अध्याय-2
ग्राम सभा
धारा-3
(i) इस आधिनियमके प्रयोजनार्थ राज्य सरकार के निर्देश पर जिला दंडाधिकारी, जिला गजट में अधिसूचना द्वारा, किसी ग्राम या ग्रामों के समूह को ग्राम [सभा] के रूप में विनिर्दिष्ट कर सकेगा; परन्तु यह कि जहाँ ग्राम सभा ग्रामों के समूह के लिए स्थापित की जाए वहाँ सबसे अधिक जनसँख्या वाले ग्राम का नाम ग्राम सभा के रूप में विनिर्दिष्ट किया जाएगा\
(ii) ग्राम सभा का तात्पर्य है, ग्राम पंचायत क्षेत्र के भीतर समाविष्ट किसी राजस्व गाँव से सम्बंधित मतदाता सूची में पंजीकृत व्यक्तियों से मिलकर बनने वाली कोई निकाय;
(iii) अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभा- साधारणतया ग्राम के लिए एक ग्राम सभा होगी, परन्तु अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभा के सदस्य यदि ऐसा चाहें, तो किसी ग्राम में एक से अधिक ग्राम सभा का गठन ऐसी रीति में किया जा सकेगा\ जैसा कि विहित किया जाए और ऐसी प्रत्येक ग्राम सभा के क्षेत्र में आवास या आवासों का समूह अथवा छोटे गाँव या गाँवों/ टोलों का समूह होगा जिसमें समुदाय समाविष्ट हों, जो परम्परा एवं रुढ़ियों के अनुसार अपने कार्यकलाप का प्रबंध करेगा
धारा-4
(क) - निर्वाचन नामावली (मतदाता सूची)-
धारा [2(ii)] के अधीन विनिर्दिष्ट प्रत्येक ग्राम के लिए एक मतदाता सूची होगी जो इस अधिनियम एवं इसके अधीन बनाये गए नियमों के उपबंधों के अनुसार तैयार की जाएगी।
(ख) मतदाताओं का निबंधिकरण-
(i) ऐसा प्रत्येक व्यक्ति, जो उस ग्राम से सम्बंधित विधान सभा के निर्वाचन नामावली में निबंधित (पंजीकृत) किए जाने के योग्य है या जिसका नाम उसमें प्रविष्ट है, और उस ग्राम का मामूली तौर पर निवासी है, उस ग्राम की मतदाता सूची में निबंधित किए जाने का हक़दार होगा;
(ii) परन्तु कोई व्यक्ति एक से अधिक ग्राम की मतदाता सूची में निबंधित किए जाने का हक़दार नहीं होगा;
(iii) परन्तु कोई व्यक्ति मतदाता सूची में निबंधित किए जाने का हक़दार नहीं होगा, यदि वह किसी अन्य स्थानीय प्राधिकारी से सम्बंधित निर्वाचक नामावली में निबंधित है।
(ग) पंचायत के मतदाता-
राज्य विधान सभा क्षेत्र की उस समय लागू निर्वाचक सूची या सूचियों का उतना भाग, जो किसी ग्राम पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र से सम्बंधित है, में जिन व्यक्तियों के नाम निर्वाचक के रूप में अंकित होंगें, वे सभी व्यक्ति सम्बंधित पंचायत निर्वाचक में मतदाता होंगें।
धारा- 5
ग्राम सभा की बैठक-
ग्राम सभा की बैठक समय-समय पर होगी, परन्तु किसी दो बैठकों के बीच का अन्तराल तीन माह से अधिक का नहीं होगा; परन्तु ग्राम सभा के एक तिहाई सदस्यों को लिखित मांग किए जाने पर यदि पंचायत समिति, जिला परिषद् या उपायुक्त/ जिला दंडाधिकारी द्वारा अपेक्षा की जाए तो ऐसी अपेक्षा किये जाने के 30 दिनों के भीतर असाधारण बैठक बुलाई जा सकेगी।
धारा-6
बैठकों का संयोजन-
(i) बैठक की सूचना ग्राम पंचायत कार्यालय के सूचना पट्ट में चिपका दी जाएगी एवं प्रसार माध्यम (यथा डुगडुगी, ढोल, एवं ध्वनि विस्तारक यंत्र) के द्वारा पर्याप्त रूप से जनता के बीच प्रचारित की जाएगी;
(ii) ग्राम सभा की बैठक के संयोजन एवं संचालन का दायित्व मुखिया का होगा। यदि [मुखिया] इस अधिनियम के अधीन यथानिर्दिष्ट रीति से बैठक का संयोजन नहीं कर पाता है, तो पंचायत समिति का कार्यपालक पदाधिकारी या उनके द्वारा प्राधिकृत पंचायत का विहित पदाधिकारी ऐसी बैठक का संयोजन करेगा;
परन्तु इस अधिनियम के अधीन विनिर्दिष्ट अंतरालों पर बैठक बुलाने में असफल रहने पर वह मुखिया पद धारण करने से वंचित हो जाएगा;
परन्तु इस उपधारा के अधीन विहित अधिकारी द्वारा मुखिया के विरुद्ध तब तक कोई आदेश पारित नहीं किया जाएगा, जब तक उसे सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर नहीं दिया जाता है।
धारा 7
गणपूर्ति (कोरम)
(i) किसी बैठक की गणपूर्ति ग्राम सभा के सदस्यों की 1/10 भाग की, जिसमें कम से कम 1/3 भाग महिला होंगी, संख्या से पूरी होगी;
परन्तु अनुसूचित क्षेत्र में किसी बैठक की गणपूर्ति ग्राम सभा के सदस्यों की 1/3 भाग की, जिसमें कम से कम 1/3 महिला होंगी, संख्या से पूरी होगी\
(ii) यदि बैठक हेतु निर्धारित किए गये समय पर गणपूर्ति के लिए आवश्यक संख्या में सदस्य उपस्थित नहीं हैं तो बैठक की अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति बैठक की ऐसी आगामी तिथि एवं समय के लिए स्थगित कर देगा, जैसा कि वह निश्चित करे तथा एक नई सूचना विहित रीति में दी जाएगी और ऐसे स्थगित बैठक के लिए गणपूर्ति आवश्यक नहीं होगी;
परन्तु ऐसी बैठक में किसी नये विषय पर विचार नहीं किया जाएगा।
धारा-8
पीठासीन पदाधिकारी
(i) ग्राम सभा की प्रत्यक बैठक की अध्यक्षता सम्बद्ध ग्राम पंचायत का मुखिया और उसकी अनुपस्थिति में उप-मुखिया करेगा;
(ii) बैठक में मुखिया एवं उप-मुखिया दोनों की अनुपस्थिति की स्थिति में ग्राम सभा की बैठक की अध्यक्षता ग्राम सभा के ऐसे सदस्य द्वारा की जाएगी, जो बैठक में उपस्थित सदस्यों के बहुमत से उस प्रयोजन के लिए निर्वाचित किया जाए;
(iii) अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की बैठक की अध्यक्षता
अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की बैठक की अध्यक्षता, ग्राम सभा के अनुसूचित जनजातियों के किसी ऐसे सदस्य द्वारा की जाएगी, जो पंचायत का मुखिया, उप-मुखिया या कोई सदस्य नहीं हो, और उस क्षेत्र में परम्परा से प्रचलित रीति-रिवाज के अनुसार मान्यता प्राप्त व्यक्ति हो जो ग्राम प्रधान तथा मांझी, मुण्डा, पाहन, महतो या किसी अन्य नाम से जाना जाता हो द्वारा अथवा उनके द्वारा प्रस्तावित अथवा बैठक में उपस्थित सदस्यों के बहुमत से मनोनीत/ समर्थित व्यक्तियों द्वारा की जाएगी।
परन्तु यह भी कि जिस ग्राम-सभा क्षेत्र में परम्परा से प्रचलित रीति-रिवाज के अनुसार मान्यता प्राप्त व्यक्ति, जो ग्राम प्रधान यथा मांझी, मुण्डा, पाहन, महतो या अन्य नाम से जाने जाते हो गैर अनुसूचित जनजाति के सदस्य हों, तो अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम-सभा की बैठक की अध्यक्षता उनके द्वारा अथवा यदि उक्त क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के अन्य सदस्य हो तो ग्राम प्रधान द्वारा प्रस्तावित अथवा बैठक में उपस्थित सदस्यों की बहुमत से मनोनीत/समर्थित ऐसे व्यक्ति और यदि अनुसूचित जनजाति के सदस्य न हों तो ऐसे प्रस्तावित अथवा मनोनीत/समर्थित गैर अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति के द्वारा की जाएगी।
धारा 9
किसी व्यक्ति के ग्राम सभा की बैठक में उपस्थिति होने के हक के सम्बन्ध में विवाद की स्थिति में बैठक की अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति, उस ग्राम सभा क्षेत्र की मतदाता सूची में प्रविष्ट के आलोक में, विवाद का अभिनिश्चय करेगा, और उसका ऐसा अभिनिश्चय अंतिम होगा।
धारा 10
ग्राम सभा की शक्तियां और उसका कृत्य एवं उसकी वार्षिक बैठक-
1. उन नियमों के अधीन जो राज्य सरकार इस हेतु बनाये और ऐसे साधारण या विशेष आदेशों के, जो राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किये जाएँ, अधीन रहते हुए, ग्राम सभा के निम्नलिखित कृत्य होंगें, अर्थात्
क. (i) ग्राम के आर्थिक विकास के लिए योजनाओं की पहचान करना तथा उनकी प्राथमिकता निर्धारित करने के लिए सिद्धांतो का निरूपण करना;
(ii) सामाजिक तथा आर्थिक विकास के लिए ऐसी योजना, जिसमें ग्राम पंचायत स्तर की सभी वार्षिक योजनाएँ सम्मिलित हैं, कार्यक्रमों तथा परियोजनाओं का क्रियान्वयन करने के पूर्व अनुमोदित करना;
(iii) ग्राम पंचायत के वार्षिक बजट पर विचार-विमर्श पर उस पर सिफारिशें करना;
(iv) ग्राम पंचायत के अंकेक्षण रिपोर्ट तथा वार्षिक लेखाओं पर विचार करना;
(v) ग्राम पंचायत के द्वारा धारा 10 (1) क (2) में विनिर्दिष्ट योजनाओं, कार्यक्रमों तथा परियोजनाओं के लिए निधियों के समुचित उपयोग को अभिनिश्चित करना तथा अभिप्रमाणित करना;
(vi) गरीबी उन्मूलन तथा अन्य कार्यक्रमों के अधीन लाभुकों के रूप में व्यक्तियों की पहचान करना तथा चयन करना;
(vii) लाभुकों को निधियों या परिसंपत्तियों के समुचित उपयोग तथा वितरण को सुनिश्चित करना;
(viii) सामुदायिक कल्याण कार्यक्रमों के लिए लोगों को गतिशील करना एवं नकद या जिन्स में या दोनों रूपों में अंशदान और स्वैक्चिक श्रमिकों का सहयोग प्राप्त करना;
(ix) जनसामान्य के बीच सामान्य चेतना, एकता एवं सौहार्द में अभिवृद्धि करना;
(x) सामाजिक प्रक्षेत्रों में ऐसी संस्था तथा ऐसी कृतकारियों पर, जो ग्राम पंचायत को अंतरित या ग्राम पंचायत द्वारा नियुक्त किये गए हैं, उस पंचायत के माध्यम से नियंत्रित करना;
(xi) भूमि, जल, वन जैसे प्राकृतिक स्त्रोतों, जो ग्राम क्षेत्र की परिसीमा में आते हैं, का संविधान तथा तत्समय प्रवृत्त अन्य सुसंगत विधियों के अनुसार प्रबंध करना;
(xii) ग्राम पंचायत को लघु-जलाशयों के विनियमन तथा उपयोग में परामर्श देना;
(xiii) स्थानीय योजना पर तथा ऐसी योजनाओं के स्त्रोतों एवं व्ययों पर निगरानी रखना;
(xiv) स्वच्छता, सफाई और न्यूसेंस का निवारण और उपशमन;
(xv) सार्वजनिक कुओं और तालाबों का निर्माण, मरम्मत और अनुरक्षण तथा घरेलु उपयोग के लिए पेयजल उपलब्ध कराना;
(xvi) नहाने, धोने और पालतु पशुओं को पीने के जल स्त्रोत उपलब्ध कराना एवं उनका अनुरक्षण;
(xvii) ग्रामीण सड़कों, पुलियों, पुलों, बांधों तथा सार्वजानिक उपयोगिता के अन्य संकर्मों तथा भवनों का निर्माण और अनुरक्षण;
(xviii) सार्वजानिक सड़कों, सांडासों, नालियों तथा अन्य सार्वजानिक स्थानों का निर्माण, अनुरक्षण और उनकी सफाई;
(xix) उपयोग में न आने वाले कुँओं, अस्वच्छ तालाबों, खाइयों तथा गड्ढ़ों को भरना;
(xx) ग्राम मार्गों और अन्य सार्वजानिक स्थानों पर प्रकाश की व्यवस्था करना;
(xxi) सार्वजानिक मार्गों तथा स्थानों और उन स्थलों में से जो निजी संपत्ति न हो या सार्वजानिक उपयोग के लिए खुले हो, चाहे ऐसे स्थल पंचायत में निहित हो या राज्य सरकार के हो, बाधाओं तथा आगे निकले हुए भाग को हटाना;
(xxii) मनोरंजन, खेल-तमाशे, दुकानों, भोजनगृहों और पेय पदार्थों, मिठाइयों, फूलों, दूध तथा इसी प्रकार की अन्य वस्तुओं के विक्रेताओं का विनियमन और उस पर नियंत्रण;
(xxiii) मकानों, संडासों, मूत्रालय, नालियों तथा फ्लश, शौचालयों के निर्माण का विनियमन;
(xxiv) सार्वजनिक भूमि का प्रबंध और ग्राम स्थल का प्रबंध, विस्तार और विकास;
(xxv) शवों, पशु-शवों (लावारिस शवों और पशु शवों सहित) और अन्य घ्रणा उत्पादक पदार्थों का इस प्रकार व्यवस्था करना ताकि वे अस्वस्थकर न हों;
(xxvi) कचरा इकटठा करने के लिए स्थानों की अलाफ्ग से व्यवस्था करना;
(xxvii) मांस का विक्रय तथा परिक्षण का उत्तरदायित्व:
(xxviii) ग्राम सभा की संपत्ति की देखरेख करना:
(xxix) कांजी हाऊस की स्थापना और प्रबंध और पशुओं से सम्बंधित अभिलेखों का रखा जाना;
(xxx) राष्ट्रीय महत्त्व के घोषित किए गए प्राचीन तथा ऐतिहासिक स्मारकों को छोड़कर अन्य ऐसे प्राचीन तथा ऐतिहासिक स्मारकों की देखरेख और चरगाहों तथा अन्य भूमियों को बनाए रखा जाना जो ग्राम सभा के नियंत्रण में हों:
(xxxi) जन्म, मृत्यु और विवाहों के अभिलेखों को रखा जाना:
(xxxii) केंद्र या राज्य या विधि पूर्वक गठित अन्य संगठनों द्वारा जनजागरण या अन्य सर्वेक्षणों में सहायता करना:
(xxxiii) संक्रमण रोगों की रोकथाम, टीकाकरण आदि कार्यों में सहायता करना:
(xxxiv) अशक्त तथा निराश्रितों (महिला एवं बच्चों सहित)की सहायता करना;
(xxxv) युवा कल्याण, परिवार कल्याण, खेलकूद का विस्तार करना;
(xxxvi) वृक्षारोपन एवं ग्रामवनों का संरक्षण;
(xxxvii) दहेज़ जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर करना;
(xxxviii) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्गों की दशा सुधारने के लिए अस्पर्श्यता निवारण के लिए राज्य सरकार या अन्य सक्षम पदाधिकारी के आदेशों का क्रियान्वयन;
(xxxix) बुनियादी सुविधाओं के लिए योजना बनाना एवं उसका प्रबंध करना;
(xxxx) अपंग महिलाओं/बच्चों की सहायता करना;
(xxxxi) पंचायत समिति, जिला परिषद् के द्वारा सौंपें गए कार्यो को करना;
(xxxxii) ग्राम सभा क्षेत्र के भीतर यथाविनिर्दिष्ट स्कीमों के निर्माण कार्य को क्रियान्वित करना तथा उनका पर्यवेक्षण करना;
(xxxxiii) राज्य सरकार द्वारा इस अधिनियम या राज्य में तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन सौंपें गए अन्य शक्तियों तथा कृत्यों का पालन करना;
(ख) ग्राम सभा ऐसे कृत्यों एवं कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए निम्नलिखित स्थायी समितियों का गठन कर सकेगी, अर्थात् :-
(i) ग्राम विकास समिति
(ii) सार्वजनिक सम्पदा समिति
(iii) कृषि समिति
(iv) स्वास्थ्य समिति
(v) ग्राम रक्षा समिति
(vi) आधारभूत संरचना समिति
(vii) शिक्षा समिति एवं सामाजिक न्याय समिति
(viii) निगरानी समिति
(ग) स्थानों का आरक्षण पदावधि, त्यागपत्र, तथा हटाये जाने के लिए प्रक्रिया, कार्य संचालन, सदस्य, सदस्य होने की पात्रता, बैठक, रिक्ति को भरे जाने का ढंग, सचिव का चयन तथा स्थायी समितियों की प्रक्रिया ऐसी होगी जैसा विहित प्राधिकारी द्वारा विहित किया जाए;
(घ) ग्राम विकास समिति, ग्राम के सम्पूर्ण विकास के लिए एक योजना तैयार करेगी तथा इसे ग्राम सभा को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करेगी;
(ड़) प्रत्येक ग्राम सभा एक निधि स्थापित कर सकेगी जो निम्नलिखित चार भागों से मिलकर ग्राम कोष कहलाएगा;
(i) अन्य कोष
(ii) श्रम कोष
(iii) वस्तु कोष
(iv) नकद कोष
जिसमें निम्नलिखित जमा होंगें:-
(क) दान
(ख) प्रोत्साहन राशि
(ग) अन्य आय
(घ) ग्राम कोष ऐसी रीती में तथा इस तरह संधारित एवं ऐसे प्रारूप में रखा जाएगा जैसा विहित किया जाए
2. ग्राम सभा की वार्षिक बैठक:-
ग्राम पंचायत ग्राम सभा की वार्षिक बैठक, जो आगामी वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ होने के कम-से-कम तीन माह पूर्व किया जाएगा, के समक्ष निम्नलिखित बातें रखेगी
(i) वार्षिक लेखा विवरणी, पुर्ववर्ती वित्तीय वर्ष का प्रशासनिक प्रतिवेदन, अंतिम अंकेक्षण प्रतिवेदन और उसके सम्बन्ध में दिए गए उत्तर, यदि कोई हों;
(ii) आगामी वित्तीय वर्ष के लिए प्रस्तावित विकास तथा अन्य कार्यों से सम्बंधित कार्यक्रम;
(iii) ग्राम पंचायत का वार्षिक बजट तथा अगले वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक योजना;
(iv) निगरानी समिति का प्रतिवेदन;
(v) ग्राम पंचायत के मुखिया और सदस्यों से किसी विशेष क्रियाकलापों, योजना, आय और व्यय के सम्बन्ध में माँगा गया स्पष्टीकरण;
3. ग्राम सभा के समक्ष ग्राम पंचायत ऐसे मामले भी रखेगी, जिन्हें पंचायत समिति, जिला परिषद्, उपायुक्त/जिला दंडाधिकारी या इस हेतु प्राधिकृत कोई अन्य अधिकारी ऐसी बैठक के समक्ष रखे जाने की अपेक्षा करे;
4. ग्राम पंचायत इस धारा के अधीन अपने समक्ष के मामलों के सम्बन्ध में ग्राम सभा द्वारा की गयी सिफारिशों को, यदि कोई हों, तत्समय राज्य सरकार के प्रवृत्त नियमों के आलोक में क्रियान्वित करेगी;
5. अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभा की अतिरिक्त शक्तियां और कृत्य:-
(i) व्यक्तियों के परम्पराओं तथा रुढियों, उनकी सांस्कृतिक पहचान और सामुदायिक साधनों (सरना, मसना, [जोहर थान] आदि ) को और विवादों के निराकरण के उनके रूढिगत तरीकों को, जो संवैधानिक दृष्टिकोण से असंगत न हों, सुरक्षित एवं संरक्षित करेगी एवं आवश्यकतानुसार इस दिशा में सहयोग के लिए ग्राम पंचायत, पंचायत समिति एवं जिला परिषद् तथा राज्य सरकार के समक्ष प्रस्ताव विहित रीती से ला सकेगी;
(ii) ग्राम क्षेत्रों के भीतर के प्राकृतिक स्त्रोतों को, जिनके अंतर्गत, भूमि, जल तथा वन आते हैं, उसकी परम्परा के अनुसार परन्तु संविधान के उपबंधों के अनुरूप तथा तत्समय प्रवृत्त अन्य सुसंगत विधियों की भावना का सम्यक ध्यान रखते हुए प्रबंध कर सकेगी;
(iii) स्थानीय योजनाओं, जिनमें जनजातीय उप -योजना सम्मिलित है, तथा ऐसी योजनाओं के लिए स्त्रोतों एवं व्यय का प्रावधान कर सकेगी;
(iv) ऐसी अन्य शक्तियों का प्रयोग तथा ऐसे कृत्यों, जिसे राज्य सरकार तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन उसे प्रदत्त करे या न्यस्त (Delegate) करे का पालन करेगी;
(v) ग्राम सभा, ग्राम पंचायत के माध्यम से, ग्रामों के बाजारों, तथा मेलों जिनमें पशु मेला सम्मिलित है, चाहे वे किसी नाम से जानी जाएँ, प्रबंध करेगी\
6. धारा 10 (1) (क) में विनिर्दिष्ट कृत्य तथा धारा 10 (5) में वर्णित अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभा के अतिरिक्त शक्तियों एवं कृत्यों के अलावा राज्य सरकार समय-समय पर अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभा को अन्य अतिरिक्त शक्तियों तथा कृत्य निर्धारित कर सकेगी।
7. ग्राम सभा, ग्राम पंचायत के कृत्यों से सम्बंधित किसी विषय पर विचार करने के लिए स्वतंत्र होगी तथा ग्राम पंचायत इनकी सिफारिशों को तत्समय प्रवृत्त नियमों के आलोक में कार्यान्वित करेगी।
8. धारा (10) (1) (क) तथा धारा 10 (5) में ग्राम सभा के वर्णित कृत्य तत्समय प्रवृत्त सरकार के अधिनियमों/ नियमों एवं उनके क्षेत्राधिकार को प्रभावित नहीं करेगी।
9. राज्य सरकार, साधारण या विशेष आदेशों द्वारा ग्राम सभा को सौंपें गए कृत्यों में तथा कर्तव्यों में वृद्धि कर सकेगी या उन्हें वापस ले सकेगी।
झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम, 2001