Tuesday, August 29, 2023

अध्याय-४ समूह/ग्राम संगठन/संकुल संघ को प्राप्त होने वाली निधियाँ


अध्याय-४ 
समूह/ग्राम संगठन/संकुल संघ को 
प्राप्त होने वाली निधियाँ


        स्वयं सहायता समूह बचत के अलावा बैंक से ऋण भी प्राप्त करेंगें। हम एन.आर.एल.एम. से अपने संस्थाओं स्वयं सहायता समूह, ग्राम संगठन, सकुल स्तरीय संघ के लिए भी निधि प्राप्त करेंगें। 

        सामान्यत: सदस्य समूह से निधि ऋण के रूप में प्राप्त वापसी करते हैं; जिसका उपयोग सदस्यों के द्वारा अपनी विभिन्न जरूरतों जैसे उपभोग, कर्ज वापसी, आपातकाल के समय, स्वास्थ्य, शिक्षा, संपत्ति निर्माण, जीविकोपार्जन को बढ़ाने आदि में किया जाता है। हम इन निधियों का उपयोग जोखिम लेने में एवं जोखिम को दूर करने में करते हैं। 

४.१ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से निधि प्राप्त करना:-

        संस्थाओं के पंजीकरण हेतु राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से उत्प्रेरक निधि प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से स्वयं सहायता समूह हेतु रिवाल्विंग फण्ड एवं ग्राम संगठन स्तर पर सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.), जोखिम निवारण निधि तथा संकुल स्तरीय संघ स्तर पर सामुदायिक निवेश निधि -सीड कैपिटल एवं जीविकोपार्जन  निधि प्राप्त की जाती है।  स्वयं सहायता समूह 2,500/- रूपये, ग्राम संगठन 
75,000/- रूपये एवं संकुल स्तरीय संघ 3.5 लाख गठन पुनर्गठन के समय स्टार्ट अप निधि भी प्राप्त कर सकते हैं।

4.2 रिवाल्विंग फण्ड (रूपये 15,000) प्रति स्वयं सहायता समूह :-

    रिवाल्विंग  फण्ड प्राप्त करने के मानकों को पूरा करने वाले एवं श्रेणीकरण समूह के रिवाल्विंग फण्ड आवेदन प्राप्त होने के बाद सीधे समूह के बैंक बचत कहते में यह फण्ड हस्तांतरित किया जाता है। रिवाल्विंग फण्ड हेतु निम्न मानक हैं:-

1. पंचसूत्र का पालन करने वाले A एवं B श्रेणी के समूह 
2. समूह द्वारा पिछले 3-4 महीनों में (12 सप्ताह) से पंचसूत्र का पालन नियमित रूप से किया जाना चाहिए:-

* समूह की बैठकों में सदस्यों की उपस्तिथि कम से कम 90% होनी चाहिए।

*समूह में नियमानुसार निर्धारित नियमित साप्ताहिक बचत होनी चाहिए।

* समूह में की जा रही बचत की राशि का नियमित आंतरिक लेनदेन होना चाहिये।

* समूह में नियमित रूप से ऋण की वसूली करनी चाहिए और स्वयं सहायता समूह स्तर पर ऋण वापसी का प्रतिशत कम से कम 90% होना चाहिए। 

* स्वयं सहयता समूह के लेखांकन हेतु एक प्रशिक्षित लेखाकार रखना होगा एवं समूह के      लेखांकन पुस्तिकाओं (कार्यवाही पुस्तिका, रोकड़ बही, सामान्य खाता बही, बचत पुस्तिका, ऋण पुस्तिका) का सही तरीके से नियमित लेखांकन किया जायेगा।

* समूह का बैंक बचत खाता निकटतम बैंक शाखा में खुला होना चाहिए।

* समूह के सभी सदस्यों को स्वयं सहायता समूह की अवधारणा, समहू प्रबंधन और पंचसूत्र पर     तीन दिवसीय सदस्य स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त होना चाहिए।

* सभी समूह सदस्यों में एक वचनबद्धता होनी चाहिए कि बचत के साथ-साथ रिवाल्विंग फण्ड का उपयोग आंतरिक ऋण समूह के लिए किया जायेगा। रिवाल्विंग फण्ड प्राप्त करने के पश्चात् अपनी सभी बैठकों में पंचसूत्र, समूह का बेहतर प्रबंधन और वित्तीय नियमों को जारी रखना होगा। 

सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.)

सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.- कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फण्ड)

4.3  सी.आई.एफ. क्या है?

        स्वयं सहायता समूहों को सी. आई. एफ. की धनराशि समूह के सदस्यों की क्रेडिट की जरुरत को पूरा करने के लिए उपलब्ध कराया जायेगा जिसे समूह के सदस्य अपने उपभोग की जरुरत, उत्पादन सम्बंधित जरूरतों/ जीविकोपार्जन जरुरत एवं संपत्ति निर्माण की जरुरत को पूरा करने हेतु उपयोग करेंगें। सी.आई.एफ़. की राशि स्वयं सहायता समूहों को सिर्फ इन्वेस्टमेंट विकास खण्डों में उपलब्ध करायी जायेगी। 

4.4 सी.आई.एफ. की राशि :-
        ऐसे समूह जो सी.आई.एफ. प्राप्त करने के मापदंडों को पूरा करेंगें एवं समूह का सूक्ष्म योजना (माइक्रो प्लान) तैयार करेंगें उन्हें प्रति समूह 1,10,000/ (एक लाख दस हजार) की राशि उपलब्ध कराई जायेगी, जो समूह को ऋण के रूप में दी जायेगी। 

4.5 सी.आई.एफ. प्राप्त करने के मापदंड:-

* स्वयं सहायता समूह की उम्र 6-8 माह हो।

* स्वयं सहायता समूह 6-8  माह से पंच सूत्र का पालन कर रहा हो। 

* स्वयं सहायता समूह के द्वारा माइक्रो प्लान (सूक्ष्म नियोजन) तैयार किया गया हो। 

*समूह द्वारा बचत की राशि एवं रिवाल्विंग फण्ड की राशि का उपयोग आंतरिक लेन-देन के रूप में पिछले ६ माह से सदस्यों के बीच में उनकी जरुरत को पूरा करने के लिए किया जा रहा हो। 

* समूह के सदस्यों को माइक्रो प्लान प्रशिक्षण दिया गया हो। 

*समूह द्वारा कमिटमेंट देना होगा कि सी.आई.एफ. प्राप्त होने के बाद भी समूह द्वारा पंचसूत्र का पालन किया जायेगा तथा समूह प्रबंधन एवं वित्तीय नियमों का पालन किया जायेगा। 

4.6 सी.आई.एफ. प्राप्त करने की प्रक्रिया:-

* समूह को 5 माह की अवधि तक माइक्रो प्लान योजना पर प्रशिक्षण करवाना। 

* समूह को प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के बाद माइक्रो प्लान प्रक्रिया की शुरुवात करनी चाहिए।

* माइक्रो प्लान प्रक्रिया के अनुसार समूह को माइक्रो प्लान तैयार करना। 

* समूह का आंकलन प्रपत्र/ग्रेडिंग करना। 

* समहू द्वारा तैयार माइक्रों प्लान का एप्रेजल करना। 

4.7 माइक्रो प्लान तैयार करने की प्रक्रिया:- 

माईक्रो प्लान तैयार करने की प्रक्रिया:-

* समहू का माइक्रो प्लान तैयार करने हेतु यह देखना होगा कि दिए गए मापदंडों को समूह पूर्ण कर रहा है की नहीं। सुनिश्चित करना होगा कि माइक्रो प्लान प्रक्रिया में समूह के सभी सदस्यों की भागीदारी हो। 

* माइक्रो प्लान तैयार करने से पूर्व ही सही जगह का चुनाव करना जहाँ समूह के सभी सदस्य भागीदारी कर सकें। 

*माइक्रो प्लान तैयार करने के दौरान  की प्रक्रिया- माइक्रो प्लान, प्रक्रिया शुरू होने के 2-3  दिनों के अन्दर पूर्ण कर ली जायेगी अर्थात् माइक्रो प्लान तैयार करने में 2-3 दिनों का समय लगेगा। 

* समूह के सभी सदस्यों की उपस्थिति में माइक्रो प्लान के उद्देश्य के बारे में चर्चा करना। 

* समूह   के सदस्यों द्वारा सभी सदस्यों के परिवार के प्रोफाइल के बारे में चर्चा करना 
(जैसा परिवार क सदस्य, शिक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, क्रियाकलाप, उपलब्ध स्त्रोत, संपत्ति, दायित्व/जिम्मेदारियां, सरकारी सुविधाओं के बारे में जानकारियां, खाद्य सुरक्षा, के मुद्दे इत्यादि)

* समूह के सदस्यों द्वारा सदस्यों के प्रोफाइल तैयार करने पर चर्चा। 

* समूह के सभी सदस्यों द्वारा भविष्य की योजना के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करना। 

* समूह के सभी सदस्यों द्वारा अपने परिवार की योजना (वर्तमान की योजना एवं भविष्य की योजना) परिवार के सभी सदस्यों से चर्चा के उपरान्त तैयार करना। 

* समूह के सदस्यों द्वारा अपने-अपने योजना का प्राथमिकीकरण करना। 

* समूह के सदस्यों द्वारा समूह की जरूरतों को पूरा करने हेतु उपलब्ध स्त्रोत के बारे में चर्चा करना। 

* सूक्ष्म नियोजन प्रक्रिया करवाने वाले व्यक्ति द्वारा समूह के सभी सदस्यों एवं समूह के रूप में सम्पूर्ण एवं विस्तृत चर्चा के बाद सभी जानकारियों को माइक्रो प्लान प्रारूप पर लिखना एवं भरना। 

* समूह के द्वारा तैयार माइक्रो प्लान को समूह द्वारा एप्रेजल करने हेतु ग्राम संगठन/प्री-लूज फेडरेशन/ऋण समिति के पक्ष में आवेदन करना।

4.8 माइक्रो प्लान एप्रेजल एवं CIF राशि को प्रदान करना:- 

        माइक्रो प्लान का एप्रेजल, जहाँ ग्राम संगठन का गठन नहीं हुआ है या ऐसे समूह जो ग्राम संगठन से नहीं जुड़ें हैं:-

* इस स्थिति में ग्राम स्तर पर सभी समूह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान को SRLM द्वारा गठित एप्रेजल समिति द्वारा एप्रेस किया जायेगा जिसमें 3-5 समूह प्रतिनिधि भी रहेंगें।

* समूह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान एप्रेजल बैठक करेंगी एवं सुनिश्चित करेंगीं कि समूह द्वारा प्रस्तुत/जमा किये गए माइक्रो प्लान का एप्रेजल समिति के सभी सदस्यों की उपस्थिति में उपयुक्त वर्णित प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।

* समिति प्रत्येक 15 दिनों में एप्रेजल हेतु बैठक करेंगीं  एवं सुनिश्चित करेंगीं कि समूह द्वारा प्रस्तुत/जमा किये गए माइक्रो प्लान का एप्रेजल 15 दिनों में किया जाये।

* माइक्रो प्लान के एप्रेजल प्रक्रिया के दौरान सम्बंधित समूह जिसका माइक्रो प्लान एप्रेजल हेतु प्रस्तुत किया गया है उसके प्रतिनिधि एप्रेजल के दौरान  उपस्थित रहे।

* समूह के माइक्रो प्लान का एप्रेजल होने के बाद एप्रेजल समिति द्वारा DMMU को सम्बंधित समूह CIF की राशि प्रदान करने हेतु अनुमोदन भेज दिया जायेगा। 

* एप्रेजल समिति द्वारा  प्रस्तुत अनुमोदन के आधार पर DMMU द्वारा CIF की राशि को सीधे सम्बंधित समूह के बचत खाते में RTGS के माध्यम से हस्तांतरित कर दी जायेगी। 

* माइक्रो प्लान का एप्रेजल जहाँ ग्राम संगठन का गठन हो चूका है या ऐसे समूह जो ग्राम संगठन से जुड़ें हैं:- 

इस स्थिति में समूह द्वारा तैयार माइक्रो प्लान को एप्रेजल हेतु ग्राम संगठन के सामने प्रस्तुत किया जायेगा। 

* समूह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान का एप्रेजल ग्राम संगठन के सामने प्रस्तुत किया जायेगा। 

* समूह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान का एप्रेजल ग्राम संगठन द्वारा (मिशन के स्टाफ़ के सहयोग) से उपरोक्त वर्णित प्रक्रिया को ध्यान में रखकर किया जायेगा। 

* माइक्रो प्लान के एप्रेजल की प्रक्रिया के दौरान सम्बंधित समूह जिसका माइक्रो प्लान एप्रेजल हेतु प्रस्तुत किया गया है उसके प्रतिनिधि एप्रेजल के दौरान उपस्थित रहें।

* ग्राम संगठन को समयह द्वारा प्रस्तुत माइक्रो प्लान का एप्रेजल 7 दिनों के अन्दर करके विकास खण्ड मिशन प्रबंधक इकाई के माध्यम से सम्बंधित इकाई में प्रस्तुत करना होगा। 

* ग्राम संगठन द्वारा प्रस्तुत अनुमोदन एवं आवेदन के आधार पर DMMU द्वारा CIF की राशि 7 दिनों के अन्दर सीधे ग्राम संगठन के बचत खाते में हस्तांतरित कर दी जायेगी।

* ग्राम सब्ग्थान के द्वारा 7 दिनों के अन्दर सम्बंधित समूह जिसके लिए CIF की राशि ग्राम संगठन के बचत खाते में आ गई है उस खाते में CIF की राशि हस्तांतरित कर दिया जायेगा। 

माइक्रो प्लान एप्रेजल करने के आधार बिंदु :-

* समूह द्वारा दिए गए प्रारूप पर सभी सूचनाएं सही उपलब्ध करायी हों। 

* माइक्रो क्रेडिट की प्रक्रिया में समूह के सभी सदस्यों की भागीदारी होनी चाहिए। 

* समूह के अति गरीब सदस्यों की जरूरतों को प्राथमिकता दी गई हो। 

* समूह के सभी सदस्यों को अपने इन्वेस्टमेंट योजना को लागू करने की पूर्ण जानकारी एवं क्षमता/योग्यता हो। 

* समूहों के सदस्यों द्वारा माइक्रो प्लान में किये जन वाले क्रियाकलापों में योगदान होना चाहिए। 

            उपरोक्त मानक ले आधार पर एप्रेजल समिति/ग्राम संगठन द्वारा अनुमोदित माइक्रो प्लान को DMMU द्वारा समूह/ग्राम संगठन को CIF की राशि निर्गत करनी चाहिये। 

4.10 CIF निर्गत होने के बाद प्रक्रिया एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र:-

* अगर समूह ग्राम संगठन से जुड़ा हुआ नहीं है/ग्राम संगठन नहीं बना है  उस स्थिति में एप्रेजल माइक्रो प्लान के आधार पर CIF की राशि का उपयोग हो रहा है, कि नहीं का निरीक्षण करेंगी एवं CIF की राशि का उपयोग होने केबाद उपयोगिता प्रमाण पत्र को ब्लॉक प्रबंधन इकाई में जमा करेंगीं। 

* अगर समूह ग्राम संगठन से जुड़ा है/ ग्राम संगठन बना है उस स्थिति में ग्राम संगठन स्तर पर गठित स्वयं सहायता समूह निरीक्षण उप समिति माइक्रो प्लान के आधार पर CIF की राशि का उपयोग को रहा है कि नहीं, का निरीक्षण करेगी एबम CIF की राशि का उपयोग होने के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र को खण्ड प्रबंधन ईकाई में जमा किया जायेगा। 

* उपयोगिता प्रमाण पत्र को ब्लॉक प्रबंधन ईकाई में जमा करना वैकल्पिक होगा यह SRLM की जरुरत के आधार पर किया जायेगा। 

4.10 CIF की राशि का वापसी नियोजन एवं ब्याज दर :-

जैसा कि हम जानते हैं कि CIF क्लस्टर स्तर फेडरेशन पर कार्पस के रूप में दी जायेगी जो की क्लस्टर स्तर फेडरेशन से ग्राम संगठन, ग्राम  संगठन से समूह एवं समूह से सदस्यों तक ऋण के रूप में जायेंगी। CIF की राशि का वापसी नियोजन एवं ब्याज दर का प्रवाह निम्न होगा:-


4.11 सूक्ष्म नियोजन:-

        सुक्ष्म नियोजन स्वयं सहायता समूह के सदस्यों के सदस्यों एवं उनके परिवार की जीविकोपार्जन सम्बंधित जरूरतों, सामाजिक मुददों, आर्थिक जरुरत सम्बन्धी मुद्दों, सरकारी अधिकार सम्बन्धित/इनटाइटलमेंट सम्बंधित मुद्दे, सुरक्षा जाल सम्बन्धी मुद्दों की पहचान एवं उनकी अभिलाषा/महत्वकांक्षा समझने की प्रक्रिया है। 

        अन्य शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि स्वयं सहायता समूह के सदस्यों द्वारा अपनी जरूरतों की पहचान करना एवं उनके पास उपलब्ध संसाधनों के आधार पर अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार की जा रही योजना की एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया है जिसमें समूह के सभी सदस्य एवं सदस्यों के परिवार के सदस्य भी सम्मिलित होते हैं। 

4.12 सूक्ष्म नियोजन के उद्देश्य:-

* संसाधन का विकास कर उनके सर्वोत्तम प्रयोग करने हेतु निर्णय क्षमता का विकास। 

* व्यक्तियों की क्षमता तथा उनसे सम्बंधित सामुदायिक संस्थाओं को मजबूती प्रदान करना। 

* समूह के सभी व्यक्तियों के ऋण सम्बंधित आवश्यकताओं की पहचान करना एवं उनकी पूर्ति करना। 

* स्थायी एवं अस्थायी आवश्यकताओं की पूर्ति। 

* अन्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण की सुविधा प्राप्त करना। 

* समूह के सदस्यों की आवश्यकता के अनुसार प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करना। 

* स्वयं सहायता समूह के वित्तीय प्रबंधन कौशल को विकसित करना। 

* सामाजिक मुद्दो की पहचान करना एवं उनमें सभी की भागीदारी सुनिश्चित करना। 

4.13 सूक्ष्म नियोजन के चरण 

चरण 1- स्वयं सहायता समूह का विवरण:-

* समूह का नाम, समूह का पता, समूह में वर्गवार सदस्यों की संख्या। 

* बैंक बचत खाता एवं विवरण, समूह का वित्तीय विवरण। 

* सामाजिक कार्य, जीविकोपार्जन सम्बंधित किये गए कार्य। 

* समूह द्वारा प्राप्त प्रशिक्षण आदि। 

चरण-2 स्वयं सहायता समूह के सदस्यों के बारे में जानकारी का समावेश:-

* समूह के सदस्यों के परिवार का विवरण एवं उनके व्यवसाय।

* सदस्यों की संपत्ति का विवरण जैसे, जमीन, मवेशी, मकान, विवरण आदि। 

* सरकारी सुविधाओं की प्राप्ति जैसे, जॉब कार्ड, राशन कार्ड BPL  कार्ड आदि। 

* समूह के सदस्यों के परिवारों की आरक्षिता। 

चरण-3 स्वयं सहायता समूह के सदस्य के परिवार का आय एवं व्यय का विवरण। 

* परिवार स्तर पर आय एवं व्यय के स्त्रोत 

* परिवार के दायित्व-कर्ज आदि। 

* समूह के सदस्यों के परिवार की जीविकोपार्जन क्रियाकलाप से सम्बंधित विवरण। 

चरण-4 पारिवारिक निवेश योजना 
(सदस्यों द्वारा किये जाने वाले आर्थिक का ब्यौरा एवं आंकलन)

* ऋण का उद्देश्य, आवश्यकता पूर्ति हेतु ऋण की राशि की जरुरत। 

* सदस्यों द्वारा अंशदान, स्वयं सहायता समूह के अपेक्षित राशि। 

* परिवार की मासिक आय। 

* ऋण वापसी योजना। 

* सदस्यों का समूह में प्रदर्शन बचत, ऋण वापसी, उपस्थिति आदि। 

चरण-5 समूह के सदस्यों की जरूरतों का प्राथमिकीकरण 
(पारिवारिक निवेश योजना के आधार पर)

* समूह द्वारा समूह की अत्यंत गरीब सदस्यों को प्राथमिकता दी जायेगी। 

* आपातकालीन/अत्यधिक जरुरत को प्राथमिकता दी जायेगी जैसे- स्वास्थ्य सम्बंधित जरुरत, शिक्षा सम्बंधित जरुरत आदि। 

* समूह के सदस्यों को प्राथमिकता दी जायेगी  तत्पश्चात समूह के प्रतिनिधियों को प्राथमिकता दी जायेगी। 

चरण-6 ऋण चक्रीकारन योजना प्राथमिकीकरण के आधार पर 

चरण-7 मुद्दे एवं समाधान 
(संसाधनों एवं जरूरतों से सम्बंधित मुद्दों पर निर्णय)

समूह के सदस्यों के बीच विस्तृत चर्चा के बाद के मुद्दे:-

* जीविकोपार्जन सम्बंधित मुद्दे- उपभोग की जरूरतें, उत्पादन संबंधित जरूरतें, संपत्ति निर्माण सम्बंधित जरूरतें। 

* सामाजिक मुद्दे। 

* प्रशिक्षण एवं क्षमतावर्धन सम्बंधित मुद्दे। 

संसाधनों एवं जरूरतों सम्बंधित मुद्दों पर निर्णय:-

* स्वयं सहायता समूह स्तर पर। 

* ग्राम संगठन स्तर पर। 

* अन्य भागीदार के स्तर पर। 

*************
स्त्रोत- उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रेरणा लघु मार्ग दर्शिका २०२०

Monday, August 28, 2023

संगोष्ठी - चलें! गाँव की ओर का आयोजन


            आज दिनाँक 27 अगस्त 2027 को चंदौसी आवास विकास साईं एक्ससिलेंट कोचिंग सेंटर में गुड़-गोबर शोध संस्थान एवं श्रीराम मोहन सेवा आश्रम के  तत्वावधान में "चलें! गाँव की ओर" विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. तुमुल विजय शास्त्री ने की । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. प्रशान्त कुमार मिश्र ने कहा कि भारत देश के युवाओं को अपने गाँव को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की आवश्यकता है, गाँव में ही संसाधन जुटाने की आवश्यकता है न कि अपने पैतृक  गाँव से नौकरी की तलाश में शहर की ओर पलायन करने की।


         कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अनिल दुबे ने ऑर्गेनिक फार्मिंग और प्रोडक्ट के प्रति सभी को जागरूक किया। विशिष्ट अतिथि तेजभान सिंह जी ने गाय और प्रकृति के साथ जुड़कर रहने के लिए सचेत किया। कार्यक्रम का संचालन दुर्गा टंडन ने किया। 




        इस अवसर पर भारत विकास परिषद के नगर अध्यक्ष एस. एन. शर्मा, डॉ. टी. एस पाल, विकास मिश्र, मनीष शर्मा, अरविंद मिश्र, पार्षद शहवाज, दिलीप नगीना, योगेंद्र कुमार, अशोक मिश्र, पवन कुमार अग्रवाल, काशीनाथ, प्रेम ग्रोवर, पवन कुमार अग्रवाल, आदि उपस्थित रहे।

समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर 






























आमंत्रण-पत्र 


Wednesday, August 23, 2023

अध्याय-३ संकुल स्तरीय संघ Chapter-3 Cluster Level Federation CLF

 अध्याय-३

 संकुल स्तरीय संघ

        ग्राम संगठन के बाद संकुल स्तरीय संघ तृतीय स्तर की संस्था होगी। प्रत्येक संकुल (क्लस्टर) के अंतर्गत आने वाले समस्त ग्राम संगठनों को मिलाकर संकुल स्तरीय संघ का निर्माण किया जायेगा। संकुल स्तरीय संघ हमें अपने हक एवं अधिकार प्राप्ति के लिए एक व्यापक मंच प्रदान करेगा।

        संकुल के ग्रामों में प्रथम ग्राम संगठन के गठन के ३ से ४ माह के बाद संकुल स्तरीय संघ का गठन करेंगें। संकुल स्तरीय संघ का गठन कम से कम ५ ग्राम संगठन के साथ किया जा सकता है। प्रत्येक संकुल स्तरीय संघ में अधिकतम ३० ग्राम संगठन हो सकते हैं। संकुल स्तरीय संघ अपने तय उपनियम के तहत सामान्य निकाय, कार्यकारिणी समिति एवं चयनित पदाधिकारियों के सहायता से अपने दिन प्रतिदिन के कार्य सम्पादित करेगा।   


३.२ संकुल स्तरीय संघ की मुख्य जिम्मेदारी :-

१. ग्राम संगठन को ग्राम में छुटे समस्त गरीबों को समूह के साथ जोड़ते हुए ग्राम को संतृप्त करने में मदद करना।

२. ग्राम संगठनों की निगरानी एवं अनुश्रवण करना।

३. ग्राम संगठनों का श्रेणीकरण करना, सूक्ष्म ऋण नियोजन (एम.सी.पी.) के आधार पर ग्राम संगठन को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना। 

४. समस्त ग्राम संगठनों का क्षमता निर्माण करना ताकि वे सतत् विकास करते हुए आत्मनिर्भर हो सकें।

५. समूहों के सूक्ष्म ऋण नियोजन (माइक्रो)  क्रेडिट प्लानिंग) में सहायता उपलब्ध करना एवं समूहों की सामाजिक निवेश निधि एवं बैंक लिंकेज से जुड़ाव में मदद करना।

६. ग्राम संगठनों को जोखिम न्यूनीकरण कार्ययोजना/अभिसरण (कन्वर्जेन्स) की कार्ययोजना का निर्माण एवं क्रियान्वयन में सहायता करना।

७. समूहों के सदस्यों को उनके हक, अधिकारों, बीमा एवं अन्य योजनाओं की जानकारी देना एवं उनसे लाभान्वित करना।

८. सदस्यों को बीमा एवं सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ते हुए उनके स्व प्रबंधित संस्थान का निर्माण करना।

९. समूहों एवं ग्राम संगठनों के लिए आवश्यकतानुसार कोष का प्रबंध करना।

१०. आवश्यतानुसार सामुदायिक कैडर का चयन, प्रशिक्षण एवं प्रबंधन।

११. समूह एवं ग्राम संगठन के सदस्यों, पदाधिकारियों, सामुदायिक कैडर का क्षमता निर्माण।

१२. समुदाय आधारित प्रशिक्षण केंद्र प्रबंधन।

१३. समूह  एवं ग्राम संगठन को समुदाय आधारित खरीद प्रक्रिया (प्रोक्योरमेंट) में मदद करना।

१४. समूह एवं ग्राम संगठन को सामूहिक रूप से लिंग भेद आधारित मुददे सामाजिक मुददे, जीविकोपार्जन के मुददे, आदि पर कार्य करना।

१५. समूह एवं ग्राम संगठन के सदस्यों को ग्राम सभा, आम सभा, महिला सभा में प्रतिभाग करने हेतु प्रोत्साहित।

१६. समूह एवं संगठन के सदस्यों का क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, उन्मुखीकरण, अंकेक्षण इत्यादि आवश्यकतानुसार करवाते रहना।

१७. समूह एवं ग्राम संगठन को विभिन्न मंचों जैसे ग्राम पंचायत, विकास खण्ड स्तर बैंकर्स कमेटी, अभिसरण कमेटी ,में प्रतिनिधित्व करना।

१८. समूह एवं ग्राम संगठन के सदस्यों को समहों के माध्यम से गरीबी से बाहर आने की प्रक्रिया का अनुश्रवण एवं अभिलेखीकरण।

१९. संकट निवारण कार्ययोजना एवं समावेशन कार्ययोजना का निर्माण कर उन्हें लागू करवाना।

२०. समस्त सदस्यों को अपने अनुभवों एवं समस्याओं को साझा करने का मंच प्रदान करना।


३.३ संकुल स्तरीय संघ की संरचना:-

        प्रत्येक  संकुल के अंतर्गत आने वाले समस्त ग्राम संगठन स्वतः ही संकुल संघ के सामान्य निकाय के सदस्य होंगें। ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति अपने संकुल स्तरीय संघ के सामान्य निकाय में प्रतिनिधित्व करेंगीं। प्रत्येक ग्राम संगठन से २ पदाधिकारी (अध्यक्ष एवं सचिव) संकुल स्तरीय संघ के कार्यकारिणी समिति के सदस्य होंगें। संकुल स्तरीय संघ की कार्यकारिणी समिति अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों को सम्पादित करने के लिए अपने में से ही पदाधिकारियों का चयन करेगी। संकुल स्तरीय संघ को राज्य के  अंतर्गत आने वाले अधिनियम के अनुसार पंजीकरण कराने का निर्णय लेंगें। संकुल स्तरीय संघ के उपनियम का निर्माण करेंगें एवं उसका पालन करेंगें । संकुल स्तरीय संघ का कार्यालय ऐसे जगह खोलेंगें जहाँ बैंक हो एवं सभी सदस्यों को आने-जाने की सुविधा हो।  

सामान्य निकाय :-

        संकुल में आने वाले प्रत्येक ग्राम संगठन के कार्यकारिणी समिति मिलकर संकुल स्तरीय संघ के सामान्य निकाय का गठन करेंगें। 

        संकुल स्तरीय संघ गठन के आरंभिक काल में सामान्य  निकाय की बैठक प्रत्येक तिमाही में करेंगें एवं समय के साथ इस बैठक को कम से कम साल में एक  या दो बार किया करेंगें।

        हमारी संकुल स्तरीय संघ की सामान्य निकाय की बैठक का एजेन्डा निम्नवत होगा जिसे आवश्यकतानुसार बदल सकते हैं:-

१. प्रार्थना एवं परिचय

२. पिछले सामान्य निकाय की कार्यवाही को कार्यवाही पंजिका से पढ़ कर सबको सुनाना।

३. ग्राम में छुटे समस्त निर्धनों को समूह के साथ जोड़ते हुए ग्राम को संतृप्त करने पर समीक्षा।

४. पिछले सामान्य निकाय के बाद हुई प्रगति की समीक्षा।

५. ग्राम संगठन की कार्यकारणी समिति, उपसमिति, सामुदायिक कैडर की समीक्षा।

६. पिछले सामान्य निकाय के बाद किये गए खर्च  की समीक्षा।

७. आवश्यकतानुसार कार्य योजना/बजट का अनुमोदन। 

८. आवश्यकतानुसार उपनियम में संशोधन।

९. समूह के द्वारा किये गये अच्छे कार्यों को साझा करने का मंच।

१०. समूह के द्वारा किये गए कार्यों की समीक्षा।

        संकुल स्तरीय संघ की सामान्य निकाय की बैठक का संचालन संकुल स्तरीय संघ के अध्यक्ष के द्वारा किया जायेगा। हम अपने सामान्य निकाय के सदस्यों को सामान्य निकाय की बैठक किये जाने की तिथि से कम से कम ३ दिन पूर्व में सूचना देंगें। हम अपने सामान्य निकाय की बैठक में अपने बैंक के अधिकारियों, पंचायती राज संस्थान के प्रतिनिधियों को भी बुला सकते हैं।


३.४ कार्यकारिणी समिति : -

    संकुल स्तरीय संघ के सामान्य निकाय में आने वाले प्रत्येक ग्राम संगठनों से २ पदाधिकारी (अध्यक्ष एवं सचिव) संकुल स्तरीय संघ के कार्यकारिणी समिति का गठन करेंगें। इस कार्यकारिणी समिति की बैठक माह में कम से कम एक बार अवश्य होगी।

        संकुल स्तरीय संघ की कार्यकारिणी समिति अपने दिन प्रतिदिन के कार्यों के लिए अपने में से पदाधिकारियों का चयन करेगी। संकुल स्तरीय संघ की कार्यकारिणी समिति अपने कार्यों का सुचारू रूप से क्रियान्वयन क्ले लिए उपसमिति का गठन भी करेगी एवं अपने उपसमिति के सदस्य मनोनीत कर अपने सामान्य निकाय से अनुमोदन करायेगी। कार्यकारिणी समिति अपने वार्षिक/अर्धवार्षिक कार्य योजना का निर्माण कर उसे अपने सामान्य निकाय से अनुमोदित करवाएगी एवं अपने पदाधिकारियों एवं उप समिति के सदस्यों के संग मिलकर अनुमोदित कार्य योजना को क्रियान्वयन करेगी। कार्यकारिणी समिति अपने आडिटर का चयन कर उसे अपने सामान्य निकाय से अनुमोदित करवाएगी।


३.५  संकुल स्तरीय संघ की कार्यकारिणी समिति के मुख्य कार्य: -

१. नये सदस्यों को जोड़ना (सदस्यों का निष्कासित करने का अधिकार हमारे सामान्य निकाय का होगा)

२. आवश्यकतानुसार सामुदायिक कैडर, स्वयं सेवकों का चयन एवं नियुक्ति।

३. उपसमिति का गठन।

४. स्वयं सहायता समूह, पदाधिकारियों, सामुदायिक कैडर के कार्यों की समीक्षा।

५. स्वयं सहायता समूह की आवश्यकतानुसार श्रेणीकरण कर समूह के स्व श्रेणीकरण को प्रोत्साहन।

६. संकुल स्तरीय संघ की वार्षिक कार्ययोजना/बजट का निर्माण/क्रियान्वयन/समीक्षा करना। 

७. ग्राम संगठन द्वारा संकुल स्तरीय संघ में जमा किये जाने वाले समस्त शुल्क का निर्धारण।

८. पदाधिकारियों को अधिकृत करना।

९. आडिटर का चयन करना।

        कार्यकारिणी समिति मुख्यतः वार्षिक कार्ययोजना के अनुरूप किये गए कार्यों की समीक्षा करेगी एवं लक्ष्य प्राप्ति के अनुरूप नई रणनीति/कार्ययोजना निर्धारित करेगी।


३.६ संकुल कार्यकारिणी समिति की बैठक का एजेण्डा निम्नवत होगा जिसे आवश्यकतानुसार बदल भी सकती है:-    

१. प्रार्थना 

२. पिछली सामान्य निकाय की कार्यवाही को कार्यवाही पंजिका से पढ़कर सब को सुनाना।

३. ग्राम में छुटे हुए सभी निर्धनों को समूह के साथ जोड़ते हुए ग्राम को संतृप्त करने की समीक्षा।

४.पिछले सामान्य निकाय के बाद हुई प्रगति की समीक्षा।

५. ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति, उपसमिति, सामुदायिक कैडर की समीक्षा 

६. पिछले सामान्य निकाय के बाद किये गए खर्च की समीक्षा

७. आवश्यकतानुसार कार्य योजना/बजट का अनुमोदन

८.आवश्यकतानुसार उपनियम में संशोधन 

९ समूह के द्वारा किये गए अच्छे कार्यों को साझा करने का मंच 

१०.समूह के द्वारा किये गए कार्यों की समीक्षा।


३.७ संकुल स्तरीय संघ के पदाधिकारी :- 

        संकुल स्तरीय संघ की कार्यकारिणी समिति अपने पदाधिकारियों का चयन करेगी। समस्त चयनित पदाधिकारियों का कार्यकाल २ वर्ष के लिए होता है एवं संकुल स्तरीय संघ के उपनियम के अनुसार पदाधिकारियों का नियमानुसार नियमित बदलाव किया जाता है। हमारे ग्राम संगठन के निम्नवत पदाधिकारी होंगें। 

१. अध्यक्ष 

२. उपाध्यक्ष 

३. सचिव 

४. उपसचिव 

५. कोषाध्यक्ष

            पदाधिकारियों में से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सचिव हमारे संकुल स्तरीय संघ को बैंक खाता संचालित करने के लिए अधिकृत होंगी एवं इन तीनों में से कोई दो हमारे संकुल स्तरीय संघ के बैंक खाता का संचालन करेंगीं।


अध्यक्ष के कार्य :-

१. संकुल स्तरीय संघ की कार्यकारिणी समिति एवं प्रतिनिधि निकाय की बैठक की अध्यक्षता करना।

२. संकुल स्तरीय संघ की कार्यकारिणी समिति एवं प्रतिनिधि निकाय बैठक का एजेण्डा निर्धारित करना एवं बैठक क्रियान्वित करवाना।

३. अपने संकुल स्तरीय संघ का विभिन्न मंचों पर प्रतिनिधित्व करना।

४. सुनिश्चित करना कि संकुल स्तरीय संघ अपने उपनियम के अनुरूपक कार्य कर रहा है।

५. संकुल स्तरीय संघ की कार्य योजना का निर्माण एवं कार्य योजना के क्रियान्वयन की निगरानी करना।


उपाध्यक्ष के कार्य :- 

अध्यक्ष के कार्यों में मदद करना एवं अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष के कार्यों को सम्पादित करना।


सचिव के कार्य :-

१. संकुल स्तरीय संघ के प्रतिनिधि निकाय एवं कार्यकारिणी समिति की बैठक समय से करवाना।

२. संकुल स्तरीय संघ के दस्तावेजों एवं संपत्तियों की निगरानी करना।

३. संकुल स्तरीय संघ के दस्तावेजों की नियमित अद्यतन करना।

४. संकुल स्तरीय संघ के प्रतिनिधि निकाय एवं कार्यकारिणी समिति को वार्षिक कार्ययोजना के सापेक्ष किये जा रहे कार्यों से अवगत कराना। 


उपसचिव के कार्य :- 

    सचिव के कार्यों में मदद करना एवं सचिव की अनुपस्थिति में सचिव के कार्यों को सम्पादित करना।


कोषाध्यक्ष के कार्य :-

1. संकुल स्तरीय संघ के समस्त वित्तीय प्रबंधन एवं बैंक सम्बन्धी कार्य।

2. संकुल स्तरीय संघ का समस्त अंकेक्षण करवाना एवं अंकेक्षण एवं वित्तीय रिपोर्ट को ग्राम संगठन की प्रतिनिधि निकाय एवं कार्यकारिणी समिति में प्रस्तुत करना।


३.८  संकुल स्तरीय संघ की उपसमिति :-

        हम अपने संकुल स्तरीय संघ में आवश्यकतानुसार उपसमितियों का गठन करेंगें जो हमारे समूह एवं ग्राम संगठन को प्राप्त होने वाली विभिन्न सेवाओं का क्रियान्वयन एवं निगरानी करने का कार्य करेंगी। संकुल स्तरीय संघ गठित होने पर हम आवश्यकतानुसार निम्नवत उपसमिति का गठन करेंगें:- 


बैंक जुड़ाव (लिंकेज) एवं ऋण वापसी (रीपेमेंट) उपसमिति:-

यह उपसमिति समूह/ग्राम संगठन को बैंक जुड़ाव (लिंकेज) एवं समूह/ग्राम संगठन के ऋण वापसी (रीपेमेंट) में मदद करती है।


सामाजिक कार्य उपसमिति के कार्य:-

        यह उपसमिति सामाजिक समावेश, लिंग भेद आधारित मुद्दे, जोखिम न्यूनीकरण, सामाजिक विकास, अभिसरण (कन्वर्जेन्स) इत्यादि मुददों पर कार्य करती है। यह उपसमिति दिव्यांग, वृद्ध, अति ग़रीब, बच्चों युवकों के विशेष समूहों की विशेष जरूरतों पर कार्य करती है एवं विभिन्न योजनाओं जैसे:- मनरेगा, ग्राम पंचायत विकास योजना, सामाजिक सुरक्षा योजना, सार्वजानिक वितरण प्रणाली से समूहों को जोड़ती है। यह उपसमिति जोखिम निवारण कोष एवं अन्य आपदा निवारण कोष का भी प्रबंधन करती है। यह उपसमिति, घरेलु हिंसा, शौचालय, शराबबंदी, नशा मुक्ति, बच्चों का स्कूल में दाखिला आदि पर भी कार्य करती है।


स्वास्थ्य उपसमिति के कार्य:-

        यह उपसमिति खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य, पेयजल, स्वच्छता के सम्बन्ध में कार्य करेगी एवं सदस्यों को जागरूक करेगी कि अपना एवं परिवार के सदस्यों का अच्छा स्वास्थ्य होने पर इलाज पर व्यय कम होता है एवं परिवार में बचत होती है। यह उपसमिति ए.एन.एम./आशा बहु/आंगनबाड़ी कार्यकत्री/ग्राम पंचायत/ ग्राम पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति/ ग्राम आपदा प्रबंधन समिति के साथ मिलकर कार्य करेगी।     

ग्राम संगठन निगरानी उपसमिति के कार्य:-

        यह उपसमिति ग्राम संगठन एवं समूहों की निगरानी करेगी एवं सुनिश्चित करेगी कि ग्राम के सभी समूह पंचसूत्र का पालन करें। यह उपसमिति समूहों को सूक्ष्म ऋण नियोजन (एम.सी.पी.) का अनुमोदन कर ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति या बैंक को सामुदायिक निवेश निधि या बैंक लिंकेज उपलब्ध करने  के लिए उपलब्ध करवाएंगी। यह उपसमिति समूह में सूक्ष्म ऋण नियोजन (एम.सी.पी.) के अनुसार कार्य किया जा रहा है या नहीं इसकी भी निगरानी करती है एवं समूह को श्रेणीकरण व अंकेक्षण भी करवाती है। 


प्रक्योरमेंट (खरीददारी) उपसमिति के कार्य :-

        यह उपसमिति यह सुनिश्चित करती है कि समस्त सामुदायिक खरीद प्रक्रिया (प्रक्योरमेंट) में सभी सामुदायिक खरीद नीतियों का पालन किया जा रहा है। 

        अगर संकुल स्तरीय संघ को आवश्यकता लगी तो वो भी और भी उपसमितियों को गठन कर सकती है। संकुल स्तरीय संघ की सामान्य निकाय/कार्यकारिणी समिति संकुल स्तरीय संघ के उपसमिति का गठन, बदलाव या विघटन करेगी। संकुल स्तरीय संघ की कार्यकारिणी समिति उपसमिति के सदस्यों को मनोनीत करती है। प्रत्येक उपसमिति में ३ से ५ तक कार्यकरिणी के सदस्य होंगें एवं प्रत्येक उपसमिति अपने कार्यों के लिए अपनी कार्यकारिणी समिति के प्रति जवाबदेही होगी। प्रत्येक उपसमिति अपनी वार्षिक/अर्धवार्षिक कार्य योजना अपनी कार्यकारिणी समिति से अनुमोदित करवाएगी एवं अनुमोदन कार्ययोजना के अनुरूप कार्य करेगी। किसी भी उपसमिति में कार्यकारिणी समिति के दो पदाधिकारी एक साथ उपसमिति के सदस्य नहीं होंगें। अध्यक्ष किसी भी उपसमिति की बैठक में प्रतिभाग कर सकती है। संकुल स्तरीय संघ की समस्त उपसमिति अपनी कार्यकारणी समिति की बैठक से पूर्व अपनी समीक्षा बैठक करेगी एवं अपनी प्रगति रिपोर्ट/कार्ययोजना कार्यकारिणी समिति में प्रस्तुत करेगी।


३.९ संकुल स्तरीय संघ के कर्मी एवं सामुदायिक कैडर:-

        संकुल स्तरीय संघ अपने वित्तीय लेखा के साधारण के लिए समुदाय से ही खाता लेखक नियुक्त करेंगें। संकुल स्तरीय संघ आवश्यकतानुसार अपने लिए सामुदायिक कैडर जैसे मास्टर बुक कीपर, सामुदायिक प्रशिक्षक, सामुदायिक सन्दर्भ व्यक्ति, बैंक मित्र, आदि की नियुक्ति करेंगें। संकुल स्तरीय संघ आवश्यकतानुसार समुदाय के अन्दर या बाहर से भी पेशेवर से मानदेय के आधार पर सेवा प्राप्त कर सकता है। 


३.१० संकुल स्तरीय संघ क्षमता निर्माण:- 

        हमारे संकुल स्तरीय संघ आवश्यकतानुसार स्वयं सहायता समूह, ग्राम संगठन, संकुल स्तरीय संघ के सदस्यों, कार्यकारिणी समिति, पदाधिकारी, उपसमिति, सामुदायिक कैडर का क्षमता निर्माण करेगा। संकुल स्तरीय संघ अपने प्रशिक्षण कैलेंडर का निर्माण कर उसके अनुसार प्रशिक्षण करवाएगा। 

        संकुल स्तरीय संघ का अपने ब्लॉक स्तर पर अपना प्रशिक्षण केंद्र होगा। 


३.११ संकुल स्तरीय संघ के लिए संसाधन की व्यवस्था:-

संकुल स्तरीय संघ के स्तर पर हम अपने कोष की व्यवस्था निम्न स्त्रोत से करेंगें-

१. सदस्यता शुल्क, सेवा शुल्क, वार्षिक शुल्क, दान, शेयर पूंजी, बचत और स्वयं सहायता समूह सदस्यों का योगदान। (जो भी निर्धारित किया गया)

२. जेंडर/खाद्य/पोषण/स्वास्थ्य कोष।

३. स्टार्टअप फण्ड।

४. जोखिम निवारण निधि। 

५. ब्याज (सी.आई.एफ.एवं अन्य कोष से)

६. सामूहिक रूप से किये जाने वाले व्यवसाय पर होने वाला लाभ।

७. ग्राम पंचायत एवं अभिसरण से प्राप्त कोष।

८. कम्युनिटी कैडर से प्राप्त सेवा शुल्क।

९. अन्य कोषों से अर्जित ब्याज।

१०. सरकारी, गैर सरकारी संगठन, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों से सामान्य और विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्राप्त अनुदान, दान और ऋण। 

११. निवेश से आय।


३.१२  संकुल स्तरीय संघ के अभिलेखों का प्रबंधन:- 

        संकुल स्तरीय संघ का बचत खाता निकटतम बैंक की शाखा में खोला जाएगा जिसका निर्णय हमारे संकुल स्तरीय संघ के कार्यकारिणी समिति के   द्वारा लिया जाएगा। हमारे संकुल स्तरीय संघ के तीन पदाधिकारी अध्यक्ष, सचिव, एवं कोषाध्यक्ष में से कोई दो संकुल स्तरीय संघ के बचत खाते का संचालन करेंगें। हमारे संकुल स्तरीय संघ आवश्यकतानुसार निम्न दस्तावेज अपने कार्यालय में रखेंगें। 

१. कार्यवाही पंजिका- इसमें पालन की गई प्रक्रियाओ सहित सभी निर्णय सम्मिलित होते हैं। प्रतिनिधि निकाय की बैठक के लिए हम अलग से एजेंडा एवं कार्यवाही पंजिका का इस्तेमाल करेंगें। 

२. सदस्यों के नाम और पते, सदस्यता रजिस्टर

३. बचत पंजिका, 

४. उपस्थिति पंजिका

५. कैश बुक- इसमें तिथिवार सभी नकद लेनदेन (प्राप्ति एवं भुगतान) लिखे जाते हैं। 

६. बैंक बुक- इसमें तिथिवार सभी बैंक लेनदेन (प्राप्ति या भुगतान) लिखे जाते हैं।

७. डिमांड कलेक्शन बैलेंस पंजिका (सामुदायिक निवेश निधि एवं बैंक लिंकेजके लिए)।

८. जोखिम निवारण निधि (वी.आर.एफ.) के लिए।

९. प्राप्ति एवं भुगतान वाउचर 

१०. सामान्य लेजर:- सामान्य लेजर में सभी व्यक्तिगत लेजर, लाभ और हानि लेखा तथा विभिन्न परिसंपत्ति एवं देयता लेखा होते हैं। 

११. समूह पास बुक। 

१२. मासिक प्राप्ति एवं भुगतान विवरण/अन्य एवं व्यय विवरण मासिक प्रतिवेदन। 

१३. उपसमिति की पंजिका। 

१४. सामुदायिक काडर की पंजिका। 

१५. मासिक बैंक समाधान विवरण। 

१६. ऋण लेजर :- इसमें ऋण का विवरण और सभी स्वयं सहायता समूहों के पुनर्भुगतान का विवरण होता है। 

१७. अचल संपत्ति पंजिका 

१८. संकुल स्तरीय संघ द्वारा क्रय की गयी सामग्रियों की सूची

१९. संकुल स्तरीय संघ पर परिसंपत्तियों एवं देयताओं के अभिलेख 

२०. खरीद बैठक रजिस्टर

२१. वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन, वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट, वार्षिक कार्ययोजन एवं वार्षिक बजट। 

२२. मासिक सूचना प्रबंध प्रणाली और प्रगति रिपोर्ट 

    संकुल स्तरीय संघ के अभिलेख का आन्तरिक अंकेक्षण/सामजिक अंकेक्षण/ वैधानिक अंकेक्षण के लिए खुला होगा।


३.१३ सामाजिक और आजीविका से सम्बंधित संस्था:-

    हम अपने सार्वभौमिक संस्था के अलावा आवश्यकतानुसार अन्य विशिष्ट संस्थाओं जैसे (सामाजिक संस्था, उत्पाद समूह, सहकारी समिति, यूनियन, उपक्रम आदि) का गठन करेंगें जो सदस्यों एवं उन के परिवारों के विभिन्न सामाजिक एवं जीविकापार्जन के आवश्यकता की पूर्ति करेगी। 


   

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स्त्रोत- उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रेरणा लघु मार्ग दर्शिका २०२०

Saturday, August 12, 2023

अध्याय-२ ग्राम संगठन Chapter-2 Village Organization VO

अध्याय-२ 

ग्राम संगठन 



            ग्राम स्तर पर स्वयं सहायता समूह के बाद ग्राम संगठन दूसरी स्तर की संस्था होगी। ग्राम के समस्त पंचसूत्र का पालन करने वाले समूह ग्राम संगठन के सदस्य होंगें। समूह गठन के ३ से ४ माह बाद ग्राम संगठन का गठन होगा। ग्राम संगठन में कम से कम ५ समूह एवं अधिकतम २० समूह हो सकते हैं।

२.१ ग्राम संगठन की मुख्य जिम्मेदारी :-

१. ग्राम से जुड़े समस्त गरीब परिवारों को समूह के साथ जोड़ते हुए ग्राम को संतृप्त करना।

२. ग्राम संगठन में जुड़े समस्त समूहों की देखरेख करना।

३. समहों का श्रेणीकरण, सूक्ष्म ऋण नियोजन (एम.सी.पी.) का निर्माण कर उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।

४. समूहों को बैंकों से लिंकेज करना।

५. संकट निवारक कार्ययोजना  एवं समावेशन कार्ययोजना का निर्माण कर उन्हें लागू करवाना।

६. समूह के सदस्यों को उनके हक, अधिकारों, बीमा एवं अन्य योजनाओं की जानकारी देना एवं उन से लाभान्वित कराना।

७. ग्राम के सामुदायिक कैडर का प्रबन्धन 

८. सामूहिक रूप से लिंगभेद आधारित मुददों, सामाजिक मुददों, जीविकोपार्जन मुददों आदि पर कार्य करना।

९. समस्त सदस्यों को ग्राम सभा, आम सभा में प्रतिभाग करने हेतु प्रोत्साहित करना। 

१०. समस्त सदस्यों को अपने अनुभव एवं समस्याओं को साझा करने के मिले मंच प्रदान करना।

११. ग्राम संगठन से जुड़े समूहों का क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, उन्मुखीकरण, अंकेक्षण इत्यादि आवश्यकतानुसार करवाते रहना।


२.२ ग्राम संगठन (कार्यकारिणी समिति) बैठक की कार्यसूची :-

१. प्रार्थना 

२. परिचय 

३. उपस्थिति 

४. पिछले बैठक की समीक्षा 

५. एजेण्डा निर्धारण 

६. सी.आई.एफ. ऋण वापसी 

७. समूह के मासिक प्रतिवेदन के आधार पर समीक्षा 

८. निर्धारित एजेण्डा पर चर्चा 

९. ऋण मंजूर करना 

१०. खाता लेखक (BK) द्वारा ग्राम संगठन का आज की बैठक का आय व्यय तैयार करना।

११. हस्ताक्षर 

१२. बैठक की समाप्ति 


२.३ ग्राम संगठन की संरचना :-

        सामान्य निकाय :- ग्राम के समस्त समूह जो पंचसूत्र का पालन करते हों वे ग्राम में गठित संगठन/ संगठनों के सदस्य हो सकते हैं। ग्राम संगठन में जुड़े समस्त समूहों के सदस्यों को मिला कर ग्राम संगठन की सामान्य निकाय गठित होगी। इस सामान्य निकाय की बैठक का आयोजन आवश्यकतानुसार मासिक, अर्धवार्षिक या वार्षिक किया जायेगा।

        सामान्य निकाय की बैठक का एजेण्डा निम्नवत होगा, जिसे आवश्यकतानुसार बदल भी सकते हैं :-

१. प्रार्थना एवं परिचय 

२. पिछले प्रतिनिधि निकाय की कार्यवाही को कार्यवाही पंजिका से पढ़कर सब को सुनाना।

३. ग्राम में छुटे समस्त गरीबों को समूह के साथ जोड़ते हुए ग्राम को संतृप्त करने की समीक्षा।

४. पिछले सामान्य निकाय के बाद किये गए खर्चों की समीक्षा 

५. आवश्यकतानुसार कार्य योजना/बजट का अनुमोदन 

६. समूहों के द्वारा किये गए अच्छे कार्यों को साझा करना

७. समूहों के द्वारा किये गए कार्यों की समीक्षा

            ग्राम संगठन की सामान्य निकाय की बैठक का संचालन ग्राम संगठन के अध्यक्ष के द्वारा किया जायेगा। सामान्य निकाय के सदस्यों को सामान्य निकाय की बैठक होने से कम से कम ३ दिन पूर्व सूचना दी जायेगी। सामान्य निकाय की बैठक में बैंक के अधिकारीयों, पंचायती राज संस्थान के प्रतिनिधियों को भी बुला सकते हैं।


कार्य समिति :-

        ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति प्रत्येक समूह से ३ प्रतिनिधि को मिला कर गठित होगी एवं कार्यकारिणी समिति की बैठक माह में कम से कम एक बार अवश्य होगी।

        कार्यकारिणी समिति अपने दिन प्रतिदिन कार्यों के लिए अपने पांच पदाधिकारियों का चयन करती है एवं अपनी उप समिति के सदस्य मनोनीत कर प्रतिनिधि निकाय से अनुमोदन कराती है। कार्यकारिणी समिति अपने वार्षिक/अर्धवार्षिक कार्य योजना का निर्माण कर उसे अपने प्रतिनधि निकाय से अनुमोदित करवाएगी एवं अपने पदाधिकारियों एवं उप समिति के सदस्यों के संग मिलकर अनुमोदित कार्य योजना को क्रियान्वित करेगी। कार्यकारिणी समिति अपने आडिटर का चयन कर उसे अपने प्रतिनिधि निकाय से अनुमोदित करवाएगी।


२.४ कार्यकारिणी समिति के मुख्य कार्य :-

१. नये समूह सदस्यों को जोड़ना, समूह सदस्यों को निष्कासित करने का अधिकार प्रतिनिधि निकाय को ही होगा।

२. आवश्यकतानुसार सामुदायिक कैडर, स्वयं सेवकों का चयन एवं नियुक्ति। 

३. उपसमिति का गठन। 

४. स्वयं सहायता समूह, पदाधिकारियों, सामुदायिक कैडर के मासिक कार्यों की समीक्षा।

५. स्वयं सहायता समूह का आवश्यकतानुसार श्रेणीकरण कर समूह में स्व-श्रेणीकरण को प्रोत्साहित करना। 

६. ग्राम संगठन की वार्षिक कार्य योजना/बजट का निर्माण/क्रियान्वयन एवं समीक्षा करना। 

७. समूह द्वारा ग्राम संगठन में जमा किये जाने वाले समस्त शुल्कों का निर्धारण। 

८. पदाधिकारियों को अधिकृत करना। 

९. आडिटर का चयन। 

१०. संकुल स्तरीय संघ को प्रेषित किये जाने वाले दस्तावेजों एवं प्रतिवेदनों को अनुमोदित करना। हमारी कार्यकारिणी समिति मुख्यतया वार्षिक कार्ययोजना के अनुरूप किये गए कार्यों की समीक्षा करेगी एवं लक्ष्य प्राप्ति के अनुरूप नई रणनीति/कार्ययोजना निर्धारित करेगी।

२.५ ग्राम संगठन के पदाधिकारी :- 

ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति अपने पदाधिकारियों का चयन करती है। समस्त पदाधिकारियों का कार्यकाल अधिकतम २ वर्ष के लिए एवं उपनियम के अनुसार पदाधिकारियों का नियमित अन्तराल में बदलाव किया जायेगा। ग्राम संगठन में निम्नवत पदाधिकारी होंगें:-

१. अध्यक्ष 

२. उपाध्यक्ष 

३. सचिव 

४. उपसचिव 

५. कोषाध्यक्ष

        पदाधिकारियों में से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सचिव हमारे ग्राम संगठनों का बैंक खाता संचालित करने के लिए अधिकृत होंगीं। इन तीनों में से कोई दो पदाधिकारी ही हमारे ग्राम संगठनों के बैंक खाता का संचालन करेंगीं।

अध्यक्ष के कार्य :- 

१. ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति एवं प्रतिनिधि निकाय की बैठक की अध्यक्षता करना।

२. ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति एवं प्रतिनिधि निकाय की बैठक का एजेंडा निर्धारित करना एवं बैठक क्रियान्वित करवाना।

३. अपने ग्राम संगठन को संकुल स्तरीय संघ सहित विभिन्न मंचों पर प्रतिनिधित्व प्रदान करना।

४. सुनिश्चित करना कि ग्राम संगठन अपने उपनियम के अनुरूप ही कार्य कर रहा है।

५. ग्राम संगठन की कार्य योजना का निर्माण एवं कार्ययोजना के क्रियान्वयन की निगरानी करना। 


उपाध्यक्ष के कार्य :-

अध्यक्ष के कार्यों में मदद करना एवं अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष के कार्यों को सम्पादित करना।


सचिव के कार्य :-


१. ग्राम संगठन की प्रतिनिधि निकाय एवं कार्यकारिणी समिति की बैठक समय से करवाना।

२. ग्राम संगठन के दस्तावेजों एवं संपत्ति की निगरानी करना।

३. ग्राम संगठन के दस्तावेजों को नियमित अध्ययन करना।

४. ग्राम संगठन की सामान्य निकाय एवं कार्यकारिणी समिति को वार्षिक कार्य योजना के सापेक्ष किये जा रहे कार्यों से अवगत कराना।


उपसचिव के कार्य :-

१. सचिव के कार्यों में मदद करना एवं सचिव की अनुपस्थिति में सचिव के कार्यों को सम्पादित करना।


कोषाध्यक्ष के कार्य:-

१. ग्राम संगठन के समस्त वित्तीय प्रबंधन एवं बैंक सम्बन्धी कार्य।

२. ग्राम संगठन का समस्त अंकेषण करवाना।

३. अंकेक्षण एवं वित्तीय रिपोर्ट को ग्राम संगठन के प्रतिनिधि निकाय एवं कार्यकारिणी समिति में प्रस्तुत करना।   


२.६ ग्राम संगठन की उपसमिति :-

        ग्राम संगठन में आवश्यकतानुसार उपसमिति का गठन करेंगें जो समूह को प्राप्त होने वाली विभिन्न सेवाओं के क्रियान्वयन एवं उनकी निगरानी करने के कार्य करेंगीं। ग्राम संगठन गठित होने पर आवश्यकतानिम्नवत उपसमिति का गठन करेंगीं :-


सामाजिक  समावेशन उपसमिति के कार्य :-

        यह उपसमिति ग्राम में छुटे गरीब एवं अति गरीब परिवारों की पहचान कर उन्हें समूह से जोड़ते हुए ग्राम को संतृप्त करेगी। यह उपसमिति ग्राम में कार्यरत सामुदायिक कैडर का प्रबंधन करेगी एवं समूह के सदस्यों को आवश्यक प्रशिक्षण उपलब्ध करवाएगी।


समूह निगरानी उपसमिति के कार्य :-

         यह उपसमिति ग्राम में गठित स्वयं सहायता समूहों की निगरानी करेगी एवं सुनिश्चित करेगी कि ग्राम के सभी समूह पंचसूत्र का पालन करें। यह उपसमिति समूहों की सूक्ष्म ऋण नियोजन (माइक्रो क्रेडिट प्लान) का अनुमोदन क्र ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति को सामुदायिक निवेश निधि या बैंक को बैंक लिंकेज उपलब्ध करने के लिए उपलब्ध करवाएगी। यह उपसमिति समूह में सूक्ष्म ऋण नियोजन (एम.सी.पी.) के अनुसार कार्य किया जा रहा है या नहीं इसकी भी निगरानी करती है एवं समूह का श्रेणीकरण व अंकेक्षण भी करवाती है। 

        आजीविका, सामुदायिक निवेश निधि, बैंक लिंकेज एवं ऋण वापसी (रिपेमेंट) उपसमिति के कार्य :-

        यह उपसमिति समूह एवं बैंक के मध्य मध्यस्त का कार्य करती है एवं बैंक बचत, बैंक लिंकेज एवं ऋण वापसी का कार्य करती है। यह उपसमिति सामुदायिक निवेश निधि के ऋण वापसी की भी निगरानी करती है एवं समूहों में ऋण के उपयोग की जाँच करती है। 


सामाजिक कार्य उपसमिति के कार्य :- 

        यह उपसमिति सामाजिक समवेश, लिंग भेद आधारित मुददे, जोखिम न्यूनीकरण, सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक विकास, अभिसरण (कन्वर्जेन्स) इत्यादि मुद्दों पर कार्य करती है। यह उपसमिति दिव्यांग, वृद्ध, अति गरीब, बच्चों, युवकों के विशेष समूहों की विशेष जरूरतों पर लारी करती है एवं संचालित योजनाओं जैसे-मनरेगा, ग्राम पंचायत विकास योजना, (GPDP) सामाजिक सुरक्षा योजना, सार्वजानिक वितरण प्रणाली (PDS) से समूहों को जोड़ती है। यह उपसमिति ग्राम में जोखिम न्यूनीकरण कोष एवं अन्य आपदा न्यूनीकरण कोष का प्रबंधन करती है। यह उपसमिति ग्राम में घरेलू  हिंसा, शौचालय निर्माण एवं उपयोग, शराबबंदी, नशा मुक्ति, बच्चों के स्कूल में दाखिला कराने पर भी अपाने ग्राम में कार्य करेगी। 

 

स्वास्थ्य (खाद्य, पोषण-पेयजल स्वच्छता-साफ सफाई) उपसमिति के कार्य :-

        यह उपसमिति ग्राम में खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य, पेयजल, स्वच्छता पर कार्य करेगी एवं सदस्यों को जागरूक करेगी। अपना एवं परिवार के सदस्यों का अच्छा स्वास्थ्य होने पर इलाज पर व्यय कम होता है एवं परिवार की बचत होती है। यह उपसमिति ANM/आशा बहु/आंगनबाड़ी कार्यकत्री/ग्राम पंचायत/ग्राम पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य कमेटी/ग्राम आपदा प्रबंधन समिति के साथ मिलकर कार्य करेगी।   

१. खाद्य सुरक्षा के तहत- सार्वजानिक वितरण प्रणाली, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम/आंगन वाटिका/पोषण वाटिका के सहयोग से। , 

२. पोषण सुरक्षा के तहत- रक्त की कमी की रोकथाम एवं प्रबंधन पर जागरूकता, स्तनपान एवं आयु के अनुसार सहायक भोजन, समन्वित बाल विकास योजना, आंगनबाड़ी के सहायता पौष्टिक एवं साफ सुथरा खाना बनाने के तरीकों पर जागरूकता। 

३. अच्छी स्वास्थ्य के तहत- ग्रामों में ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस में सहभागिता, टीकाकरण सेवा, संस्थागत प्रसव, रेफेरल सेवा, रोग एवं बीमारियों के बचाव पर जागरूकता के सहयोग है।

४. पेयजल, स्वच्छता, सफाई के तरीके के तहत (पेयजल पर सामान हक़ के अनुसार पहुँच, कठिन श्रम को कमतर करना 

पानी की बचत एवं संरक्षण, स्वच्छता एवं सफाई के तरीके, माहवारी, से सम्बंधित मुददों पर जागरूकता, घर में शौचालय निर्माण पर जागरूकता

५. चिकित्सीय सेवा के लिए निधि के तहत (जोखिम निवारण निधि, स्वास्थ्य सुरक्षा निधि), स्वास्थ्य बीमा सेवायें जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना आदि से जुड़ाव, जीवन एवं दुर्घटना बीमा योजनायें, समुदाय संचालित स्वास्थ्य योजनायें, सामुदायिक उत्तरदायित्वों योजनाओं तक पहुँच बनाना। 

        यदि ग्राम संगठन को आवश्यकता महसूस हो तो वो और भी उप समितियों का गठन कर सकते हैं।  ग्राम संगठन की प्रतिनधि निकाय/कार्यकारिणी समिति ग्राम संगठन के उपसमिति का गठन, बदलाव या विघटन करेगी।  ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति के सदस्यों को मनोनीत करती है।  

        प्रत्येक उप समिति में ३ से ५ तक कार्यकारिणी समिति के सदस्य होंगें एवं प्रत्येक उपसमिति अपने कार्यों के लिए अपनी कार्यकारिणी समिति के प्रति जवाबदेही होगी।  प्रत्येक उपसमिति अपने कार्यों के लिए अपनी कार्यकारिणी समिति से अनुमोदित करवाएगी एवं अनुमोदित कार्ययोजना के अनुरूप कार्य करेगी। किसी भी उपसमिति में कार्यकारिणी समिति के दो पदाधिकारी एक साथ सदस्य नहीं हो सकती हैं।  अध्यक्ष किसी भी उपसमिति की बैठक में प्रतिभाग कर सकती है।  (यद्यपि वो उपसमिति की सदस्य नहीं है)


२.७ प्राथमिक स्तर फेडरेशन के लिए संसाधन की व्यवस्था करना:-

प्राथमिक स्तर के संघ के कोष की व्यवस्था हम निम्न स्त्रोतों से करेंगें: -

१. सदस्यता शुल्क, सेवा शुल्क, वार्षिक योगदान, दान, शेयर पूंजी, बचत और स्वयं सहायता समूह सदस्यों का योगदान। (जो भी लागू हो)

२. जेंडर/खाद्य/पोषण/स्वास्थ्य कोष, 

३. स्टार्टअप फण्ड। 

४. जोखिम निवारण निधि।  

५. अन्य कोष से अर्जित ब्याज।  

६. सरकार, गैर सरकारी संगठन, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाओं से सामान्य और विशेष उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्राप्त अनुदान, दान और ऋण। 

७. निवेश से आय।  

८. अन्य आय।    


२.८ ग्राम संगठन में अभिलेखों का प्रबंधन :- 

        ग्राम संगठन की बचत खाता निकटतम बैंक में खोला जाएगा जिसका निर्णय कार्यकारिणी समिति द्वारा लिया जाएगा।  हमारे ग्राम संगठनों के ३ पदाधिकारी अध्यक्ष, सचिव,  एवं कोषाध्यक्ष में से कोई दो पदाधिकारी ग्राम संगठन  के बैंक बचत खाते के संयुक्त हस्ताक्षरकर्ता होंगें। हमारे ग्राम संगठन आवश्यकतानुसार निम्नवत दस्तावेज अपने कार्यालय में रखेंगें। 

१. कार्यवाही पंजिका: - इसमें पालन की गयी प्रक्रियाओं सहित सभी निर्णय सम्मिलित होते हैं। प्रतिनिधि निकाय बैठक के लिए हम अलग से एजेन्डा एवं कार्यवाही पंजिका का इस्तेमाल करेंगें। 

२. सदस्यों के नाम और पते, सदस्यता रजिस्टर बचत पंजिका। 

३. उपस्थिति पंजिका

४. कैशबुक:- इसमें तिथि वार सभी नकद लेन-देन (प्राप्ति या भुगतान) लिखे जाते हैं।

५. बैंक बुक:- इसमें तिथिवार सभी बैंक लेनदेन (प्राप्ति या भुगतान) लिखे जाते हैं।

६. डिमांड कलेक्शन बैलेंस पंजिका (सामुदायिक निवेश निधि एवं बैंक लिंकेज के लिए)

७. जोखिम निवारण निधि (वी.आर. एफ.) पंजिका, यदि यह कोष मिला हो)

८. प्राप्ति एवं भुगतान वाउचर)

९.सामान्य लेजर:- सामान्य लेजर में सभी व्यक्तिगत लेजर, लाभ और हानि लेखा तथा विभिन्न परिसंपत्तियों एवं देयता लेखा होते हैं)

१०. समूह पास बुक।

११. मासिक प्राप्ति एवं भुगतान विवरण।

१२. मासिक प्रतिवेदन।

१३. उपसमिति की पंजिका।

१४. सामुदायिक काडर की पंजिका।

१५. मासिक बैंक समाधान विवरण।

१६. ऋण लेजर:- इसमें ऋण का विवरण और सभी स्वयं सहायता समूहों के पुनर्भुगतान  का विवरण होता है।

१७. अचल संपत्ति पंजिका।

१८. प्राथमिक स्तर फेडरेशन द्वारा क्रय की गई सामग्रियों की सूची।

१९. प्राथमिक स्तर फेडरेशन पर संपत्तियों एवं देयताओं के अभिलेख।

२०. खरीद बैठक रजिस्टर।

२१. वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन, वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट, वार्षिक कार्य योजना और वार्षिक बजट।

२२. मासिक सूचना प्रबंध प्रणाली और प्रगति रिपोर्ट।

२३. कर्मचारियों का बायोडाटा के साथ विवरण।

२४. प्राथमिक स्तर फेडरेशन की उपविधि और पंजीकरण का प्रमाण-पत्र।


        ग्राम संगठन में आंतरिक अभिलेखों का अंकेक्षण/सामाजिक अंकेक्षण/ वैधानिक अंकेक्षण के लिए खुला होगा।


२.९ ग्राम संगठन का अनुश्रवण :- 

        ग्राम संगठन का अनुश्रवण स्वयं भी करेंगें एवं संकुल स्तरीय संघ भी करेगा। ग्राम संगठन संकुल स्तरीय संघ को मासिक प्रतिवेदन प्रेषित करेगा जिसमें निम्न्वत्त मुददे होंगें:-

१. छुटे हुए निर्धन परिवार को जोड़ते हुए ग्राम को संतृप्त करने का प्रगति विवरण।

२. स्वयं सहायता समूहों का प्रगति विवरण।

३. ग्राम संगठन की समस्त वित्तीय एवं गैर-वित्तीय गतिविधियों का विवरण।

४. जोखिम निवारण एवं अभिसरण (कनवर्जंस) की कार्य योजना के सापेक्ष प्रगति।

        हमारे ग्राम संगठन अपना वार्षिक प्रगति रिपोर्ट विवरण, जोखिम न्यूनीकरण एवं अभिसरण (कन्वर्जेन्स) की कार्य योजना अपनी प्रतिनिधि निकाय के समुख प्रस्तुत करेगा एवं अपने कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर भी प्रदर्शित करेगा।


२.१० ग्राम संगठन का प्रगति पथ:-

        ग्राम संगठन का प्रगति पथ निम्नवत होना चाहिए (ग्राम में सामुदायिक सन्दर्भ व्यक्ति (सी.आर.पी.) द्वारा प्रथम समूह गठन के उपरान्त)


१ से ७ माह

१.    ग्राम संगठन का गठन/ग्राम संगठन हेतु प्रशिक्षण, भ्रमण आदि।

२. प्रतिनिधि निकाय/कार्यकारिणी समिति/पदाधिकारी/उपसमिति का गठन एवं नियमित बैठक।

३. उपनियम का निर्माण।

४. सामुदायिक कैडर का निर्माण।

५. ग्राम संगठन खाता लेखक का चयन।

६. समूहों के सूक्ष्म ऋण नियोजन।

७. एम.सी.पी. का अनुमोदन।

८. स्टार्टअप फण्ड का उपयोग।


८ से १० माह 


१. समूहों का अनुश्रवण।

२. समूहों को ऋण के रूप में वितरित सामुदायिक निधि कोष की ग्राम संगठनों में वापसी।

३. छुटे ह्गुए गारी एवं अति गरीब परिवार को समूह में जोड़ना।

४. दिव्यांग, वृद्ध, आदिम जनजाति के साथ समूह का गठन।

५. जोखिम निवारण निधि प्रबंधन।

६. सामाजिक जागरूकता एवं सामाजिक विकास के कार्य।

७. संकुल स्तरीय संघ के साथ जुड़ाव।


१० से १५ माह 

१. ग्राम की गरीबी का आंकलन कर उन सदस्यों की पहचान करना जो गरीबी से समूह के माध्यम से बाहर निकल चुके हैं।

२. जोखिम निवारण कार्ययोजना/अभिसरण (कन्वर्जन्स) कार्ययोजना का निर्माण एवं क्रियान्वयन।

३. जोखिम निवारण निधि का दूसरी बार वितरण।

४. समूहों को ऋण के रूप में सामुदायिक निवेश निधि का वितरण।


१६ से २० माह :-

१. समस्त गरीब एवं अति गरीब को समूह से जोड़ते हुए ग्राम को संतृप्त करना।

२. समस्त सामुदायिक कैडर का ग्राम संगठन के माध्यम से भुगतान।

३. सामाजिक एवं जीवकोपार्जन संवर्धन पर कार्य।

४. जीविकोपार्जन कोष का प्रबंधन।


२१ से ६० माह :-

१ उपरोक्त कार्यों का और सघनता एवं गहराई से ग्राम में क्रियान्वयन कराना।


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स्त्रोत- उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रेरणा लघु मार्ग दर्शिका २०२०