Sunday, October 30, 2022

पंचायत कल्याण कोष

 "पंचायत कल्याण कोष"

(Panchayat Welfare Fund) 


        दिनांक 16 दिसम्बर 2021 को अपर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन, द्वारा जारी पत्र संख्या 2350/33-3-2021-2257/2021 के अनुसार 

        त्रि-स्तरीय पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधि जनता के जनकल्याण के कार्यों का क्रियान्वयन करता है। पद पर बने रहते हुए मृत्यु की दशा में सहायता राशि हेतु राज्य वित्त आयोग की धनराशि में से रु. 50 करोड़ का पंचायत कल्याण कोष स्थपित किया जाना प्रस्तावित है। यह भी प्रस्ताव है कि पंचायतों को संक्रमित धनराशि से 50 करोड़ की लागत के रिवाल्विंग फंड की स्थापना करते हुए ही शेष धनराशि को पंचायतों को अंतरित किया जाए। 

        पंचायत प्रतिनिधि का तात्पर्य अध्यक्ष जिला पंचायत, सदस्य जिला पंचायत, प्रमुख क्षेत्र पंचायत, सदस्य क्षेत्र पंचायत, ग्राम प्रधान एवं सदस्य ग्राम पंचायत से है। कल्याण कोष में संरक्षित धनराशि का उपयोग इस प्रकार किया जायेगा :-

        पंचायत प्रतिनिधि (अध्यक्ष-जिला पंचायत, प्रमुख क्षेत्र पंचायत, प्रधान ग्राम पंचायत, सदस्य जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत एवं सदस्य ग्राम पंचायत) की मृत्यु की दशा में :-

1- प्रधान ग्राम पंचायत, प्रमुख क्षेत्र पंचायत एवं अध्यक्ष, जिला पंचायत को रु. 10 लाख।

2- सदस्य, जिला पंचायत को रु. 5 लाख।

3- सदस्य, क्षेत्र पंचायत को रु. 3 लाख।

4 - सदस्य ग्राम पंचायत को रु 2 लाख।

आवेदन की प्रक्रिया 

1- पंचायत प्रतिनिधि के आश्रित व्यक्ति द्वारा कल्याण कोष में अनुमन्य धनराशि प्राप्त करने prdfinance.up.gov.in पर सीधे ऑनलाइन आवेदन अथवा अपने जनपद के जिला पंचायत राज अधिकारी के कार्यालय से सम्पर्क कर किया जा सकता है। 

2- आवेदन प्रपत्र पर समस्त सूचनाएं अंकित करके आवश्यक अभिलेख अपलोड करने के उपरांत विवरण फ्रिज किया जायेगा। 

3- जिला पंचायती राज अधिकारी द्वारा मृतक पंचायत प्रतिनिधि के आश्रित व्यक्ति के किये गए आवेदन को निर्धारित पोर्टल से अपने लाग इन आई.डी. व पासवर्ड के माध्यम से डाउनलोड कर समस्त सूचनाओं व अभिलेखों का परिक्षण कराकर जिलाधिकारी से अनुमोदन प्राप्त किया जाता है। अनुमोदन के उपरांत आवेदन पर अपनी संस्तुति कर धनराशि हस्तांतरण हेतु पोर्टल पर अपलोड करते हुए राज्य पर अग्रसारित किया जाता है।

4- राज्य स्तर पर जनपद द्वारा अग्रसारित आवेदन व अभिलेखों को डाउनलोड कर आवेदक के बैंक विवरण को पी.एफ.एम.एस. पर वेलिडेट करने के उपरान्त निर्धारित धनराशि आश्रित व्यक्ति के खाते में हस्तांतरित कर किया जाता है।


आवेदन हेतु आवश्यक अभिलेख 

आवेदन के साथ निम्नलिखित अभिलेख अपलोड किये जाते हैं :-

1- पंचनामा/पोस्टमार्टम की रिपोर्ट/ रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर द्वारा जारी प्रमाण-पत्र।

2- प्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में सक्षम स्तर से निर्गत मृत्यु प्रमाण-पत्र।

3-ग्राम प्रधान/ ग्राम पंचायत सदस्य के मृत्यु की स्थिति में ग्राम पंचायत सचिव द्वारा प्रमाण-पत्र, क्षेत्र प्रमुख/क्षेत्र पंचायत सदस्य की मृत्यु की दशा में खण्ड विकास अधिकारी द्वारा प्रमाण-पत्र एवं जिला पंचायत अध्यक्ष /जिला पंचायत सदस्य की मृत्यु की दशा में अपर मुख्य अधिकारी के द्वारा जारी प्रमाण-पत्र।


स्त्रोत- क्षेत्र पंचायत सदस्यों के प्रशिक्षण हेतु सन्दर्भ साहित्य वर्ष 2022    

Tuesday, October 25, 2022

क्षेत्र पंचायत की समितियाँ, गठन एवं उनके कार्य Committees of Kshetra Panchayat, Constitution and their functions

 क्षेत्र पंचायत 

की समितियाँ, गठन एवं उनके कार्य  

Committees of Kshetra Panchayat, Constitution 

and their functions

        ग्राम पंचायत की समितियों के समान ही क्षेत्र पंचायत में भी 6 समितियों का प्रावधान किया गया है जिनका विवरण निम्नलिखित है:-

नियोजन एवं विकास समिति

Planning and Development Committee 

        इस समिति का सभापति प्रमुख होता है। साथ ही 6 अन्य सदस्य भी होते हैं जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, एवं महिला का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। इनके अतिरिक्त विशेष आमंत्रित सदस्यों को भी इस समिति में स्थान प्रदान किया जाता है।

         इस समिति का मुख्य कार्य क्षेत्र पंचायत की विकास योजना तैयार करना है। इसके साथ ही विकास खण्ड स्तर पर कृषि, पशु पालन, और गरीबी उन्नमूलन कार्यक्रमों का संचालन करना।


शिक्षा समिति 

Education Committee 

        नियोजन एवं विकास समिति की तरह ही इस समिति का सभापति भी प्रमुख होता है। साथ ही 6 अन्य सदस्य भी होते हैं जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, एवं महिला का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। इनके अतिरिक्त विशेष आमंत्रित सदस्यों को भी इस समिति में स्थान प्रदान किया जाता है।

     इस समिति का मुख्य कार्य विकास खण्ड स्तर पर प्राथमिक शिक्षा, उच्च प्राथमिक शिक्षा, अनौचारिक शिक्षा, साक्षरता, आदि से सम्बंधित कार्यों को करना है।


प्रशासनिक समिति 

Administrative Committee

        नियोजन एवं विकास समिति और शिक्षा समिति की तरह ही इस समिति का सभापति भी प्रमुख होता है। साथ ही 6 अन्य सदस्य भी होते हैं जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, एवं महिला का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। इनके अतिरिक्त विशेष आमंत्रित सदस्यों को भी इस समिति में स्थान प्रदान किया जाता है।   

         इस समिति का मुख्य कार्य विकास खण्ड स्तर पर कर्मियों सम्बन्धी समस्त विषय हैं इसके अतिरिक्त विकास खण्ड स्तर पर राशन की दुकान सम्बन्धी कार्य।


निर्माण कार्य समिति

Construction Work Committee

         इस समिति के सभापति सभी सदस्यों में से नामित किया जाता है साथ ही 6 अन्य सदस्य भी होते हैं जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, एवं महिला का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। इनके अतिरिक्त विशेष आमंत्रित सदस्यों को भी इस समिति में स्थान प्रदान किया जाता है।

        इस समिति का मुख्य कार्य विकास खण्ड स्तर पर सभी निर्माण सम्बन्धी कार्यों को कराना एवं उनकी गुणवत्ता को सुनिश्चित करना है।


स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति

Health and Welfare Committee 

        इस समिति के सभापति भी निर्माण कार्य समिति की तरह ही सभी सदस्यों में से नामित किया जाता है साथ ही 6 अन्य सदस्य भी होते हैं जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, एवं महिला का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। इनके अतिरिक्त विशेष आमंत्रित सदस्यों को भी इस समिति में स्थान प्रदान किया जाता है। 

        इस समिति का मुख्य कार्य विकास खण्ड स्तर पर चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, सम्बन्धी कार्य समाज कल्याण विशेष रूप से महिला एवं बाल कल्याण की योजनाओं का संचालन, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, तथा पिछड़े वर्गों की उन्नति एवं संरक्षण।


जल प्रबंधन समिति

Water Management Committee

        इस समिति के सभापति भी निर्माण कार्य समिति और स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति की तरह ही सभी सदस्यों में से नामित किया जाता है साथ ही 6 अन्य सदस्य भी होते हैं जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, एवं महिला का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। इनके अतिरिक्त विशेष आमंत्रित सदस्यों को भी इस समिति में स्थान प्रदान किया जाता है। 

        इस समिति का मुख्य कार्य राजकीय नलकूपों का संचालन एवं पेयजल सम्बन्धी कार्य कराना है।


स्त्रोत- क्षेत्र पंचायत सदस्यों के प्रशिक्षण हेतु सन्दर्भ साहित्य, उत्तर प्रदेश वर्ष 2022 

Friday, October 14, 2022

क्षेत्र पंचायत और उसके सदस्यों का कार्यकाल

क्षेत्र पंचायत और उसके सदस्यों 

का कार्यकाल 



1- प्रत्येक क्षेत्र पंचायत, यदि इस अधिनियम के अधीन उसे पहले ही विघटित नहीं कर दिया जाता है तो, अपने प्रथम बैठक के लिए नियत दिनांक से पांच वर्ष की अवधि तक, न कि उससे अधिक, बनी रहेगी।

2- किसी क्षेत्र पंचायत के किसी सदस्य का कार्यकाल, यदि इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन अन्यथा समाप्त न कर दिया जाए तो, क्षेत्र पंचायत के कार्यकाल के अवसान तक होगा।

3- किसी क्षेत्र पंचायत का संघटन करने के लिए निर्वाचन-

(क) उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट उसके कार्यकाल के अवसान के पूर्व;

(ख) उसके विघटन के दिनांक से छह मास की अवधि के अवसान के पूर्व;

पूरा किया जाएगा:

प्रतिबन्ध यह है कि जहाँ विघटित क्षेत्र पंचायत की शेष अवधि, जिसके लिए वह बनी रहती, छह मास से कम है वहां ऐसी अवधि के लिए क्षेत्र पंचायत का संघटन करने के लिए इस उपधारा के अधीन कोई निर्वाचन कराना आवश्यक नहीं होगा।

(3-क) इस अधिनियम के किन्हीं अन्य उपबन्धों में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ, अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण या लोकहित में किसी क्षेत्र पंचायत का संघटन करने के लिए उसके कार्यकाल के अवसान के पूर्व निर्वाचन कराना साध्य नहीं है, वहां राज्य सरकार या उसके द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई अधिकारी, आदेश द्वारा प्रशासनिक समिति, जिसमें क्षेत्र पंचायत के सदस्यों के रूप में निर्वाचित किए जाने के लिए, ऐसी संख्या में जैसी वह उचित समझे, अर्ह व्यक्ति होंगें, या प्रशासक, नियुक्त कर सकता है और  प्रशासनिक समिति के सदस्य या प्रशासक छह मास से अनधिक ऐसी अवधि के लिए जैसी कि उक्त आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, पद धारण करेगा और क्षेत्र पंचायत, उसके प्रमुख और समितियों की समस्त शक्तियां, कृत्य और कर्तव्य, यथास्थिति , ऐसी प्रशासनिक समिति या प्रशासन में निहित होंगें और उसके द्वारा उनका प्रयोग, संपादन और निर्वहन किया जाएगा।

4- किसी क्षेत्र पंचायत के कार्यकाल के अवसान के पूर्व उसके विघटन पर संघटित की गयी क्षेत्र पंचायत उस अवधि के केवल शेष भाग के लिए बनी रहेगी, जिस अवधि तक विघटित क्षेत्र पंचायत उपधारा (1) के अधीन बनी रहती, यदि वह इस प्रकार विघटित न की जाती।

5- कोई भी व्यक्ति जो धारा 6 की उपधारा (1) के खण्ड (क), (ग) या (घ) के अधीन क्षेत्र पंचायत का सदस्य हो उस पद पर, जिसके आधार पर वह ऐसा सदस्य बना था, न रहने पर सदस्य न रहेगा। 

9- प्रमुख का कार्यकाल -

 1- इस अधिनियम में की गई अन्यथा व्यवस्था के अधीन रहते हुए किसी क्षेत्र पंचायत के प्रमुख का कार्यकाल उसके निर्वाचित होते ही प्रारम्भ हो जाएगा और क्षेत्र पंचायत के कार्यकाल तक रहेगा:

2- जब प्रमुख का पद रिक्त हो तब प्रमुख का निर्वाचन होने तक जिला मजिस्ट्रेट आदेश द्वारा प्रमुख कृत्यों का निर्वाह करने के लिए ऐसी व्यवस्था कर सकते है जिसे वह ठीक समझे।

9- क - कुछ मामलों में अस्थायी व्यवस्था -

जब प्रमुख अनुपस्थिति, बीमारी अथवा अन्य किसी कारण से अपने कृत्यों का निर्वहन करने करने में असमर्थ हो तब जिस दिनांक तक प्रमुख अपना पदभार फिर से न ग्रहण कर ले, उस दिनांक तक जिला मजिस्ट्रेट आदेश द्वारा प्रमुख के कृत्यों का निर्वहन करने के लिए ऐसे व्यवस्था कर सकता है, जिसे वह ठीक समझे।

10- क्षेत्र पंचायत का संघटन तथा पुनर्संघटन 

1- राज्य सरकार प्रत्येक खण्ड के लिए प्रथम क्षेत्र पंचायत के संघटन का और उसके कार्यकाल की समाप्ति के पूर्व अथवा जब इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए अन्यथा अपेक्षित हो उसके पुनर्संघटन का प्रबन्ध धारा 6 के उपबन्धों को ध्यान में रखते हुए करेगी। 


स्त्रोत- उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम, 1961

Thursday, October 13, 2022

क्षेत्र पंचायत की रचना

 क्षेत्र पंचायत की रचना 



क्षेत्र पंचायत एक प्रमुख, जो इसका पीठासीन होगा, और निम्नलिखित से मिलकर बनेगी-

क- खण्ड में ग्राम पंचायतों के समस्त प्रधान; 

ख- निर्वाचित सदस्य, जो पंचायत क्षेत्र के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने जाएंगें और इस प्रयोजन के लिए, पंचायत क्षेत्र ऐसी रीति से प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा कि प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की जनसँख्या, यथासाध्य, दो हजार होगी:-

ग- लोक सभा के सदस्य और राज्य की विधान सभा के सदस्य जो उन निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनमें पुर्णतः या भागतः खंड समाविष्ट है;

घ- राज्य सभा के सदस्य और राज्य की विधान परिषद् के सदस्य जो खंड के भीतर निर्वाचकों के रूप में रजिस्ट्रीकृत हैं।

(2) उपधारा (1) के खंड (क), (ग) और (घ) में उल्लिखित क्षेत्र पंचायत के सदस्यों को प्रमुख या उप-प्रमुख के निर्वाचन और उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव के मामलों को छोड़कर क्षेत्र पंचायत की कार्यवाहियों में भाग लेनें और उसकी बैठकों में मत देने का अधिकार होगा।

(3) उपधारा (1) के खण्ड (ख) में उल्लिखित प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व एक सदस्य द्वारा किया जाएगा।

(4) जिला पंचायत का प्रत्येक निर्वाचित सदस्य जो ऐसे निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हो जो पुर्णतः या भागतः किसी क्षेत्र पंचायत के प्रादेशिक क्षेत्र में पड़ता हो, ऐसी क्षेत्र पंचायत की बैठकों में विशेष आमंत्रित के रूप में भाग लेने और विचार व्यक्त करने का हक़दार होगा, किन्तु ऐसी बैठकों में उसे मत देने का अधिकार नहीं होगा।


स्त्रोत- उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम, 1961 

हमारी प्रेरणा भास्कर, है जिनका रथ सतत् चलता

 हमारी प्रेरणा भास्कर, है जिनका रथ सतत् चलता  



अनुसरण हम किसी का भी कर सकते हैं लेकिन सूर्य से अधिक अनुशासित और संकल्पित कोई और नहीं हो सकता


        जीवन के प्रत्येक पग पर जब हम कभी भी चारों ओर घूम कर देखते हैं तो हम पाएंगे कि हमारे आस-पास दिखने वाली सभी सजीव अथवा निर्जीव वस्तुएं हमें कुछ न कुछ सिखाने का प्रयास कर रहीं हैं। आसमान में चमकता हुआ सूरज मानो सुबह-सुबह उठकर हम से कह रहा है कि आज भी मैं तुमसे पहले उठ गया हूँ। ये कहने को एक कथन मात्र हो सकता है लेकिन यदि हम इसकी गंभीरता को समझने का प्रयास करें तो हम देखते हैं कि सूरज प्रतिदिन अपने निश्चित समय से उठकर सम्पूर्ण संसार को प्रकाशवान कर देता है। जब हम सूरज की धरती के प्रति प्रतिबद्धता और समय के प्रति नियमितता को ध्यान में रखते हुए इसकी तुलना स्वयं से करें तो हम निश्चय ही स्वयं को सूर्य की तरह अडिग और विश्वसनीय बना सकते हैं। क्या कभी किसी को कहते देखा या सुना है कि सूरज को कल रात में देर हो गई थी तो वो आज देर से निकलेगा, या ये कहते कि आज सूर्य का मन नहीं है वो छुट्टी पर गया है। नहीं... कभी भी नहीं।

        सामान्य मनुष्य के ऊपर सदैव से पक्षपात के आरोप प्रत्यारोप लगते रहे हैं। आप कितना ही निष्पक्ष रहकर कार्य करने का प्रयास करते रहें लेकिन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कहीं न कहीं हम पर इसका आरोप स्वाभाविक रूप से लग जाता है अथवा लगा दिया जाता है। लेकिन कभी किसी ने ऐसा महसूस किया हो की सूर्य ने अपना प्रकाश किसी एक व्यक्ति को पक्षपात पूर्ण रूप से दिया हो। या अपने असीम ऊर्जा भण्डार से ऊष्मा का वितरण करते हुए किसी भी प्रकार का भेदभाव किया हो। ऐसा नहीं है। ऐसा विश्वास बनाने में सूर्य को अनन्त काल का समय लगा। तो क्यों हम अपने कार्यों के माध्यम से सभी में अपना विश्वास नहीं बना सकते हैं। निश्चय ही बना सकते हैं हमें इसकी चिंता करनी होगी। साथ ही सूर्य को आदर्श मानकर उनका प्रतिपल अनुसरण करना होगा।

        सम्पूर्ण  प्रकृति का मुख्य ऊर्जा का केंद्र सूर्य ही है। हम सभी को समस्त शक्तियां सूर्य से ही प्राप्त होती हैं। जिस प्रकार आत्मा के बिना शरीर का कोई भी अस्तित्व नहीं रहता है ठीक उसी प्रकार प्रकृति भी बिना ऊर्जा के निराधार है। जब हम मधुमक्खी को देखते हैं तो वो अपने मधु के लिए पुष्पों के परिक्रमा करती है ठीक उसी प्रकार धरती भी अपनी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सूर्य की परिक्रमा करती है।

        उदाहरण के लिए यदि हम सूर्य से मिलने वाली निःशुल्क धूप का ही जिक्र करें तो हम पाते हैं कि सूर्य की धूप का यदि ठीक प्रकार से प्रयोग किया जाये तो हम विभिन्न प्रकार के असाधारण रोगों से बच सकते हैं नित्य प्रति धूप लेने मात्र से हमारे अन्दर ऊर्जा का संचार रहता है। क्या कभी आपने सूर्य को अपनी उपलब्धियों के लिए अहम् का शिकार होते देखा है या इतराते हुए। नहीं... न तो क्यों हम सूर्य का अनुसरण न करते हुए अपनी जरा सी उपलब्धि और सम्पन्नता का बिगुल बजाते हुए सातवें आसमान में चढ़ जाते हैं? जरा सोच कर देखिए।

        खुद को जलाकर जग को रोशन करने की कला और कुशलता सीखनी है तो इसके लिए भी आपको सूर्य देव की ही शरण में ही जाना होगा। उनका अनुसरण करना होगा। इसलिए हमारे देश में वैदिक काल से ही सूर्य की उपासना होती आ रही है। सुबह-सुबह सभी उठकर सूर्य को हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं उनसे प्रार्थना करते हुए मंगलमय दिन की शुरुवात करते हैं। सूर्य को समस्त लोकों का केंद्र बिंदु माना गया है। सूर्य को हम देवता की तरह पूजते हैं इनके ही हम प्रत्यक्ष रूप से दर्शन कर सकते हैं। सूर्य की उपासना करने से अक्षय फल प्राप्त होता है। स्वयं कष्ट सहकर जग कल्याण का चिंतन करना भला सूर्य से अच्छा हमें कौन सीखा सकता है।  

        मनुष्य को आदर्श मानकर चलना सरल है हम मनुष्य को प्रत्यक्ष रूप से देखकर उनकी दिनचर्या की तुलना स्वयं सरलता से कर सकते हैं। हम उन जैसा बनने का प्रयास कर सकते हैं। लेकिन मनुष्य के साथ एक अपवाद सदैव से ही जुड़ा रहा है कि मनुष्य में मनुष्य जैसी प्रवर्ती तो रहेगी ही। कार्य भी उसी प्रकार होंगे और गलतियां भी होंगीं।

        जीवन एक लम्बी यात्रा है जब तक नेत्र खुले रहेंगे हम देखते रहेंगे जब तक जीवन है हम अनुभव भी करते रहेंगें। उन्हीं के माध्यम से हम अच्छे और बुरे अनुभवों को महसूस करते हैं और यही हमारे जीवन में प्रेरणा का कार्य करते हैं। देखना महसूस करना, अनुभव करना यही मुख्य चरण हैं जो हमारी सोच को प्रभावित करते हैं, हो सकता है आपको सकारात्मक प्रेरणा मिले या हो सकता है नकारात्मक। यह हमारे अनुभवों पर निर्भर करेगा कि यह हमारे जीवन में किस प्रकार का असर डालेगी। हिंदी के प्रबल हस्ताक्षर कवि सोहन लाल द्विवेदी की पंक्तियाँ हैं "पर्वत कहता शीश उठाकर" स्कूल में यह पढ़ाई जाती है। प्रकृति से प्रेरणा लेने की शायद ही इससे अच्छी कविता कोई और बनी हो या किसी भी साहित्यकार ने लिखी हो।        

        हमारे लिए प्रेरणा रूप में बड़ी-बड़ी कहानियों और महापुरुषों के जीवन को पढ़ना और अनुसरण करना ही काफ़ी नहीं है। हमें ऐसे प्रेरणा पुंज का चयन करना होगा जो कभी भी, किसी भी विषम परिस्थतियों में भी विचलित नहीं हुआ न ही कभी उसके पथ विमुख होने के संकेत मात्र ही मिले। जो सर्वव्यापी हो, जो हमेशा साथ रहे। इसका सम्पूर्ण विश्व में सूर्य से बड़ा दूसरा कोई उदाहरण नहीं हो सकता। हम अपने जीवन में सूर्य से स्वयं के जीवन का तुलनात्मक अध्ययन कर माध्यम से प्रेरणा पा सकते हैं। सूर्य देव सात घोड़ो के रथ पर सवार होकर हमें प्रेरणा देते हैं कि हमें सतत चलते रहना चाहिए न कभी थकना चाहिए न ही विश्राम की चिन्ता करनी चाहिए।

        सूर्य की तरह आकाश में चमकना है और दुनिया में छा जाना है तो ठीक उसी प्रकार तपना भी पड़ेगा और उसी अनुशासित जीवन शैली के अनुरूप स्वयं को ढालना भी पड़ेगा।


- प्रशान्त मिश्र

(लेखक सामाजिक चिन्तक और विचारक हैं)

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश  

सम्पर्क सूत्र- 7599022333

Wednesday, October 12, 2022

क्षेत्र पंचायत

 "क्षेत्र पंचायत" 



ग्राम्य क्षेत्रों का खण्डों में विभाजन- 

        राज्य सरकार, गजट में विज्ञप्ति द्वारा, प्रत्येक खण्ड का नाम और उसके क्षेत्र की सीमाएं या उसके संघटक अंश निर्दिष्ट करते हुए प्रत्येक जिले के ग्राम्य क्षेत्र को खण्डों में विभाजित करेगी और इसी प्रकार वह नामों में परिवर्तन कर सकती है या खण्डों में क्षेत्र सम्मिलित करके या उनमें से क्षेत्र निकाल कर उनके क्षेत्रों तथा सीमाओं में परिवर्तन कर सकती है या नये खंड बना सकती है।

 क्षेत्र पंचायत का संघटन और निगमन - 

1- प्रत्येक खंड के लिए एक क्षेत्र पंचायत होगी, जिसका नाम उस खंड के नाम पर होगा और एतद्पश्चात् उपबन्धित प्रकार से संघटित की जाएगी।

2- क्षेत्र पंचायत एक निगमित निकाय होगी।

3- क्षेत्र पंचायत का कार्यालय ऐसे स्थान पर होगा जो राज्य सरकार द्वारा अवधारित किया जाए, और जब तक इस प्रकार अवधारित न किया जाए तब तक उसी स्थान पर होगा जहाँ वह उत्तर प्रदेश पंचायत विधि (संशोधन) अधिनियम, 1994 के प्रारंभ के ठीक पूर्व स्थित था।

4- धारा 6 की उपधारा (1) के खण्ड (क) से (घ) में निर्दिष्ट श्रेणी के सदस्यों में किसी रिक्त से किसी क्षेत्र पंचायत के संघटन या पुन्स्संघठन में कोई बाधा नहीं पड़ेगी।

5- क्षेत्र पंचायत का संघठन गजट में अधिसूचित किया जाएगा। 


स्त्रोत-उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम, 1961

Tuesday, October 11, 2022

जिला व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव

 जिला व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के विरुद्ध 

अविश्वास प्रस्ताव 



            उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने आयोजित एक बैठक में उत्तर प्रदेश के क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत अधिनियम 1961 की धारा 15 एवं 28 में संशोधन का प्रस्ताव पारित कर दिया। इस अध्यादेश को उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत (संशोधन) अध्यादेश, 2022 कहा जायेगा, इसके अनुसार उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव अब दो वर्ष के बाद ही लाया जा सकेगा। इसके पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ एक वर्ष के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता था। जिसके लिए निर्वाचित सदस्यों में से 50 प्रतिशत से अधिक की ही सहमति जरुरी होती थी। संशोधन के बाद अब 2 वर्ष बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। साथ ही इसके लिए दो तिहाई सदस्यों की सहमति अनिवार्य होगी।    

अध्यादेश की प्रति नीचे संलग्न है -




Sunday, October 2, 2022

ग्राम पंचायत की वार्षिक कार्य योजना (GPDP )

वर्ष 2024-25

ग्राम पंचायत की वार्षिक कार्य योजना (GPDP) 

वित्तीय वर्ष 2024- 2025 हेतु 














ग्राम पंचायत की वार्षिक कार्य योजना 

(GPDP ) 

वित्तीय वर्ष 2023- 2024 हेतु 

    02 अक्तूबर 2022 से 31 जनवरी 2023 के मध्य सहभागी ग्राम पंचायत विकास योजना/वार्षिक कार्ययोजना (GPDP) तैयार करने के लिए 29 सितम्बर 2022  को निदेशक पंचायती राज विभाग, उत्तर प्रदेश के द्वारा निर्देश जारी किये गए हैं। इस वर्ष की कार्ययोजना का महत्त्व इस कारण से भी अधिक है कि यह सतत विकास के 9 लक्ष्यों को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी, इसमें सभी की भागीदारी हो इसे सुनिश्चित करना हम सब की जिम्मेदारी है

    नीचे विभाग के द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश का पत्र संकलित है इसे ध्यान से पढ़े और अपने गाँव के विकास की योजना को बनाने में सहयोग करें-