अध्याय- 3
पंचायतों का गठन (झारखण्ड)
धारा 11
पंचायतों का गठन- इस अधिनियम के उद्देश्यों के लिए
1. ग्राम के लिए ग्राम पंचायत
2. प्रखण्ड के लिए पंचायत समिति
3. जिला के लिए जिला परिषद् का गठन किया जाएगा।
टिप्पणी (धारा-11)
1. त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था धारा (11) में पंचायत राज व्यवस्था को तीन स्तरों पर स्थापित कर के पंचायतों की स्थापना की गयी है। विधि द्वारा पंचायत राज प्रणाली की महत्त्वपूर्ण आधारभूत इकाई ग्राम पंचायत और उसके क्षेत्र के भीतर समविष्ट ग्राम सभा की स्थापना से पंचायत राज व्यवस्था में विनिर्दिष्ट ग्राम की प्रशासनिक एवं विकास कर में सहभागिता सुनिश्चित की गयी है और ग्राम पंचायत को पंचायत समिति से एवं पंचायत समिति को जिला परिषद् से जोड़ा गया है। किन्तु इनका स्वतंत्र अस्तित्व है एवं अलग-अलग क़ानूनी निकाय है, तथा इनके अलग-अलग कृत्य है।
धारा 12
ग्राम पंचायत
प्रत्येक ऐसे ग्राम के लिए जो धारा (3) के अंतर्गत इस अधिनियम के उद्देश्यों के लिए ग्राम के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है, एक ग्राम पंचायत होगी।
[प्रत्येक ऐसा ग्राम जो धारा 2(ii) के अंतर्गत इस अधिनियम के उद्देश्यों के लिए ग्राम के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है, एक ग्राम पंचायत के अंतर्गत होगा। ]
धारा 13
ग्राम पंचायत क्षेत्र की घोषणा
1. राज्य सरकार के किसी सामान्य या विशेष आदेश के अध्यधीन जिला दंडाधिकारी जिला गजट में अधिसूचना निकालकर किसी स्थानीय क्षेत्र को जिसमें कोई गाँव या निकटस्थ गाँव /टोलों के समूह या उसका कोई भाग हो, ग्राम पंचायत क्षेत्र घोषित कर सकेगा, जिसके क्षेत्र की जनसँख्या सम्पूर्ण राज्य के लिए यथासंभव पांच हजार के निकटतम होगी।
2. सबसे अधिक जनसँख्या वाले ग्राम का नाम पंचायत के रूप में विनिर्दिष्ट किया जायेगा।
3. जिला दंडाधिकारी, सम्बंधित ग्राम पंचायत के अनुरोध पर या अन्यथा और प्रस्ताव के पूर्व प्रकाशन के पश्चात् अधिसूचना द्वारा किसी भी समय-
(क) किसी पंचायत के क्षेत्र में किसी गाँव या गांवों/टोलों के समूह को सम्मिलित करके या उससे निकालकर परिष्कार कर सकती है।
(ख) पंचायत क्षेत्र के नाम में परिवर्तन कर सकती है या यह घोषणा कर सकती है कि कोई क्षेत्र पंचायत क्षेत्र नहीं रह गया हैक्षेत्र में किसी गाँव या गांवों/टोलों के समूह को सम्मिलित करके या उससे निकालकर परिष्कार कर सकती है।
4. राज्य निर्वाचन आयोग स्वप्रेरणा से अथवा किसी व्यथित व्यक्ति से लिखित अभ्यावेदन प्राप्त होने पर यदि इस राय का हो कि ऐसा करने के लिए पर्याप्त कारण हैं तो उपधारा (1), (2) और (3) के अधीन घोषित किसी ग्राम पंचायत की वैधिकता एवं औचित्य का पुनर्वलोकन कर सकेगा और इस निमित्त संगत अभिलेखों की मांग कर सकेगा तथा ऐसा आदेश पारित कर सकेगा जो इस अधिनियम के प्रावधानों के अध्यधीन आयोग उचित एवं युक्तियुक्त समझे;
परन्तु यह कि अधिनियम की धारा 66 (4) के अधीन राज्यपाल द्वारा पंचायत निर्वाचन को तिथि अधिसूचित किए जाने की पश्चात् आयोग ऐसे किसी नए मामलों पर विचार नहीं करेगाक्षेत्र में किसी गाँव या गांवों/टोलों के समूह को सम्मिलित करके या उससे निकालकर परिष्कार कर सकती है।
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