ग्राम पंचायत के स्वयं के आय स्त्रोत
(Own Source of Revenue of Gram Panchayat)
OSR
एक आदर्श गाँव की कल्पना तब तक नहीं की जा सकती जब तक वह गाँव पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो जाता। यहाँ आत्मनिर्भरता से तात्पर्य गाँव में होने वाले आर्थिक कार्यों हेतु धन की आवश्यकता गाँव से ही पूरी की जाए और उस धन का प्रयोग गाँव के विकास कार्यों और खुशहाली में हो, से है
सरकार द्वारा
संचालित योजनाओं हेतु सरकार के माध्यम से धन की प्राप्ति होती है। सामाजिक कार्यों
के लिए CSR
के माध्यम से भी कई क्षेत्रों में धन की आपूर्ति की जाती है। लेकिन
सोचने का विषय यह है कि पंचायत की उन प्राथमिकताओं या योजनओं के लिए धन का प्रबन्ध
कहाँ से किया जाएगा जिनके लिए किसी भी प्रकार की कोई भी स्कीम नहीं है? इस सन्दर्भ में मुख्य रूप से दो स्त्रोतों को चिन्हित किया जा सकता है-
1- गैर-कर
आय के स्त्रोत
2- करारोपण
गैर- कर आय के स्त्रोतों में हमें सर्वप्रथम ऐसे स्त्रोतों का चिन्हींकरण करना होता है जिनके माध्यम से हम अपने गाँव के आय के स्त्रोत में वृद्धि कर सकें। यह एक बात मुख्य रूप से समझने की है कि सभी पंचायतों के पास एक समान की परिसंपत्ति नहीं होती है सभी पंचायतों की भौतिक और सामाजिक स्थिति अलग अलग होती है इसलिए हम पंचायत में उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से ऐसे संसाधन का चयन करते हैं जिनसे गाँव को किसी भी प्रकार की कम अथवा अधिक आय प्राप्त हो सके।
गैर करारोपण
से स्वयं की आय के उदाहरण -
1. पंचायत
की परिसंपत्तियों उदाहरण के लिए फलदार वृक्षों के फलों, वृक्षों
की कटाई-छटाई से निकलने वाली लकड़ियों, पोखरों या तालाबों में
मछलियों से सालाना नीलामी से होने वाली आमदनी।
2. अनुत्पादक परिसंपत्तियों जैसे कोई अप्रयुक्त या बंजर भूमि पर व्यावसायिक दृष्टि से कोई बाजार या कार्यालय बनवाना या वहां पेड़ लगवा देना या सामुदायिक केंद्र बनवा देना आदि।
3. श्रमदान आय का एक अप्रत्यक्ष परन्तु आजमाया हुआ जरिया है।
करारोपण
पंचायती राज अधिनियम, 1947 की धारा-37 में ग्राम पंचायतों हेतु करारोपण सम्बन्धी प्रावधान किये गए हैं:-
खण्ड/उपखण्ड
धारा 37 करों तथा शुल्क का आरोपण
1- ग्राम
पंचायत एतद्पश्चात् दिए गए खंड (क) और (ख) में कथित कर लगाएगी और खण्ड (ग),
(घ), (डं), (च),
(छ), (ज), (झ), (ञ), और (ट) में वर्णित सभी या कोई कर फीस और शुल्क लगा सकती
है अर्थात्
(क)
उन क्षेत्रों में जहाँ उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950,
जौनसार-बावर जमींदारी- विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1956 के अधीन मध्यवर्तियों के अधिकार, आगम और स्वत्व
अर्जित कर लिए गए हों, भूमि पर उसके लिए देय या देय समझे जाने वाली
भू -राजस्व की धनराशी पर प्रति रुपया, (कम से कम पच्चीस पैसे
किन्तु पचास पैसे से अनधिक कर लगा सकती है)
प्रतिबन्ध यह
है कि यदि भूमि पर उस व्यक्ति से जिनके द्वारा उसके भू-राजस्व देय अथवा देय समझा
जाये,
भिन्न व्यक्ति वास्तव में कृषि करता हो तो कर उस व्यक्ति द्वारा देय
होगा जो उस पर वास्तव में कृषि करता हो।
(ख) खण्ड (क) में अभिदिष्ट क्षेत्रों से भिन्न क्षेत्रों में मौलिक अधिकार से सम्बन्धी प्रवृत्त विधि के अधीन किसी काश्तकार द्वारा, वह कुछ भी कहलाता हो, देय भू-राजस्व को धनराशी पर प्रति रुपया (कम से कम पच्चीस पैसे किन्तु पचास पैसे से अनधिक कर लगा सकती है)
प्रतिबन्ध यह
है कि यदि भूमि पर उस व्यक्ति से जो उसके लिए भू-राजस्व का देनदार हो,
से भिन्न व्यक्ति वास्तव में कृषि करता हो तो उस व्यक्ति द्वारा देय
होगा जो उस पर वास्तव में कृषि करता हो।
(ग)
प्रेक्षागृह (थियेटर), चलचित्र (सिनेमा) अथवा इसी प्रकार के
मनोरंजन कार्य जो अस्थाई रूप से ग्राम पंचायत के क्षेत्र में आया हो पर कर लगा
सकती है, परन्तु यह कर 5/- रूपये,
प्रतिदिन से अधिक न हो।
(घ) ग्राम पंचायत क्षेत्र में रखे हुए और किराये पर चलाये जन वाले यंत्रचालित वाहनों से भिन्न वाहनों तथा पशुओं पर उसके स्वामियों द्वारा देय कर लगा सकते है, जो निम्नलिखित दर से होगा; -
1- पशुओं
के सम्बन्ध में प्रति पशु 3/- रूपये वार्षिक से अधिक न हो।
2- वाहनों
के संबध में प्रति वाहन 6/- रुपये वार्षिक से अधिक न हो।
(डं)
उन व्यक्तियों से जिन पर खण्ड (ग) के अधीन कोई कर लगाया गया हो, के अतिरिक व्यक्तियों पर कर लगा सकती है, जो बाजारों,
हाटों, अथवा मेलों में बिक्री के लिए सामान
प्रदर्शित करें, जो सम्बन्धी ग्राम पंचायत के स्वामित्व या
नियंत्रण में हो।
(च)
उन पशुओं की रजिस्ट्री पर शुल्क लगा सकती है, जो ऐसे बाजार
अथवा भूमि पर बेचें गए हों जो संबंधित ग्राम पंचायत के स्वामित्व व नियंत्रण में
हों।
(छ)
वधशालाओं और पडाव की भूमि के प्रयोग के लिए शुल्क लगा सकती है।
(ज)
जल शुल्क, जहाँ ग्राम पंचायत द्वारा घर के उपयोग के लिए
संभारित किया जाता हो, और
(झ)
यदि सफाई ग्राम पंचायत द्वारा की जाती है, तो निजी शौचालय और
नालियों को साफ करने के लिए कर लगा सकती है जो उन मकानों के, जिनसे वे शौचालय व नालियाँ साफ हों, स्वामियों अथवा
अध्यासियों द्वारा देय होगा, और
(ञ)
सड़कों की सफाई और उन पर रोशनी और स्वच्छता के लिए कर
(ट)
जहाँ ग्राम पंचायत द्वारा सिंचाई के प्रयोजनार्थ छोटी सिंचाई की परियोजना जल संभरण
हेतु बनायीं गई हो या अनुरक्षित की गई हो।
(ठ)
कोई ऐसा अन्य कर जिसे राज्य में आरोपित करने का अधिकार राज्य विधान मण्डल को
संविधान के अधीन, या उसके अनुच्छेद 277
को सम्मिलित करते हुए और जिसका ग्राम पंचायत द्वारा आरोपण राज्य सरकार ने
प्राधिकृत किया हो।
2- उपधारा
(1) के अधीन कर उपशुल्क तथा शुल्क उस रीती से और ऐसे समय पर
जो विहित किये जाएँ, आरोपित निर्धारित तथा वसूल किये
जायेंगें।
धारा 37(क) पर उपशुल्क अथवा शुल्क लगाये जाने के विरुद्ध अपील
ग्राम पंचायत
द्वारा लगाये गए कर, उपशुल्क अथवा शुल्क के विरुद्ध अपील
विहित प्राधिकारी को की जा सकती है।
स्त्रोत -
उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1947 तथा उत्तर प्रदेश पंचायती राज नियमावली, 1947
पंचायती राज
विभागीय वेबसाइट-panchayatiraj.up.nic.in
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