Friday, April 29, 2022

ग्राम प्रधान व सदस्यों का निष्कासन एवं निलम्बन Gram Pradhan ko kaise hatayen

 

ग्राम प्रधान

 व सदस्यों का निष्कासन एवं निलम्बन

 


 

ग्राम पंचायत के प्रधान या उसके किसी सदस्य या भूमि प्रबंधन समिति अथवा संयुक्त समिति के किसी सदस्य को राज्य सरकार पंचायत राज अधिनियम की धारा-95-1 (छ) के अंतर्गत निम्न कारणों से हटा सकती है :-

 

* यदि वह बिना पर्याप्त कारण के तीन से अधिक बैठकों में तथा सभाओं में अनुपस्थित रहे।

*वह कार्य करने से इंकार करे अथवा कार्य करने के लिए अक्षम हो जाये अथवा यदि उस पर ऐसे अपराध का अभियोग  लगाया गया हो अथवा दोषारोपण किया गया हो;

*उसने अपने पद का दुरपयोग किया हो अथवा इस अधिनियम द्वारा अथवा इसके अधीन बनाए गए नियमों द्वारा अधिरोपित कर्तव्यों के पालन में निरंतर चूक की हो अथवा उसका अपने पद पर बने रहना जनहित में वांछनीय न हो;

*वह पंचायतराज अधिनियम की धारा 5 (क) से (ड़) में दी गई उन अनर्हताओं में कोई अनर्हता रखता हो, जो उसे ग्राम पंचायत का सदस्य बनने के अयोग्य बनाती है।

 

नोट- ग्राम पंचायत , संयुक्त समिति, भूमि प्रबंधन समिति के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर देगी।  जहाँ प्रधान को किसी जाँच में पहली नज़र में वित्तीय या अन्य अनियमितताओं का दोषी पाया जाए, तो वह तब तक अपने वित्तीय अधिकारों का प्रयोग और अपने कार्य नहीं करेगा, जब अंतिम रूप से जाँच पूरी न हो जाए।  इस बीच कार्य करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट ग्राम पंचायत के तीन सदस्यों की एक समिति बनाएगा।

    ग्राम प्रधान के निष्कासन एवं निलम्बन की कार्यवाही क्रमशः अधिनियम की धारा-14 के अन्तर्गत की जाती है।  प्रधान के सन्दर्भ में ग्राम सभा की इस प्रयोजन हेतु बुलाई गई बैठक की पूर्व सूचना कम से कम 15 दिन पूर्व दी जाए।  ग्राम सभा के उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से प्रधान को हटाया जा सकता है।  इस बैठक का कोरम एक-तिहाई सदस्यों की उपस्थिति से पूर्ण माना जाएगा।  प्रधान को हटाने की बैठक उसके निर्वाचन से 2 वर्ष के भीतर नहीं बुलाई जा सकती।  यदि बैठक में कोरम के अभाव में प्रस्ताव पर विचार न किया जा सके, तो प्रधान को हटाने की दूसरी बैठक पहली बैठक के दिन से एक वर्ष के भीतर नहीं बुलाई जा सकती।  

स्त्रोत-उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनयम, 1947 तथा उत्तर प्रदेश पंचायती राज नियमावली,1947 

Tuesday, April 26, 2022

ग्राम पंचायत के कार्यों से सम्बंधित ग्यारवीं अनुसूची में वर्णित 29 विषय

ग्राम पंचायत के कार्यों से सम्बंधित 

 ग्यारवीं अनुसूची में वर्णित 29 विषय 


        ग्राम पंचायतों द्वारा किये जाने वाले कार्य संयुक्त प्रान्त पंचायत राज अधिनियम, 1947 की धारा 15 के अनुसार किये जाते हैं जिसमें 11वीं अनुसूची के अनुच्छेद 243 -छ में 29 विषयों का उल्लेख किया गया है| इन्हीं शर्तों के अंतर्गत जिस प्रकार राज्यों की निर्देशानुसार प्रत्येक ग्राम पंचायत निम्नलिखित कार्यों का संपादन कर सकती है:-

 

1- कृषि जिसके अंतर्गत कृषि का विस्तार भी है:-

*कृषि और बागवानी का विकास और प्रोन्नति।

*बंजर भूमि और चारागाह भूमि का विकास और उनके अनधिकृत संक्रमण और प्रयोग की रोकथाम करना।

 

2- भूमि विकास, भूमि सुधार का क्रियान्वयन, चकबंदी और भूमि संरक्षण:-

* भूमि विकास, भूमि सुधार और भूमि संरक्षण में सरकार और अन्य एजेंसियों को सहायता करना।

* भूमि चकबंदी में सहायता करना।

 

3- लघु सिंचाई, जल व्यवस्था और जल आच्छादन विकास:-

* लघु सिंचाई परियोजना से जल वितरण में प्रबंधन और सहायता करना।

* लघु सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण, मरम्मत और अनुरक्षण सिंचाई के उद्देश्य से जलापूर्ति का विनियमन।

 

4- पशु पालन दुग्ध उद्योग और कुटकुट पालन:-

* पालतू जानवरों, कुटकुट और अन्य पशुधन की नस्लों का सुधार करना।

दुग्ध उद्योग, कुटकुट पालन, सुअर पालन इत्यादि की प्रोन्नति।

 

5- मतस्य पालन:-

* गाँव में मतस्य पालन का विकास करना।

 

6- सामाजिक और कृषि वानिकी:-

* सड़कों और सार्वजनिक भूमि के किनारों पर वृक्षारोपण और परिरक्षण।

* सामाजिक और कृषि वानिकी और रेशम उत्पादन का विकास और प्रोन्नति।

 

7- लघु वन उत्पादन:-

* लघु वन उत्पादन की प्रोन्नति और विकास।

 

8- लघु उद्योग एवं खाद्य प्रसंस्करण:-

* लघु उद्योगों के विकास में सहायता करना।

* स्थानीय व्यापारों की प्रोन्नति।

 

9- कुटीर एवं ग्राम उद्योग:-

* कृषि और वाणिज्यिक उद्योगों के विकास में सहायता करना।

* कुटीर उद्योगों में प्रोन्नति।

 

10 - ग्रामीण आवास:-

* ग्रामीण आवास कार्यक्रमों का क्रियान्वयन।

* आवास स्थलों का वितरण और उनसे सम्बंधित अभिलेखों का अनुरक्षण।

 

11 - पेयजल:-

* पीने का पानी, कपड़े धोने का पानी, स्नान करने के प्रयोजनों के लिए जल सम्भरण के लिए सार्वजानिक कुँए, तालाबों और पोखरों का निर्माण, मरम्मत और अनुरक्षण और पीने के प्रयोजनों के लिए जल सम्भरण के स्त्रोतों का विनियमन।

 

12- ईंधन और चारा भूमि:-

* ईंधन और चारा भूमि से सम्बंधित घास और पौधों का विकास।

* चारा भूमि को अनियमित अंतरण पर नियन्त्रण।

 

13- सड़कें, पुलिया, पुलों,नौका घाट, जल मार्ग और पौधों का विकास:-

* ग्राम सड़कों, पुलियों, पुलों और नौका घाटों का निर्माण और अनुरक्षण।

* जल मार्गों का अनुरक्षण।

* सार्वजानिक स्थानों पर से अतिक्रमण को हटाना।

 

14- ग्रामीण बिजलीकरण:-

* सार्वजानिक मार्गों और अन्य स्थानों पर प्रकाश उपलब्ध कराना और अनुरक्षण करना।

 

15- गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत:-

*ग्राम सभा में गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों के कार्यक्रमों का विकास, प्रोन्नति और उनका अनुरक्षण।

 

16- गरीबी उपशमन कार्यक्रम:-

*गरीबी उपशमन कार्यक्रमों की प्रोन्नति और क्रियान्वयन।

 

17- शिक्षा जिसके अन्तर्गत प्रारंभिक और माध्यमिक विद्यालय भी हैं:-

* शिक्षा के बारे में जागरूकता एवं बालिका शिक्षा पर सार्वजनिक चेतना।

 

18- तकनीकी प्रशिक्षण और व्यावसायिक शिक्षा:-

* ग्रामीण कला और शिल्पकारी की प्रोन्नति।

 

19- प्रौढ़ और अनौपचारिक शिक्षा:-

*  प्रौढ़ शिक्षा की प्रोन्नति।

    

20- पुस्तकालय:-

* पुस्तकालयों और वाचनालयों की स्थापना और अनुरक्षण।

 

21- खेलकूद और सांस्कृतिक कार्य:-

* सामाजिक और सांस्कृतिक क्रियाकलापों की प्रोन्नति।

* विभिन्न त्योहारों पर सांस्कृतिक संगोष्ठियों का आयोजन।

* खेलकूद के लिए ग्रामीण क्लबों की स्थापना और अनुरक्षण।

 

22- बाजार और मेले:-

* पंचायत क्षेत्र में मेलों, बाजारों और हाटों का विनियमन।

 

23- चिकित्सा और स्वच्छता:-

* ग्रामीण स्वच्छता की प्रोन्नति।

* महामारियों के विरुद्ध रोकथाम।

* मनुष्य और पशु टीकाकरण के कार्यक्रम।

* छुट्टा पशु पशुधन के विरुद्ध निवारक कार्यवाही।

* जन्म, मृत्यु और विवाह का रजिस्ट्रेशन।

 

24- परिवार कल्याण:-

* परिवार कल्याण कार्यक्रमों की प्रोन्नति और क्रियान्वयन।

 

25- आर्थिक विकास के लिए योजना:-

* ग्राम पंचायतों के क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए योजना तैयार करना।

 

26- प्रसूति और बाल विकास:-

* ग्राम पंचायत स्तर पर महिला एवं विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में भाग लेना।

* बाल स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रमों में प्रोन्नति।

 

27- समाज कल्याण जिसके अंतर्गत वृद्ध, विकलांग और मानसिक रूप से मंद व्यक्तियों का कल्याण भी है:-

* वृद्धावस्था और विधवा पेंशन योजनाओं में सहायता करना।

* विकलांगों और मानसिक रूप से मंद व्यक्तियों के कल्याण को सम्मिलित करते हुए समाज कल्याण कार्यक्रमों में भाग लेना।

 

28- कमजोर वर्गों और विशिष्टतय: अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का कल्याण:-

* अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के लिए विशिष्ट कार्यक्रमों में भाग लेना।

*सामाजिक न्याय के लिए योजनाओं की तैयारी और क्रियान्वयन।

 

29- सार्वजानिक वितरण प्रणाली:-

* अत्यंत आवश्यक वस्तुओं के वितरण के सम्बन्ध में सार्वजानिक चेतना की प्रोन्नति।

* सार्वजानिक वितरण प्रणाली का अनुश्रवण।   

Saturday, April 23, 2022

अपने लिए ही नहीं समाज के लिए भी जियें (Best Article on Life Skill)

 

अपने लिए ही नहीं समाज के लिए भी जियें

जब देश और समाज हमें सब कुछ देता है

तो हमें भी देश और समाज के लिए कुछ करना चाहिए

भारत देश की भूमि प्राचीन काल से ही महान सन्यासियों, तपस्वियों, दानियों से भरी रही है यदि आप भारत देश के इतिहास में से एक उदाहरण खोजने निकलेंगें तो आप को अनगिनत उदाहरण देखने को मिल जायेंगें जिन्होंने विश्व कल्याण के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया। जिन्होंने अपना सम्पूर्ण राज पाठ, धन सम्पदा का मोह त्याग कर समाज के लिए जीवन व्यतीत करने का प्रण लिया। यही कारण है कि जो समाज के लिए जियें आज भी कई वर्षो बाद भी उन्हें याद रखा जाता है और जो सिर्फ अपने लिए ही जियें ऐसे भी अनगिनत लोगों ने जन्म लिया और अपना जीवन काल पूर्ण करके अपने निश्चित समय के बाद इस मोह माया के संसार को विदा कह गए उन्हें कौन याद करता है? शायद ही कोई हो। 

महर्षि दधीची के विषय में कौन नहीं जानता है एक बार जब वृत्तासुर के वध के लिए वज्र की आवश्यकता महसूस हुई तब देवराज इंद्र को तपोबली महर्षि दधीची के पास उनकी हड्डियों को मांगने के लिय भेजा गया। उन्होंने महर्षि से तीनों लोकों के कल्याण के लिए उनकी हड्डियों का दान माँगा यह जानकर महर्षि ने अपना शरीर दान कर दिया जिसकी हड्डियों से बाद में वज्र बना और वृत्तासुर मारा गया। विश्वामित्र, वशिष्ठ, कश्यप, महर्षि सुश्रुत, शौनक, ऋषि पंतजलि, कपिल मुनि, भारद्वाज, आचार्य चरक, भास्कराचार्य, आचार्य कणाद, यमदग्नि अनेकों ऋषियों मुनियों ने समाज के लिए अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

भारत देश की इस पवित्र भूमि पर महापुरुषों की एक लम्बाई श्रृंखला बनी हुई है जिन्होंनें अपने सिद्धांतों और कार्यों के बल पर सामान्य मनुष्य के रूप में जन्म लेकर अध्यात्म की उस ऊंचाई को छुआ जहाँ तक पहुँचना एक सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं है। इन्हीं में से एक नाम आता है महात्मा बुद्ध का जिनके दिखाए गए मार्ग पर आज भी लोग पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ बढ़े जा रहे हैं। महात्मा बुद्ध ने लगभग 35 वर्ष की अल्प आयु में ही अपना सब राज-काज छोड़कर साधु का जीवन अपना लिया।

भगवान महावीर ने मात्र 30 वर्ष की आयु में ही संसार से विरक्त होकर राज वैभव का त्याग कर सन्यासी का वेश धारण कर लिया और आत्मकल्याण के पथ पर निकल गए। उन्होंने दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया।       

कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महान  विद्वान कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से विख्यात आचार्य चाणक्य को जनकल्याण और अखंड भारत के निर्माण जैसे कार्य करने के लिए आज भी जाना जाता है। चाणक्य का व्यक्तित्व किसी भी काल में शिक्षकों और राजनीतिज्ञों के लिए अनुकरणीय और आदर्श रहा है। उनके चरित्र की महानता उनकी कर्मनिष्ठा, त्याग,  तेजस्विता, साहस और अडिग संकल्प का प्रतिक है।

 

सिख गुरुओं की एक लम्बी गौरवगाथा रही है। उनका अमर त्याग और बलिदान ही है जिसके कारण अनेकों आक्रान्ताओं के आतंक के बाद भी समाज को एक सूत्र में बांधे रखने का काम किया। गुरु नानक देव, गुरु अंगद देव, गुरु अमर दास, गुरु राम दास, गुरु अर्जुन देव, गुरु हर गोविन्द सिंह, गुरु हर राय, गुरु हरकिशन साहिब,  गुरु तेग बहादुर, गुरु गोविन्द सिंह इन सभी ने अपना निज जीवन जीने के स्थान पर समाज के कल्याण के पथ को चुना।          

छत्रपति शिवाजी के पराक्रम और रणनीति का लौहा आज भी समस्त संसार मानता है। उनके जीवन का हर एक अंश हमारे जीवन का मार्गदर्शन करता है। जो देश और समाज के लिए कार्य करते हैं उनकी कभी हार नहीं होती। विपरीत परिस्थतियों में ही काम करने से उनका व्यक्तित्व महान बनता है। हमें वीर शिवाजी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए कि व्यक्ति सर्वोपरि नहीं है राष्ट्र सर्वोपरि है। राजा राम मोहन रॉय, राम कृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, ज्योतिराव गोविंदराव फुले, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, दयानंद सरस्वती, बाबा आमटे, विनोबा भावे, डॉ. केशव राव बलिराम हेडगेवार, माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर इन सभी ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज के लिए अर्पित कर दिया।

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का भारत देश की आजादी में दिया गया योगदान कोई भला कैसे भूल सकता है उनके द्वारा दिया गया नारा "जय हिन्द" आज देश का राष्ट्रीय नारा बन गया है। समस्त सुख सुविधाओं का त्याग कर अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित कर देना आज के युवाओं को उनसे सीखना चाहिए। उनके द्वारा आजाद हिन्द फ़ौज की स्थापना करना और सम्पूर्ण विश्व में भारत के प्रति सकारात्मक माहौल बनाने का कौशल अतुलनीय है। भगत सिंह, खुदी राम बोस, सुखदेव थापर, बाल गंगाधर तिलक, चन्द्रशेखर आजाद, आदि अनेकों उदहारण है जिन्होंने राष्ट्र और समाज को अपने हितों से ऊपर रखा। यहाँ अधिकांश हम उन्हीं नामों की चर्चा कर पा रहे हैं जिनकों सामान्य रूप से सभी जानते हैं लेकिन इनके अतिरिक्त असंख्य महापुरुष, त्यागी ऐसे भी हुए हैं जिनका नाम अधिक विख्यात तो नहीं हुआ परन्तु उन्होंने अपने जीवन को सदैव दूसरों को प्रेरणा देने हेतु एक आधार के रूप में प्रस्तुत किया है।

वर्तमान समय में भी अनेकों लोग समाज के कार्यों में निरंतर लगे हुए हैं और पूरी तत्परता के साथ कार्य कर रहे हैं। अपने लिए सोचना और कार्य करना कोई गलत बात नहीं है परन्तु हमें उस परिवेश और समाज के विषय में भी कुछ चिंता करनी होगी जिस समाज में हम जीवन यापन कर रहे हैं। हमें उस राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी भली प्रकार से समझना होगा जिस राष्ट्र में हमने अपना जन्म लिया है और जिसके आश्रय में हम लोग पल रहे हैं। हम अपने व्यस्ततम दिनचर्या में से कुछ अतिरिक्त समय निकालकर समाज के कार्यों में लगायें तो अच्छा होगा और ये भी करने में भी यदि असुविधा हो रही है तो जो कार्य कर रहे हैं यदि वह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्र हित में योगदान कर रहा है तो उसे उचित प्रकार से करें तो राष्ट्र और समाज हित में यह भी आपकी एक महत्त्वपूर्ण भागीदारी होगी।

हो सकता है कि हम ऋषि मुनियों की तरह घर और परिवार का त्याग करके अपना सब कुछ समाज के लिए अर्पित नहीं कर सकते हों लेकिन जितना सामर्थ्य है उतना प्रयास तो अवश्य ही करना चाहिए। यदि सभी मिलकर इस दिशा में थोड़ा-थोड़ा प्रयास करेंगें तो निश्चय ही समाज को अच्छी दिशा और दशा दे सकेंगें।         

 

- प्रशान्त मिश्र

(लेखक सामाजिक चिन्तक और विचारक हैं)

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश

सम्पर्क सूत्र-7599022333


प्रतिष्ठित दैनिक समाचारपत्र "उत्तर केसरी" के आज के अंक में मेरा एक आलेख प्रकाशित हुआ है, अपने समाचार पत्र में मेरे लेख को स्थान प्रदान करने के लिए माननीय सम्पादक महोदय का ह्रदय से आभार, धन्यवाद

Wednesday, April 20, 2022

11 वीं अनुसूची के माध्यम से पंचायतों को सौंपें गए 29 विषय

 

11 वीं अनुसूची 

के माध्यम से पंचायतों को सौंपें गए विषय 



जब भी पंचायतों का जिक्र आता है तब 11 वीं अनुसूची  और इसके अंतर्गत पंचायतों को सौंपें गए 29 विषयों का भी जिक्र जरुर आता है आइये जानते हैं कि वह कौन - कौन से विषय हैं 

11 वीं अनुसूची के माध्यम से विकास सम्बन्धी 29 विषय पंचायतों  को सौंपने की व्यवस्था की गई है:-

1- कृषि विकास एवं विस्तार

2- मतस्य उद्योग

3- लघु उद्योग जिसमें खाद्य उद्योग शामिल है

4- खादी, ग्राम एवं कुटीर उद्योग 

5- वन जीवन तथा कृषि खेती (वनों में)

6- यांत्रिक प्रशिक्षण एवं यांत्रिक शिक्षा

7- वयस्क एवं बुजुर्ग शिक्षा

8- सांस्कृतिक कार्यक्रम

9- सामाजिक समृद्धि जिसमें विकलांग एवं मानसिक समृद्धि शमिल है

10- लोक विभाजन पद्धति

11- भूमि विकास, भूमि सुधार लागू करना, भूमि संगठन एवं भूमि संरक्षण

12- लघु सिंचाई, जल प्रबंधन एवं नदियों के मध्य भूमि विकास

13- ग्रामीण विकास

14- ईंधन तथा पशु चारा

15- ग्रामीण बिजली व्यवस्था

16- प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा सम्बन्धी विद्यालय

17- पुस्तकालय

18- अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जिनमें दवाखाना शमिल है

19- महिला एवं बाल विकास

20- सार्वजनिक संपत्ति की देखरेख

21- पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय तथा मत्सय पालन

22- वन विकास

23- पीने का शुद्ध पानी

24- सड़क, पुल, तट जलमार्ग तथा संचार के अन्य साधन

25- गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत

26- गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम

27- बाजार एवं मेले

28- पारिवारिक समृद्धि

29- समाज के कमजोर वर्ग के समृद्धि जिसमें अनुसूचित जाति और जनजाति दोनों शामिल हैं

ग्राम पंचायत की समितियाँ व उनके कार्य (उत्तर प्रदेश), Gram Panchayat Committees and their Functions (Uttar Pradesh)

ग्राम पंचायत की समितियाँ व उनके कार्य 

Gram Panchayat Committees and their Functions)



मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश पंचायती राज व्यवस्था में 4 प्रकार की समितियों का स्वरुप देखने को मिलता है :-

1- स्थायी समितियाँ

2- संयुक्त समितियाँ

3 - भूमि प्रबंधन समितियाँ

4- अन्य विभाग द्वारा गठित समितियाँ

 

आइये! इन सभी समितियों के विषय में विस्तार से चर्चा करते हैं-

स्थायी समितियाँ

1- स्थायी समितियाँ- उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1947 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या-26, 1947) की धारा-29 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर, राज्यपाल अधिसूचित करते हैं कि प्रत्येक ग्राम पंचायत स्थायी समितियों का गठन करेंगीं।

 

ग्राम पंचायत की स्थायी समितियों का गठन व कार्य

उत्तर प्रदेश राज्य में संयुक्त प्रान्त पंचायत राज अधिनियम, 1947 (संयुक्त प्रान्त अधिनियम संख्या 26, 1947) की धारा 29 में ग्राम पंचायत की समितियों के संघठन सम्बन्धी प्रावधान किये गए हैं। अधिसूचना संख्या- 4077/33-2-99-48 जी/99 दिनांक 29 जुलाई 1999 के माध्यम से निम्न प्रकार से समितियों के गठन तथा कार्यों के संपादन सम्बंधित दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं:-

स्थायी समितियों के प्रकार

स्थायी समितियाँ 6 प्रकार की होती हैं:-

1- जैव विविधता विविधता प्रबन्ध नियोजन एवं विकास समिति

2- शिक्षा समिति

3- प्रशासनिक समिति

4- निर्माण कार्य समिति

5- स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति

6- ग्राम पंचायत पेयजल एवं स्वच्छता समिति


आइये! अब इन समितियों के विषय में विस्तार से चर्चा करते हैं:-

 

जैव विविधता प्रबन्ध, नियोजन एवं विकास समिति

इस समिति का सभापति प्रधान होता है इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है।

 इसका मुख्य कार्य ग्राम पंचायत की योजना तैयार करना होता है। साथ ही कृषि, पशु पालन और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम का संचालन भी इसका महत्त्वपूर्ण कार्य है।

 

शिक्षा समिति

नियोजन एवं विकास समिति की तरह ही इस समिति का सभापति भी प्रधान ही होता है इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है।

 इसका मुख्य कार्य प्राथमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा, साक्षरता आदि सबंधी कार्यों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना है।

 

प्रशासनिक समिति

नियोजन एवं विकास समिति और शिक्षा समिति की तरह ही इस समिति का सभापति भी प्रधान ही होता है इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। याद रखने के उद्देश्य से समझे तो उक्त तीनों समितियों का सभापति प्रधान ही होता है।

 इसका मुख्य कार्य ग्राम पंचायत के कर्मियों सम्बन्धी समस्त विषयों की देख-रेख करना तथा राशन की दुकान सम्बन्धी व्यवस्था को देखना है।

 

निर्माण कार्य समिति

इस समिति के सभापति को ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा नामित किया जाता है ग्राम पंचायत का कोई भी सदस्य जिसे सभी सदस्यों की स्वीकृति से नामित किया जाये वह सभापति के रूप में समिति का संचालन करेगा,  इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। 

इसका मुख्य कार्य ग्राम पंचायत क्षेत्र में सभी निर्माण कार्य करवाना व उसकी गुणवत्ता को सुनिश्चित करना है।         

 

स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति

निर्माण कार्य समिति की तरह ही इस समिति के सभापति को ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा नामित किया जाता है ग्राम पंचायत का कोई भी सदस्य जिसे सभी सदस्यों की स्वीकृति से नामित किया जाये वह सभापति के रूप में समिति का संचालन करेगा,  इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। 

इसका कार्य चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण सम्बन्धी कार्य और समाज कल्याण विशेष रूप से महिला एवं बाल कल्याण की योजनाओं का संचालन करना है। इसके अतिरिक्त अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, तथा पिछड़े वर्गों की उन्नति एवं संरक्षण सम्बन्धी कार्य भी इस समिति के द्वारा ही किये जाते हैं।


ग्राम पंचायत पेयजल एवं स्वच्छता समिति

        निर्माण कार्य समिति और स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति की तरह ही इस समिति के सभापति को ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा नामित किया जाता है ग्राम पंचायत का कोई भी सदस्य जिसे सभी सदस्यों की स्वीकृति से नामित किया जाये वह सभापति के रूप में समिति का संचालन करेगा,  इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। 

        इस समिति का मुख्य कार्य राजकीय नलकूपों का संचालन करना व पेयजल सम्बन्धी कार्य है।

समितियों की बैठक का कोरम

समिति की बैठक के लिए 4 सदस्यों का कोरम होगा। समिति की बैठक माह में कम से कम एक बार अवश्य होगी। समितियों के सचिव, सचिव ग्राम पंचायत ही होंगें। प्रत्येक समिति का एक कार्यवाही रजिस्टर होगा जिसमें बैठक की कार्यवाही दर्ज की जाएगी।  

संयुक्त समितियाँ

इसका गठन दो या दो से अधिक ग्राम  पंचायतों के विशेष कार्य के लिए प्रशासनिक अधिकारी द्वारा किया जाता है। जिसे कार्य पूर्ण होने के बाद भंग कर दिया जाता है।

       

भूमि प्रबंधन समिति

ग्राम राजस्व समिति (भूमि प्रबंधन समिति का गठन उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम की धारा 28(क) के अंतर्गत किया जाता है। यह समिति ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आने वाली भूमि के प्रबंधन, देखभाल, संरक्षण एवं नियंत्रण का कार्य करती है। इसका अध्यक्ष प्रधान, इसका सचिव लेखपाल एवं समस्त वार्ड सदस्य इसके सम्मानित सदस्य होते हैं।

 

अन्य विभागों द्वारा गठित समितियाँ

समय-समय पर विभिन्न विभागों के द्वारा अपने कार्यों को भली प्रकार से संचालित करने के लिए भी कई समितियों का गठन किया जाता है। जैसे- नियोजन, विकास एवं जैवविविधता प्रबंधन समिति, ग्राम पंचायत आपदा प्रबंधन समिति, ग्राम पंचायत भूगर्भ जल उप-समिति, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति, जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्राम पंचायत पेयजल एवं स्वच्छता समिति एवं शिक्षा के अधिकार कानून के अंतर्गत स्कूल/ विद्यालय प्रबंधन समिति।


महत्त्वपूर्ण शासनादेश 




स्त्रोत- उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम,1947 तथा उत्तर प्रदेश पंचायती राज नियमावली, 1947 

Monday, April 4, 2022

झूठी आभासी दुनिया से बाहर निकलिए- डॉ. प्रशान्त कुमार मिश्र (Best Article on Life Skill)

 झूठी आभासी दुनिया से बाहर निकलिए

अश्रद्धया हुतं दत्तं तपस्तप्तं कृतं च यत्।

असदित्युच्यते पार्थ न च तत्प्रेत्य नो इह।।


उपरोक्त पंक्तियाँ श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय सत्रह के श्लोक 28 में वर्णित हैं। इसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि हे पार्थ! श्रद्धा के बिना यज्ञ, दान या तप के रूप में जो भी किया जाता है, वह नश्वर है। वह   "असत्" कहलाता है और इस जन्म तथा अगले जन्म - दोनों में ही व्यर्थ है। 

विगत कुछ वर्षों पूर्व जब इंटरनेट का जन्म हुआ तो सम्पूर्ण वैज्ञानिक जगत इस उत्साह से फुले नहीं समां रहे थे कि इस इंटरनेट के माध्यम से हम विश्व को जोड़ पाने में सफल होंगें। इसके माध्यम से सम्पूर्ण विश्व में संचार के माध्यम बदल जायेंगें। सब आपस में जुड़ जायेंगें।

इसी उद्देश्यों की पूर्ति के अगले क्रम में  सोशल मिडिया का जन्म हुआ तब उसके निर्माता का मन कहीं न कहीं दूर बैठे लोगों को सामाजिक जीवन, विचारों से एक सरल माध्यम से जोड़ना रहा होगा। यह एक ऐसे सूत्र का निर्माण करेगा जिससे दूर दराज बैठे लोगों को भी एक धागे  में पीरों कर अपनत्व और संबंधों की खुशबू से सुगंधित माला का निर्माण करेगा। उनका विचार भी ठीक ही था। वर्तमान समय में सूचना प्रौद्योगिकी ने इतनी तीर्वता से प्रगति की,  कि आप कम मूल्य पर रिचार्ज करवा कर सरलता से इंटरनेट का लाभ ले सकते हैं जिसके लिए आपको विभिन्न सुविधाओं को प्रदान करने वाला चलभाष यंत्र अर्थात् मोबाइल फोन भी सस्ते में मिल जाता है। देखते ही देखते सोशल मिडिया ने आम जन के जीवन में दस्तक दे दी और हुआ फेसबुक का जन्म। ऑरकुट फेसबुक से पहले ही आ चूका था परन्तु इंटरनेट की कम उपलब्धता के कारण उसका प्रचार प्रसार सिमित ही रहा। फिर ट्विटर, फिर व्हात्सप्प, इंस्ट्रग्राम और कई अन्य सोशल मिडिया प्लेटफोर्म ने हमारे द्वार पर दस्तक दी।

            उत्तम है! इसी का परिणाम है कि आज समस्त विश्व इंटरनेट और सोशल मिडिया के माध्यम से आपस में जुड़ कर विचारों का आदान-प्रदान कर रहा है और सविधा का लाभ ले रहा है।

परन्तु दो पैरों वाले जीवों में से कई जीव ऐसे भी हैं जिनसे समस्त दुनिया के जीव परेशान हैं वह हर अच्छी चीज का क्या अधिकतम बुरा उपयोग हो सकता है यह विकल्प तलाश ही लेता है और बाकि दो पैर वाले जीव भी उन्हें देखकर उसी राह पर चल पड़ते हैं। तब से मनुष्य के जीवन में स्वयं को श्रेष्ठ दिखाने की हौड़ सी लग गई। इस श्रेष्ठता के मापदंड भी आपके द्वारा पोस्ट की गई सामग्री पर मिलने वाले लाइक कमेंट और शेयर द्वारा तय किये जाने लगे।

एक सेब या केला लेकर 20 जनों के साथ किसी को देकर फोटो खिंचवाना और उसे तत्काल सोशल मिडिया के सभी प्लेटफार्म पर अपलोड करना और लिखना की गरीब, असहाय, मजलूम को किया फलों का वितरण। मंदिरों में पूजन करते हुए भी भगवान से ज्यादा चिन्ता अपनी फोटो की होने लगी है धूपबत्ती की जगह मोबाइल की फ्लेश जलने लगी है। भरी भीड़ में दूर से नेता जी के साथ सेल्फी लेना और स्टेटस अपलोड करना कि नेता जी के साथ बिताये कुछ यादगार पल और गम्भीर विषयों पर हुई चर्चा। जीवन में हद तो तब हो गई जब मनुष्य ने संवेदनाओं का बाजारीकरण करना शुरू कर दिया। मृत्यु, शोक सभा को शव के साथ फोटो खिंचवाने की भी अब होड़ लगने लगी है। बात इतनी सी है कि यह होड़ मात्र फ़ोटो खिचवाने की है उस शव को कन्धा देने की नहीं, न ही परिवार के सदस्यों को सहयोग देने की न सहयोग का आश्वासन।

यह सब करके हम अपने आस-पास एक तात्कालिक समय का ख़ुशी भरा वातावरण तो बना सकते हैं लोगों के मन में कुछ समय स्थान तो पा सकते हैं लेकिन जब वह आपकी वास्तविकता जान जाएगा तब वह मन से आप से दूर हो जाएगा। हमें समाज में एक आदर्श व्यक्ति के रूप में अपने आचरण का प्रदर्शन करना चाहिए। 

 

हम क्या कर रहे हैं? हम कहाँ जा रहे हैं। नैतिक मूल्यों का पतन करके और अपने आप को एक झूठी आभासी दुनिया में धकेलकर खुश होने का प्रयास करना, यह बुद्धिमानी तो हो नहीं सकती, परिवार के साथ बैठकर बाहरी दुनिया से जुड़े रहना और आपस में एक दुसरे की शक्ल न देखना। विदेश बैठे लोगों से मित्रता करना और अपने पड़ोसियों को ही भूल जाना इसी का परिणाम है कि दिखावे के लिए दोस्तों की संख्या पांच हजार होना और सुख दुःख में साथ पांच न होना। वास्तव में यह एक चिंता का विषय है हमें सोचना होगा।

जिस आभासी दुनिया में हम चाहते या न चाहते हुए प्रवेश कर गए हैं वह हमारा प्रभु के द्वारा दिया गया अमूल्य समय नष्ट कर रही है। फोन को हाथ में पकड़ने के बाद सोशल साइट पर बस अंगूठा ऊपर नीचे करते हुए कई घन्टें यूँ ही व्यय हो जाते हैं इसका पता ही नहीं चलता। जब यही हमारी दिनचर्या बन जाती है तो देखते ही देखते हमारी सोचने समझने की शक्ति भी इसी परिवेश तक सीमित होने लगती है। हम सोशल साइट पर प्रवाहित हो रही जानकारियों को ही सत्य मानने लगते हैं। हम हमारी पोस्ट पर मिलने वाले कमेन्ट और लाइक को ही अपने जीवन की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों में गिनना शुरू कर देते हैं। क्या यही हमारे जीवन की वास्तविक उपलब्धि है। क्या जो व्यक्ति आपके साथ इन आयामों के माध्यम से आपसे जुड़ा हुआ है वह वास्तविक जीवन में भी आपके साथ खड़ा है या नहीं। इसका चिंतन भी हमें ही करना होगा। यदि वह व्यावहारिक जीवन में भी आपके साथ जुड़ा हुआ है आपके सुख दुःख का साथी है तो उचित है। लेकिन यदि वह सिर्फ आपके सुख दुःख को भी अपने सोशल मिडिया प्रचार का साधन बना रहा है तो स्थिति भविष्य में अति भयानक होती चली जाएगी।         

यहाँ मैं सोशल मिडिया अथवा इसके उपयोग के विरोध में नहीं हूँ अपितु इसका प्रयोग आवश्यकता के अनुसार करना अपने सम्बन्धों को अधिक प्रभावी और मजबूत बनाने के लिए किया जाए तो अधिक उचित होगा। 

हो सके तो जितना जल्दी इस झूठी आभासी दुनिया से बाहर निकल आइये नहीं तो कहीं रिश्तों के बाजारीकरण में आप भी बिक गए तो हाथ मलने के अतिरिक्त कुछ भी शेष नहीं बचेगा।

- डॉ. प्रशान्त कुमार मिश्र

(लेखक सामाजिक चिन्तक और विचारक हैं)

गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश

सम्पर्क सूत्र- 7599022333