Friday, April 17, 2020

नेतृत्व कौशल अध्याय-१ (Leadership Quality Lesson-1)


नेतृत्व कौशल
अध्याय-१  

            जब हम एक अच्छे लीडर अथवा नेतृत्वकर्ता बनने के प्रयास में होते हैं (वह राजनैतिक हो सकता है, सामाजिक, शिक्षा के क्षेत्र में अथवा किसी अन्य क्षेत्र में), तो हम सर्वप्रथम अपना सामाजिक दायरा बढ़ाने का प्रयास करते हैं जिसके लिए हम प्रतिदिन नए नए लोगों से मिलते हैं उनको समझने का प्रयास करते हैं ऐसे में यह अक्सर देखा गया है कि जब कभी हम अधिक प्रतिभावान व्यक्ति से मिलते हैं तो उससे अधिक आकर्षित होते हैं और वह हमारे मन मस्तिष्क में अपनी छवि की छाप छोड़ देता है इसी प्रकार जब हम किसी ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं जो हमारे धर्म का हो, क्षेत्र का हो, समुदाय का हो,  हो सकता है वह कई बार हम से उम्र में बड़ा और अधिक उच्च पद पर हो तो उसका प्रभाव हमारे विचारों पर अधिक पड़ता है यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है परन्तु एक कुशल लीडर के लिए यह सबसे चुनौतीपूर्ण समय होता है क्योंकि इस प्रकार हम चाहते न चाहते हुए भी कही न कहीं इन व्यक्तियों के विचारों को अधिक प्राथमिकता देने लग जाते हैं साथ ही ऐसे व्यक्तियों को अधिक प्राथमिकता देने के कारण हमारे सामाजिक दायरे का क्षेत्र संकुचित होना प्रारम्भ हो जाता है तब विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है । विचार करने अथवा आकलन करने की शक्ति सभी व्यक्तियों में अलग अलग होती है यह आपकी  रुचियों अथवा अरुचियों पर निर्भर करती है। इस स्थिति में एक अच्छे नेतृत्वकर्ता का यह दायित्व है कि वह सभी को समान दृष्टि से देखें  और सभी के साथ समान व्यवहार करे

-प्रशान्त मिश्र
नोट-आपको जानकारी कैसी लगी यह कमेंट करके अवश्य बताइए

Tuesday, April 14, 2020

"यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता"- प्रशान्त मिश्र



"यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता"



                

        हमारी संस्कृति अतुलनीय है जिसमें जीवन का सार छिपा हुआ है विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जो धरती को जमीन नहीं मानतादेश को कोई भूभाग, हम आज भी धरती को धरती माँ कहकर संबोधित करते हैं हम भारत देश को भारत माँ कहते हैं हमारी संस्कृति ने हमें सुबह उठकर सीधे धरती पर पैर रखना नहीं सिखाया हमारी संस्कृति कहती है कि पहले धरती माँ को हाथ जोड़कर प्रणाम करो उसका धन्यवाद् ज्ञापित करो फिर धरती पर पैर रखों हमने अपनी नदियों को भी माँ का दर्जा दिया है हम आज भी गंगा को मात्र एक नदी नहीं कहते हम सदियों से गंगा को "जीवनदायनी माँ गंगा" कहकर  संबोधित करते हैं
                               हमारे पौराणिक ग्रंथ इसको और अधिक प्रभावशाली बनाते हैं जिनमें लिखा है "यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता" अर्थात जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता निवास करते हैं

               भारतीय संस्कृति में कन्या को देवी का रूप माना गया है यहाँ की नारी पूजनीय है नवरात्रों में कन्या का पूजन किया जाता है धार्मिक आस्था से जुड़े लोगदिनों तो भूखे-प्यासे रहकर देवी की उपासना करते हैं इसके उपरांत कन्या का पूजन करते हैं हमारे यहाँ धारणा है कि जिन घरों में स्त्रियों का अपमान होता हैं वहाँ सभी प्रकार की पूजा करने के बाद भी देवता निवास नहीं करते भगवान की कृपा के बिना घर में हमेशा धन-धान्य की कमी रहती है गरीबी को दूर करने के लिए स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए इसीलिए हम धन की देवी लक्ष्मी जी की उपासना करते हैं ज्ञान के वर्धन के लिए हम सरस्वती देवी की पूजा करते हैं,  शक्ति के लिए हम शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना करते हैं यहाँ कोई भी धार्मिक कार्य नारी की उपस्थिति के बिना शुरू नहीं होता है यज्ञ और धार्मिक क्रियाकलापों में पत्नी का होना आवश्यक माना जाता है नारी को नर की आत्मा का आधा भाग माना गया है नारी के बिना नर का जीवन अधुरा है

                  वर्तमान समय में आधुनिकता और स्वतंत्रता के नाम पर आधुनिक समाज द्वारा स्त्रियों के शोषण करने वाली पुस्तकें और ग्रन्थ पढ़े होंगें कई पुस्तकें ऐसी हैं  जो स्त्रियों की स्वतंत्रता और उनके अस्तित्व पर प्रतिबन्ध लगाती हैं कुछ समुदाय ऐसे भी हैं जो स्त्रियों को उनकी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं करने देते परन्तु, स्त्री को इतने स्पष्ट रूप से सम्रद्ध समाज की आधारशिला कहने वाला ग्रन्थ  वेदों के अतिरिक्त आप कहीं नहीं पा सकते वेद स्त्रियों को सर्वोच्च सम्मान और सम्पूर्ण अधिकार प्रदान करते हैं
 
  माँ, बहन, बेटी और पत्नी हमारे जीवन में ईश्वर की सर्वोत्तम देन है

-प्रशान्त मिश्र