ग्राम
प्रधान एवं उनके दायित्व
प्रत्येक
ग्राम पंचायत में एक प्रधान होगा जो उसका अध्यक्ष होगा और प्रधान को ग्राम पंचायत
का सदस्य समझा जाएगा।
ग्राम
प्रधान के कर्तव्य
उत्तर
प्रदेश पंचायती राज नियमावली 1947
के नियम 47 के
अनुसार ग्राम पंचायत के प्रधान के निम्नलिखित दायित्व होंगें :-
· * ग्राम सभा एवं ग्राम
पंचायत की समस्त बैठकों को बुलाए और उन बैठकों की अध्यक्षता करे।
· * बैठक की कार्यवाही
पर नियंत्रण रखें और अच्छी व्यवस्था बनाये रखें।
· * ग्राम पंचायत की
आर्थिक व्यवस्था और शासन की देखरेख करें यदि कोई त्रुटि या गड़बड़ी पाई जाये तो इसकी
सूचना ग्राम पंचायत को दें।
· * ग्राम पंचायत के
कर्मचारियों की देखरेख करें और उन पर नियंत्रण रखें।
· * ग्राम पंचायत के
प्रस्तावों को क्रियान्वित करें।
· * ग्राम सभा एवं ग्राम
पंचायत की ओर से समस्त पत्र व्यव्हार करें।
· * पंचायत की
सार्वजानिक संपत्ति की रक्षा के लिए प्रयासरत रहे।
· * ग्राम पंचायत द्वारा
लगाये जाने वाले कर, शुल्क या फीस लगाने व
उसको वसूलने की व्यवस्था करें।
· * दीवानी एवं फौजदारी
मामलों में ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत की तरफ से अभियोजन प्रस्तुत करें।
· * पंचायत की तीन
समितियों क्रमशः नियोजन एवं विकास समिति, शिक्षा
समिति, प्रशासनिक समिति के अध्यक्ष होने के कारण समय से बैठक
बुलाए व उसकी अध्यक्षता करें।
· * भूमि प्रबंधन समिति
की बैठक बुलाए एवं उसकी अध्यक्षता करें।
· * ऐसे अन्य कर्तव्यों
का पालन करें जो पंचायत राज एक्ट या अन्य कानून के अंतर्गत दिए गए हों।
प्रधान को विशेषाधिकार
आवश्यकता पड़ने पर प्रधान सम्बंधित अधिकारी को पूर्व सूचना देकर बिना ग्राम पंचायत को बताये कोई ऐसा कार्य कर सकता है, जिसको करने का अधिकार पंचायत को प्राप्त हो। परन्तु बाद में पंचायत की बैठक में उसे अवश्य रखेगा।
अन्य कार्य
· * संक्रमण रोगों को
रोकने व उनको नियंत्रण करने का अधिकार।
· * ग्राम पंचायत की बैठकों में सदस्यों के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने का अधिकार प्रधान को प्राप्त है।
प्रधान को मानदेय एवं अन्य भत्ते
· * ग्राम प्रधान को
प्रतिमाह रु. 5,000/- के मानदेय की व्यवस्था की
गई है।
· * यात्रा एवं
आनुसांगिक व्यय के नाम पर रु. 15,000/- प्रतिवर्ष
देने का प्रावधान किया गया है।
· * प्रधान आकस्मिक खर्च
हेतु अपने पास रु. 5,000/- नकद रख सकता है,
उपरोक्त व्यय ग्राम निधि में राज्य वित्त आयोग की संस्तुतियों के
अन्तर्गत प्राप्त अनुदान से किया जाएगा।
अन्य
महत्त्वपूर्ण प्रावधान
पंचायती
राज अधिनियम, 1947 (धारा 12 ञ) प्रधान के पद की अस्थायी रिक्त में प्रबंध:- जब प्रधान का पद
मृत्यु,
हटाये जाने, त्याग पत्र के कारण या अन्यथा
रिक्त हो या जब अनुपस्थिति, बीमारी, अथवा
अन्य किसी कारण से कार्य करने में असमर्थ हो विहिप प्राधिकारी प्रधान का कार्य
करने और उसकी शक्ति का प्रयोग करने के लिए ग्राम पंचायत के किसी सदस्य को तब तक के
लिए नाम निर्दिष्ट कर सकता है जब तक प्रधान के पद पर ऐसी रिक्ति भरी नहीं जाती है
या जब तक प्रधान की ऐसी असमर्थता समाप्त नहीं हो जाती है।
धारा 14 क. अभिलेख आदि की चूक करने पर दण्ड -(1) :- यदि को व्यक्ति प्रधान, सरपंच या सहायक सरपंच के रूप में कार्य की समाप्ति पर यथास्थिति, ग्राम सभा, ग्राम पंचायत या न्याय पंचायत के सभी अभिलेख, धनराशि या अन्य सम्पत्ति अपने उत्तराधिकारी या नियत प्राधिकारी द्वारा इस निमित प्राधिकृत किसी व्यक्ति को देने में, नियत प्राधिकारी द्वारा ऐसा करने की अपेक्षा किये जाने पर भी जान बूझ कर चूक करता है, तो यह कारावास से , जो तीन वर्ष तक का हो सकता है, या जुर्माने से या दोनों से दण्डनीय होगा।
(2) उपधारा (1) के प्रतिबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, कोई ऐसी धनराशी नियम प्राधिकारी द्वारा तदर्थ जारी किये गए प्रमाण-पत्र पर भू-राजस्व की बकाया के रूप में वसूल की जा सकती है।
ग्राम पंचायत के सदस्य के अधिकार (धारा 26) :- ग्राम पंचायत का कोई सदस्य बैठक में कोई संकल्प प्रस्तुत कर सकता है और प्रधान से ग्राम पंचायत के प्रशासन से सम्बद्ध विषयों क्वे संबध में विहित रीती से प्रश्न पूछ सकता है।
अधिभार
(धारा 27) प्रत्येक
ग्राम पंचायत का प्रधान इस अधिनियम के अधीन संगठित ग्राम पंचायत या संयुक्त समिति
या किसी अन्य समिति का प्रत्येक सदस्य यथास्थिति, ग्राम सभा, ग्राम पंचायत या न्याय पंचायत के धन या
संपत्ति की हानि, दृर्व्यय या दुरुपयोजन के लिए अधिभार का
देनदार होगा यदि ऐसी हानि उसके ऐसा प्रधान, सदस्य की अवधि
में उसकी उपेक्षा या अवचार के प्रत्यक्ष परिणाम स्वरुप हुआ हो।
स्त्रोत-
उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम. 1947 तथा
उत्तर प्रदेश पंचायती राज नियमावली, 1947
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