ग्राम प्रधान
व सदस्यों का निष्कासन एवं निलम्बन
ग्राम पंचायत
के प्रधान या उसके किसी सदस्य या भूमि प्रबंधन समिति अथवा संयुक्त समिति के किसी
सदस्य को राज्य सरकार पंचायत राज अधिनियम की धारा-95-1 (छ) के अंतर्गत निम्न
कारणों से हटा सकती है :-
* यदि वह
बिना पर्याप्त कारण के तीन से अधिक बैठकों में तथा सभाओं में अनुपस्थित रहे।
*वह कार्य
करने से इंकार करे अथवा कार्य करने के लिए अक्षम हो जाये अथवा यदि उस पर ऐसे अपराध
का अभियोग लगाया गया हो अथवा दोषारोपण
किया गया हो;
*उसने अपने
पद का दुरपयोग किया हो अथवा इस अधिनियम द्वारा अथवा इसके अधीन बनाए गए नियमों द्वारा
अधिरोपित कर्तव्यों के पालन में निरंतर चूक की हो अथवा उसका अपने पद पर बने रहना
जनहित में वांछनीय न हो;
*वह
पंचायतराज अधिनियम की धारा 5 (क) से (ड़) में दी गई उन अनर्हताओं में कोई अनर्हता
रखता हो,
जो उसे ग्राम पंचायत का सदस्य बनने के अयोग्य बनाती है।
नोट- ग्राम पंचायत
,
संयुक्त समिति, भूमि प्रबंधन समिति के विरुद्ध
कोई भी कार्यवाही करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर देगी। जहाँ प्रधान को किसी जाँच में पहली नज़र में
वित्तीय या अन्य अनियमितताओं का दोषी पाया जाए, तो वह तब तक
अपने वित्तीय अधिकारों का प्रयोग और अपने कार्य नहीं करेगा, जब
अंतिम रूप से जाँच पूरी न हो जाए। इस बीच
कार्य करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट ग्राम पंचायत के तीन सदस्यों की एक समिति
बनाएगा।
ग्राम प्रधान
के निष्कासन एवं निलम्बन की कार्यवाही क्रमशः अधिनियम की धारा-14 के अन्तर्गत की
जाती है। प्रधान के सन्दर्भ में ग्राम सभा
की इस प्रयोजन हेतु बुलाई गई बैठक की पूर्व सूचना कम से कम 15 दिन पूर्व दी
जाए। ग्राम सभा के उपस्थित और मतदान करने
वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से प्रधान को हटाया जा सकता है। इस बैठक का कोरम एक-तिहाई सदस्यों की उपस्थिति
से पूर्ण माना जाएगा। प्रधान को हटाने की
बैठक उसके निर्वाचन से 2 वर्ष के भीतर नहीं बुलाई जा सकती। यदि बैठक में कोरम के अभाव में प्रस्ताव पर
विचार न किया जा सके, तो प्रधान को हटाने
की दूसरी बैठक पहली बैठक के दिन से एक वर्ष के भीतर नहीं बुलाई जा सकती।
स्त्रोत-उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनयम, 1947 तथा उत्तर प्रदेश पंचायती राज नियमावली,1947
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