महाराष्ट्र में पंचायतों के प्रमुख प्रावधान
बॉम्बे ग्राम पंचायत अधिनियम, 1958
महाराष्ट्र में ग्राम पंचायत बॉम्बे ग्राम पंचायत अधिनियम, 1958 की धारा 5 के तहत शासित होती है। राज्य में नई ग्राम पंचायत की स्थापना करते समय जनसँख्या को ध्यान में रखा जाता है। ग्राम पंचायत का प्रबंधन सरपंच, उपसरपंच, ग्राम सेवक की मदद से किया जाता है। ग्राम पंचायत पंचायत राज का सबसे निचला लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं ।
महाराष्ट्र में 27,951 ग्राम पंचायतें हैं।
ग्राम पंचायत अधिनियम की धाराएँ:-
महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम 1958 की धारा 5 के अनुसार, प्रत्येक गाँव के लिए एक ग्राम पंचायत होनी चाहिए।
* ग्राम पंचायत के कार्यों को पूरा करने के लिए गाँव के लोग जनसँख्या के अनुपात में प्रत्यक्ष मतदान द्वारा अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगें ।
* उक्त सदस्यों मा मतदान वयस्क एवं गुप्त मतदान द्वारा होगा ।
आरक्षण:-
* ग्राम पंचायत में कुल सीटों में से 50% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
* अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए जनसँख्या के अनुपात में सीटें आरक्षित हैं।
* 27% सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के लिए आरक्षित हैं।
सदस्यों की योग्यता :-
* वह गाँव की ग्राम सभा का सदस्य होना चाहिए।
* उसका नाम मतदाता सूची में होना चाहिए।
* उसकी आयु 21 वर्ष पूरी हो जानी चाहिए ।
* कृषि एवं ऋण सहकारी समितियों के अध्यक्षों को सहयोगी सदस्य के रूप में लिया जा सकेगा, लेकिन इसके लिए ग्राम पंचायत की अनुमति आवशयक होगी, अब यह पद्धति बंद कर दी गई है।
कार्यकाल :-
ग्राम पंचायत का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है । ग्रामपंचायत के भंग होने के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है तथा किसी भी परिस्थिति में कार्यकाल विस्तार की अनुमति नहीं है \ ग्राम पंचायत को भंग करने का अधिकार राज्य सरकार को है। यदि आधे से अधिक सदस्य त्यागपत्र दे देते हैं, तो राज्य सरकार उपचुनाव कराने का निर्देश देती है या बर्खास्त करने का निर्णय लेती है। कलेक्टर उस सन्दर्भ में सरकार को रिपोर्ट भेजता है
* पहाड़ी क्षत्र में 300 से 1500 कि आबादी में 7 सदस्य होते हैं
सरपंच और उपसरपंच:-
सरपंच ग्रामपंचायत का कार्यकारी मुखिया होता है। ग्राम पंचायत से चुने गए सदस्य अपने बीच से सरपंच और उपसरपंच का चुनाव करते हैं। (2017 से सरपंच का चुनाव सीधे जनता से होता है)। सरपंच का पद आरक्षित है जबकि उप सरपंच का पद खुला है और चुनाव से पहले कलेक्टर कार्यलय में आरक्षण ड्रा निकाला जाता है। चुनाव के बाद ग्रामपंचायत की पहली बैठक बुलाने केलिए जिला कलेक्टर अधिसूचना जारी करता है। जिला कलेक्टर द्वारा नुइयुक्त एक अधिकारी इस बैठक की अध्यक्षता करता है
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