Wednesday, November 30, 2022

शासनादेश- क्षेत्र पंचायत का संघटन, नवनिर्वाचित क्षेत्र पंचायत प्रमुख एवं क्षेत्र पंचायत सदस्यों का शपथ-ग्रहण

त्रिस्तरीय सामान्य पंचायत निर्वाचन- 2021 के उपरान्त क्षेत्र पंचायत का संघटन, नवनिर्वाचित क्षेत्र पंचायत प्रमुख एवं क्षेत्र पंचायत सदस्यों का शपथ-ग्रहण एवं क्षेत्र पंचायत की प्रथम बैठक बुलाये जाने के सम्बन्ध में 
दिनांक- 16 जुलाई 2021  
शासनादेश- 1837/ 33-2-2021-29 जी /2006 





 

शासनादेश- जिला पंचायत अध्यक्ष व सदस्यों के शपथ ग्रहण का शासनादेश

 सामान्य निर्वाचन, 2021 के फलस्वरूप नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्षों एवं जिला पंचायत के सदस्यों का शपथ ग्रहण एवं जिला पंचायत की प्रथम बैठक बुलाये जाने के सम्बन्ध में 

दिनांक- 07 जुलाई 2021

पत्र संख्या- 1627/33-2-2021-01जी/2016 



Sunday, November 27, 2022

"जिला पंचायत की रचना"

 "जिला पंचायत की रचना"



1-जिला पंचायत एक अध्यक्ष, जो उसका पीठासीन होगा और निम्नलिखित से मिलकर बनेगी:-


(क) जिले के समस्त क्षेत्र पंचायत के प्रमुख;

(ख) निर्वाचित सदस्य, जो जिला पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने जाएंगें और इस प्रयोजन के लिए पंचायत  क्षेत्र ऐसी रीती से प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा कि प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचित क्षेत्र की जनसँख्या, यथासाध्य, पचास हजार होगी:

(ग) लोक सभा के सदस्य और राज्य की विधान सभा के सदस्य जो उन निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें पंचायत क्षेत्र का कोई भाग समाविष्ट है;

(घ) राज्य सभा के सदस्य और राज्य की विधान परिषद् के सदस्य जो पंचायत क्षेत्र के भीतर निर्वाचकों के रूप में रजिस्ट्रीकृत हैं। 

2- उपधारा (1) के खण्ड (क), (ग़) और (घ) में उल्लिखित जिला पंचायत के सदस्यों को अध्यक्ष के निर्वाचन और उसके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव मामलों को छोड़कर जिला पंचायत की कार्यवाही में भाग लेने और उसकी बैठकों में मत देने का अधिकार होगा।

3- उपधारा (1) के खण्ड (ख) में उल्लिखित प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व एक सदस्य द्वारा किया जाएगा।

4- किसी जिला पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन नियत रीती से किया जा सकता है और यदि आवश्यक हो तो इस सम्बन्ध में नियम भूतलक्षी प्रभाव से, किन्तु उत्तर प्रदेश पंचायत विधि (संशोधन) अधिनियम, 1994 के प्रारम्भ के दिनांक के पूर्व से नहीं बनाए जा सकते हैं।

उत्तर प्रदेश (क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत) अधिनियम, 1961 के अनुसार 

Wednesday, November 16, 2022

लोक घोषणा पत्र जनता की जिम्मेदारी




 लोक घोषणा पत्र जनता की जिम्मेदारी

जनता स्वयं तय करे अपने स्थानीय मुद्दें और

 प्रत्याशी की कार्य क्षमता जानकर ही वोट दे


            भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में राजनीति और चुनाव का माहौल सदैव बना रहता है। कभी विधानसभा के चुनाव तो कभी लोकसभा के चुनाव, यदि कभी इनसे फुर्सत मिले तो पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव। ये क्रम निरंतर जारी रहता है। क्योंकि सामान्य रूप से एक जन प्रतिनिधि का कार्यकाल 5 वर्ष होता है और प्रत्येक 5 वर्ष बाद चुनाव तो होना ही है लेकिन उसका बिगुल एक वर्ष पूर्व से ही राजनीतिक पार्टियां बजाना शुरू कर देतीं हैं।

            अब उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव का माहौल बड़ी जोर-शोर से बन रहा है। चुनाव में वोट मांगना या कार्य करना सिर्फ राजनैतिक पार्टी और नेताओं की जिम्मेदारी नहीं है। इसमें जनता को भी अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और पूर्ण निष्ठा के साथ निभानी होगी। चुनाव के माहौल में सिर्फ आन्दित होना और घर बैठकर सरकार और जन प्रतिनिधि को कोसना बड़ा ही सरल कार्य है लेकिन उसकी गुणवत्ता का आंकलन करते हुए भविष्य की योजनाओं में वह किस प्रकार सहयोगी हो सकता है इसका आंकलन करना भी बहुत जरुरी है।

            चुनावी समय में माइक लगाकर जोर-जोर से चिल्लाना और नारे लगाना आम बात है। विशेषकर पार्षद और प्रधान के स्तर पर जब राजनैतिक पार्टियों का प्रभाव इतना अधिक नहीं होता और नेता बनने की दौड़ में कोई भी व्यक्ति आकर लोक-लुभावन झूठे वादे करने लगते हैं, हाथ पैर जोड़ने लगते हैं। इस समय में जनता को बड़ी ही समझदारी और धैर्य से काम लेना चाहिए। जनता को यह भी सोचना चाहिए कि अमुक व्यक्ति कह तो रहा है लेकिन क्या माननीय सारे वादे पूरे कर पाएंगे या ये भी पूर्व के जनप्रतिनिधियों की तरह लुप्त हो जायेंगें।

            यहाँ हमें दो विषय विशेष रूप से जानने और समझने की आवश्यकता है पहला क्या कारण है कि आम तौर पर चुनावी समय में जनता बड़ी ही जोश में रहती है और चुनाव जितने के बाद स्वयं को ठगा हुआ महसूस करती है? दूसरा यह कि विशेषकर पार्षद और प्रधान के चुनाव के बाद अधिकांश नए जनप्रतिनिधि जनता से दूरी क्यों बना लेते हैं?

            कभी-कभी तो कोई द्वार पर आता है बड़ी ही प्यार से बतियाता है। यह देख जनता का मन बदल जाता है और वोट जाना था कहीं और, कहीं और पड़ जाता है। सामान्य जीवन में यही वोटरों के साथ होता है निकाय चुनाव की तैयारी चरम पर है हर उम्मीदवार अपना-अपना बल लगा रहे हैं अपने-अपने दांव अजमा रहे हैं घर घर जा कर वोट बनवा रहे है तो कई घर का राशन  पहुंचा रहे हैं। आखिर हो भी क्यों न? चुनाव सिर पर है और राजनीतिक महत्वकांक्षा मन में उबाल मार रही है। राजनीति की चकाचौंध है ही कुछ ऐसी कि हर कोई राजनेता बनना चाहता है। इसके लिए हर किसी के पैर छु आता है। परन्तु वास्तव में मेहनत करने से कतराता है।

            जैसे-तैसे करके चुनाव ख़त्म हो जाते हैं उम्मीदवार चुनाव जीत जाते हैं। फिर यहाँ से शुरू होता है उम्मीदवार के द्वारा दिलाई गई उम्मीद को पूरा करने सिलसिला। यह बात अवश्य जान लीजिएगा कि अधिकांश  जनता आजमाती है उसमें सब्र नहीं, वह अपने द्वारा कहे गए कार्यों को तत्काल पूरा कराना चाहती है। वो जादू की छड़ी चलता देखना चाहती है। इन्हीं सब के बीच में जब नए जनप्रतिनिधियों को यह पता चलता है कि वह चुनाव जितने के बाद प्रशासनिक व्यवस्था और राजनैतिक व्यवस्था के बीच में पूर्ण रूप से घिर चूका है। चुनाव से पहले खुले मंच से वादे करना जितना सरल था वास्तव में कार्य कराना उतना ही कठिन होता है। तब जनता की बढ़ती मांगों को पूरा न कर पाने के भय से, जनता से दुरी बना लेना ही उचित प्रतीत होता है। पार्षद और प्रधान स्थानीय होते हैं और उनका  निर्वाचन क्षेत्र छोटा होता है और उनका निवास भी उसी क्षेत्र  में ही होता है। इस कारण जनता की उन तक पहुँच बहुत ही सरल हो जाती है। जनता अपनी हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान इनके पास ही खोजने लगती है। और जब समाधान तत्काल नहीं हो पाता तो स्वयं को ठगा हुआ महसूस करती है। यही व्यवस्था कई वर्षों से यूँ ही चली आ रही है। हमें इस व्यवस्था को सुधारने और आने वाली पीढ़ी को गुणवत्तापूर्ण व्यवस्था देने का प्रण लेकर कार्य करना होगा।

            इसी व्यवस्था में एक सार्थक प्रयास है "लोक घोषणा पत्र" सभी जगह यह देखने में आता है कि बड़ी-बड़ी राजनैतिक पार्टियाँ चुनाव से पहले अपना घोषण पत्र बनाती हैं। इन घोषण पत्र में वह वादे होते हैं जिन्हें वह जनता से करती है। इसके लिए वो सर्वे करवाती है सुझाव मांगती है। फिर सोच समझकर अपना घोषणा पत्र राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के विषयों को ध्यान में रखकर जनता को समर्पित करती है। लेकिन स्थानीय स्तर पर पार्षद और प्रधान के चुनाव में बड़ी राजनैतिक पार्टियों का प्रभाव अपेक्षाकृत कम होता है। प्रत्याशी चुनाव चुनाव जीतने के उद्देश्य से बिना जाने समझे लोक लुभावन वादे करते हैं और अपना घोषण पत्र स्वयं बनाते हैं। चूँकि यहाँ क्षेत्र में वोटरों की संख्या भी कम होती है इसलिए सभी से व्यक्तिगत परिचय करना और मिलना सरल हो जाता है। इसलिए प्रत्याशी का स्वयं का सम्पर्क और प्रभाव चुनाव में जीत हार का निर्णय करने के लिए पर्याप्त होता है।

                प्रत्याशी किन कारणों से चुनाव में उतर रहा है यह उसका निज फैसला हो सकता है लेकिन विजय के बाद उसके द्वारा किये गए कार्यों से सभी क्षेत्र की जनता प्रभावित होगी।  इसके लिए क्षेत्र की समस्त जनता को आपस में बैठकर चर्चा करके अपने क्षेत्र की आवश्यकताओं और योजनाओं के अनुरूप अपना घोषणा-पत्र बनाना चाहिए और जो भी उम्मीदवार उस पर खरा उतरने के अनुरूप उचित दिखाई दे, उसकी कार्य क्षमता और निष्ठा देखकर ही वोट करना चाहिए।                

            यदि हम ऐसा प्रयास करते हैं तो स्थानीय स्तर पर न सिर्फ जन सहभागिता का माहौल बनेगा अपितु अपने क्षेत्र में आपसी संवाद का क्रम भी सुचारू रूप से चलता रहेगा। जब हम लोक घोषणा पत्र में विषयों का चयन करें तो उससे पहले बच्चों की बाल सभा और महिलाओं की सभा की बैठक करके उनके विचारों को भी लोक घोषणा पत्र में लिखना चाहिए। विशेष रूप से इसका परिणाम यह होगा कि आने वाली पीढ़ी भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भली प्रकार से समझेगी और कार्य करेगी।


- प्रशान्त मिश्र

(लेखक सामाजिक चिन्तक और विचारक हैं)

जिला-मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश


Monday, November 14, 2022

मातृभूमि योजना, उत्तर प्रदेश

मातृभूमि योजना

 

        पंचायतीराज अनुभाग-3 उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेश संख्या 57/2021/2171/33-3-2021 दिनांक 12 नवम्बर 2021 के क्रम में उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना के संचालन हेतु प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट के गठन व संचालन हेतु दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना का उद्देश्य :-

ग्राम पंचायत में विकास कार्य, अवस्थापना सुविधा का विकास व पंचायत राज अधिनियम की धारा 15 के अन्तर्गत अनुमन्य कार्यों को ग्राम में निवासरत व बाहर रहने वाले व्यक्तियों/निजी संस्थाओं के सहयोग से परिसंपत्ति के निर्माण व अनुरक्षण में सहभागिता किया जाना।

ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यों के तीर्व गति के साथ-साथ उसमें गुणात्मक सुधार एवं नवीन तकनीकों व विचारों का समावेश 

निजी निवेश तकनीकी सहयोग एवं सुपरविजन की उपलब्धता से कार्यों की गुणवत्ता में वृद्धि।

उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना के अंतर्गत कराये जाने वाले कार्यों का वित्तीय समावेश एवं मरम्मत व रखरखाव-

        पंचायत में कराये जाने वाले कार्य हेतु निर्धारित लागत में से सहयोगकर्ता द्वारा अपने गाँव में 60 प्रतिशत या उससे अधिक राशि का सहयोग देकर कार्य संपन्न करवा सकेंगें सहयोगकर्ता द्वारा दी गई राशि के उपरांत शेष 40 प्रतिशत राशि के अनुदान की व्यवस्था राज्य सरकार करेंगी। राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुदान राशि शेष 40 प्रतिशत या उससे कम राशि की व्यवस्था सम्बंधित विभागों के बजट प्राविधानों से की जाएगी। राज्य सरकार द्वारा निर्धारित आकार व प्रकार का शिला पट्ट सहयोग करने वाले व्यक्ति/संस्था के प्रस्तावानुसार उस भवन अथवा अवस्थापना सुविधा के ऊपर यथोचित स्थान पर प्रदर्शित किया जायेगा। सहयोगकर्ता द्वारा कार्य स्वयं अथवा स्वयं की पसंद की एजेंसी के माध्यम से कराया जा सकता है। योजना के तहत किये गए कार्यों के मरम्मत रखरखाव की जिम्मेदारी संबंधित विभाग व संस्था जिसे परिसंपत्ति स्थानांतरित की जायेगी उसकी रहेगी।

उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना के क्रियान्वयन हेतु सोसाइटी का गठन :-

        योजना के प्रभावी क्रियान्वयन व संचालन हेतु उत्तर प्रदेश मातृभूमि सोसाइटी का गठन किया जायेगा। जिसका पंजीकरण सोसाइटी रजिस्टर एक्ट, 1860 के अंतर्गत कराया जायेगा। सोसाइटी का राज्य स्तर पर Escrow बैंक अकाउंट एवं जिला स्तर पर मातृभूमि योजना सोसायटी के अंतर्गत अलग बैंक अकाउंट खुलवाया जाएगा। सोसायटी को आवश्यकतानुसार Cropus Fund उपलब्ध कराया जाएगा, जिसका उपयोग किसी योजना राज्यांश के बजट की उपलब्धता न होने पर किया जाएगा व बजट उपलब्ध होने पर इसे Reimburse किया जाएगा। इस Cropus Fund के ब्याज से PMU के संचालन का व्यय भार वहन किया जा सकेगा।

उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना के क्रियान्वयन हेतु PMU का गठन :-

        योजना को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए इस हेतु उत्तर प्रदेश मातृभूमि सोसाइटी द्वारा प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट PMU का गठन किया गया है।

PMU के कार्य एवं दायित्व :-

  
        योजनान्तर्गत राज्य स्तरीय बैंक एकाउन्ट PMU द्वारा संचालित किया जाएगा। PMU द्वारा इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए वेब पोर्टल और मोबाईल एप तैयार किया जाएगा। इस पोर्टल के माध्यम से सहयोगकर्ताओं के सहयोग की राशि एवं सरकार के अनुदान की राशि योजना के लिए खुलवाये गए अलग बैंक अकाउंट में जमा होगी। इस राशि के जमा होने के बाद, उसमें सम्बंधित कार्य के लिए व्यय किया का सकेगा। पोर्टल के ऊपर कार्यों का विवरण और कार्य का प्रकार, आदि दर्शाना होगा, ताकि सहयोगकर्ता को सहयोग देने के लिए सभी प्रकार की सूचना उपलब्ध हो सके। सम्बंधित ग्राम पंचायत, विकास खण्ड, पंचायत और मुख्य विकास अधिकारी के लिए आवश्यकतानुसार आईडी और पासवर्ड का प्राविधान किया गया है।

स्त्रोत- क्षेत्र पंचायत सदस्यों के प्रशिक्षण हेतु सन्दर्भ साहित्य वर्ष 2022 उत्तर प्रदेश