Wednesday, September 27, 2023

अध्याय -५ बैंक क्रेडिट लिंकेज

 अध्याय -५ 

 बैंक क्रेडिट लिंकेज 


        बैंक क्रेडिट लिंकेज, हमारी ऋण की जरूरतों को पूरा करने एवं हमारे समूह की निधि बढ़ाने हेतु जरुरी है। यह तभी संभव है, जब हमारा समूह पंचसूत्र का पालन करेगा एवं हमारा समूह A श्रेणी में होगा?


५.२ स्वयं सहायता समूह में बैंक क्रेडिट लिंकेज प्रक्रिया:-

* एक योग्य स्वयं सहायता समूह (जो कुल उपलब्ध धनराशि का कम से कम 80 प्रतिशत निधि का उपयोग कर रहा है एवं जिनके कम से कम 60 प्रतिशत सदस्य कम से कम एक बार ऋण ले चुके हो) अपनी अनुमानित ऋण की जरूरतों के हिसाब से समूह की बैठक में बैंक ऋण हेतु चर्चा करेंगें एवं इसका प्रस्ताव बैठक में पारित करेंगें एवं इसको कार्यवाही पुस्तिका में लिखेंगें 

* स्वयं सहायता समूह, बैंक ऋण आवेदन फार्म,  सूक्ष्म ऋण योजना, सूक्ष्म योजना के साथ एक साधारण अनुरोध पत्र बैंक शाखा में जमा करेगा एवं उस बैंक शाखा से एक अभिस्वीकृत या प्राप्ति लेगा।

* समूह, समूह संगठन या संकुल स्तरीय संघ या बैंक मित्र या अन्य कैडर या विकासखंड मिशन प्रबंधन इकाई, ऋण स्वीकृति हेतु बैंक शाखा से लगातार अनुश्रवण भी करेंगें।

* बैंक द्वारा ऋण स्वीकृति के पश्चात् हमारा समूह अपने ऋण खाते से तीन दिनों के भीतर पैसे की निकासी  करेगा एवं हमारा समूह इस पैसे की किस्तों को नियमित रूप से वापस भी करेगा।

* यदि बैंक द्वारा ऋण, कैश क्रेडिट लिमिट के रूप में दिया गया है, तो समूह जरुरत के अनुसार समय-समय पर पैसे की निकासी करेगा एवं सदस्यों से वापसी करवाकर बैंक में वापस करेगा।

* स्वयं सहायता समूह बैंक से अन्य ऋण की मांग भी कर सकता है भले ही पूर्व में लिया गया ऋण अधिशेष हो।

* ग्राम संगठन या संकुल स्तरीय संघ द्वारा बैंक ऋण आवेदन पत्र, ऋण आवेदन पत्र, ऋण अनुमोदन, निकासी, उपयोगिता, ऋण वापसी एवं ब्याज में छुट की राशि प्राप्ति का मुल्यांकन एवं परीक्षण किया जायेगा।

* ग्राम संगठन या संकुल स्तरीय संघ, जानबूझकर ऋण वापस न करने वाले लोगों के ऋण वापसी हेतु भी प्रयास करेगा। 

        संकुल स्तरीय संघ नियमित रूप से विकास खंड स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में प्रतिभाग करेगा एवं नियमित रूप से बैंक शाखावार बैंक लिंकेज प्रगति प्रतिवेदन एवं मांग को प्रस्तुत करेगा, जिससे हमारा समूह जरूरत के अनुसार बैंक से ऋण प्राप्त कर सकें। संकुल स्तरीय संघ, जिला स्तरीय बैंकर्स समिति/ बैंक शाखा प्रबंधकों/अधिकारीयों को ग्राम संगठन या संकुल स्तरीय संघ की बैठक में प्रतिभाग करने के लिए आमंत्रित करेगा, संकुल स्तरीय संघ, समूह के सभी योग्य सदस्यों का जीवन बीमा, संपत्ति बीमा एवं अन्य बीमा योजनाओं से आच्छादित करने हेतु सहयोग करेगा। संकुल स्तरीय संघ, समूह एवं ग्राम संगठन को बैंकिंग क्षेत्र की सेवा हेतु बैंक मित्र एवं बीमा क्षेत्र में सहयोग हेतु बीमा मित्र को तैनात करेगा। इसके अतिरिक्त संकुल स्तरीय संघ, एक मुक्त राशि को ऋण के रूप में लेकर स्वयं सहायता समूहों एवं ग्राम संगठनों को ऋण के रूप में दे सकता है एवं बैंकिंग संवाददाता प्रतिनिधि के रूप में  कार्य कर सकता है। संघ, विकास खण्ड, जनपद, राज्य स्तर पर वित्तीय सेवायें देने हेतु एक बैंक के रूप में कार्य कर सकता है।

        वार्षिक ऑडिट के अलावा, संकुल स्तरीय संघ/ ग्राम संगठन, विभिन्न प्रकार के वित्तीय लेनदेन/क्रियाविधि हेतु एवं ऋण की उपयोगिता हेतु, समुदाय आडिटर द्वारा जो सक्रिय महिला/ बुक कीपर से विकसित की गई हो द्वारा ऑडिट, आंतरिक ऑडिट एवं सामाजिक ऑडिट करवाना सुनिश्चित करेगा।

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स्त्रोत- उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रेरणा लघु मार्ग दर्शिका २०२०


Friday, September 15, 2023

ग्राम पंचायत विकास योजना Gram Panchayat Development Plan GPDP 2023

ग्राम पंचायत विकास योजना 
GPDP 

        लखनऊ, उत्तर प्रदेश, दिनांक 8 सितम्बर 2023 को एक जिओ संख्या 1731/33-3-2023 जारी हुआ जिसके प्रेषक मनोज कुमार सिंह अपर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन है इस जिओ का विषय 02 अक्तूबर 2023 से 31 जनवरी 2024 के मध्य वर्ष 2024-25 की सहभागी पंचायत विकास योजना/वार्षिक कार्ययोजना तैयार किए जाने के सम्बन्ध में है 

        ग्राम पंचायत विकास योजना के अन्तर्गत निम्नलिखित गतिविधियों को क्रियान्वित किया जाना है:-
 
1. ग्राम पंचायत विकास योजना अंतर्गत जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित क्रियान्वयन एवं समन्वयन समिति की बैठक के आयोजन के लिए 20 सितम्बर 2023 तक समयावधि निर्धारित की गई है।
 
2. जनपद एवं ब्लॉक स्तर पर नोडल अधिकारीयों का निर्धारण भी 20 सितम्बर 2023 तक किया जाना है।

3. ग्राम पंचायत स्तर पर फैसिलिटेटर के चयन के लिए 25 सितम्बर तक समयावधि निर्धारित की गई है।

4. नोडल अधिकारीयों एवं फैसिलिटेटर हेतु परिचयात्मक कार्यशाला/अभिमुखीकरण प्रशिक्षण का आयोजन के लिए 27 सितम्बर 20२३ तक समयावधि निर्धारित की गई है
 
5. ग्राम सभा के आयोजन का रोस्टर, उसमें अधिकारी/कर्मियों की उपस्थिति तथा जी.पी.डी.पी. पोर्टल पर ग्राम स(भा की समय-सारिणी अपलोड 1 अक्टूबर 2023 तक किया जाना है।

6. वित्तीय वर्ष 24-25 की वार्षिक कार्ययोजना पर विचार-विमर्श एवं जागरूकता हेतु स्पेशल ग्राम सभा का आयोजन 2 अक्टूबर 2023 के लिए निर्धारित किया गया है।

6.1 वार्षिक कार्ययोजना तैयार किये जाने हेतु ग्राम सभा की कम से कम 2 बैठकों (प्रथम बैठक जागरूकता एवं कार्ययोजना पर विचार तथा दूसरी बैठक कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाना) का अनिवार्य रूप से आयोजन किया जाना है इसके साथ ही 

6.2 महिला सभा एवं बाल सभा का आयोजन ग्राम सभा के आयोजन से पूर्व अनिवार्य रूप से किया जाए, जिसमें शिक्षा, महिला व बान विकास, महिला कल्याण तथा जिला प्रोबेशन अधिकारी आदि सहयोगी होंगें 

6.3 ग्राम पंचायत में उपलब्ध  वित्तीय संसाधन तथा मिशन अन्तोदय सर्वेक्षण में आए क्रिटिकल गैप पर चर्चा कर आवश्यकतानुसार गतिविधियाँ का समावेश।

6.4 गरीबी न्यूनीकरण, आपदा प्रबंधन, वी.एच.एस.एन.सी. जैवविविधता सम्बन्धी वानिकी योजना, एस.एल.डब्ल्यू एम. विद्यालय प्रबंधन, श्रम बजट तथा ग्राम स्तरीय कार्ययोजना का जी.पी.डी.पी. का समावेश।

6.5 ग्राम सभा, महिला सभा व बाल सभा की जियो-टैग फोटो पोर्टल पर अपलोड किया जाने तक के सभी कार्यो हेतु 02 अक्टूबर 2023 से 15 दिसम्बर 2023 तक की समयावधि निर्धारित की गई है।

7. अंतिम रूप से ग्राम सभा से अनुमोदित कार्य-योजना को ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर अपलोड किए जाने का कार्य 31 जनवरी 2024 तक पूर्ण किया जाना है।













उपरोक्त जानकारी के प्रमाणिक होने या न होने में प्रकाशक की कोई जिम्मेदारी नहीं है

 

Friday, September 8, 2023

नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना Nandini Krishak Samriddhi Yojna

नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना 

नमस्कार साथियों,  
        आप सभी के साथ नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना" के विषय में जानकारी साझा कर रहा हूँ, यह पत्र संख्या-813/53-2-2023 दिनांक 25 अगस्त, 2023 को जारी किया गया है इसके प्रेषक हैं डॉ. रजनीश दुबे, अपर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन.
  
विषय :-नन्द बाबा दुग्ध मिशन के अंतर्गत गौवंशीय पशुओं में नस्ल सुधार एवं दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि हेतु "नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना" के सम्बन्ध में दिशा निर्देश:-

योजना के मुख्य उद्देश्य:-

1. प्रदेश में उच्च उत्पादकता क्षमता के गौवंश का संवर्धन 
2. पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी 
3. प्रदेश में पशुपालकों के लिए उच्च उत्पादन क्षमता के गौवंश की उपलब्धता सुनिश्चित करना
4. पशुपालकों की आय को बढ़ाना











उक्त सूचना के प्रमाणिक होने या न होने की जिम्मेदारी प्रकाशक की नहीं हैं, 

 

Tuesday, September 5, 2023

एक देश एक चुनाव की राह पर भारत- लेख प्रशान्त मिश्र One Nation One Election Article By Prashant Mishra


एक देश एक चुनाव की राह पर भारत

राष्ट्र हित में होने वाले प्रत्येक निर्णय का देश ने सदैव स्वागत किया है

 

देश भर में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव के मामलों को लेकर एक लम्बे समय से बहस चल रही है।  अगर हम भारत देश की चुनावी व्यवस्था को देखते हैं तो हम पायेंगें कि यहाँ प्रति वर्ष देश के किसी न किसी राज्य में चुनाव होते ही रहते हैं कभी लोक सभा के चुनाव, कभी राज्यों की विधान सभा के चुनाव, कभी पंचायतों के चुनाव और कभी नगर पालिकाओं के चुनाव। देश में सदैव चुनावी माहौल गर्म रहता है। जिसके परिणाम स्वरुप न सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित रहती है अपितु सुरक्षा बल अपने कार्यों को छोड़कर चुनाव में व्यस्त रहता है और इसके साथ ही चुनावों पर होने वाला अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी सरकार को वहन करना पड़ता है। इसका एक और दुष्परिणाम यह भी है कि जो जन प्रतिनिधि और पार्टियाँ चुनकर के आती भी है वह भी चुनाव जितने के बाद अपने विभागीय कार्यों को छोड़ अन्य चुनाव के लिए रणनीति तैयार करने में लग जाती है। जिससे विकास के कार्य बाधित होते हैं। वहीं दूसरी ओर इतनी अधिक जनसँख्या वाले देश में एक साथ चुनाव कराना और उस व्यवस्था को बनाये रखना भी स्वयं में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

ऐसे में एक देश एक चुनाव को लेकर देश में जमीं लगभग तैयार हो चुकी है जिसको लेकर भारत सरकार के द्वारा साथ-साथ निर्वाचनों के मुद्दे की जाँच करने और देश में एक साथ निर्वाचन आयोजित करने के लिए 2 सितम्बर 2022 को एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है साथ ही समिति को तुरंत कार्य आरम्भ करने एवं यथाशीध्र सिफारिशें देने के सम्बन्ध में दिशा निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं:-

इसके पीछे जो तर्क दिए गए हैं वो इस प्रकार हैं, वर्ष 19751-52 से वर्ष 1967 तक लोकसभा और विधान सभाओं के निर्वाचन अधिकांशत: साथ-साथ कराये गए थे इसके पश्चात् यह चक्र टूट गया और अब, निर्वाचन लगभग प्रत्येक वर्ष और एक वर्ष के भीतर विभिन्न समय पर भी किये जाते हैं, जिसका परिणाम सरकार और अन्य हितधारकों द्वारा बहुत अधिक व्यय, ऐसे निर्वाचनों में लगाया गया सुरक्षा बलों और अन्य निर्वाचन अधिकारीयों की उनकी महत्त्वपूर्ण रूप से लम्बी कालावधि के लिए अपने मूल कर्तव्यों से भिन्न तैनाती, आदर्श आचार संहिता, आदि के लम्बी अवधि तक लागू रहने के कारण, विकास कार्य में दीर्घ अवधियों के लिए व्यवधान के रूप में होता है।       

देश में कार्मिक, लोक शिकायत विधि और न्याय विभाग से सम्बंधित संसदीय स्थायी समिति ने लोक सभा और राज्य विधान सभाओं के लिए साथ-साथ निर्वाचन आयोजित करने की साध्यता पर दिसम्बर 2015 में प्रस्तुत अपनी 79 वीं रिपोर्ट में भी इस मामले की जाँच की है और दो चरणो में साथ-साथ निर्वाचन आयोजित करने की एक वैकल्पिक और व्यवहार्य विधि सी सिफारिश की है:-

 

एक देश एक चुनाव कराये जाने के लिए जिस समिति का गठन किया गया है उसमें अध्यक्ष के रूप में भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद रहेंगें। उनके साथ सदस्यों के रूप में अमित शाह, गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री, भारत सरकार, अधीर रंजन चौधरी, विपक्ष के सबसे बड़े एकल दल के नेता, लोक सभा, गुलाम नबी आजाद, विपक्ष के भूतपूर्व नेता, राज्य सभा, एन.के सिंह, भूतपूर्व अध्यक्ष 15 वां वित्त आयोग, डॉ. सुभाष सी. कश्यप पूर्व महासचिव लोक सभा, हरीश साल्वे, वरिष्ठ अधिवक्ता, संजय कोठारी, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त, रहेंगें। इनके अतिरिक्त अर्जुन राममेघवाल, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), विधि और न्याय मंत्री, भारत सरकार, विशेष आमंत्रित, के रूप में एचएलसी की बैठक में  भाग लेंगें। नितेन चन्द्र, सचिव, भारत सरकार, विधि कार्य विभाग, एचएलसी के सचिव होंगें।

यह समिति निम्न विषयों पर विचार कर समिति को अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने में समर्थ बनाएगी:-  

इसमें जो पहला विषय रखा गया है वह भारत के संविधान और अन्य क़ानूनी उपबंधों के अधीन विद्यमान ढांचे को ध्यान में रखते हुए लोक सभा, राज्य की विधान सभाओं, नगरपालिकाओं और पंचायतों के साथ-साथ निर्वाचन आयोजित करने की जाँच करना और सिफ़ारिश करना तथा उस प्रयोजन के लिए संविधान, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और तद्धीन बनाए गए नियमों तथा किसी अन्य विधि या नियमों जिनमें साथ-साथ निर्वाचन आयोजित करने के प्रयोजन के लिए संशोधनों की अपेक्षा होगी, उनकी जाँच करना और विशिष्ट संशोधन करने के लिए सिफारिश करना:

दुसरे नम्बर पर कहा गया है कि यदि संविधान के संशोधन राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की अपेक्षा करते हों तो उनकी जाँच और सिफारिश करना;

इसके साथ साथ त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव को अंगीकार करने या दल-बदल या ऐसी किसी अन्य घटना के कारण साथ-साथ निर्वाचनों के परिद्र्शय में संभव समाधान के लिए विश्लेषण और सिफारिश करना करने की जिम्मेदारी भी समिति को सौंपी गई है।

चौथे नम्बर पर निर्वाचनों को साथ-साथ करने के लिए एक फ्रेमवर्क का सुझाव देना और विशिष्टतया, यदि उन्हें साथ-साथ आयोजित नहीं किया जा सकता तो चरणों और समय-सीमा, जिसमें निर्वाचनों को साथ-साथ आयोजित किया जा सकता है, का सुझाव देना और संविधान और अन्य विधियों में इस सम्बन्ध में किन्हीं संशोधनों का भी सुझाव देना तथा ऐसे नियमों का प्रस्ताव करना, जो ऐसी परिस्थितियों में अपेक्षित हों;

साथ साथ निर्वाचनों के चक्र की निरंतरता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों की सिफारिश करना और संविधान में आवश्यक संशोधन की सिफारिश करना, जिससे साथ-साथ निर्वाचनों का चक्र बाधित न हो; विषय को भी रखा गया है। इस प्रकार, साथ-साथ निर्वाचन आयोजित करने के लिए, अपेक्षित लाजिस्टिक और जनशक्ति की जाँच करना, जिनके अन्तर्गत ईवीएम, वीवीपीएटी आदि सम्मिलित हैं;

एक विषय जिसको लेकर विगत कई वर्षों से जनता की मांग उठ रही थी लोक सभा, राज्य विधान सभाओं, नगरपालिकाओं और पंचायतों के निर्वाचनों के लिए मतदाताओं की पहचान करने के लिए एकल निर्वाचन नामावली और निर्वाचक पहचान-पत्र के उपयोग की जाँच करना उसके तरीकों की सिफारिश करना इसको भी इस सूची में जोड़ा गया है।  

वास्तव में उक्त विषयों  को सरकार धरातल पर उतार पाने में सफल हुई तो देश को राजनैतिक कश्मकश से निकल कर विकास के पथ पर और अधिक तीर्वता के साथ चलने में मदद मिलेगी। बड़े लक्ष्यों को ध्यान में रखकर न सिर्फ योजनायें बन सकेंगीं अपितु उनका क्रियान्वयन भी समय से ही पूरा हो सकेगा। बहरहाल जो भी हो वर्तमान समय में देश में एक देश एक चुनाव को लेकर सरगर्मी बहुत तेज है। जनता यह भी जानती हैं कि वर्तमान सरकार देश हित में होने वाले बड़े और कठोर फैंसले लेने में समर्थ है। अब समिति की क्या सिफारिश रहेगी एवं इसके लागू होने से भविष्य की राजनीति पर क्या परिणाम होंगें, यह तो भविष्य ही तय करेगा।

-प्रशान्त मिश्र

(लेखक सामाजिक चिन्तक और विचारक हैं)

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश

 

Saturday, September 2, 2023

"मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना" Mukhyamantri Pragatisheel Pashupalak Protsahan Yojana

"मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना"


        यह योजना उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा पत्र संख्या - 812/53-2-2023 के माध्यम  से दिनांक-25 अगस्त 2023 उतर प्रदेश, को जारी की गई है, इस पत्र के प्रेषक डॉ. रजनीश दुबे, अपर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन हैं आइये! इस योजना के महत्त्वपूर्ण विषयों को जानते हैं:- 

पत्र का विषय - "नन्द बाबा दुग्ध मिशन" के अंतर्गत स्वदेशी गायों में नस्ल सुधार एवं दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि हेतु "मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना" के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश 

योजना का उद्देश्य :-

1. प्रदेश में उच्च गुणवत्ता एवं उत्पादकता वाली स्वदेशी नस्ल की गायों को पालने की प्रवर्ती को प्रोत्साहन देना। 

2. पशुपालकों को गायों की नस्ल सुधार, उनकी बेहतर देखभाल, गुणवत्ता युक्त पोषण एवं स्वास्थ्य प्रतिरक्षा के लिए प्रेरित करना।

3. प्रदेश में दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि करके प्रदेश के पशुपालकों की आय में वृद्धि करना।

4. प्रदेश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता बढाकर राष्ट्रीय स्तर पर लाना।


योजना का स्वरुप :-

1. यह योजना प्रदेश के सभी जनपदों में लागू होगी।

2. योजना स्वदेशी नस्ल की गाय यथा-गिर, साहिवाल, हरियाणा, गंगतिरी एवं थारपारकर प्रजातियों पर लागू होगी।

3. एक गाय की उच्च उत्पादकता हेतु उसके जीवनकाल में केवल एक बार इस योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन का लाभ पशुपालकों को दिया जायेगा।

4. यह योजना गायों के प्रथम, द्वितीय, एवं तृतीय ब्योत के लिए ही लागू होगी।

5. प्रदेश के प्रगतिशील पशुपालक को अधिकतम 02 गायों के लिए केवल एक बार इस प्रोत्साहन का लाभ देय होगा।


योजनान्तर्गत प्रोत्साहन:- प्रदेश के स्वदेशी नस्ल की उच्च उत्पादकता एवं उन्नत नस्ल की गायों को पालने वाले प्रगतिशील पशुपालकों को प्रोत्साहित करने हेतु पशुपालकों को चयनित कर 10,000 रूपये से 15,000 प्रति गाय की दर से नकद पुरस्कार तथा प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाएगा। 

        उपलब्ध आर्थिक संसाधनों के अनुरूप मिशन निदेशक, नन्द बाबा दुग्ध मिशन की युक्ति युक्त संस्तुति पर शासन द्वारा प्रत्येक स्वदेशी उन्नत नस्ल की गाय हेतु लाभार्थियों की संख्या को यथासंभव सीमित किया जा सकता है। 

आवेदन हेतु पात्रता :-

1. आवेदक उत्तर प्रदेश का निवासी हो।

2. आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक हो।

3. योजना व्यक्तिगत लाभार्थी परक होने के कारण समूह/फर्म/संगठन इस योजना के अंतर्गत आवदेन करने हेतु पात्र नहीं हैं। 

4. आवेदक, गाय की ब्योत (Calving) की तिथि से 45 दिन के अन्दर करना होगा। 

5. उन्नत नस्ल की उच्च उत्पादकता की स्वदेशी गायों यथा गिर, साहिवाल, हरियाणा, गंगतिर एवं थारपारकर गाय के प्रगतिशील गौपालक एक बार अधिकतम दो गाय प्रति पशुपालक प्रोत्साहन राशि हेतु पात्र होंगें। 

6. किसी स्वदेशी नस्ल की गाय के लिए गाय के जीवन काल में केवल एक ही बार पशुपालक, प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने हेतु पात्र होंगें। 


















(उक्त जानकारी के प्रमाणिक होने या न होने की किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी प्रकाशक की नहीं है)


Friday, September 1, 2023

"मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ-संवर्धन योजना" Mukhyamantri Swadeshi Gau Samvardhan Yojana

 "मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ-संवर्धन योजना"

    लखनऊ, उत्तर प्रदेश, दिनांक 25 अगस्त 2023 को पत्र संख्या-811/53-2-2023 प्रेषक डॉ. रजनीश दूबे, अपर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी किया गया


    विषय- "नन्द बाबा दुग्ध मिशन" के अंतर्गत प्रदेश के पशुपालकों द्वारा प्रदेश के बाहर से स्वदेशी उन्नत नस्ल की गायों के क्रय को प्रोत्साहित करने हेतु "मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ-संवर्धन योजना" के सम्बन्ध में दिशा निर्देश :-

योजना का उद्देश्य-  

1. प्रदेश में स्वदेशी उन्नत नस्ल की गायों की संख्या में वृद्दि करना तथा स्वदेशी गायों के नस्ल सुधार हेतु अभिप्रेरित करना

2. प्रदेश में दुग्ध उपलब्धता में वृद्धि कर प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाये रखना

3. प्रदेश में प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता में वृद्धि कर राष्ट्रीय औसत दुग्ध उपलब्धता के स्तर पर लाना

4. प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र के नवयुवकों एवं महिलाओं को पशुपालन के व्यवसाय के लिए प्रोत्साहित करते हुए रोजगार उपलब्ध कराना


प्रति इकाई अनुमन्य अनुदान :-

        एक इकाई का तात्पर्य प्रति लाभार्थी स्वदेशी उन्नत नस्ल की 02 गायों से है तथा यूनिट कास्ट लगभग रूपये 2.0 लाख माना गया है। बाह्य प्रदेश से स्वदेशी उन्नत नस्ल की दुधारू गाय के क्रय, परिवहन, ट्रांजिट बीमा, 03 वर्षों के लिए पशु बीमा, चारा काटने की मशीन तथा गायों के रख-रखाव हेतु शेड निर्माण पर व्यय कुल धनराशि का 40 प्रतिशत, अधिकतम 80,000 रूपये अनुमन्य होगा। 


अनुदान हेतु अनुमन्य घटक :-

1. गाय के क्रय पर व्यय धनराशि।

2. गाय के परिवहन पर व्यय धनराशि।

3. पशु ट्रांजिट बीमा पर व्यय धनराशि

4. 03 वर्षों हरतु पशु बीमा पर व्यय धनराशि।

5. चारा काटने की मशीन (Chaff Cutter Machine) के क्रय पर व्यय धनराशि। 

6. गायों के रख रखाव हेतु शेड निर्माण पर व्यय धनराशि। 

    उपयुक्त घटकों को सम्मिलित कर प्रति इकाई लागत का मूल्यांकन किया जायेगा। 


आवेदन हेतु पात्रता :- 

1. आवेदक उत्तर प्रदेश का निवासी हो।

2. आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक हो। 

3. दुग्ध उत्पादन/पशुपालक के पास पशुओं के रखने हेतु पर्याप्त स्थान/शेड उपलब्ध हो।

4. दुग्घ उत्पादक/पशुपालक के पास पहले से ही ०२ गायों से अधिक स्वदेशी उन्नत नस्ल की गिर, साहिवाल, हरियाणा, थारपारकर एवं संकर प्रजाति की एफ-१ गाय न हों। 

  











उपरोक्त जानकरी के प्रमाणिक होने या न ह्नोने में प्रकाशक की कोई जिम्मेदारी नहीं है

Tuesday, August 29, 2023

अध्याय-४ समूह/ग्राम संगठन/संकुल संघ को प्राप्त होने वाली निधियाँ


अध्याय-४ 
समूह/ग्राम संगठन/संकुल संघ को 
प्राप्त होने वाली निधियाँ


        स्वयं सहायता समूह बचत के अलावा बैंक से ऋण भी प्राप्त करेंगें। हम एन.आर.एल.एम. से अपने संस्थाओं स्वयं सहायता समूह, ग्राम संगठन, सकुल स्तरीय संघ के लिए भी निधि प्राप्त करेंगें। 

        सामान्यत: सदस्य समूह से निधि ऋण के रूप में प्राप्त वापसी करते हैं; जिसका उपयोग सदस्यों के द्वारा अपनी विभिन्न जरूरतों जैसे उपभोग, कर्ज वापसी, आपातकाल के समय, स्वास्थ्य, शिक्षा, संपत्ति निर्माण, जीविकोपार्जन को बढ़ाने आदि में किया जाता है। हम इन निधियों का उपयोग जोखिम लेने में एवं जोखिम को दूर करने में करते हैं। 

४.१ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से निधि प्राप्त करना:-

        संस्थाओं के पंजीकरण हेतु राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से उत्प्रेरक निधि प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से स्वयं सहायता समूह हेतु रिवाल्विंग फण्ड एवं ग्राम संगठन स्तर पर सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.), जोखिम निवारण निधि तथा संकुल स्तरीय संघ स्तर पर सामुदायिक निवेश निधि -सीड कैपिटल एवं जीविकोपार्जन  निधि प्राप्त की जाती है।  स्वयं सहायता समूह 2,500/- रूपये, ग्राम संगठन 
75,000/- रूपये एवं संकुल स्तरीय संघ 3.5 लाख गठन पुनर्गठन के समय स्टार्ट अप निधि भी प्राप्त कर सकते हैं।

4.2 रिवाल्विंग फण्ड (रूपये 15,000) प्रति स्वयं सहायता समूह :-

    रिवाल्विंग  फण्ड प्राप्त करने के मानकों को पूरा करने वाले एवं श्रेणीकरण समूह के रिवाल्विंग फण्ड आवेदन प्राप्त होने के बाद सीधे समूह के बैंक बचत कहते में यह फण्ड हस्तांतरित किया जाता है। रिवाल्विंग फण्ड हेतु निम्न मानक हैं:-

1. पंचसूत्र का पालन करने वाले A एवं B श्रेणी के समूह 
2. समूह द्वारा पिछले 3-4 महीनों में (12 सप्ताह) से पंचसूत्र का पालन नियमित रूप से किया जाना चाहिए:-

* समूह की बैठकों में सदस्यों की उपस्तिथि कम से कम 90% होनी चाहिए।

*समूह में नियमानुसार निर्धारित नियमित साप्ताहिक बचत होनी चाहिए।

* समूह में की जा रही बचत की राशि का नियमित आंतरिक लेनदेन होना चाहिये।

* समूह में नियमित रूप से ऋण की वसूली करनी चाहिए और स्वयं सहायता समूह स्तर पर ऋण वापसी का प्रतिशत कम से कम 90% होना चाहिए। 

* स्वयं सहयता समूह के लेखांकन हेतु एक प्रशिक्षित लेखाकार रखना होगा एवं समूह के      लेखांकन पुस्तिकाओं (कार्यवाही पुस्तिका, रोकड़ बही, सामान्य खाता बही, बचत पुस्तिका, ऋण पुस्तिका) का सही तरीके से नियमित लेखांकन किया जायेगा।

* समूह का बैंक बचत खाता निकटतम बैंक शाखा में खुला होना चाहिए।

* समूह के सभी सदस्यों को स्वयं सहायता समूह की अवधारणा, समहू प्रबंधन और पंचसूत्र पर     तीन दिवसीय सदस्य स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त होना चाहिए।

* सभी समूह सदस्यों में एक वचनबद्धता होनी चाहिए कि बचत के साथ-साथ रिवाल्विंग फण्ड का उपयोग आंतरिक ऋण समूह के लिए किया जायेगा। रिवाल्विंग फण्ड प्राप्त करने के पश्चात् अपनी सभी बैठकों में पंचसूत्र, समूह का बेहतर प्रबंधन और वित्तीय नियमों को जारी रखना होगा। 

सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.)

सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.- कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फण्ड)

4.3  सी.आई.एफ. क्या है?

        स्वयं सहायता समूहों को सी. आई. एफ. की धनराशि समूह के सदस्यों की क्रेडिट की जरुरत को पूरा करने के लिए उपलब्ध कराया जायेगा जिसे समूह के सदस्य अपने उपभोग की जरुरत, उत्पादन सम्बंधित जरूरतों/ जीविकोपार्जन जरुरत एवं संपत्ति निर्माण की जरुरत को पूरा करने हेतु उपयोग करेंगें। सी.आई.एफ़. की राशि स्वयं सहायता समूहों को सिर्फ इन्वेस्टमेंट विकास खण्डों में उपलब्ध करायी जायेगी। 

4.4 सी.आई.एफ. की राशि :-
        ऐसे समूह जो सी.आई.एफ. प्राप्त करने के मापदंडों को पूरा करेंगें एवं समूह का सूक्ष्म योजना (माइक्रो प्लान) तैयार करेंगें उन्हें प्रति समूह 1,10,000/ (एक लाख दस हजार) की राशि उपलब्ध कराई जायेगी, जो समूह को ऋण के रूप में दी जायेगी। 

4.5 सी.आई.एफ. प्राप्त करने के मापदंड:-

* स्वयं सहायता समूह की उम्र 6-8 माह हो।

* स्वयं सहायता समूह 6-8  माह से पंच सूत्र का पालन कर रहा हो। 

* स्वयं सहायता समूह के द्वारा माइक्रो प्लान (सूक्ष्म नियोजन) तैयार किया गया हो। 

*समूह द्वारा बचत की राशि एवं रिवाल्विंग फण्ड की राशि का उपयोग आंतरिक लेन-देन के रूप में पिछले ६ माह से सदस्यों के बीच में उनकी जरुरत को पूरा करने के लिए किया जा रहा हो। 

* समूह के सदस्यों को माइक्रो प्लान प्रशिक्षण दिया गया हो। 

*समूह द्वारा कमिटमेंट देना होगा कि सी.आई.एफ. प्राप्त होने के बाद भी समूह द्वारा पंचसूत्र का पालन किया जायेगा तथा समूह प्रबंधन एवं वित्तीय नियमों का पालन किया जायेगा। 

4.6 सी.आई.एफ. प्राप्त करने की प्रक्रिया:-

* समूह को 5 माह की अवधि तक माइक्रो प्लान योजना पर प्रशिक्षण करवाना। 

* समूह को प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के बाद माइक्रो प्लान प्रक्रिया की शुरुवात करनी चाहिए।

* माइक्रो प्लान प्रक्रिया के अनुसार समूह को माइक्रो प्लान तैयार करना। 

* समूह का आंकलन प्रपत्र/ग्रेडिंग करना। 

* समहू द्वारा तैयार माइक्रों प्लान का एप्रेजल करना। 

4.7 माइक्रो प्लान तैयार करने की प्रक्रिया:- 

माईक्रो प्लान तैयार करने की प्रक्रिया:-

* समहू का माइक्रो प्लान तैयार करने हेतु यह देखना होगा कि दिए गए मापदंडों को समूह पूर्ण कर रहा है की नहीं। सुनिश्चित करना होगा कि माइक्रो प्लान प्रक्रिया में समूह के सभी सदस्यों की भागीदारी हो। 

* माइक्रो प्लान तैयार करने से पूर्व ही सही जगह का चुनाव करना जहाँ समूह के सभी सदस्य भागीदारी कर सकें। 

*माइक्रो प्लान तैयार करने के दौरान  की प्रक्रिया- माइक्रो प्लान, प्रक्रिया शुरू होने के 2-3  दिनों के अन्दर पूर्ण कर ली जायेगी अर्थात् माइक्रो प्लान तैयार करने में 2-3 दिनों का समय लगेगा। 

* समूह के सभी सदस्यों की उपस्थिति में माइक्रो प्लान के उद्देश्य के बारे में चर्चा करना। 

* समूह   के सदस्यों द्वारा सभी सदस्यों के परिवार के प्रोफाइल के बारे में चर्चा करना 
(जैसा परिवार क सदस्य, शिक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, क्रियाकलाप, उपलब्ध स्त्रोत, संपत्ति, दायित्व/जिम्मेदारियां, सरकारी सुविधाओं के बारे में जानकारियां, खाद्य सुरक्षा, के मुद्दे इत्यादि)

* समूह के सदस्यों द्वारा सदस्यों के प्रोफाइल तैयार करने पर चर्चा। 

* समूह के सभी सदस्यों द्वारा भविष्य की योजना के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करना। 

* समूह के सभी सदस्यों द्वारा अपने परिवार की योजना (वर्तमान की योजना एवं भविष्य की योजना) परिवार के सभी सदस्यों से चर्चा के उपरान्त तैयार करना। 

* समूह के सदस्यों द्वारा अपने-अपने योजना का प्राथमिकीकरण करना। 

* समूह के सदस्यों द्वारा समूह की जरूरतों को पूरा करने हेतु उपलब्ध स्त्रोत के बारे में चर्चा करना। 

* सूक्ष्म नियोजन प्रक्रिया करवाने वाले व्यक्ति द्वारा समूह के सभी सदस्यों एवं समूह के रूप में सम्पूर्ण एवं विस्तृत चर्चा के बाद सभी जानकारियों को माइक्रो प्लान प्रारूप पर लिखना एवं भरना। 

* समूह के द्वारा तैयार माइक्रो प्लान को समूह द्वारा एप्रेजल करने हेतु ग्राम संगठन/प्री-लूज फेडरेशन/ऋण समिति के पक्ष में आवेदन करना।

4.8 माइक्रो प्लान एप्रेजल एवं CIF राशि को प्रदान करना:- 

        माइक्रो प्लान का एप्रेजल, जहाँ ग्राम संगठन का गठन नहीं हुआ है या ऐसे समूह जो ग्राम संगठन से नहीं जुड़ें हैं:-

* इस स्थिति में ग्राम स्तर पर सभी समूह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान को SRLM द्वारा गठित एप्रेजल समिति द्वारा एप्रेस किया जायेगा जिसमें 3-5 समूह प्रतिनिधि भी रहेंगें।

* समूह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान एप्रेजल बैठक करेंगी एवं सुनिश्चित करेंगीं कि समूह द्वारा प्रस्तुत/जमा किये गए माइक्रो प्लान का एप्रेजल समिति के सभी सदस्यों की उपस्थिति में उपयुक्त वर्णित प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।

* समिति प्रत्येक 15 दिनों में एप्रेजल हेतु बैठक करेंगीं  एवं सुनिश्चित करेंगीं कि समूह द्वारा प्रस्तुत/जमा किये गए माइक्रो प्लान का एप्रेजल 15 दिनों में किया जाये।

* माइक्रो प्लान के एप्रेजल प्रक्रिया के दौरान सम्बंधित समूह जिसका माइक्रो प्लान एप्रेजल हेतु प्रस्तुत किया गया है उसके प्रतिनिधि एप्रेजल के दौरान  उपस्थित रहे।

* समूह के माइक्रो प्लान का एप्रेजल होने के बाद एप्रेजल समिति द्वारा DMMU को सम्बंधित समूह CIF की राशि प्रदान करने हेतु अनुमोदन भेज दिया जायेगा। 

* एप्रेजल समिति द्वारा  प्रस्तुत अनुमोदन के आधार पर DMMU द्वारा CIF की राशि को सीधे सम्बंधित समूह के बचत खाते में RTGS के माध्यम से हस्तांतरित कर दी जायेगी। 

* माइक्रो प्लान का एप्रेजल जहाँ ग्राम संगठन का गठन हो चूका है या ऐसे समूह जो ग्राम संगठन से जुड़ें हैं:- 

इस स्थिति में समूह द्वारा तैयार माइक्रो प्लान को एप्रेजल हेतु ग्राम संगठन के सामने प्रस्तुत किया जायेगा। 

* समूह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान का एप्रेजल ग्राम संगठन के सामने प्रस्तुत किया जायेगा। 

* समूह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान का एप्रेजल ग्राम संगठन द्वारा (मिशन के स्टाफ़ के सहयोग) से उपरोक्त वर्णित प्रक्रिया को ध्यान में रखकर किया जायेगा। 

* माइक्रो प्लान के एप्रेजल की प्रक्रिया के दौरान सम्बंधित समूह जिसका माइक्रो प्लान एप्रेजल हेतु प्रस्तुत किया गया है उसके प्रतिनिधि एप्रेजल के दौरान उपस्थित रहें।

* ग्राम संगठन को समयह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान का एप्रेजल 7 दिनों के अन्दर करके विकास खण्ड मिशन प्रबंधक इकाई के माध्यम से सम्बंधित इकाई में प्रस्तुत करना होगा। 

* ग्राम संगठन द्वारा प्रस्तुत अनुमोदन एवं आवेदन के आधार पर DMMU द्वारा CIF की राशि 7 दिनों के अन्दर सीधे ग्राम संगठन के बचत खाते में हस्तांतरित कर दी जायेगी।

* ग्राम सब्ग्थान के द्वारा 7 दिनों के अन्दर सम्बंधित समूह जिसके लिए CIF की राशि ग्राम संगठन के बचत खाते में आ गई है उस खाते में CIF की राशि हस्तांतरित कर दिया जायेगा। 

माइक्रो प्लान एप्रेजल करने के आधार बिंदु :-

* समूह द्वारा दिए गए प्रारूप पर सभी सूचनाएं सही उपलब्ध करायी हों। 

* माइक्रो क्रेडिट की प्रक्रिया में समूह के सभी सदस्यों की भागीदारी होनी चाहिए। 

* समूह के अति गरीब सदस्यों की जरूरतों को प्राथमिकता दी गई हो। 

* समूह के सभी सदस्यों को अपने इन्वेस्टमेंट योजना को लागू करने की पूर्ण जानकारी एवं क्षमता/योग्यता हो। 

* समूहों के सदस्यों द्वारा माइक्रो प्लान में किये जन वाले क्रियाकलापों में योगदान होना चाहिए। 

            उपरोक्त मानक ले आधार पर एप्रेजल समिति/ग्राम संगठन द्वारा अनुमोदित माइक्रो प्लान को DMMU द्वारा समूह/ग्राम संगठन को CIF की राशि निर्गत करनी चाहिये। 

4.10 CIF निर्गत होने के बाद प्रक्रिया एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र:-

* अगर समूह ग्राम संगठन से जुड़ा हुआ नहीं है/ग्राम संगठन नहीं बना है  उस स्थिति में एप्रेजल माइक्रो प्लान के आधार पर CIF की राशि का उपयोग हो रहा है, कि नहीं का निरीक्षण करेंगी एवं CIF की राशि का उपयोग होने केबाद उपयोगिता प्रमाण पत्र को ब्लॉक प्रबंधन इकाई में जमा करेंगीं। 

* अगर समूह ग्राम संगठन से जुड़ा है/ ग्राम संगठन बना है उस स्थिति में ग्राम संगठन स्तर पर गठित स्वयं सहायता समूह निरीक्षण उप समिति माइक्रो प्लान के आधार पर CIF की राशि का उपयोग को रहा है कि नहीं, का निरीक्षण करेगी एबम CIF की राशि का उपयोग होने के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र को खण्ड प्रबंधन ईकाई में जमा किया जायेगा। 

* उपयोगिता प्रमाण पत्र को ब्लॉक प्रबंधन ईकाई में जमा करना वैकल्पिक होगा यह SRLM की जरुरत के आधार पर किया जायेगा। 

4.10 CIF की राशि का वापसी नियोजन एवं ब्याज दर :-

जैसा कि हम जानते हैं कि CIF क्लस्टर स्तर फेडरेशन पर कार्पस के रूप में दी जायेगी जो की क्लस्टर स्तर फेडरेशन से ग्राम संगठन, ग्राम  संगठन से समूह एवं समूह से सदस्यों तक ऋण के रूप में जायेंगी। CIF की राशि का वापसी नियोजन एवं ब्याज दर का प्रवाह निम्न होगा:-


4.11 सूक्ष्म नियोजन:-

        सुक्ष्म नियोजन स्वयं सहायता समूह के सदस्यों के सदस्यों एवं उनके परिवार की जीविकोपार्जन सम्बंधित जरूरतों, सामाजिक मुददों, आर्थिक जरुरत सम्बन्धी मुद्दों, सरकारी अधिकार सम्बन्धित/इनटाइटलमेंट सम्बंधित मुद्दे, सुरक्षा जाल सम्बन्धी मुद्दों की पहचान एवं उनकी अभिलाषा/महत्वकांक्षा समझने की प्रक्रिया है। 

        अन्य शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि स्वयं सहायता समूह के सदस्यों द्वारा अपनी जरूरतों की पहचान करना एवं उनके पास उपलब्ध संसाधनों के आधार पर अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार की जा रही योजना की एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया है जिसमें समूह के सभी सदस्य एवं सदस्यों के परिवार के सदस्य भी सम्मिलित होते हैं। 

4.12 सूक्ष्म नियोजन के उद्देश्य:-

* संसाधन का विकास कर उनके सर्वोत्तम प्रयोग करने हेतु निर्णय क्षमता का विकास। 

* व्यक्तियों की क्षमता तथा उनसे सम्बंधित सामुदायिक संस्थाओं को मजबूती प्रदान करना। 

* समूह के सभी व्यक्तियों के ऋण सम्बंधित आवश्यकताओं की पहचान करना एवं उनकी पूर्ति करना। 

* स्थायी एवं अस्थायी आवश्यकताओं की पूर्ति। 

* अन्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण की सुविधा प्राप्त करना। 

* समूह के सदस्यों की आवश्यकता के अनुसार प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करना। 

* स्वयं सहायता समूह के वित्तीय प्रबंधन कौशल को विकसित करना। 

* सामाजिक मुद्दो की पहचान करना एवं उनमें सभी की भागीदारी सुनिश्चित करना। 

4.13 सूक्ष्म नियोजन के चरण 

चरण 1- स्वयं सहायता समूह का विवरण:-

* समूह का नाम, समूह का पता, समूह में वर्गवार सदस्यों की संख्या। 

* बैंक बचत खाता एवं विवरण, समूह का वित्तीय विवरण। 

* सामाजिक कार्य, जीविकोपार्जन सम्बंधित किये गए कार्य। 

* समूह द्वारा प्राप्त प्रशिक्षण आदि। 

चरण-2 स्वयं सहायता समूह के सदस्यों के बारे में जानकारी का समावेश:-

* समूह के सदस्यों के परिवार का विवरण एवं उनके व्यवसाय।

* सदस्यों की संपत्ति का विवरण जैसे, जमीन, मवेशी, मकान, विवरण आदि। 

* सरकारी सुविधाओं की प्राप्ति जैसे, जॉब कार्ड, राशन कार्ड BPL  कार्ड आदि। 

* समूह के सदस्यों के परिवारों की आरक्षिता। 

चरण-3 स्वयं सहायता समूह के सदस्य के परिवार का आय एवं व्यय का विवरण। 

* परिवार स्तर पर आय एवं व्यय के स्त्रोत 

* परिवार के दायित्व-कर्ज आदि। 

* समूह के सदस्यों के परिवार की जीविकोपार्जन क्रियाकलाप से सम्बंधित विवरण। 

चरण-4 पारिवारिक निवेश योजना 
(सदस्यों द्वारा किये जाने वाले आर्थिक का ब्यौरा एवं आंकलन)

* ऋण का उद्देश्य, आवश्यकता पूर्ति हेतु ऋण की राशि की जरुरत। 

* सदस्यों द्वारा अंशदान, स्वयं सहायता समूह के अपेक्षित राशि। 

* परिवार की मासिक आय। 

* ऋण वापसी योजना। 

* सदस्यों का समूह में प्रदर्शन बचत, ऋण वापसी, उपस्थिति आदि। 

चरण-5 समूह के सदस्यों की जरूरतों का प्राथमिकीकरण 
(पारिवारिक निवेश योजना के आधार पर)

* समूह द्वारा समूह की अत्यंत गरीब सदस्यों को प्राथमिकता दी जायेगी। 

* आपातकालीन/अत्यधिक जरुरत को प्राथमिकता दी जायेगी जैसे- स्वास्थ्य सम्बंधित जरुरत, शिक्षा सम्बंधित जरुरत आदि। 

* समूह के सदस्यों को प्राथमिकता दी जायेगी  तत्पश्चात समूह के प्रतिनिधियों को प्राथमिकता दी जायेगी। 

चरण-6 ऋण चक्रीकारन योजना प्राथमिकीकरण के आधार पर 

चरण-7 मुद्दे एवं समाधान 
(संसाधनों एवं जरूरतों से सम्बंधित मुद्दों पर निर्णय)

समूह के सदस्यों के बीच विस्तृत चर्चा के बाद के मुद्दे:-

* जीविकोपार्जन सम्बंधित मुद्दे- उपभोग की जरूरतें, उत्पादन संबंधित जरूरतें, संपत्ति निर्माण सम्बंधित जरूरतें। 

* सामाजिक मुद्दे। 

* प्रशिक्षण एवं क्षमतावर्धन सम्बंधित मुद्दे। 

संसाधनों एवं जरूरतों सम्बंधित मुद्दों पर निर्णय:-

* स्वयं सहायता समूह स्तर पर। 

* ग्राम संगठन स्तर पर। 

* अन्य भागीदार के स्तर पर। 

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स्त्रोत- उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रेरणा लघु मार्ग दर्शिका २०२०