Monday, August 22, 2022

लेख-अब देश बड़े संकल्प ले कर ही चलेगा, डॉ. प्रशान्त कुमार मिश्र

अब देश बड़े संकल्प ले कर ही चलेगा

जब सपने बड़े होते हैं जब संकल्प बड़े होते हैं

 तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है।



         भारत देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण हुए, अब देश आजादी के अमृत काल की ओर बहुत ही अधिक तीर्वता और ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। हम सभी देशवासियों को एक साथ मिलजुल कर भारत के स्वर्णिम भविष्य की ओर आगे बढ़ना है। हमें हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सुनहरा भविष्य लिखना है। हमारे कन्धों पर देश में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा अपने राष्ट्र के प्रति देखे गए सपनों को साकार करने की एक बहुत बड़ी चुनौती है। हमारे ऊपर एक बड़ी जिम्मेदारी है अपने देश के नागरिकों के लिए सही दिशा और दशा देने की, सशक्त और सम्रद्ध भारत बनाने की। जिस भारत में प्रत्येक नागरिक खुशहाल जीवन जी सकें, जहाँ चारों और प्रेम हो आपसी आत्मीयता हो, एक दुसरे के प्रति, राष्ट्र के प्रर्ति समर्पण का भाव हो, देश के युवाओं के मन में अपनी मातृभूमि के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा हो। हमें एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपने को लेकर "एक भारत सर्वश्रेष्ठ भारत" की ओर चलना होगा।
        माना कि रास्ता बहुत सरल नहीं है बाधा आयेंगीं, मार्ग में विकराल रुकावटें भी आयेंगीं। जीवन में जब कुछ बड़ा पाना होता है कुछ कर गुजरना होता है, तब मार्ग में आने वाली बाधाओं की चिन्ता छोड़ कर अपने साहस को एक जुट कर हमें आगे बढ़ना होता है। बीते काल खण्ड में देश और दुनिया ने कई परिवर्तन देखे हैं। पहले जब कभी लोग आपस में इसकी चर्चा करते होंगें तब लोगों ने उनका मजाक उड़ाया होगा, उनका मार्ग रोकने की भरपूर कोशिश की होगी। सभी बाधाओं से डर कर घर बैठ जाते तो क्या कभी हम चाँद पर पहुँच पाते? ऐसे अनगिनत उदाहरण है जब मानव ने अपने पुरुषार्थ के बल पर बड़ी से बड़ी विपदा को पार कर इतिहास लिखा है। मेरे देश के नागरिकों के मन में देश के प्रति जो अटूट प्रेम का भाव है जो जूनून है, वह आने वाली समस्त बाधाओं से कई गुना अधिक बड़ा है व्यापक है। वह कुछ कर गुजरने और बड़े से बड़ा लक्ष्य पाने में समर्थ है।

        इन्हीं सपनों के भारत को लेकर के लाल किले की प्राचीर से भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने अपने राष्ट्र को अमृत काल में किस प्रकार आगे लेकर चला जाएगा उसमें सबकी क्या भागीदारी होगी इसका रोडमैप प्रस्तुत किया।

        जब सपने बड़े होते हैं तब उन सपनों को पूर्ण करने के लिए प्रण भी बड़े लिए जाते हैं इन्हीं विषयों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने देश को अमृत काल में पूर्ण करने हेतु पंच प्रण का सूत्र दिया। जिन्हें एक भारत श्रेष्ठ भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूर्ण करना ही होगा।  

        पहला प्रण है विकसित भारत का, अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चलेगा बहुत बड़े संकल्प लेकर चलना होगा वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत, उससे कम कुछ नहीं होना चाहिए।

        दूसरा प्रण है गुलामी से मुक्ति, हमारे मन के भीतर किसी भी कोने में, हमारी आदतों के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी है तो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना है, सैंकड़ों साल की गुलामी ने जहाँ हमें जकड़ कर रखा है हमारे मनोभाव को बांध का रखा हुआ है। हमारी सोच में विकृति पैदा करके रखी है हमें गुलामी की छोटी से छोटी चीज भी कहीं नजर आती है, हमारे भीतर नजर आती है, हमारे आस पास नजर आती है,  हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी।

        तीसरा प्रण है विरासत पर गर्व,  हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए क्योंकि यही विरासत है जिसने भारत को कभी स्वर्णिम काल दिया था और यही विरासत है जो समय अनुकूल परिवर्तन करने की आदत रखती है। यही विरासत है जो नित्य नूतन स्वीकारती रही है, इसलिए इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए।

        चौथा प्रण है एकता और एकजुटता, वो भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। देश के 130 करोड़ देशवासियों में एकता का भाव हो एकजुटता का भाव हो,  न कोई अपना न कोई पराया, एकता की ताकत एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपनों के लिए चौथा प्रण है। 

        पांचवा प्रण है नागरिकों का कर्तव्य, नागरिकों का कर्तव्य जिसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता है मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं होता है वो भी नागरिक है। "नागरिकों का कर्तव्य" यह हमारे आने वाले 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए एक बहुत बड़ी प्राण शक्ति है।

        जब सपने बड़े होते हैं जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है शक्ति भी बहुत बड़ी मात्रा में जुट जाती है।

        वास्तव में हम तब तक लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते हैं जब तक हमें यह पूर्ण रूप से ज्ञात न हो कि हम किस लक्ष्य को लेकर के आगे चल रहे हैं हमें क्या प्राप्त करना है। इसी का निर्धारण होने के साथ ही हम उस लक्ष्य की और आगे बढ़ने के विभिन्न प्रकार के विकल्पों का चयन करते हैं सही मार्गों का निर्धारण करते हैं। बिना योजना के कोई भी कार्य सुनियोजित ढंग से नहीं किया जा सकता है। जब देश के प्रधानमंत्री देश के अमृत काल के लिए देश की जनता से आग्रह करते हैं पंच प्रण को पूर्ण करने का, तो कहीं न कहीं यह प्रदर्शित होता है कि देश ने निर्धारण कर लिया है कि उसे अब किस ओर बढ़ना  है कितनी ऊर्जा के साथ हमें कार्य करना होगा।

        भारत देश में जितनी भी सरकारें रहीं उन सभी ने अपने-अपने स्तर से देश को आगे ले जाने का कार्य किया है वर्तमान सरकार भी उस दिशा में निरन्तरआगे बढ़ रही है परन्तु केवल विचार करने से और कहने मात्र से कुछ नहीं होता है। हम यदि देश के स्वर्णिम काल को देखने की कल्पना मन में संजो कर बैठे हैं तो देश के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमें भी अपने कर्तव्यों को पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी के साथ निभाना होगा। जब तक देश का प्रत्येक नागरिक देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को सुनिश्चित नहीं करेगा और उसके अनुसार कार्य नहीं करेगा तब तक हम अमृत काल का समय तो पूर्ण कर सकेंगें परन्तु प्रण को नहीं।

        आइये! हम सब मिलकर प्रण करें राष्ट्र के प्रति अपने-अपने कर्तव्यों को पूर्ण करने का।   

-डॉ. प्रशान्त कुमार मिश्र

(लेखक सामाजिक चिन्तक और विचारक हैं) 

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश 

                                                                                                                      

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