ग्राम पंचायत का गठन तथा पुनर्गठन
(उत्तराखण्ड राज्य)
५) राज्य सरकार प्रत्येक जिलों में ग्राम पंचायत के वर्तमान क्षेत्र यदि कोई हों तो, कार्यकाल की समाप्ति के पूर्व अथवा जब कभी इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए अन्यथा अपेक्षित हो, उनके गठन या पुनर्गठन का प्रबंध करेगी।
-:जनसँख्या में परिवर्तन अथवा पंचायत क्षेत्र
के किसी भी स्तर की नगर पंचायत
में सम्मिलित हो जाने का प्रभाव:-
यदि किसी ग्राम पंचायत का सम्पूर्ण क्षेत्र किसी नगर पंचायत में सम्मिलित कर लिया जाए तो वह ग्राम पंचायत नहीं रह जाएगी और उसकी परिसंपत्ति एवं दायित्व नियत रीति से निस्तारित किये जाएंगी। यदि ऐसे क्षेत्र का कोई भाग सम्मिलित कर लिया जाए, तो उतना भाग उसकी अधिकारिकता से कम हो जाएगा और स्वत: ऐसा भाग क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत की अधिकारिकता में नहीं रहेगा।
ग्राम पंचायत के स्थापित
करने और उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों का दूर किया जाना
यदि किसी ग्राम पंचायत के स्थापित करने या संचालित करने में, इस अधिनियम के किसी उपबंधों या उसके अधीन बनायें गए किसी नियम के निर्वाचन अथवा ऐसे निर्वाचन से उत्त्पन्न होने वाले या उसके सम्बन्ध में किसी विषय के अथवा किसी ऐसे विषय के सम्बन्ध में, जिसके लिए इस अधिनियम में व्यवस्था न हो, कोई विवाद या कठिनाई उत्पन्न हो तो उसे राज्य सरकार को निर्दिष्ट किया जाएगा, जिसका निर्णय उस विषय में अंतिम और निश्चायक होगा।
ग्राम पंचायत की सदस्यता
के लिए अनर्हता
१) किसी ग्राम पंचायत का प्रधान, उप-प्रधान, सदस्य नियुक्त हों एक लिये कोई व्यक्ति अनर्ह होगा, यदि-
क) वह राज्य के विधान मंडल के निर्वाचनों के प्रयोजनों के लिए तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन अनर्ह घोषित किया गया हो;
परन्तु यह कि यदि किसी व्यक्ति ने इक्कीस वर्ष की आयु पूरी कर ली हो तो वह इस आधार पर अनर्ह नहीं होगा कि वह पच्चीस वर्ष की आयु से न्यून है,
ख) वह ग्राम पंचायत का वैतनिक सदस्य है।
ग) वह किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार या ग्राम पंचायत से भिन्न किसी स्थानीय प्राधिकारी, या किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन या किसी किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी बोर्ड, निकाय या निगम, के अधीन लाभ का कोई पद धारण करता है, जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ती, सहायिका, सहकारी समिति के सचिव एवं वेतन भोगी कर्मचारी तथा राज्य एवं केन्द्र पोषित योजनाओं के अन्तर्गत मानदेय पर कार्यरत कर्मचारी भी सम्मिलित होंगें।
घ) वह किसी राज्य सरकार, केंद्रीय सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी या किसी अन्य पंचायत की सेवा से दुराचार के कारण पदच्युत कर दिया गया है।
ड़)उस पर ऐसी अवधि के लिए जैसी नियत की जाय, ग्राम पंचायत का कोई कर, फीस, शुल्क या कोई अन्य देय बकाया हो, या वह ग्राम पंचायत के अधीन कोई पद धारण करने के कारण प्राप्त उसके किसी अभिलेख या संपत्ति को उसे देने में, उसके द्वारा ऐसा किये जाने की अपेक्षा किये जाने पर भी, विफल रहा है।
च) किसी नगर निकाय का सदस्य है।
छ) वह अनुत्मोचित दिवालिया है।
ज) वह नैतिक अधमता के किसी अपराध के लिए दोषी सिद्ध ठहराया गया है।
ढ) उसे संयुक्त प्रान्त सामाजिक नियोग्यताओं का निराकरण मूल अधिनियम, 1947 या सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 (उत्तराखण्ड राज्य में यथाप्रवृत्त) के अधीन दोषसिद्ध ठहराया गया है।
ण) उसे इस अधिनियम की धारा 138 के अधीन पद से हटा दिया गया है, जब तक कि ऐसी अवधि, जैसी कि उक्त धारा में इस निमित्त व्यवस्था की गई हो, या ऐसी न्यूनतम अवधि जैसा कि राज्य सरकार ने किसी विशेष मामले में आदेश दिया हो, व्यतीत नहीं हो गई है;
परन्तु यह कि यथास्थिति बकायों का भुगतान कर दिये जाने या अभिलेख या संपत्ति दे दिये जाने पर उपधारा (5) के अधीन अनर्हता नहीं रह जायेगी;
परन्तु यह और कि प्रथम परन्तुक में निर्दिष्ट उपधाराओं के अधीन अनर्हता राज्य सरकार द्वारा नियत रीति से हटाई जा सकेगी।
त) यदि किसी महिला प्रधान, उप प्रधान एवं सदस्य के स्थान पर उसका पति या अन्य पारिवारिक सदस्य या रिश्तेदार ग्राम सभा, ग्राम पंचायत की बैठक की अध्यक्षता एवं कार्यों का निर्वहन करे व उस पर दोष सिद्ध हो जाय, वो वह महिला तथा महिला के स्थान पर बैठक की अध्यक्षता एवं कार्य निर्वहन करने वाला व्यक्ति, दोनों ही आगामी त्रिस्तरीय पंचायतों के सामान्य निर्वाचन हेतु अनर्ह होंगें।
स्त्रोत- उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम, २०१६
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