झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम, 2001
अध्याय- 1
संक्षिप्त नाम एवं परिभाषाएँ
धारा-1 संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ
(i) यह अधिनियम, झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम, 2001 कहा जा सकेगा।
(ii) इसका विस्त्र सम्पूर्ण झारखण्ड राज्य में इन क्षेत्रों को छोड़कर जहाँ पटना नगर निगम अधिनियम 1951 (बिहार अधिनियम xiii, 1952 ); बिहार एवं उड़ीसा म्युन्सिपल अधिनियम, 1922 (बिहार अधिनियम vii 1922) या कंटोनमेंट अधिनियम, 1924 (अधिनियम ii, 1924) के उपबन्ध लागू हैं;
(iii) यह उस तिथि को प्रवृत होगा, जैसा कि झारखण्ड सरकार, राजकीय गजट में अधिसूचना द्वारा, नियत करें और विभिन्न क्षेत्रों तथा विभिन्न प्रावधानों के लिए अलग-अलग तिथि नियत की जा सकेगी।
धारा 2 परिभाषाएं- इस अधिनियम में, जब तक सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हों,
(i) "जनसँख्या" का तात्पर्य ऐसे अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना में अभिनिश्चित की गयी जनसँख्या से है जिसके सुसंगत आंकड़ें प्रकाशित हो गए हों;
[परन्तु यह कि अन्य पिछड़ें वर्गों की जनसँख्या से अभिप्रेत है अन्य पिछड़े वर्गों की ऐसी जनसंख्या जिसका अभिनिश्चित अन्तिम पूर्ववर्ती जनगणना आंकड़ों के आधार पर राज्य सरकार द्वारा विहित की प्रक्रिया के अनुसार किया गया हो;
[परन्तु यह भी कि यदि अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना आँकड़ो के आधार पर राज्य सरकार द्वारा विहित प्रक्रिया के अनुसार अन्य पिछड़े वर्गों की जनसंख्या अभिनिश्चित नहीं की गई हो तब अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना के ठीक पूर्ववर्ती जनगणना के आँकड़ो के आधार पर सर्वेक्षण द्वारा अभिनिश्चित अन्य पिछड़ें वर्गों की जनसँख्या के ग्रामवार प्रतिशत को नियत मानकर अन्तिम पूर्ववर्ती जनगणना के अन्य पिछड़ें वर्गों की जनसँख्या निर्धारित मानी जायेगी।
(ii) "ग्राम" का तात्पर्य है कोई ऐसे ग्राम, जिसे राज्य सरकार द्वारा सरकारी गजट में अधिसूचना के द्वारा इस अधिनियम के प्रयोजनार्थ ग्राम के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है, जिसके अन्तर्गत है इस प्रकार विनिर्दिष्ट किए गए ग्राम या ग्रामों /टोलों का समूह\ शब्द "ग्राम" में सम्मिलित है, राजस्व गाँव, परन्तु अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम का तात्पर्य है अनुसूचित क्षेत्र में कोई ऐसा ग्राम जिसमें साधारणतया आवास या आवासों का समूह अथवा टोला या टोलों का समूह होगा, जिसमें समुदाय समाविष्ट हो तथा जो परम्पराओं और रुढियों के अनुसार अपने कार्यकलापों का प्रबन्ध करता है;
(iii) "ग्राम सभा" का तात्पर्य किसी ग्राम पंचायत क्षेत्र के भीतर समाविष्ट किसी ग्राम की निर्वाचक नामावली में निबंधित व्यक्तियों से गठित और धारा-3 के अधीन स्थापित किसी निकाय से है;
(iv) "ग्राम पंचायत" का तात्पर्य है धारा-12 के अधीन स्थपित कोई ग्राम पंचायत;
(v) "पंचायत क्षेत्र" का तात्पर्य है इस अधिनियम के अधीन स्थापित किसी पंचायत का प्रादेशिक क्षेत्र;
(vi) "सदस्य" का तात्पर्य है, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति या जिला परिषद के प्रादेशिक/क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचित/मनोनीत सदस्य;
(vii) "मुखिया" का तात्पर्य है इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन किसी ग्राम पंचायत का निर्वाचित मुखिया;
(viii) "उप मुखिया" का तात्पर्य है इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन किसी ग्राम पंचायत का निर्वाचित उप-मुखिया;
(ix) "पंचायत समिति" का तात्पर्य है इस अधिनियम की धारा-32 के अधीन स्थापित पंचायत समिति;
(x) "प्रखंड" का तात्पर्य है किसी जिला का वह स्थानीय क्षेत्र, जिसे राज्य सरकार प्रखंड के रूप में गठित करें;
(xi) "प्रमुख" का तात्पर्य है इस अधिनियम के अधीन किसी पंचायत समिति का निर्वाचित प्रमुख;
(xii) "उप-प्रमुख" का तात्पर्य है इस अधिनियम के अधीन किसी पंचायत समिति का निर्वाचित उप-प्रमुख
(xiii) "जिला" का तात्पर्य हा राज्य सरकार द्वारा जिला के रूप में अधिसूचित जिला;
(xiv) "जिला परिषद" का तात्पर्य है इस अधिनियम की धारा-47 के अधीन गठित किसी जिले का जिला परिषद्
(xv) "अध्यक्ष" का तात्पर्य है इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन निर्वाचित जिला परिषद् का अध्यक्ष;
(xvi) "उपाध्यक्ष" का तात्पर्य है इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन निर्वाचित जिला परिषद् का उपाध्यक्ष;
(xvii) "निर्वाचन" का तात्पर्य है पंचायत के किसी स्थान या स्थानों को भरने के लिए निर्वाचन;
(xviii) "निर्वाचन कार्यवाहियां" का तात्पर्य है निर्वाचन के लिए अधिसूचना जारी होने के प्रारम्भ होने वाली (कार्यवाहियां) और ऐसे निर्वाचन का परिणाम घोषित किए जाने के साथ समाप्त होने वाली कार्यवाहियां;
(xix) "राज्य निर्वाचन आयोग" का तात्पर्य है राज्यपाल द्वारा संविधान के अनुच्छेद 243 ट (1) के आलोक में इस अधिनियम की धारा-66 के अधीन गठित राज्य निर्वाचन आयोग;
(xx) "सचिव" से तात्पर्य है इस अधिनियम के अधीन ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, एवं जिला परिषद् के लिए विहित प्राधिकारी द्वारा विहित रीति से नियुक्त सचिव;
(xxi) "सहायक सचिव" का तात्पर्य है राज्य सरकार द्वारा पंचायत राज निदेशालय के माध्यम से विशेष रूप से नियुक्त वह पदाधिकारी जो यथाविहित कार्य करेगा;
(xxii) "प्रखण्ड विकास पदाधिकारी" का तात्पर्य है राज्य सरकार द्वारा इस रूप में नियुक्त पदाधिकारी;
(xxiii) "अनुमंडल पदाधिकारी" का तात्पर्य है उस अनुमण्डल का भारसाधक दंडाधिकारी, जिसमें ग्राम पंचायत स्थापित हुई हो, और इसके अन्तर्गत कोई अन्य दंडाधिकारी है, जिसे सरकार इस अधिनियम के अधीन (अनुमंडल) दंडाधिकारी के सभी या किन्हीं कृत्यों का निर्वहन करने के लिए विशिष्ट रूप से नियुक्त करें;
(xxiv) "कार्यपालक पदाधिकारी" का तात्पर्य है इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन नियुक्त किसी पंचायत समिति का कार्यपालक पदाधिकारी;
(xxv) "जिला पंचायतराज पदाधिकारी" का तात्पर्य है राज्य सरकार द्वारा इस रूप में नियुक्त पदाधिकारी;
(xxvi) "मुख्य योजना अधिकारी" का तात्पर्य है राज्य सरकार द्वारा इस रूप में नियुक्त जिला योजना पदाधिकारी;
(xxvii) "मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी" का तात्पर्य है इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन राज्य सरकार द्वारा नियुक्त जिला परिषद् का मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी;
(xxviii) "जिला दंडाधिकारी" का तात्त्पर्य है राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किसी जिले का दंडाधिकारी/उपायुक्त और इनमें कोई अन्य पदाधिकारी शामिल हैं जिसे इस अधिनियम के अधीन जिला दंडाधिकारी के सभी या किसी कार्य के निष्पादन के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से नियुक्त किया गया हो;
(xxix) "आयुक्त" का तात्पर्य है प्रमंडलीय आयुक्त या ऐसा पदाधिकारी जिसे इस अधिनियम के अधीन आयुक्त की शक्तियों के प्रयोग हेतु राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से नियुक्त किया गया हो;
(xxx) "निदेशक" का तात्पर्य है राज्य सरकार द्वारा इस रूप में नियुक्त पदाधिकारी।
(xxxi) "सरकार" का तात्पर्य है, झारखण्ड की राज्य सरकार;
(xxxii) "विहित" का तात्पर्य है इस अधिनियम या इसके अधीन बनाये गए नियमों द्वारा विहित;
(xxxiii) "विहित प्राधिकारी" का तात्पर्य है इस अधिनियम या इसके अंतर्गत बनाई गई नियमावली के तहत राज्य सरकार द्वारा नियुक्त विशिष्ट श्रेणी एवं पदनाम का कोई पदाधिकारी;
(xxxiv) "अधिसूचना" का तात्पर्य है राज्य अथवा जिला गजट में प्रकाशित अधिसूचना;
(xxxv) "अधिसूचित क्षेत्र" का तात्पर्य है भारत के संविधान के अनुच्छेद 244 के क्लॉज़ (i) में निर्दिष्ट अनुसूचित क्षेत्र;
(xxxvi) "अन्य पिछड़ा वर्ग" का तात्पर्य है वे सभी वर्ग, जो राज्य सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किए गए हों;
(xxxvii) "लोकसेवक" का तात्पर्य है भारतीय दंड विभाग (IPC, 45, 186) की धारा-21 में परिभाषित वाला लोकसेवक;
(xxxviii)"सार्वजानिक बाजार" या "सार्वजानिक मेला" का तात्पर्य है इस अधिनियम की धारा-83 के अधीन अधिसूचित यथास्थिति कोई बाजार अथवा मेला;
(xxxix) "सार्वजनिक संपत्ति" यथा "सार्वजानिक भूमि" का तात्पर्य है ऐसे सार्वजनिक भवन, बाग, बगीचा अथवा अन्य स्थान से है, जहाँ तत्समय जनता चाहे कोई भुगतान करके अथवा अन्य प्रकार से उपयोग कर सकती है अथवा वहाँ जाने की अनुमति प्राप्त हो;
(xxxx) "सार्वजनिक सड़क" का तात्पर्य है कोई ऐसी सड़क, पगडण्डी, मार्ग, चौड़ा, पटरी या रास्ता जिससे जनता को आने-जाने का अधिकार हो;
(xxxxi) "सहकारी समिति" का तात्पर्य है राज्य सरकार द्वारा तत्संबंधी अधिनियम में वर्णित समिति;
(xxxxii) "स्थायी समिति" का तात्पर्य है, इस अधिनियम के अधीन गठित स्थायी समिति;
झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम, 2001
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