Friday, January 5, 2024

अध्याय -८ आजीविका गतिविधियाँ

 अध्याय -८ 

आजीविका गतिविधियाँ 


            स्वयं सहायता समूह के सदस्य विविध योग्यता स्तर के होते हैं। उन्हें अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार अपने लिए कोई कार्य/व्यवसाय चयन करना चाहिए। नीचे कुछ कार्य/व्यवसाय/उद्योग की सूची इसलिए दी जा रही हैं, जिससे समूहों को अपने लिए आजीविका चयन में मदद मिल सकें। इन क्रियाकलापों का चयन करने पर समूह को प्रशिक्षण दिलाये जाने की व्यवस्था है...

* बकरी पालन 

* भैंस पालन 

* सूअर पालन 

* मुर्गी पालन 

* गन्ने की खेती 

* केले की खेती 

* पपीता की खेती

* श्री विधि से धान की खेती 

* श्री विधि से गेहूं की खेती 

* जैविक विधि से सब्जी की खेती 

* नर्सरी स्थापना 

* मशरूम उत्पादन 

* मधुमक्खी पालन 

* डेयरी उद्योग 

* गन्ना गुड़ निर्माण 

* मेंथा आयल 

* पशु चारा निर्माण 

* वर्मी कमोपोस्ट 

* आलू चिप्स निर्माण 

* फूलों की खेती 

* जनरल स्टोर 

* फ़ास्ट फ़ूड 

* रंग गुलाल निर्माण 

* पेपर लिफाफा निर्माण 

* पेपर ज्वैलरी, मेटर ज्वैलरी निर्माण 

* जेन्ट्स/लेडीज पर्स निर्माण 

* लेदर पर्स, बेल्ट निर्माण 

* चप्पल निर्माण 

* दोना पत्तल निर्माण 

* टेड़ी बियर/ड्राई फ्लावर निर्माण 

* फ़ाइल फोल्डर निर्माण 

* फ़ाइल कवर निर्माण 

* हथकरघा वस्त्र उद्योग 

* जरदोजी 

* कढ़ाई, सिलाई, बुनाई प्रशिक्षण 

* ब्यूटी पार्लर 

* कार रिपेयरिंग 

* मोटर साइकिल रिपेयरिंग 

* कम्प्यूटर प्रशिक्षण 

* मोबाइल रिपेयरिंग 

* चाक निर्माण 

* मिट्टी के बर्तन निर्माण 

* दिया सिलाई उद्योग 

* नमकीन कार्य 

* मल्टीग्रेन आटा निर्माण 

* दलिया निर्माण 

* अनाज, दाल, मसाला, आदि का प्रशोधन एवं पैकिंग 

* मिनी राइस मिल 

* चीनी दाल मिल 

* घानी तेल 

* भारतीय मिष्ठान निर्माण 

* खाद्य निर्माण 

* पेठा निर्माण 

* सिटिजन इन्फोर्मेशन बोर्ड निर्माण 

* इण्टरलोकिंग/ईट निर्माण 

* मौरंग, गिट्टी व्यवसाय 

* लोहे का गेट, ग्रिल निर्माण 

* फर्नीचर निर्माण 

* टेंट हाउस 

* झाड़ू निर्माण 

* जूट उत्पादों का निर्माण 

* चूड़ी निर्माण 

* डलिया निर्माण 

* मोमबत्ती निर्माण 

* धूपबत्ती/अगरबत्ती निर्माण 

* दिवाली झालर निर्माण 

* मिठाई डिब्बा निर्माण 

* पानीपूरी निर्माण 

* अचार पापड़ 

* लाख (चूड़ी) निर्माण 

* डी.डी.यू.जी.के.वाई. के तहत रोजगारोन्मुख 

* यू.पी.एस.डी.एम. कौशल विकास 

* नूडल निर्माण 

* इनवर्टर, बल्ब रिपेयरिंग 

* डिटर्जेंट निर्माण 

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स्त्रोत- उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रेरणा लघु मार्ग दर्शिका २०२०

Thursday, January 4, 2024

अध्याय -७ महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना

  अध्याय -७  

महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना 


            महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना को कृषि से जुड़ी महिलाओं की वर्तमान स्थिति में सुधार करने, उन्हें सशक्त बनाने की रूप में सन २०११ में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा Deendayal Antoday -NRLM के एक उपघटक के रूप में शुरू किया गया था। MKSP महिला को किसान के रूप में पहचान दिलाता है और कृषि परिस्थति की स्थायी परिपाटी के क्षेत्र में महिलाओं की क्षमता का निर्माण करने का प्रयास करता है। इसका दृष्टिकोण गरीब परिवारों में सबसे गरीब तक पहुँच बनाने का है। MKSP इन गरीबी परिवारों के साथ मिलकर कार्य करेगी और उन्हें कृषि, पशुधन आदि को अपनाने में मदद करेगी।

            MKSP का प्राथमिक उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को कृषि आधारित आजीविका बनाने और बनाए रखने के साथ-साथ उनकी भागीदारी और उत्पादकता बढ़ाने के लिए व्यवस्थित निवेश करके कृषि में महिलाओं को सशक्त बनाना है। कुशल स्थानीय संसाधन आधारित कृषि की स्थापना करके, जिसमें कृषि में महिलाए उत्पादन संसाधनों पर अधिक नियंत्रण हांसिल करती हैं। और समर्थन प्रणालियों का प्रबंधन करती हैं। परियोजना उन्हें सरकार और अन्य एजेंसियों द्वारा प्रदान किए गए इनपुट और सेवाओं तक बेहतर पहुँच प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। एक बार कृषि में महिलाओं की उत्पादन क्षमता में सुधार होने के बाद खाद्य सुरक्षा उनके परिवारों औए समुदायों के लिए बढ़ जाती है।

            महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना का संचालन विगत ३ साल से जनपद हरदोई विकास खण्ड-अहिरोरी के ५० ग्राम में ३५०० समूह महिला किसानों के साथ किया जा रहा है जिसमें सामुदायिक स्तर पर चयनित कृषि तथा पशु सखी के माध्यम से इस परियोजना का संचालन किया जा रहा है। परियोजना के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु उन्नत कृषि कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है जो इस प्रकार हैं:- 

* श्री विधि से धान तथा गेहूं की खेती 

* प्रेरणा पोषण वाटिका/किचन गार्डन 

* सब्जी उत्पादन 

* नाडेप/वर्मी कम्पोस्ट 

*मुर्गी पालन 

* बकरी पालन 

* भैंस पालन 

* पशु बीमा तथा टीकाकरण 

* कृषि तथा पशु पाठशाला 

* जैविक कीटनाशक का निर्माण 

* CHC (कस्टम हायरिंग सेंटर) का निर्माण 

* उत्पादका समूह का निर्माण 

            इस परियोजना के अंतर्गत महिला किसानों के समूह तथा संगठन हेतु सामुदायिक निवेश फण्ड, बैंक लिंकेज, आजीविका फण्ड, एग्रो इंटरवेंशन फण्ड उपलब्ध कराया जाता है। जिसके उपयोग से परियोजना के उद्देश्यों की पूर्ति की जा रही है। इसके सफल संचालन में महिला समूह, संगठन की अहम भूमिका होती है। 


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स्त्रोत- उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रेरणा लघु मार्ग दर्शिका २०२०

Wednesday, January 3, 2024

अध्याय -६ जोखिम निवारण निधि (Vulnerability Reduction Fund)

 अध्याय -६ 

जोखिम निवारण निधि

 (Vulnerability Reduction Fund)



जोखिम निवारण निधि अति गरीब सदस्य को आकस्मिकता अथवा विषम परिस्थितियों में प्रदान किया जाता है/ जिससे अति गरीब परिवार, दुर्बल/विषम/कठिन परिस्थितियों से बाहर आ सके और समूह से ऋण लेने में सक्षम हो सकें।

समूह के सदस्यों हेतु 

        इस निधि से समूह के सदस्यों को जोखिम एवं आकस्मिकता (जैसे:- खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा आदि) हेतु दिया जाता है। यह धनराशि जोखिम के समय लोगों की जरुरत के अनुसार तत्काल राहत के तौर पर उपलब्ध करायी जाती है और ग्राम संगठन द्वारा निर्धारित न्यूनतम ब्याज/ब्याज रहित किस्तों में वापस भी ली जाती है।

गैर समूह सदस्य हेतु 

        समूह सदस्य के अतिरिक्त ग्राम का कोई व्यक्ति विषम परिस्थितियों में वित्तीय सहायता हेतु ग्राम संगठन को अपना प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करता है, ग्राम संगठन उपसमिति के साथ पत्र पर एक दिन के अन्दर ही मूल्यांकन उपरान्त प्रार्थना पत्र को स्वीकृत करके उपयुक्त धनराशि निर्गत कर देती है।

६.२ जोखिम निवारण निधि हेतु धनराशि का निर्धारण:-

यह निधि(वी.आर.एफ.) सामुदायिक बचत निधि का हिस्सा होती है। प्रत्येक ग्राम संगठन हेतु वी.आर.एफ. की धनराशि उसके सदस्यों की संख्या (समूहों) के द्वारा निर्धारित होती है। सामान्य सदस्यों हेतु रूपये 1,500 अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों हेतु रूपये 2250/- एक विशेष आदिवासी सदस्य हेतु रूपये 3000/-की दर से प्रति सदस्य की धनराशि निश्चित होती है।

६.३ प्रथम क़िस्त का वितरण- कुल धनराशि का 60 प्रतिशत 

        ग्राम संगठन 6 माह से सक्रीय रूप (बैंक खाता खुला हो, नियमित बैठक, कार्यकारिणी समिति का गठन एवं लेखांकन पुस्तिकाओं का नियमित रूप से लिखा जाना) से कार्य कर रहा हो।

        जोखिम निवारण निधि उपसमिति/सामाजिक जागरूकता समिति का गठन एवं प्रशिक्षण हो गया हो। यदि जरुरत हो तो जोखिम न्यूनीकरण निधि हेतु ग्राम संगठन पृथक से बैंक खाता खुलवा सकता है।

६.४ दूसरी क़िस्त का वितरण:- 

        ग्राम संगठन द्वारा सफलतापूर्वक, प्रथम क़िस्त की धनराशि का 60 प्रतिशत राशि का उपयोग अपने जोखिम पूर्ण सदस्यों में किया गया हो।

आपातकालीन/विषम  स्थिति में दुर्घटना, अचानक बीमारी/अस्पताल में भर्ती, मृत्यु आदि।

 * सदस्य अपने समूह में जरुरत के अनुसार मांग करेगी 

* समूह के पदाधिकारी मांग को तुरन्त अनुमोदित करते हुए मांग को लेकर, ग्राम संगठन सचिव/सामाजिक कार्य समिति/जोखिम निवारण निधि समिति के पास जाएगी।

* ग्राम संगठन की उपसमिति एवं सचिव तत्कालीन जरुरत का विश्लेषण करते हुए, तुरंत सहायता के रूप में रूपये 5000/-की धनराशि निर्गत कर सकते हैं (यह धनराशि कम या ज्यादा हो सकती है-ग्राम संगठन, निर्गत की जाने वाली धनराशि का निर्धारण कर सकती है एवं अधिकृत उपसमिति या सचिव इस धनराशि को निर्गत कर सकते हैं)


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स्त्रोत- उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रेरणा लघु मार्ग दर्शिका २०२०