Sunday, September 15, 2024

ग्राम पंचायत एवं उसके पदाधिकारी तथा उनका निर्वाचन, (उत्तराखण्ड राज्य)

ग्राम पंचायत एवं उसके पदाधिकारी तथा
उनका निर्वाचन

 ग्राम पंचायत का प्रधान और उप प्रधान 
            ग्राम पंचायत का एक प्रधान और एक उप प्रधान होगा जो क्रमशः उसके अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होंगें प्रधान और उप प्रधान का निर्वाचन आदि ऐसे होंगें जैसा विहित किया जाये

-:ग्राम पंचायतों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़े वर्गों महिलाओं के पदों में आरक्षण की व्यवस्था:-

            प्रत्येक ग्राम पंचायत में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्ग के लिए स्थान आरक्षित किये जायेंगें और इस प्रकार आरक्षित स्थानों की संख्या का अनुपात, ग्राम पंचायतों में स्थाओं की कुल संख्या में यथासंभव वाही होगा जो पंचायत क्षेत्र में अनुसूचित जातियों की या पंचायत क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों की या पंचायत क्षेत्र में पिछड़े वर्गों की जनसँख्या का अनुपात ऐसे क्षेत्र की कुल जनसँख्या में हो ऐसे स्थान किसी ग्राम पंचायत के विभिन्न प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसे क्रम में चक्रानुक्रम में आवंटित किये जायेंगें, जैसा नियत किया जाए;

            परन्तु यह कि यदि पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण ग्राम पंचायत में कुल स्थानों की संख्या के (चौदह) प्रतिशत से अधिक नहीं होगा;

            परन्तु यह और कि यदि पिछड़े वर्गों की जनसंख्या के आंकड़ें उपलब्ध नहीं हो तो, नियत रीति सर्वेक्षण कर जनसँख्या ज्ञात की जा सकेगी;

            परन्तु यह और भी कि कुल आरक्षित स्थाओं में से आधे से अन्यून स्थान अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन जातियों और पिछड़े वर्गों की महिलाओं के लिये आरक्षित होंगें

(२) उपधारा (१) के त्रितय परन्तुक के अध्यधीन किसी ग्राम पंचायत में कुल स्थाओं की संख्या के आधे से अन्यून स्थान महिलों के लिए आरक्षित रहेंगें और ऐसे स्थान किसी ग्राम पंचायत के विभिन्न प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसे क्रम में चक्रानुक्रम में आवंटित किये जायेंगें, जैसा नियत किया जाए

स्पष्टीकरण:- 
            इस धारा में उपबन्धित कोई बात अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों  और महिलाओं  को अनारक्षित स्थानों से निर्वाचन लड़ने से निवारित नहीं करेगी

ग्राम पंचायत और उसके पदाधिकारियों का कार्यकाल:- 

१) प्रत्येक ग्राम पंचायत यदि उन्हें इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन पहले ही विघटित नहीं कर दिया जाता है तो अपनी प्रथम बैठक की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक, न की उससे अधिक, बनी रहेगी

२) किसी ग्राम पंचायत के किसी सदस्य का कार्यकाल यदि इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन अन्यथा समाप्त नहीं कर दिया जाए तो सम्बंधित पंचायत के कार्यकाल के अवसान तक होगा

३ ) इस अधिनियम में की गई अन्यथा व्यवस्था के अधीन रहते हुए, किसी पंचायत के प्रधान, उप प्रधान का कार्यकाल सम्बंधित पंचायत के कार्यकाल तक रहेगा

निर्वाचन की पद्धति:-  किसी ग्राम पंचायत के प्रधान तथा सदस्य के पद के लिए निर्वाचन गुप्त मतदान प्रणाली अथवा ई.वी.एम. द्वारा होगा;
 
            परन्तु यह कि पंचायतों को इस धारा में उल्लिखित पद धारियों का निर्विरोध निर्वाचन करने के लिये निवारित नहीं करेगी

ग्राम पंचायत के निर्वाचन का अधीक्षण एवं राज्य निर्वाचन आयोग का गठन इत्यादि:- 

१) ग्राम पंचायत के प्रधान, उप प्रधान, सदस्य के निर्वाचन का संचालन, अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण राज्य स्तर पर गठित राज्य निर्वाचन आयोग में निहित होगा

२) राज्य निर्वाचन आयोग के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के अधीन रहते हुए, राज्य निर्वाचन आयुक्त, प्रधान, उप प्रधान तथा सदस्य के पद हेतु संचालन का पर्यवेक्षण और उससे सम्बंधित समस्त कृत्यों का संपादन करेंगें

३) राज्य सरकार, राज्य निर्वाचन आयोग के परामर्श से, अधिसूचना द्वारा किसी ग्राम पंचायत के प्रधान, उप प्रधान तथा सदस्य के सामान्य निर्वाचन या उप-निर्वाचन के लिए तारीख या तारीखों को नियत कर सकेगी

Monday, September 9, 2024

ग्राम पंचायत का गठन तथा पुनर्गठन (उत्तराखण्ड राज्य)

ग्राम पंचायत का गठन तथा पुनर्गठन 
(उत्तराखण्ड राज्य)

५) राज्य सरकार प्रत्येक जिलों में ग्राम पंचायत के वर्तमान क्षेत्र यदि कोई हों तो, कार्यकाल की समाप्ति के पूर्व अथवा जब कभी इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए अन्यथा अपेक्षित हो, उनके गठन या पुनर्गठन का प्रबंध करेगी

-:जनसँख्या में परिवर्तन अथवा पंचायत क्षेत्र 
के किसी भी स्तर की नगर पंचायत
में सम्मिलित हो जाने का प्रभाव:- 

            यदि  किसी ग्राम पंचायत का सम्पूर्ण क्षेत्र किसी नगर पंचायत में सम्मिलित कर लिया जाए तो  वह ग्राम पंचायत नहीं रह जाएगी और उसकी परिसंपत्ति एवं दायित्व नियत रीति से निस्तारित किये जाएंगी यदि ऐसे क्षेत्र का कोई भाग सम्मिलित कर लिया जाए, तो उतना भाग उसकी अधिकारिकता से कम हो जाएगा और स्वत: ऐसा भाग क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत की अधिकारिकता में नहीं रहेगा

            ग्राम पंचायत के स्थापित
 करने और उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों का दूर किया जाना  

            यदि किसी ग्राम पंचायत के स्थापित करने या संचालित करने में, इस अधिनियम के किसी उपबंधों या उसके अधीन बनायें गए किसी नियम के निर्वाचन अथवा ऐसे निर्वाचन से उत्त्पन्न होने वाले या उसके सम्बन्ध में किसी विषय के अथवा किसी ऐसे विषय के सम्बन्ध में, जिसके लिए इस अधिनियम में व्यवस्था न हो, कोई विवाद या कठिनाई उत्पन्न हो तो उसे राज्य सरकार को निर्दिष्ट किया जाएगा, जिसका निर्णय उस विषय में अंतिम और निश्चायक होगा

ग्राम पंचायत की सदस्यता 
के लिए अनर्हता  

१) किसी ग्राम पंचायत का प्रधान, उप-प्रधान, सदस्य नियुक्त हों एक लिये कोई व्यक्ति अनर्ह होगा, यदि-

क) वह राज्य के विधान मंडल के निर्वाचनों के प्रयोजनों के लिए तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन अनर्ह घोषित किया गया हो;

       परन्तु यह कि यदि किसी व्यक्ति ने इक्कीस वर्ष की आयु पूरी कर ली हो तो वह इस आधार पर अनर्ह नहीं होगा कि वह पच्चीस वर्ष की आयु से न्यून है,

ख) वह ग्राम पंचायत का वैतनिक सदस्य है

ग) वह किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार या ग्राम पंचायत से भिन्न किसी स्थानीय प्राधिकारी, या किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन या किसी किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी बोर्ड, निकाय या निगम, के अधीन लाभ का कोई पद धारण करता है, जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ती, सहायिका, सहकारी समिति के सचिव एवं वेतन भोगी कर्मचारी तथा राज्य एवं केन्द्र पोषित योजनाओं के अन्तर्गत मानदेय पर कार्यरत कर्मचारी भी सम्मिलित होंगें

घ) वह किसी राज्य  सरकार, केंद्रीय सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी या किसी अन्य पंचायत की सेवा से दुराचार के कारण पदच्युत कर दिया गया है

ड़)उस पर ऐसी अवधि के लिए जैसी नियत की जाय, ग्राम पंचायत का कोई कर, फीस, शुल्क या कोई अन्य देय बकाया हो, या वह ग्राम पंचायत के अधीन कोई पद धारण करने के कारण प्राप्त उसके किसी अभिलेख या संपत्ति को उसे देने में, उसके द्वारा ऐसा किये जाने की अपेक्षा किये जाने पर भी, विफल रहा है

च) किसी नगर निकाय का सदस्य है

छ) वह अनुत्मोचित दिवालिया है

ज) वह नैतिक अधमता के किसी अपराध के लिए दोषी सिद्ध ठहराया गया है

ढ) उसे संयुक्त प्रान्त सामाजिक नियोग्यताओं का निराकरण मूल अधिनियम, 1947 या सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 (उत्तराखण्ड राज्य में  यथाप्रवृत्त) के अधीन दोषसिद्ध ठहराया गया है

ण) उसे इस अधिनियम की धारा 138 के अधीन पद से हटा दिया गया है, जब तक कि ऐसी अवधि, जैसी कि उक्त धारा में इस निमित्त व्यवस्था की गई हो, या ऐसी न्यूनतम अवधि जैसा कि राज्य सरकार ने किसी विशेष मामले में आदेश दिया हो, व्यतीत नहीं हो गई है;

               परन्तु यह कि यथास्थिति बकायों का भुगतान कर दिये जाने या अभिलेख या संपत्ति दे दिये जाने पर उपधारा (5) के अधीन अनर्हता नहीं रह जायेगी;

            परन्तु यह और कि प्रथम परन्तुक में निर्दिष्ट उपधाराओं के अधीन अनर्हता राज्य सरकार द्वारा नियत रीति से हटाई जा सकेगी

त) यदि किसी महिला प्रधान, उप प्रधान एवं सदस्य के स्थान पर उसका पति या अन्य पारिवारिक सदस्य या रिश्तेदार ग्राम सभा, ग्राम पंचायत की बैठक की अध्यक्षता एवं कार्यों का निर्वहन करे व उस पर दोष सिद्ध हो जाय, वो वह महिला तथा महिला के स्थान पर बैठक की अध्यक्षता एवं कार्य निर्वहन करने वाला व्यक्ति, दोनों ही आगामी त्रिस्तरीय पंचायतों के सामान्य निर्वाचन हेतु अनर्ह होंगें 


                                स्त्रोत- उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम, २०१६  

Sunday, September 8, 2024

ग्राम पंचायत संगठन एवं परिसीमन (उत्तराखण्ड राज्य)

ग्राम पंचायत संगठन एवं परिसीमन 
(उत्तराखण्ड राज्य)


        राज्य सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनार्थ, अधिसूचना द्वारा, किसी ग्राम, या ग्रामों के समूह जिनकी जनसँख्या राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में यथासाध्य 500 तथा मैदानी क्षेत्रों में यथासाध्य 1000 में समाविष्ट किसी क्षेत्र को, ऐसे नाम से जैसा विनिर्दिष्ट किया जाए, पंचायत क्षेत्र घोषित कर सकेगी;

        परन्तु यह कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्र में अधिकतम जनसँख्या यथासाध्य 2000 तथा मैदानी क्षेत्रों में यथासाध्य 10000 या इससे अधिक नहीं होगी, किन्तु इस अधिनियम के प्रवृत्त होने से पूर्व प गठित ग्राम पंचायतें, जब तक आवश्यक न हो, यथावत बनी रहेंगीं; 
        
        परन्तु यह और कि राजस्व ग्राम को "पंचायत क्षेत्र" की घोषणा के प्रयोजनार्थ विभाजित नहीं किया जाएगा;

        परन्तु यह और भी कि राज्य सरकार आदेश द्वारा परिहार्य अथवा विशिष्ट परिस्थितियों में उक्त प्रतिबन्ध शिथिल कर सकेगी/  

२) राज्य सरकार सम्बंधित ग्राम पंचायत के अनुरोध पर या अन्यथा और प्रस्ताव के पूर्व प्रकाशन के पश्चात अधिसूचना द्वारा किसी भी समय;

क- किसी पंचायत क्षेत्र में किसी ग्राम या ग्रामों के समूह को सम्मिलित करने या उसे निकालकर, परिष्कार कर सकेगी/

ख- पंचायत क्षेत्र के नाम में परिवर्तन कर सकेगी, या
 
ग-यह घोषणा कर सकेगी कि कोई क्षेत्र, पंचायत क्षेत्र में नहीं रह गया है

घ- ग्राम पंचायत का संघटन ऐसी रीति से अधिसूचित किया जायेगा जो नियत किया जाय और तदुपरान्त ग्राम पंचायत को सम्यक रूप से संघटित समझा जायेगा, भले ही उसमें कोई रिक्ति हो;
     परन्तु यह कि ग्राम पंचायत के गठन को तब तक इस प्रकार अधिसूचित नहीं किया जायेगा जब तक कि ग्राम पंचायत के प्रधान सहित न्यूनतम दो तिहाई सदस्य निर्वाचित न हो जायें

३) ग्राम पंचायत के किसी सदस्य का कार्यकाल, जब तक कि अधिनियम के उपबंधों के अधीन अन्यथा समाप्त नहीं किया जाय, ग्राम पंचायत के कार्यकाल के साथ ही समाप्त होगा

४) प्रधान ग्राम पंचायत का पड़ें सदस्य होगा

५) ग्राम पंचायत में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन नियत रीति से किया जायेगा

पंचायत का परिसीमन :- १) पंचायत क्षेत्रों का परिसीमन ऐसे रीति से किया जायेगा जैसा राज्य सरकार द्वारा विहित किया जाय

२) प्रत्येक पंचायत क्षेत्र के लिए ऐसे पंचायत क्षेत्र ज्ञात नाम से ग्राम पंचायत जो कि निगमित निकाय होगी, गठित की जाएगी

३) किसी ग्राम पंचायत में एक प्रधान और किसी पंचायत क्षेत्र की स्थिति में, जिसकी जनसँख्या :-
क- 1000 तक हो, 7 सदस्य, 

ख- 1001 से 2000 तक हो, 9 सदस्य 

ग- 2001 से 3000 तक हो, 11 सदस्य 

घ- 3001 से 5000 तक हो, 13 सदस्य, और 

ड़- 5001 से अधिक हो, 15 सदस्य होंगें 

३) ग्राम पंचायत किस शिक्षा समिति तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति में महिला सदस्य को सभापति के रूप में ऐसे नियुक्त किया जायेगा जैसा नियमों में विहित किया जाय

                                                                                     स्त्रोत- उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम, २०१६  


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Thursday, September 5, 2024

ग्राम सभा, संगठन सदस्यता कृत्य तथा बैठकें (उत्तराखण्ड राज्य)

ग्राम सभा 

ग्राम सभा, 
संगठन सदस्यता कृत्य तथा बैठकें 

ग्राम सभा:- राज्य सरकार, सरकारी राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, किसी ग्राम के लिये या ग्रामों के समूह के लिये ग्राम सभा, ऐसे नाम से जैसा विनिर्दिष्ट किया जाय, स्थापित करेगी; 
परन्तु यह कि जहाँ ग्राम सभा ग्रामों के समूह के लिए स्थापित की जाय, वहां सबसे अधिक जनसँख्या वाले गाँव का नाम ग्राम सभा के नाम के रूप में विनिर्दिष्ट किया जायेगा

ग्राम सभा की सदस्यता:- प्रत्येक ग्राम सभा क्षेत्र में निवास करने वाला वह व्यसक व्यक्ति जिसका नाम ग्राम पंचायत की मतदाता सूचि में दर्ज हो, ग्राम सभा का सदस्य होगा (प्रत्येक वर्ष की पहली जनवरी कोअट्ठारह वर्ष की आयु पूर्ण करने वाला व्यक्ति मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने का अधिकारी होगा)

ग्राम सभा स्थापित करने और उत्त्पन्न होने वाली कठिनाइयों का दूर किया जाना:- यदि किसी ग्राम सभा के स्थापित करने या ग्राम सभा का संचालन करने में, इस अधिनियम के किसी उपबन्धों या उसके अधीन बनाये गए किसी नियम के निर्वचन  अथवा निर्वासन से उत्पन्न होने वाले या उसके सम्बन्ध में किसी विषय के अथवा किसी ऐसे विषय के सम्बन्ध में, जिसके लिए इस अधिनियम में व्यवस्था न हो, कोई विवाद या कठिनाई उत्पन्न हो तो उसे राज्य सरकार को निर्दिष्ट किया जाएगा, जिसका निर्णय उस विषय में अंतिम और निश्चायक होगा

ग्राम सभा की बैठकें और कृत्य:- प्रत्येक ग्राम सभा की प्रति वर्ष त्रैमासिक आधार पर कुल चार सामान्य बैठक होगी/ इस सामान्य बैठक की अध्यक्षता सम्बंधित ग्राम पंचायत के प्रधान द्वारा की जायेगी; 

        परन्तु यह कि किसी समय स्वयं, विहित अधिकारी के लिखित निर्देश पर अथवा सदस्यों की कुल संख्या के न्यूनतम 1/5 सदस्यों की मांग पर, ऐसी मांग के तारीख से तीस दिन के भीतर असाधारण सामान्य बैठक आहूत कर सकेगा, 

        परन्तु यह और कि यदि यथापुर्वोक्त बैठक आहूत में प्रधान द्वारा चूक की जाती है तो विहित प्राधिकारी उपरोक्त अवधि के भीतर ऐसी बैठक आहूत कर सकेगा?

        ग्राम सभा की बैठक केवल सार्वजानिक/सरकारी भवनों अथवा ग्राम पंचायत के किसी खुले स्थान पर ही आयोजित की जायेगी

स्पष्टीकरण:- प्रधान/उप प्रधान के घर आहूत बैठक की कार्यवाही अवैध मानी जायेगी

ग्राम सभा की बैठक के लिए गणपूर्ति:- ग्राम सभा की आहूत बैठक के लिए सदस्यों की संख्या कुल  सदस्यों की संख्या का 1/5 भाग अथवा कुल परिवारों की संख्या के आधे परिवारों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी

स्पष्टीकरण:- स्थगित की गई बैठक के लिए गणपूर्ति ग्राम सभा के सदस्यों की संख्या के 1/10 अथवा कुल परिवारों की संख्या के 1/4  परिवारों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति परिवार की संख्या का निर्धारण परिवार रजिस्टर के आधार पर किया जायेगा



                                                                                  स्त्रोत- उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम, २०१६  
 

Wednesday, September 4, 2024

उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 Uttarakhand Panchayati Raj Act, 2016

 उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 

(उत्तराखण्ड अधिनियम संख्या 11 वर्ष 2016)


            ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत से सम्बंधित विषयों के समेकन तथा उसके आनुषंगिक विषयों को उपबन्धित करने के लिए


अधिनियम 

भारत गणराज्य के 67वे वर्ष में उत्तराखण्ड राज्य विधान सभा द्वारा निम्नलिखित अधिनियम बनाया जाता है;

भाग -एक 

अध्याय-एक 

"प्रारम्भिक" 


संक्षिप्त नाम, विस्तार, प्रारम्भ 

1. इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम उत्तराखण्ड पंचायत राज अधिनियम, 2016 है

2. यह अधिनियम उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959, उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1916 अथवा छावनी परिषद् अधिनियम, 1924 या तत्सम्बन्धित अधिनियमों के अधीन कोई क्षेत्र सम्मिलित किया जाये, के सिवाय सम्पूर्ण उत्तराखण्ड में लागू होगा

3. यह अधिनियम तुरन्त प्रवृत्त होगा


-:परिभाषाएं:-

जब तक कि प्रसंग या सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इस अधिनियम में: -

वयस्क : - "वयस्क" से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है, जिसने अठारह वर्ष की आयु प्राप्त कर ली हो;

ग्राम सभा : - "ग्राम सभा" से किसी ग्राम पंचायत क्षेत्र के भीतर समाविष्ट किसी ग्राम की निर्वाचक नामावली में पंजीकृत व्यक्तियों से गठित और धारा 3(क) के अधीन स्थापित निकाय अभिप्रेत है;

ग्राम्य क्षेत्र : - "ग्राम्य क्षेत्र" से जिले में सभी स्तर के नगर निकाय क्षेत्रों तथा छावनी क्षेत्रों के अतिरिक्त राजस्व सम्बन्धी अभिलेखों में ग्राम के रूप में अभिलिखित हो अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा इस अधिनियम के प्रयोजनों के निमित्त सामान्य या विशेष आदेश द्वारा घोषित ग्राम भी सम्मिलित है;

ग्राम पंचायत : - "ग्राम पंचायत" से धारा 4(1) के अधीन स्थापित ग्राम पंचायत अभिप्रेत है;

क्षेत्र पंचायत : - "क्षेत्र पंचायत" से इस अधिनियम के अधीन स्थापित क्षेत्र पंचायत तथा उसके अन्तर्गत क्षेत्र पंचायत की कोई समिति, सदस्य, अधिकारी या कर्मचारी अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत इस अधिनियम के अधीन किसी अधिकार का प्रयोग अथवा किसी कृत्य व कर्तव्य का सम्पादन करने के प्रयोजनार्थ प्राधिकृत या अपेक्षित समिति भी सम्मिलित है;

खण्ड : - "खण्ड" से कोई विकास खण्ड अभिप्रेत है;

गृह : - "गृह" के अन्तर्गत कोई दुकान, गोदाम, छादक (शेड) तथा गाड़ी या पशु रखने के लिए प्रयुक्त कोई बाड़ा अभिप्रेत है;

जिला पंचायत : - "जिला पंचायत" से इस अधिनियम के अधीन निगमित जिला पंचायत अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत जिला पंचायत की कोई समिति तथा उसके जिला पंचायत का कोई सदस्य, अधिकारी या सेवक सम्मिलित है, जिसके द्वारा जिला पंचायत के इस अधिनियम के अधीन किसी अधिकार का प्रयोग अथवा किसी कृत्यों का सम्पादन करना प्राधिकृत या अपेक्षित हो, भी सम्मिलित है; 

पिछडे वर्गों :- "पिछडे वर्गों" से उत्तराखण्ड में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण नियमावली जैसा कि राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त व्यवस्था अभिप्रेत है;

अनुसूचित जातियों :- "अनुसूचित जातियों" से ऐसी जाति अभिप्रेत है, जो "संविधान" के प्रयोजनों के लिए अनुसूचित जातियां समझी जायें;

अनुसूचित जनजातियों :- "अनुसूचित जनजातियों से ऐसी जाति अभिप्रेत है, जो "संविधान" के प्रयोजनों के लिए अनुसूचित जनजातियों के रूप में विहित की जायं;

अनुसूचित बैंक :- "अनुसूचित बैंक" से "भारतीय रिजर्व  बैंक अधिनियम, 1934 में" प्रयुक्त शब्द "अनुसूचित बैंक" अभिप्रेत है;

नगर क्षेत्र :- "नगर क्षेत्र" से नगर पालिका अधिनियम के अधीन उसकी दी गयी परिभाषा अभिप्रेत है इसमें नगर क्षेत्र में नगर निकायों के सभी स्तर की निकायों के अन्तर्गत पड़ने वाले क्षेत्र सम्मिलित होंगे;

छावनी : - "छावनी" या "छावनी बोर्ड" के वही अर्थ होंगें, जो छावनी अधिनियम, 1924 के अधीन इन शब्दों के लिए दिए गए हैं;

भूमि प्रबन्धक समिति : - "भूमि प्रबन्धक समिति" से इस अधिनियम के प्रयोजनार्थ ग्राम पंचायत की भूमि प्रबंधक समिति अभिप्रेत है;

पंचायत : - "पंचायत" से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए इस अधिनियम के अधीन तीनों स्तरों के लिए गठित "पंचायतें" अभिप्रेत है;

पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र : - "पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों" से ग्राम  पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र, क्षेत्र पंचायतों के सन्दर्भ में किसी क्षेत्र पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों तथा जिला पंचायत के सन्दर्भ में, किसी जिला पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र अभिप्रेत है;

सम्बंधित पंचायत यथा ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत के सन्दर्भ में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष" से क्रमशः इन संस्थाओं के प्रधान या उप प्रधान, प्रमुख या उप प्रमुख तथा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष अभिप्रेत है;

पंचायत कर्मचारी :- "पंचायत कर्मचारी" से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है, जो त्रिस्तरीय पंचायत संस्थाओं में नियोजित व उसकी सेवाओं में हो, भले ही वह वेतन राज्य सरकार के कोष से पाता हो;

कलेक्टर :- "कलेक्टर" जिला मजिस्ट्रेट व  सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट का किसी पंचायत के सम्बन्ध में यथास्थिति, उस जिले या परागना अभिप्रेत है, जिसमें ऐसी पंचायत संगठित जो गई हो, कलेक्टर, जिला मजिस्ट्रेट या सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट से और शब्द कलेक्टर में एडिशनल कलेक्टर जिला मजिस्ट्रेट में एडिशनल जिला मजिस्ट्रेट और सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट में एडिशनल मजिस्ट्रेट भी शामिल है जिसे इस अधिनियम के अधीन अपना कोई कृत्य या अधिकार प्रतिनिहित किया हो;

जिला मजिस्ट्रेट :- "जिला मजिस्ट्रेट" से दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 20 के अधीन नियुक्त जिला मजिस्ट्रेट अभिप्रेत है;

जिला स्तर के अधिकारी :- "जिला स्तर के अधिकारी" से जिले का ऐसा अधिकारी अभिप्रेत है, जिन्हें राज्य सरकार समय-समय पर राजपत्र में विज्ञप्ति द्वारा इस रूप में निर्दिष्ट करें;

राज्य निर्वाचन आयोग :- राज्य निर्वाचन आयोग से संविधान के अनुच्छेद 243-ट में निर्दिष्ट राज्य निर्वाचन आयोग अभिप्रेत है;


स्त्रोत- उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम, २०१६