - इसमें पालन की गयी प्रक्रियाओं सहित सभी निर्णय सम्मिलित होते हैं। प्रतिनिधि निकाय बैठक के लिए हम अलग से एजेन्डा एवं कार्यवाही पंजिका का इस्तेमाल करेंगें।
२. सदस्यों के नाम और पते, सदस्यता रजिस्टर बचत पंजिका।
३. उपस्थिति पंजिका
४. कैशबुक:- इसमें तिथि वार सभी नकद लेन-देन (प्राप्ति या भुगतान) लिखे जाते हैं।
५. बैंक बुक:- इसमें तिथिवार सभी बैंक लेनदेन (प्राप्ति या भुगतान) लिखे जाते हैं।
६. डिमांड कलेक्शन बैलेंस पंजिका (सामुदायिक निवेश निधि एवं बैंक लिंकेज के लिए)
७. जोखिम निवारण निधि (वी.आर. एफ.) पंजिका, यदि यह कोष मिला हो)
८. प्राप्ति एवं भुगतान वाउचर)
९.सामान्य लेजर:- सामान्य लेजर में सभी व्यक्तिगत लेजर, लाभ और हानि लेखा तथा विभिन्न परिसंपत्तियों एवं देयता लेखा होते हैं)
१०. समूह पास बुक।
११. मासिक प्राप्ति एवं भुगतान विवरण।
१२. मासिक प्रतिवेदन।
१३. उपसमिति की पंजिका।
१४. सामुदायिक काडर की पंजिका।
१५. मासिक बैंक समाधान विवरण।
१६. ऋण लेजर:- इसमें ऋण का विवरण और सभी स्वयं सहायता समूहों के पुनर्भुगतान का विवरण होता है।
१७. अचल संपत्ति पंजिका।
१८. प्राथमिक स्तर फेडरेशन द्वारा क्रय की गई सामग्रियों की सूची।
१९. प्राथमिक स्तर फेडरेशन पर संपत्तियों एवं देयताओं के अभिलेख।
२०. खरीद बैठक रजिस्टर।
२१. वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन, वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट, वार्षिक कार्य योजना और वार्षिक बजट।
२२. मासिक सूचना प्रबंध प्रणाली और प्रगति रिपोर्ट।
२३. कर्मचारियों का बायोडाटा के साथ विवरण।
२४. प्राथमिक स्तर फेडरेशन की उपविधि और पंजीकरण का प्रमाण-पत्र।
ग्राम संगठन में आंतरिक अभिलेखों का अंकेक्षण/सामाजिक अंकेक्षण/ वैधानिक अंकेक्षण के लिए खुला होगा।
२.९ ग्राम संगठन का अनुश्रवण :-
ग्राम संगठन का अनुश्रवण स्वयं भी करेंगें एवं संकुल स्तरीय संघ भी करेगा। ग्राम संगठन संकुल स्तरीय संघ को मासिक प्रतिवेदन प्रेषित करेगा जिसमें निम्न्वत्त मुददे होंगें:-
१. छुटे हुए निर्धन परिवार को जोड़ते हुए ग्राम को संतृप्त करने का प्रगति विवरण।
२. स्वयं सहायता समूहों का प्रगति विवरण।
३. ग्राम संगठन की समस्त वित्तीय एवं गैर-वित्तीय गतिविधियों का विवरण।
४. जोखिम निवारण एवं अभिसरण (कनवर्जंस) की कार्य योजना के सापेक्ष प्रगति।
हमारे ग्राम संगठन अपना वार्षिक प्रगति रिपोर्ट विवरण, जोखिम न्यूनीकरण एवं अभिसरण (कन्वर्जेन्स) की कार्य योजना अपनी प्रतिनिधि निकाय के समुख प्रस्तुत करेगा एवं अपने कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर भी प्रदर्शित करेगा।
२.१० ग्राम संगठन का प्रगति पथ:-
ग्राम संगठन का प्रगति पथ निम्नवत होना चाहिए (ग्राम में सामुदायिक सन्दर्भ व्यक्ति (सी.आर.पी.) द्वारा प्रथम समूह गठन के उपरान्त)
१ से ७ माह
१. ग्राम संगठन का गठन/ग्राम संगठन हेतु प्रशिक्षण, भ्रमण आदि।
२. प्रतिनिधि निकाय/कार्यकारिणी समिति/पदाधिकारी/उपसमिति का गठन एवं नियमित बैठक।
३. उपनियम का निर्माण।
४. सामुदायिक कैडर का निर्माण।
५. ग्राम संगठन खाता लेखक का चयन।
६. समूहों के सूक्ष्म ऋण नियोजन।
७. एम.सी.पी. का अनुमोदन।
८. स्टार्टअप फण्ड का उपयोग।
८ से १० माह
१. समूहों का अनुश्रवण।
२. समूहों को ऋण के रूप में वितरित सामुदायिक निधि कोष की ग्राम संगठनों में वापसी।
३. छुटे ह्गुए गारी एवं अति गरीब परिवार को समूह में जोड़ना।
४. दिव्यांग, वृद्ध, आदिम जनजाति के साथ समूह का गठन।
५. जोखिम निवारण निधि प्रबंधन।
६. सामाजिक जागरूकता एवं सामाजिक विकास के कार्य।
७. संकुल स्तरीय संघ के साथ जुड़ाव।
१० से १५ माह
१. ग्राम की गरीबी का आंकलन कर उन सदस्यों की पहचान करना जो गरीबी से समूह के माध्यम से बाहर निकल चुके हैं।
२. जोखिम निवारण कार्ययोजना/अभिसरण (कन्वर्जन्स) कार्ययोजना का निर्माण एवं क्रियान्वयन।
३. जोखिम निवारण निधि का दूसरी बार वितरण।
४. समूहों को ऋण के रूप में सामुदायिक निवेश निधि का वितरण।
१६ से २० माह :-
१. समस्त गरीब एवं अति गरीब को समूह से जोड़ते हुए ग्राम को संतृप्त करना।
२. समस्त सामुदायिक कैडर का ग्राम संगठन के माध्यम से भुगतान।
३. सामाजिक एवं जीवकोपार्जन संवर्धन पर कार्य।
४. जीविकोपार्जन कोष का प्रबंधन।
२१ से ६० माह :-
१ उपरोक्त कार्यों का और सघनता एवं गहराई से ग्राम में क्रियान्वयन कराना।
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स्त्रोत- उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रेरणा लघु मार्ग दर्शिका २०२०
Va Vandana Thakur
ReplyDeleteSamosayata ke Yojana mein कैसे-कैसे mil sakte hain aapke Shamil ho sakte hain
Gram sangathan mein kaise ham milkar jud sakte hain