Tuesday, April 25, 2023

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रा.)

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रा.) 

उल्लेखनीय उपलब्धियां-स्वच्छ भारत मिशन (ग्रा.) 



प्रथम चरण 

- 2.18 करोड़ शौचालय का निर्माण 

- वित्तीय वर्ष 2017-18 

- स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण- सिटिजन फीडबैक श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान 

- राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता कार्यक्रम हेतु आयोजित हुये स्कॉच अवार्ड प्रतियोगिता में रजत पदक

- नेशनल रूरल सैनिटेशन सर्वे में उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर राज्य को 735 करोड़ रूपये का अतिरिक्त आवंटन प्राप्त हुआ

- वित्तीय वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण-सिटिजन फीडबैक श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान 

- वित्तीय वर्ष 2020-21 

- गरीब कल्याण योजनान्तर्गत सामुदायिक स्वच्छता श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान 

- स्वच्छ सुन्दर सामुदायिक शौचालय स्तर पर दूसरा स्थान 

- गंदगी मुक्त भारत में प्रथम स्थान 

- गरीब कल्याण योजनान्तर्गत प्रदेश के जनपद प्रयागराज, हरदोई एवं फतेहपुर को निर्धारित अवधि में सर्वाधिक सामुदायिक शौचालय निर्माण हेतु राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ


प्रथम चरण में पंचायत के माननीय जन प्रतिनिधियों का अतुलनीय योगदान 

- मांग सृजन 

- समुदाय का व्यवहार परिवर्तन

- सामुदायिक भागीदारी 

- शौचालय निर्माण व गुणवत्ता सुनिश्चित करना 

- अनुश्रवण एवं मूल्यांकन  

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) 

द्वितीय चरण 20-2021 से 24-2025 

मुख्य उद्देश्य 

-ग्रामों के ओ.डी.एफ. की स्थिति को बनाए रखना 

-ग्रामों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों के माध्यम से स्वच्छता के स्तर में सुधार करना 

-ग्रामों को ओ.डी.एफ.प्लस का स्तर प्राप्त कराना

-खुले में शौच मुक्त (ओ.डी.एफ.) ग्राम के स्थायित्व को बनाये रखते हए ओ.डी.एफ. प्लस अभियान में जन समुदाय को जोड़ना

-पर्यावरण स्वच्छता को बेहतर एवं स्थायी बनाना 


अवधि 2020-21 से 2024-25 

वित्तीय व्यवस्था-केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं के वित्त पोषण और विभिन्न योजनाओं के बीच कनवर्जंस 

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) द्वितीय चरण- मुख्य घटक 

-व्यवहार परिवर्तन एवं सामुदायिक अभिप्रेरण  

-व्यक्तिगत शौचालय निर्माण 

-शौचालय मरम्मत/रेट्रोफिटिंग 

-सामुदायिक स्वच्छता परिसर 

-ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन (Solid Waste Management)

-तरल अपशिष्ट प्रबंधन (Liquid Waste Management) 

-मलीय कीचड़ प्रबंधन (Fecal Waste Management)

-मासिक धर्म अपशिष्ट प्रबंधन (Mentrual Waste Management)


प्रस्तावित मुख्य गतिविधियाँ 

1- प्रत्येक परिवार के पास शौचालय की उपलब्धता/सुलभता 

नये पात्र परिवार में शौचालय निर्माण अथवा सामुदायिक शौचालय का प्रयोग 

सामुदायिक स्वच्छता परिसर का निर्माण एवं शासनादेश 15 जुलाई के अनुरूप अनुश्रवण 

अक्रियाशील व्यक्तिगत शौचालय को क्रियाशील  शौचालय परिवर्तन 

पूर्व निर्मित शौचालयों में सुरक्षित तकनीक के अनुरूप इन्हें प्रयोग योग्य बनाया जाना (रेट्रोफिटिंग)

ग्राम पंचायत के प्रत्येक सदस्य द्वारा शौचालय का प्रयोग सुनिश्चित करना 


2- ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन 

- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन-पिट कम्पोस्टिंग, बिन कम्पोस्टिंग, नाडेप, हीप कम्पोस्टिंग, विंड्रो कम्पोस्टिंग, वर्मी कम्पोस्टिंग एवं बायोगैस इकाई इत्यादि 

- तरल अपशिष्ट प्रबंधन-सोख्ता गड्ढा, लीच पिट, किचेन गार्डेन, डबलूएसपी तकनीकी, डकविड तकनीकी इत्यादि 

- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन-प्रयोग पर प्रतिबन्ध, संग्रहण, मार्किट लिंकेज, रिसाइकिलिंग तथा लैंड फिलिंग 

- गोबर गैस धन सम्बंधित गतिविधियाँ 

- मलीय कचरा प्रबंधन-लीच पिट सफाई/रीयूज़ एवं सेफ्टिक टैंक/ कला पानी प्रबंधन    

- मासिक धर्म अपशिष्ट प्रबंधन-इन्सनीरेटर आदि का निर्माण 


वित्तीय प्राविधान-स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) द्वितीय चरण

ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन 

5000 की जनसँख्या तक 

        ठोस अपशिष्ट प्रबंधन रु.60/- प्रति व्यक्ति तक 

        ग्रे वॉटर प्रबंधन रु. 280/- प्रति व्यक्ति तक 

5000 से अधिक जनसँख्या तक:

        ठोस अपशिष्ट प्रबंधन रु. 45/- प्रति व्यक्ति तक 

        ग्रे वॉटर प्रबंधन रु. 660/- प्रति व्यक्ति तक 

प्रत्येक गाँव अपने ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिये अपनी आवश्यकताओं के आधार पर न्यूनतम 1,00,000 तक व्यय कर सकता है


गाँव में ठोस अपशिष्ट के लिये मात्राकृत धनराशि में से बचत की स्थिति में आवश्यतानुसार तरल अपशिष्ट के लिये एवं तरल अपशिष्ट के लिये मात्राकृत धनराशि में से बचत की स्थिति में आवश्यकतानुसार ठोस अपशिष्ट के लिये किया जा सकेगा।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाई (प्रत्येक विकास खंड में एक)- प्राविधानिक धनराशि -प्रति इकाई रु. 16 लाख तक 

मल गाद प्रबंधन/फिकल स्लज मनेजमेंट (FSM) प्राविधानिक धनराशि रु. 230/प्रति व्यक्ति तक 

गोबर धन (GOBAR-Dhan) प्राविधानिक धनराशि -प्रति जनपद रु. 50 लाख तक 

शौचालय निर्माण हेतु प्रोत्साहन धनराशि - रु. 12,000/- (पूर्ववर्ती प्राविधान) 


वित्तीय प्राविधान 15वाँ/पंचम वित्त आयोग 

40 प्रतिशत बेसिक ग्रान्ट (अनटाइड) जो कि ग्यारवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 29 विषयों (वेतन एवं स्थापना के अतिरिक्त)

60 प्रतिशत टाइड ग्रान्ट जो कि जल एवं स्वच्छता सहित आदि राष्ट्रीय प्राथमिकता के क्षेत्रों में किया जायेगा।

*निर्धारित 60 प्रतिशत टाइड ग्रान्ट 70:15:15 प्रतिशत के अनुपात में ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों एवं जिला पंचायतों के लिये अनुमान्य


पंचम वित्त आयोग अन्तर्गत आवन्टित होने वाली धनराशि से निर्धारित व्यवस्था 

ओडीएफ स्थायित्व से सम्बंधित गतिविधियां 

ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन 

सामुदायिक शौचालय/जन सुविधायें 


सफल अपशिष्ट प्रबन्धन के सिद्धांत

* अपशिष्ट उत्सर्जन से सम्बंधित व्यक्ति ही प्रबंधन के लिये उत्तरदायी। 

अपशिष्ट पृथक्करण व वर्गीकरण समुचित प्रबंधन की कुंजी है। 

अपशिष्ट प्रबंधन मुख्यतः व्यक्तिगत/सामुदायिक व्यवहार परिवर्तन का कार्यक्रम है। 

अपशिष्ट उत्सर्जन वाले स्थान के निकट प्रबंधन की व्यवस्था उपयोगी होती है। 

सामूहिक उत्तरदायित्व ही अपशिष्ट प्रबंधन की सफलता का मूल मन्त्र है। 

तकनीकी विकल्पों का तुरन्त या लम्बे अन्तराल पर एवं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानव स्वास्थ्य और हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं होना चाहिए। 

तकनीकी विकल्प समुदाय के द्वारा वहन करने योग्य  होना चाहिए। 

वित्तीय संसाधनों के अनुसार तकनीकी विकल्पों में थोड़ा संशोधन कर निर्माण, संचालन और रखरखाव करना।

 

दृष्टिगोचर स्वच्छता 

* मुख्य मार्गों एवं बाजार के क्षेत्रों में कम से कम एक बार दैनिक सफाई। 

* मुख्य मार्गों, व्यावसायिक/बाजार के क्षेत्रों में नियत स्थान पर कूड़ेदान/डम्पर रखना एवं इसकी नियमित सफाई करना। 

* बाजार में दुकानदारों व ठेले, खोमचे वालों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करना दुकान, ठेले आदि पर उत्पन्न हो रहे कूड़े को बोरी या डस्टबिन में डालकर समुचित स्थान/डंप स्थान तक पहुँचाना। 

* शनिवार एवं रविवार को ग्राम पंचायत में विशेष स्वच्छता/सैनिटाइजेशन कार्यक्रम आयोजित करना। 

* अन्य गतिविधियां जो ग्राम पंचायत को स्वच्छता के साथ-साथ आकर्षण बनाने में सहायक हो संचालित करना। 

ओ.डी.एफ. प्लस मानक 

* ओ.डी.एफ. प्लस, उदीयमान-ओ.डी.एफ. स्थायित्व+ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन 

* ओ.डी.एफ. प्लस, उज्जवल- ओ.डी.एफ. स्थायित्व + ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन + तरल अपशिष्ट प्रबन्धन 

* ओ.डी.एफ. प्लस- उत्कृष्ट 


पंचायतों की भूमिका

* ग्राम स्वच्छता प्लान तैयार करना। 

* गाँव/ग्राम पंचायत का ओ.डी.एफ. दर्जा बनाए रखना एवं ग्राम स्तरीय कार्यकर्ताओं का सहयोग ।

* स्वच्छता ग्राहियों के माध्यम से शौचालयों की सुरक्षा और स्वच्छता के लिए जागरूकता उत्पन्न करने और तकनीकी जानकारी प्राप्त करने में सहायता करना। 

* जहाँ आवश्यक हो, वहां रेट्रोफिटिंग या नवीकरण के लिए व्यावहारिक सहायता प्रदान करना। 

* समुदायों में सभी लोगों (पुरुष, महिलाओं, बच्चों) के बीच शौचालयों का सदैव इस्तेमाल किये जाने के सम्बन्ध में जागरूकता बढ़ाना। 

* शौचालयों के नियमित रखरखाव और उन्हें कार्यात्मक बनाये रखने के लिए समुदाय के सदस्यों के साथ नियमित रूप से चर्चा करना। 

* निगरानी समितियों की गतिशीलता। 

* ठोस और तरल कचरा प्रबंधन की गतिविधियों को लागू करना एवं व्यक्तिगत घरेलू स्तर के प्रबंधन के लिए परिवारों और समुदायों की यथा आवश्यक मदद करना। 

स्त्रोत-सचिव, ग्राम पंचायत के प्रशिक्षण हेतु सन्दर्भ साहित्य वर्ष 2022
 पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान (प्रिट)
उत्तर प्रदेश 

Tuesday, April 18, 2023

राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार -२०२३

राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-
National Panchayat Award-2023

        पंचायत स्तर पर सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक व्यवस्थित योजना, कार्यान्वयन, मोनिटरिंग और जवाबदेही के लिए पंचायती राज संस्थानों को प्रोत्साहित करने के लिए, राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों का पुनर्गठन किया गया है,  राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों के माध्यम से पंचायत योजना को प्रोत्साहन देने का उद्देश्य है:-

* 9 चिन्हित विषयों के माध्यम से सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में पंचायती रह संस्थाओं के कार्य-निष्पादन का आंकलन 
* पंचायती राज संस्थानों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देना 
* पंचायती राज संस्थानों के माध्यम से सतत् विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण की प्रक्रिया को उत्प्रेरित करना और वर्ष 2030  तक सतत् विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण (एलएसडीजी) प्राप्त करने के महत्त्व के बारे में पंचायती राज संस्थाओं को जागरूक करना





स्त्रोत- पंचायती राज मंत्रालय वेबसाइट, भारत सरकार  

 

Thursday, April 6, 2023

जीवन जीने का मूल मन्त्र

प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र "उत्तर केसरी" के आज के अंक में मेरा एक आलेख प्रकाशित हुआ है, अपने समाचार पत्र में मेरे लेख को स्थान प्रदान करने के लिए माननीय सम्पादक महोदय का ह्रदय से आभार, धन्यवाद

जीवन जीने का मूल मन्त्र

अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।

 

यह मेरा है, यह पराया है; ऐसी गणना संकुचित ह्रदय वाले व्यक्तियों की होती है; इसके विपरीत उदारचरित वाले लोगों के लिए तो यह सम्पूर्ण धरती ही एक परिवार के समान है। यदि हम सम्पूर्ण विश्व को अपने परिवार के रूप में देखते हैं और उनके साथ  अपने  परिवार के सदस्यों जैसा आचरण करने का प्रयास करें तो आपसी विवाद और अपने-पराये का भेद समाप्त हो जाएगा, इसी प्रकार पृथ्वी को अपना घर मनाकर उसकी देखभाल करने का भाव मन में हो तो यही धरती स्वर्ग बन जाएगी और जीवन संतोष से परिपूर्ण होगा। यही जीवन जीने का मूल मन्त्र है। 

निज स्वार्थ का भाव मन में लिए जीवन दुःखों का कारण बनता है और लोक कल्याण का भाव मन में शांति प्रदान करता है। आज हम हैं कल नहीं थे, कल भी नहीं होंगें, यही जगत की रीती है। जिसका जन्म हुआ है उसके भाग्य में जन्म के साथ ही मृत्यु का समय भी अंकित हो चुका है, यह शरीर यह काया एक निश्चित काल क्रम के लिए प्राप्त हुई है। अब ईश्वर के द्वारा प्रदत्त इस काया को हम जीवन और सांसारिक मोहजाल में लगायें बैठे रहेंगें तो निश्चय ही दुःख का भागी बनना पड़ेगा।

हमें सांसारिक , आर्थिक और भौतिकतावाद के मोहजाल में न फंसते हुए आत्म संयम और शांति के मार्ग पर चलना होगा। भगवान गौतम बुद्ध के पास सभी प्रकार की भैतिक सुख-सुविधा, विलास की वस्तुएँ और साधनों की बड़ी मात्रा थी लेकिन वह साधन भी मन को शांति का भाव नहीं दे सकें। यह मात्र एक उदहारण है हमारी संस्कृति की धरा भारत अनन्त काल से सन्यासी और तपस्वियों की भूमि रही है। इस भूमि में बड़े-बड़े राजा, महाराजा, पूंजीपति हुए, जिन्हें जीवन का वास्तविक सुख विश्व कल्याण के भाव में दिखाई दिया, इसलिए उन्होंने अपना सब यश, वैभव का त्याग कर शांति की रह चुनी और तपस्वियों जैसा जीवन व्यतीत किया। महर्षि दधिची ने लोक कल्याण के लिए अपने शरीर का त्याग कर दिया।

 

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।

अर्थात् सभी सुखी हो, सभी निरोगी हों, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े, का भाव लिए हम सदियों से अपने जीवन का यापन कर रहें हैं। प्रतिदिन नित्य पूजा-पाठ के क्रम में हम विश्व कल्याण के जयकारों का उद्घोष करते हैं। वास्तव में यही जीवन का सार है यही जीवन का आधार है जब-जब हम इस पथ के भाव से तनिक भी विचलित होंगें तब स्वतः ही हमारा मन पीड़ा और कुंठा से भर जायेगा और जब हम इस पथ पर बिना किसी निज स्वार्थ के चलते रहेंगें तो इस पथ पर आत्मीय आनंद के पुष्प आप के चरणों नीचे आकर आपके मार्ग को प्रफुल्लित कर देंगें। यह पथ देखने में जितना सरल है वास्तव में उतना ही अधिक कठिन है, हमें स्वयं पर संयम रखना होगा, हमें द्रण संकल्पित होकर चलना होगा। समय-समय पर बाधाएं हमें विचलित करेंगी, हमें मार्ग से हटने के लिये विवश कर देंगीं। ऐसी विषम परिस्थतियों में ही जो अडिग होकर अपने निश्चय पर टिका रहेगा, वही सही अर्थों में उपरोक्त श्लोक के भाव को चरितार्थ करता है। 

लेकिन यह कठिन है मानव के लिए क्योंकि मानव शरीर में पांच ज्ञानेन्द्रियाँ होती हैं आँख, कान, नाक, जीभ, और त्वचा। जो हमें सदा विचलित करने का प्रयास करती हैं। ज्ञानेन्द्रियाँ ईश्वर ने शरीर के ऊपर की ओर बनाई हैं परमात्मा ने ज्ञान को प्रधानता दी है और यह संकेत भी दिया है कि ज्ञान के अनुसार, विवेक के अनुसार ही कर्म करो इनसे तुम्हें सुख मिलेगा और यदि इनका संतुलन बिगड़ गया तो जीवन दुःखों का कारण बनता है। आँख का काम है देखना, कान का काम है सुनना, जीभ का काम है स्वाद लेना और बोलना त्वचा का काम है महसूस करना, मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन इन्हीं ज्ञानेन्द्रियों के संतुलन में फंसा रहता है। जिनके पास विवेक होता है वह इसका कुशलतम उपयोग करते हैं और जिनके पास विवेक की कमी होती है वह इनके माध्यम से स्वयं को हानि पहुंचाते हैं। इन्हीं के आधार पर आपके आचरण और आपकी प्रगति का निर्धारण भी होता है।

हमें प्रयास करना चाहिए इस भौतिकतावाद के मकड़जाल से  निकलने का, एक सामान्य मनुष्य के लिए यह एकदम असम्भव सा प्रतीत होता है लेकिन प्रयास तो स्वयं को ही करना होगा इसमें हमारी निज प्रेरणा के अतिरिक्त कोई अन्य किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं कर सकता, और यदि हम दूसरों से पूछ कर इस मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगें तो हम उन्हें देखकर स्वयं ही इस भौतिकतावाद में फंसते चले जायेंगें।

जीवन का सार जब जीवन के अंतिम दिवसों में अंकित किया जाने लगेगा तब आप स्वयं अपने जीवन की उपलब्धियों की ओर ध्यान केन्द्रित करते हुए अवश्य सोचेंगें कि क्या मेरा जीवन, मात्र सांसारिक मोह-बंधनों में ही उलझा रह गया, जब हम विचार करेंगें कि अपने सम्पूर्ण जीवन काल में हमने लोक-कल्याण के लिए क्या किया हम किन्हीं भी श्रेष्ठ महापुरुषों  की सूचि बना उनके जीवन के साथ अपने जीवन का तुलनात्मक अध्ययन करेंगें तो शायद हमें यह अंदाजा हो कि वास्तव में जीवन निरर्थक हो गया। तब हो सकता है कि पछतावा हो, या नहीं भी हो, हम चाहें तो तुलनात्मक अध्ययन अभी भी कर सकते हैं लेकिन एक बात पुनः याद रखने की है कि तुलना अपने से श्रेष्ठ से हो, न कि हम जिनसे श्रेष्ठ हैं। कई बार हम अपनी सुविधा के अनुसार मापदण्ड का निर्धारण भी कर लेते हैं और स्वयं ही उसके निरीक्षक बन कर मूल्यांकित भी कर लेते हैं। इससे मन को अल्पकालीन सुख की अनुभूति तो होगी लेकिन दीर्घकालीन संतुष्टि की अनुभूति नहीं। इसकी हमें चिन्ता करनी होगी,

अन्त में विशेष यह कि लोग आपके विचारों को सुनकर नहीं आपके व्यवहारों को देखकर सीखते हैं। इसलिए हमें स्वयं को एक आदर्श के रूप में समाज को समर्पित करना होगा. जिससे की वह स्वयं को अपने चिर-परिचितों एवं आने वाली पीढ़ियों को एक प्रेरणा के रूप में स्थापित कर सकें, हमें इस प्रण के साथ अपने जीवन में आगे बढ़ाने का संकल्प लेकर के चलना होगा। हम सुधरेंगें, जग सुधरेगा, हम बदलेंगें, जग बदलेगा...   

  

 

- प्रशान्त मिश्र

(लेखक सामाजिक चिन्तक और विचारक हैं)

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश

सम्पर्क सूत्र- 7599022333


 

Monday, April 3, 2023

पंचायतों में ई-गवर्नेंस

 पंचायतों में ई-गवर्नेंस 


    ई-ग्राम स्वराज पोर्टल (https://egramswaraj.gov.in/) भारत सरकार द्वारा विकसित एक एकीकृत सॉफ्टवेयर है, जिसके द्वारा जिला पंचायतें, क्षेत्र पंचायतें तथा ग्राम पंचायतें केंद्रीय एवं राज्य वित्त आयोग अन्तर्गत प्राप्त होने वाली धनराशि के सापेक्ष अपनी वार्षिक कार्ययोजना को अपलोड कर, कार्यों के सापेक्ष व्यय विवरण अंकित करते हुए कार्य कराती हैं भारत सरकार के इस प्रयास से पंचायतों को ऑनलाइन कार्य करने में अधिक सुविधा हो रही है ई-ग्राम स्वराज के निम्न उद्देश्य हैं :-


क्यों इ-ग्राम स्वराज?

- पंचायतों को पारदर्शी एवं जवाबदेही संस्था के रूप में विकसित करना

-सहभागी नियोजन (Participatory Planning) एवं विकेंद्रीकृत (Decentralized System) प्रणाली की स्थापना 

- कार्य आधारित लेखा (Work Based Accounting)


ई-ग्राम स्वराज के विभिन्न मॉड्यूल

    यह मॉड्यूल पंचायतों को अपने पंचायत के बारे ने संक्षिप्त विवरण के प्रबंधन की सुविधा प्रदान करता है:- 

जैसे:- 

-पंचायत में उपलब्ध सुविधाओं सहित संक्षिप्त विवरण। 

-पंचायत चुनाव-पंचायत के चयनित प्रतिनिधि, प्रधान/प्रमुख/अध्यक्ष एवं पंचायत सचिव का विवरण।

-पंचायत में गठित समितियों एवं समितियों के सदस्यों का विवरण। 

-पंचायत द्वारा भरी गयी उक्त विवरण जनप्रतिनिधियों-प्रधान/प्रमुख/अध्यक्ष एवं सचिव के नाम एवं मोबाइल नम्बर सहित ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर उपलब्ध करना। 

ख- प्लानिंग मॉड्यूल:-

    यह मॉड्यूल पंचायतों को अपनी वार्षिक कार्ययोजना बनाने तथा उसके प्रबंधन की सुविधा प्रदान करता है,  जिसके 02 मुख्य घटक है;-



रिसोर्स इन्वलप- वित्तीय वर्ष में राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत निर्गत की जाने वाली धनराशि के प्रबंधन की सुविधा प्रदान करता है।

प्लानिंग- विभिन्न योजनाओं में प्राप्त होने वाली अनुमानित धनराशि के आधार पर पंचायत अपनी वार्षिक कार्ययोजना के अंकित करने की सुविधा प्रदान करता है।


ग. प्रोग्रेस रिपोर्टिंग मॉड्यूल:-

    यह मॉड्यूल पंचायत द्वारा अनुमोदित वार्षिक कार्ययोजना में सम्मिलित कार्यों की तकनीकी एवं वित्तीय स्वीकृति के साथ भौतिक प्रगति के अंकित उसके प्रबंधन की सुविधा प्रदान करता है।

1- तकनीकी स्वीकृति - प्रत्येक अनुमोदित कार्य के तकनीकी बिन्दुओं पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकृति को अंकित एवं अपलोड की सुविधा प्रदान करता है।

2- वित्तीय/प्रशासनिक स्वीकृति - प्रत्येक अनुमोदित कार्य के वित्तीय बिन्दुओं पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकृति के अंकित एवं अपलोड की सुविधा प्रदान करता है।

3- प्रोग्रेस रिपोर्टिंग- प्रत्येक कार्य के तकनीकी एवं प्रशासनिक अनुमोदन के पश्चात् उन कार्यों की भौतिक प्रगति अंकित करने की सुविधा प्रदान करता है।

कार्यों की चरणवार भौतिक प्रगति की Geo-tagging M-Actionsoft मोबाइल एप से किया जाना।


घ- एकाउंटिंग मॉड्यूल;-

यह मॉड्यूल पंचायतों को योजनावार कार्य विवरण सहित वित्तीय लेखा सम्बन्धी दस्तावेज बनाने की सुविधा प्रदान करता है, जिसके मुख्य घटक निम्नवत हैं:-

1- मास्टर इंट्री:- पंचायत द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं सम्बंधित बैंक खातों के विवरण के प्रबंधन की सुविधा प्रदान करता है।

2:- डी.एस.सी. मैनेजमेंट :- पंचायतों से सम्बंधित अधिकारी (मेकर) एवं प्रतिनिधि (चेकर) के डिजिटल सिग्नेचर का पंजीकरण किया जाता है। तदोपरांत उच्च अधिकारी एवं पी.एफ.एम.एस. अनुमोदन के उपरान्त भुगतान सम्बन्धी कार्यवाही की जाती है।

3- वाउचर/ट्रांजेक्शन :- पंचायतों द्वारा योजनावार आय (Receipt) एवं व्यय (Payment) का विवरण अंकित करने की सुविधा प्रदान करता है।

4- दैनिक/मासिक/वार्षिक पुस्तिका बंदी:- यह घटक पंचायतों को अपनी कैशबुक का मिलान सम्बंधित बैंक खाते से कर दैनिक/मासिक/वार्षिक पुस्तिका बन्द करने की सुविधा प्रदन करता है।


ड- एम-एक्शन साफ्ट (M-ActionSoft):-

        यह एक मोबाइल एप है, जिसके माध्यम से ई-ग्राम स्वराज के प्रोग्रेस रिपोर्टिंग एवं एकाउटिंग मॉड्यूल पर प्रत्येक कार्य की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति वार कार्यों की जिओं टैगिंग एवं फोटोग्राफ अपलोड की जाती है।

    प्रत्येक कार्य की चरणवार भौतिक प्रगति अंकित किये बिना कोई भुगतान नहीं किया जा सकता है।


नोट- बिंदु क से ड तक उल्लेखित कार्य पंचायत के यूजर आई.डी. (ADM) द्वारा किया जाता है।


कार्ययोजना, क्रियान्वयन व ऑनलाइन पेमेन्ट प्रणाली के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश-

1- वित्त आयोग एवं अन्य योजनाओं को सम्मिलित करते हुए वार्षिक कार्ययोजना (जी.पी.डी.पी.) बनाकर क्रियान्वयन एवं भुगतान आदि की कार्यवाही ई-ग्राम स्वराज के माध्यम से  की जायेगी।

2-प्रत्येक कार्य (वर्क आईडी) की तकनीकी, वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त करने के उपरान्त कार्य प्रारम्भ किया जायेगा एवं यह जानकारी ई-ग्राम स्वराज के सॉफ्टवेयर पर प्रोग्रेस रिपोर्टिंग मद में अंकित की जायेगी।

3-कार्यों के सापेक्ष योजनान्तर्गत प्राप्त धनराशि से होने वाले व्यय को ई-ग्राम स्वराज-पी.एफ.एम.एस. प्रणाली से ऑनलाइन भुगतान मेकर एवं चेकर के संयुक्त डिजिटल सिग्नेचर से किया जाना।

4- कार्यों की चरणवार भौतिक प्रगति की Geo-tagging M-Actionsoft  मोबाइल एप से किया जाना।

 5- प्रत्येक कार्य के सापेक्ष किये जाने वाले भुगतान (यथा-वेन्डर एवं श्रमिकों का भुगतान) सीधे उनके बैंक खातों में ई-ग्राम स्वराज-पी.एफ़.एम.एस. के माध्यम से किया जायेगा।

    नोट- उक्त कार्य पंचायत के यूजर आई. डी. (ADM) द्वारा किया जाता है।

ई-ग्राम स्वराज पर ऑनलाइन भुगतान करने हेतु आवश्यक तैयारी/व्यवस्थायें:-

                    पंचायतों में ई-ग्राम स्वराज पोर्टल द्वारा ऑनलाइन भुगतान की कार्यवाही करने हेतु मेकर एवं चेकर के डिजिटल हस्ताक्षर  (डी.एस.सी.) का प्रयोग किया जाता है। पेमेन्ट वाउचर मेकर के द्वारा बनाया जाता है तत्पश्चात उन पेमेन्ट वाउचर पर चेकर द्वारा डिजिटल हस्ताक्षर कर अनुमोदन प्रदान किया जाता है। डिजिटल हस्ताक्षरित पेमेन्ट वाउचर (एफ.टी.ओ.) ई ग्राम स्वराज एवं पी.एफ़.एम.एस. के माध्यम से वेन्डर के बैंक खाते में भुगतान की कार्यवाही T+2  दिवस में पूर्ण की जाती है, जिसका विवरण ई-ग्राम स्वराज के रिपोर्ट सेक्शन में प्रदर्शित होता है।


                शासनादेश दिनांक 16 जून एवं 29 जून, 2020 के अनुसार विभिन्न ग्राम पंचायत स्तर के मेकर, चेकर एवं स्वीकृति निम्नवत हैं :-


            उक्त तालिका में मेकर, चेकर एवं स्वीकृति प्रदान करने वाले अधिकारियों के पास क्लास-3 स्तर के डिजिटल सिग्नेचर  (डी.एस.सी.)/डोंगल होना अनिवार्य है। साथ ही भुगतान से सम्बंधित निम्न कार्यवाही की जानी होती है:-

1-ऑनलाइन प्रणाली हेतु उपयोग किये जा रहे कम्प्यूटर सिस्टम/लैपटॉप में जावा, डी.एस.सी. साइनर सॉफ्टवेयर तथा विंडोज ओ.एस. का होना अनिवार्य है। जावा तथा डी.एस.सी.  सिग्नेचर का नवीन संस्करण ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर उपलब्ध है।

2-पंचायत की अनुमोदित वार्षिक कार्ययोजना वार्षिक कार्ययोजना ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर अपलोड किया जाना अनिवार्य होगा तदोपरान्त प्रत्येक आईडी के सापेक्ष वित्तीय एवं भौतिक स्वीकृति प्राप्त कर कार्य को ओनगोइंग किया जायेगा।

3-ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर वित्तीय वर्ष की सभी दैनिक मासिक पुस्तिका को बन्द कर योजनावार प्रारम्भिक अवशेष की त्रुटि रहित गणना किया जाना अनिवार्य होगा।

4- ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर बैंक खाता संख्या, बैंक शाखा  एवं आई. एफ.एस.सी. कोड का मिलान पी.एफ.एम.एस. पर अंकित जानकारी से किया जाएगा तथा यह विवरण दोनों सॉफ्टवेयर पर समान होना अनिवार्य है।

5- उक्त विवरण सामान होने की दिशा में ही योजनावार पोर्टिंग हो पायेगी।

6- उक्त ऑनलाइन भुगतान प्रणाली के लिए पंचायतों का पी.एफ.एम.एस. पोर्टल पर पंजीकृत होना अनिवार्य है।

7- ग्राम पंचायतों का पंजीकरण पी.एफ.एम.एस. पर उनकी फंडिंग एजेन्सी (राज्य/जनपद) स्तर से ही किया जा सकता है। तत्पश्चात ग्राम पंचायतों द्वारा पी.एफ.एम.एस. पर लॉगिंग पर सम्बंधित स्कीम को बैंक खाते से मैप करते हैं और इसका अनुमोदन जनपद स्तर से लिया जा सकता है। इस प्रक्रिया के पूर्ण होते ही सम्बंधित ग्राम पंचायत का डाटा पी.एफ.एम.एस.  पोर्टल से ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर पोर्ट हो जायेगा।


वेन्डर/आपूर्तिकर्ता एवं लाभार्थी का पंजीकरण:-

1-उक्तानुसार एजेंसी/लाभार्थी का विवरण अंकित करने के उपरान्त मेकर एवं चेकर द्वारा अपनी डी.एस.सी. से अनुमोदित करना अनिवार्य होगा।

2-मेकर एवं चेकर के डिजिटल हस्ताक्षर करने के उपरान्त एजेंसी/लाभार्थी का विवरण पी.एफ.एम.एस. पर स्वतः अनुमोदित  हेतु उपलब्ध हो जायेगा,  जिसमें कि न्यूनतम दो दिवस का समय लगता है।


मेकर द्वारा ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर ऑनलाइन व्यय वाउचर अंकित करना:-

1-मेकर द्वारा केवल पी.एफ.एम.एस. से अनुमोदित एजेंसी को ऑनलाइन भुगतान किया जा सकेगा।

2-ऑनलाइन पेमेन्ट हेतु मेकर द्वारा लॉग इन कर ट्रांजेक्शन वाउचर ट्रांजेक्शन-पेमेन्ट वाउचर-एड चयनित किया जायेगा।


मेकर द्वारा फण्ड ट्रांसफर ऑर्डर (एफ.टी.ओ.) निर्गत करना:-

1-दैनिक पुस्तिका बन्द करने के पश्चात् मेकर द्वारा फण्ड ट्रांसफर ऑर्डर (एफ.टी.ओ) निर्गत किया जायेगा 

2- एफ.टी.ओ निर्गत करने हेतु मेकर द्वारा ट्रांजेक्शन-वाउचर-ट्रांजेक्शन-पेमेन्ट  वाउचर-साइन एफ.टी.ओ चयनित किया जायेगा।

3- निम्नानुसार प्रत्येक व्यय वाउचर पर मेकर द्वारा डिजिटल हस्ताक्षर अंकित किया जायेगा।

4- पंचायत द्वारा एक दिवस में जितने भी वाउचर उक्तानुसार सॉफ्टवेयर पर फ्रिज किया गया होगा उन सभी के सापेक्ष दिवस का कार्य पूर्ण होने के पश्चात् दैनिक पुस्तिका बंदी करते ही एफ.टी.ओ जनरेट होगा एवं मेकर के द्वारा उस पर अपनी डी.एस.सी से भुगतान किया जाएगा।

5- मेकर के डिजिटल हस्ताक्षर करने के उपरान्त एफ.टी.ओ. की एक फ़ाइल जिसमें सभी डिजिटल हस्ताक्षर किये गए व्यय वाउचर सम्मिलित होंगें वे स्वतः ही चेकर को ऑनलाइन उपलब्ध हो जायेंगें।

6- सम्बंधित चेकर द्वारा लॉग इन कर नियमानुसार ऍफ़.टी.ओ. डिजिटल हस्ताक्षर किया जायेगा।

7- चेकर द्वारा एफ.टी.ओ. निर्गत किये जाने हेतु मास्टर इन्ट्री-डी.एस.सी. प्रबंधन-साइन एफ.टी.ओ चयनित किया जायेगा।

8- चेकर के अनुमोदानोत्परांत  एफ.टी.ओ स्वतः ही पी.एफ.एम.एस. तथा बैंक के अनुमोदन हेतु उपलब्ध हो जायेगी, जिसके पश्चात् न्यूनतम 02 दिवसों में एजेंसी/लाभार्थी के खाते में धनराशि हस्तान्तरित हो जायेगी। 

9-यदि किसी कारणवश भुगतान नहीं हो पाता है तो उसकी जानकारी ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर न्यूनतम 02 दिवस के उपरान्त ही उपलब्ध होगी।

रिपोर्टिंग :-

ई-ग्राम स्वराज पोर्टल के होम पेज पर ही नियोजन, क्रियान्वयन तथा लेखांकन से सम्बंधित रिपोर्ट जैसे-  Approved plan, Sector wise report, Cashbook, Online payment report, DSC status report, Vendor status, Geo-tagging report, amount pending status of PFMS report  इत्यादि को देखा जा सकता है 




स्त्रोत-सचिव, ग्राम पंचायत के प्रशिक्षण हेतु सन्दर्भ साहित्य, पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान, उत्तर प्रदेश वर्ष २०२२