Monday, May 30, 2022
Localisation of Sustainable Development Goals (SDGs) (सतत् विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण )
Tuesday, May 17, 2022
पंचायत की पाठशाला
प्रश्न- उत्तर
प्रदेश
राज्य
में
कुल
कितनी
ग्राम
पंचायत
हैं?
उत्तर-58,189
Question- How many Gram Panchayats are in Uttar
Pradesh?
Answer- 58,189
प्रश्न- उत्तर
प्रदेश
राज्य
में
कुल
कितनी
क्षेत्र
पंचायत
हैं?
उत्तर-826
Question- How many Block Panchayats are in Uttar
Pradesh?
Answer-826
प्रश्न- उत्तर
प्रदेश
राज्य
में
कुल
कितनी
जिला
पंचायत
हैं?
उत्तर-75
Question- How many Zilla Panchayats are in Uttar
Pradesh?
Answer- 75
Wednesday, May 11, 2022
ग्राम पंचायत के स्वयं के आय स्त्रोत (Own Source of Revenue of Gram Panchayat) OSR
ग्राम पंचायत के स्वयं के आय स्त्रोत
(Own Source of Revenue of Gram Panchayat)
OSR
एक आदर्श गाँव की कल्पना तब तक नहीं की जा सकती जब तक वह गाँव पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो जाता। यहाँ आत्मनिर्भरता से तात्पर्य गाँव में होने वाले आर्थिक कार्यों हेतु धन की आवश्यकता गाँव से ही पूरी की जाए और उस धन का प्रयोग गाँव के विकास कार्यों और खुशहाली में हो, से है
सरकार द्वारा
संचालित योजनाओं हेतु सरकार के माध्यम से धन की प्राप्ति होती है। सामाजिक कार्यों
के लिए CSR
के माध्यम से भी कई क्षेत्रों में धन की आपूर्ति की जाती है। लेकिन
सोचने का विषय यह है कि पंचायत की उन प्राथमिकताओं या योजनओं के लिए धन का प्रबन्ध
कहाँ से किया जाएगा जिनके लिए किसी भी प्रकार की कोई भी स्कीम नहीं है? इस सन्दर्भ में मुख्य रूप से दो स्त्रोतों को चिन्हित किया जा सकता है-
1- गैर-कर
आय के स्त्रोत
2- करारोपण
गैर- कर आय के स्त्रोतों में हमें सर्वप्रथम ऐसे स्त्रोतों का चिन्हींकरण करना होता है जिनके माध्यम से हम अपने गाँव के आय के स्त्रोत में वृद्धि कर सकें। यह एक बात मुख्य रूप से समझने की है कि सभी पंचायतों के पास एक समान की परिसंपत्ति नहीं होती है सभी पंचायतों की भौतिक और सामाजिक स्थिति अलग अलग होती है इसलिए हम पंचायत में उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से ऐसे संसाधन का चयन करते हैं जिनसे गाँव को किसी भी प्रकार की कम अथवा अधिक आय प्राप्त हो सके।
गैर करारोपण
से स्वयं की आय के उदाहरण -
1. पंचायत
की परिसंपत्तियों उदाहरण के लिए फलदार वृक्षों के फलों, वृक्षों
की कटाई-छटाई से निकलने वाली लकड़ियों, पोखरों या तालाबों में
मछलियों से सालाना नीलामी से होने वाली आमदनी।
2. अनुत्पादक परिसंपत्तियों जैसे कोई अप्रयुक्त या बंजर भूमि पर व्यावसायिक दृष्टि से कोई बाजार या कार्यालय बनवाना या वहां पेड़ लगवा देना या सामुदायिक केंद्र बनवा देना आदि।
3. श्रमदान आय का एक अप्रत्यक्ष परन्तु आजमाया हुआ जरिया है।
करारोपण
पंचायती राज अधिनियम, 1947 की धारा-37 में ग्राम पंचायतों हेतु करारोपण सम्बन्धी प्रावधान किये गए हैं:-
खण्ड/उपखण्ड
धारा 37 करों तथा शुल्क का आरोपण
1- ग्राम
पंचायत एतद्पश्चात् दिए गए खंड (क) और (ख) में कथित कर लगाएगी और खण्ड (ग),
(घ), (डं), (च),
(छ), (ज), (झ), (ञ), और (ट) में वर्णित सभी या कोई कर फीस और शुल्क लगा सकती
है अर्थात्
(क)
उन क्षेत्रों में जहाँ उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950,
जौनसार-बावर जमींदारी- विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1956 के अधीन मध्यवर्तियों के अधिकार, आगम और स्वत्व
अर्जित कर लिए गए हों, भूमि पर उसके लिए देय या देय समझे जाने वाली
भू -राजस्व की धनराशी पर प्रति रुपया, (कम से कम पच्चीस पैसे
किन्तु पचास पैसे से अनधिक कर लगा सकती है)
प्रतिबन्ध यह
है कि यदि भूमि पर उस व्यक्ति से जिनके द्वारा उसके भू-राजस्व देय अथवा देय समझा
जाये,
भिन्न व्यक्ति वास्तव में कृषि करता हो तो कर उस व्यक्ति द्वारा देय
होगा जो उस पर वास्तव में कृषि करता हो।
(ख) खण्ड (क) में अभिदिष्ट क्षेत्रों से भिन्न क्षेत्रों में मौलिक अधिकार से सम्बन्धी प्रवृत्त विधि के अधीन किसी काश्तकार द्वारा, वह कुछ भी कहलाता हो, देय भू-राजस्व को धनराशी पर प्रति रुपया (कम से कम पच्चीस पैसे किन्तु पचास पैसे से अनधिक कर लगा सकती है)
प्रतिबन्ध यह
है कि यदि भूमि पर उस व्यक्ति से जो उसके लिए भू-राजस्व का देनदार हो,
से भिन्न व्यक्ति वास्तव में कृषि करता हो तो उस व्यक्ति द्वारा देय
होगा जो उस पर वास्तव में कृषि करता हो।
(ग)
प्रेक्षागृह (थियेटर), चलचित्र (सिनेमा) अथवा इसी प्रकार के
मनोरंजन कार्य जो अस्थाई रूप से ग्राम पंचायत के क्षेत्र में आया हो पर कर लगा
सकती है, परन्तु यह कर 5/- रूपये,
प्रतिदिन से अधिक न हो।
(घ) ग्राम पंचायत क्षेत्र में रखे हुए और किराये पर चलाये जन वाले यंत्रचालित वाहनों से भिन्न वाहनों तथा पशुओं पर उसके स्वामियों द्वारा देय कर लगा सकते है, जो निम्नलिखित दर से होगा; -
1- पशुओं
के सम्बन्ध में प्रति पशु 3/- रूपये वार्षिक से अधिक न हो।
2- वाहनों
के संबध में प्रति वाहन 6/- रुपये वार्षिक से अधिक न हो।
(डं)
उन व्यक्तियों से जिन पर खण्ड (ग) के अधीन कोई कर लगाया गया हो, के अतिरिक व्यक्तियों पर कर लगा सकती है, जो बाजारों,
हाटों, अथवा मेलों में बिक्री के लिए सामान
प्रदर्शित करें, जो सम्बन्धी ग्राम पंचायत के स्वामित्व या
नियंत्रण में हो।
(च)
उन पशुओं की रजिस्ट्री पर शुल्क लगा सकती है, जो ऐसे बाजार
अथवा भूमि पर बेचें गए हों जो संबंधित ग्राम पंचायत के स्वामित्व व नियंत्रण में
हों।
(छ)
वधशालाओं और पडाव की भूमि के प्रयोग के लिए शुल्क लगा सकती है।
(ज)
जल शुल्क, जहाँ ग्राम पंचायत द्वारा घर के उपयोग के लिए
संभारित किया जाता हो, और
(झ)
यदि सफाई ग्राम पंचायत द्वारा की जाती है, तो निजी शौचालय और
नालियों को साफ करने के लिए कर लगा सकती है जो उन मकानों के, जिनसे वे शौचालय व नालियाँ साफ हों, स्वामियों अथवा
अध्यासियों द्वारा देय होगा, और
(ञ)
सड़कों की सफाई और उन पर रोशनी और स्वच्छता के लिए कर
(ट)
जहाँ ग्राम पंचायत द्वारा सिंचाई के प्रयोजनार्थ छोटी सिंचाई की परियोजना जल संभरण
हेतु बनायीं गई हो या अनुरक्षित की गई हो।
(ठ)
कोई ऐसा अन्य कर जिसे राज्य में आरोपित करने का अधिकार राज्य विधान मण्डल को
संविधान के अधीन, या उसके अनुच्छेद 277
को सम्मिलित करते हुए और जिसका ग्राम पंचायत द्वारा आरोपण राज्य सरकार ने
प्राधिकृत किया हो।
2- उपधारा
(1) के अधीन कर उपशुल्क तथा शुल्क उस रीती से और ऐसे समय पर
जो विहित किये जाएँ, आरोपित निर्धारित तथा वसूल किये
जायेंगें।
धारा 37(क) पर उपशुल्क अथवा शुल्क लगाये जाने के विरुद्ध अपील
ग्राम पंचायत
द्वारा लगाये गए कर, उपशुल्क अथवा शुल्क के विरुद्ध अपील
विहित प्राधिकारी को की जा सकती है।
स्त्रोत -
उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1947 तथा उत्तर प्रदेश पंचायती राज नियमावली, 1947
पंचायती राज
विभागीय वेबसाइट-panchayatiraj.up.nic.in
Friday, May 6, 2022
ग्राम प्रधान एवं उनके दायित्व (Gram Pradhan and their Responsibilities)
ग्राम
प्रधान एवं उनके दायित्व
प्रत्येक
ग्राम पंचायत में एक प्रधान होगा जो उसका अध्यक्ष होगा और प्रधान को ग्राम पंचायत
का सदस्य समझा जाएगा।
ग्राम
प्रधान के कर्तव्य
उत्तर
प्रदेश पंचायती राज नियमावली 1947
के नियम 47 के
अनुसार ग्राम पंचायत के प्रधान के निम्नलिखित दायित्व होंगें :-
· * ग्राम सभा एवं ग्राम
पंचायत की समस्त बैठकों को बुलाए और उन बैठकों की अध्यक्षता करे।
· * बैठक की कार्यवाही
पर नियंत्रण रखें और अच्छी व्यवस्था बनाये रखें।
· * ग्राम पंचायत की
आर्थिक व्यवस्था और शासन की देखरेख करें यदि कोई त्रुटि या गड़बड़ी पाई जाये तो इसकी
सूचना ग्राम पंचायत को दें।
· * ग्राम पंचायत के
कर्मचारियों की देखरेख करें और उन पर नियंत्रण रखें।
· * ग्राम पंचायत के
प्रस्तावों को क्रियान्वित करें।
· * ग्राम सभा एवं ग्राम
पंचायत की ओर से समस्त पत्र व्यव्हार करें।
· * पंचायत की
सार्वजानिक संपत्ति की रक्षा के लिए प्रयासरत रहे।
· * ग्राम पंचायत द्वारा
लगाये जाने वाले कर, शुल्क या फीस लगाने व
उसको वसूलने की व्यवस्था करें।
· * दीवानी एवं फौजदारी
मामलों में ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत की तरफ से अभियोजन प्रस्तुत करें।
· * पंचायत की तीन
समितियों क्रमशः नियोजन एवं विकास समिति, शिक्षा
समिति, प्रशासनिक समिति के अध्यक्ष होने के कारण समय से बैठक
बुलाए व उसकी अध्यक्षता करें।
· * भूमि प्रबंधन समिति
की बैठक बुलाए एवं उसकी अध्यक्षता करें।
· * ऐसे अन्य कर्तव्यों
का पालन करें जो पंचायत राज एक्ट या अन्य कानून के अंतर्गत दिए गए हों।
प्रधान को विशेषाधिकार
आवश्यकता पड़ने पर प्रधान सम्बंधित अधिकारी को पूर्व सूचना देकर बिना ग्राम पंचायत को बताये कोई ऐसा कार्य कर सकता है, जिसको करने का अधिकार पंचायत को प्राप्त हो। परन्तु बाद में पंचायत की बैठक में उसे अवश्य रखेगा।
अन्य कार्य
· * संक्रमण रोगों को
रोकने व उनको नियंत्रण करने का अधिकार।
· * ग्राम पंचायत की बैठकों में सदस्यों के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने का अधिकार प्रधान को प्राप्त है।
प्रधान को मानदेय एवं अन्य भत्ते
· * ग्राम प्रधान को
प्रतिमाह रु. 5,000/- के मानदेय की व्यवस्था की
गई है।
· * यात्रा एवं
आनुसांगिक व्यय के नाम पर रु. 15,000/- प्रतिवर्ष
देने का प्रावधान किया गया है।
· * प्रधान आकस्मिक खर्च
हेतु अपने पास रु. 5,000/- नकद रख सकता है,
उपरोक्त व्यय ग्राम निधि में राज्य वित्त आयोग की संस्तुतियों के
अन्तर्गत प्राप्त अनुदान से किया जाएगा।
अन्य
महत्त्वपूर्ण प्रावधान
पंचायती
राज अधिनियम, 1947 (धारा 12 ञ) प्रधान के पद की अस्थायी रिक्त में प्रबंध:- जब प्रधान का पद
मृत्यु,
हटाये जाने, त्याग पत्र के कारण या अन्यथा
रिक्त हो या जब अनुपस्थिति, बीमारी, अथवा
अन्य किसी कारण से कार्य करने में असमर्थ हो विहिप प्राधिकारी प्रधान का कार्य
करने और उसकी शक्ति का प्रयोग करने के लिए ग्राम पंचायत के किसी सदस्य को तब तक के
लिए नाम निर्दिष्ट कर सकता है जब तक प्रधान के पद पर ऐसी रिक्ति भरी नहीं जाती है
या जब तक प्रधान की ऐसी असमर्थता समाप्त नहीं हो जाती है।
धारा 14 क. अभिलेख आदि की चूक करने पर दण्ड -(1) :- यदि को व्यक्ति प्रधान, सरपंच या सहायक सरपंच के रूप में कार्य की समाप्ति पर यथास्थिति, ग्राम सभा, ग्राम पंचायत या न्याय पंचायत के सभी अभिलेख, धनराशि या अन्य सम्पत्ति अपने उत्तराधिकारी या नियत प्राधिकारी द्वारा इस निमित प्राधिकृत किसी व्यक्ति को देने में, नियत प्राधिकारी द्वारा ऐसा करने की अपेक्षा किये जाने पर भी जान बूझ कर चूक करता है, तो यह कारावास से , जो तीन वर्ष तक का हो सकता है, या जुर्माने से या दोनों से दण्डनीय होगा।
(2) उपधारा (1) के प्रतिबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, कोई ऐसी धनराशी नियम प्राधिकारी द्वारा तदर्थ जारी किये गए प्रमाण-पत्र पर भू-राजस्व की बकाया के रूप में वसूल की जा सकती है।
ग्राम पंचायत के सदस्य के अधिकार (धारा 26) :- ग्राम पंचायत का कोई सदस्य बैठक में कोई संकल्प प्रस्तुत कर सकता है और प्रधान से ग्राम पंचायत के प्रशासन से सम्बद्ध विषयों क्वे संबध में विहित रीती से प्रश्न पूछ सकता है।
अधिभार
(धारा 27) प्रत्येक
ग्राम पंचायत का प्रधान इस अधिनियम के अधीन संगठित ग्राम पंचायत या संयुक्त समिति
या किसी अन्य समिति का प्रत्येक सदस्य यथास्थिति, ग्राम सभा, ग्राम पंचायत या न्याय पंचायत के धन या
संपत्ति की हानि, दृर्व्यय या दुरुपयोजन के लिए अधिभार का
देनदार होगा यदि ऐसी हानि उसके ऐसा प्रधान, सदस्य की अवधि
में उसकी उपेक्षा या अवचार के प्रत्यक्ष परिणाम स्वरुप हुआ हो।
स्त्रोत-
उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम. 1947 तथा
उत्तर प्रदेश पंचायती राज नियमावली, 1947