कोरोना
काल में डिजिटल होता भारत
आवश्यकता
ही अविष्कार की जननी है, जिसका सीधा अर्थ होता
है कि जब आपको किसी वस्तु की अत्यधिक आवश्यकता होती है तब आप उसका अविष्कार करते
हैं। कहने को यह मात्र एक हिन्दी भाषा की कहावत है लेकिन कोरोना संक्रमण काल ने
इसे चरितार्थ किया है भारत देश में कोरोना के पहले संक्रमण की पुष्टि 30 जनवरी 2020
को हुई। देश में संक्रमण के प्रभाव को देख और मामले की गंभीरता को समझते हुए 22
मार्च को जनता कर्फ्यू और 24 मार्च को समस्त देश को लॉकडाउन करने का निश्चय किया
गया। देश रुक गया यह ठीक उसी प्रकार था जब आप अपनी गाड़ी को बहुत तेज गति से चला
रहे हों और अचानक आपके सामने कोई आ जाये। ब्रेक मारने पर शरीर को झटका तो लगता ही
है साथ ही हम मन-मस्तिष्क से सोच में पड़ जाते हैं आखिर ये हुआ क्या ? ठीक यही दशा देश के समक्ष उस समय खड़ी हो गई जब अति आवश्यक वस्तुओं और
सेवाओं को छोड़ समस्त उद्योगों का चक्का जाम हो गया, उत्पादन
बंद करना पड़ा और सेवाओं की आपूर्ति भी रोक दी गई। यह देश के इतिहास में पहला समय
था जब सम्पूर्ण देश इस चिंता में था कि अब क्या होगा ? एक ओर जीवन को बचाने का
संकट तो दूसरी ओर जीवन की गाड़ी में ईंधन का कार्य करने वाले "धन" अर्जन
का संकट। यह तो ज्ञात था कि यह स्थिति लम्बे समय तक रहने वाली है लेकिन कब तक जवाब
किसी के पास नहीं।
हम
भारत के लोग हैं हम डरकर, थककर हार मानने वाले लोग नहीं है न ही किसी भय से घर
में शांत बैठने वाले लोग। हमारे पास हर समस्या का समाधान है और लक्ष्य को प्राप्त
करने की प्रबल क्षमता। जब लॉकडाउन के कारण बच्चों को विद्यालय जाने से रोक दिया
गया तब ऑनलाइन क्लास के माध्यम से शिक्षकों ने घर-घर जाकर शिक्षा देना प्रारम्भ कर
दिया। सेमिनार के आयोजन का स्थान वेबिनर ने ले लिया जिसका प्रभाव यह रहा कि धन के
अभाव में दूर स्थान पर जाकर गोष्ठियों में प्रतिभागिता तथा विशेषज्ञों के साथ
प्रत्यक्ष संवाद न होने की जो बाधा थी वह न सिर्फ दूर हुई अपितु छोटे आयोजनों में
भी अन्तराष्ट्रीय ज्ञान का प्रकाश फैलने लगा है। डिजिटल शिक्षा का जो बीज अभी
अंकुरित हो रहा था वह अचानक से वट वृक्ष का आकार लेने लगा है। देश के अधिकांश
शिक्षकों ने समय की मांग को समझते हुए न सिर्फ स्वयं को डिजिटल माध्यम से जोड़ा साथ
ही अपने विद्यार्थियों के लिए भी शिक्षा का व्यापक भण्डार तैयार करना शुरू किया
है। जिसका प्रयोग वह अपनी सुविधानुसार कभी भी कहीं भी कर सकता है।
भारत
देश में इंटरनेट सेवाओं का प्रारम्भ 15 अगस्त 1995 को विदेश संचार निगम लिमिटेड
द्वारा किया गया तथा नवम्बर 1998 को सरकार के द्वारा इंटरनेट सेवा क्षेत्र निजी
ऑपरेटरों के लिए खोल दिया गया। इन्टरनेट क्रांति को सबसे ज्यादा बल तब मिला जब 1
जुलाई 2015 को भारत देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सबसे
महत्त्वाकांक्षी योजना "मिशन डिजिटल इंडिया" को लॉन्च किया जिसके
अंतर्गत सरकार ने देश के 2.5 लाख गाँव को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से जोड़ना का कार्य
आरम्भ किया साथ ही भारत नेट, डिजिटल लॉकर,
ई. शिक्षा, ई. स्वास्थ्य, ई.साइन, ई. शॉपिंग, की सुविधा
को बेहतर बनाने की दिशा में संकल्प लिया। लेकिन मनुष्य तो मनुष्य है वह शीघ्र ही
परिवर्तन के लिए तैयार नहीं होता न ही अपने तौर तरीकों को बदलने के लिए। शायद इसी
कारण मिशन डिजिटल इण्डिया अपनी गति से मार्ग बनाते हुए अपने लक्ष्यों की ओर धीरे-धीरे
बढ़ रहा था और हो सकता था कि उस लक्ष्य को प्राप्त करने में अभी कई वर्ष और लगते।
परन्तु होता वही है जी समय को मंजूर होता है, अचानक न सिर्फ
भारत देश अपितु समस्त विश्व कोरोना संक्रमण से प्रभावित हो गया और लॉक डाउन की
स्थिति उत्पन्न हो गई जिसके परिणाम स्वरुप डिजिटल इण्डिया की गाड़ी जो धीरे-धीरे चल
रही थी उसने रफ़्तार पकड़ ली और दौड़ने लगी।
वर्तमान
समय में सभी इसके महत्त्व को स्वीकार कर इस ओर कदम बढ़ा रहे हैं। सरकारी और निजी
संस्थानों ने वर्क फ्रॉम होम का माहौल बनाना शुरू किया है। देश की सरकार ने भी सरकारी बैठकों के आयोजनों
के लिए भी वीडियो कांफ्रेंसिंग का मार्ग को प्राथमिकता दी है। देश के प्रधानमंत्री
स्वयं राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कैबिनेट के मंत्रियों के साथ इसी माध्यम से
बैठक कर रहे हैं। विदेशों के राष्ट्र अध्यक्षों के साथ भी अब वीडियों कांफ्रेंसिंग
के जरिए बात की जा रही है। जनता भी समान की खरीद के समय ऑनलाइन खरीद व भुगतान पर
जोर दे रही है । राजनैतिक दल भी इसमें पीछे नहीं है। जहाँ एक ओर बीजेपी ने वर्चुअल
रैली के माध्यम से देश में चुनावी रैलियों के स्वरुप को डिजिटल किया है। वहीं अब
सारे राजनैतिक दल वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपने बूथ स्तर के
कार्यकर्ताओं के साथ घर बैठे प्रत्यक्ष संवाद कर रहे हैं। ग्राम स्तर से लेकर अन्तराष्ट्रीय स्तर की
सभी बैठकें घर बैठे ही आयोजित की जा रही हैं। जनता को लुभाने का कार्य भी अब
डिजिटल माध्यम से किया जा रहा है।
भारत
देश में कोरोना संक्रमण के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। कोरोना वायरस के कुल
संक्रमित मामलों के लिहाज से भारत अब पांचवें स्थान पर पहुँच गया है देश में 3 लाख
से अधिक केस सामने आ चुके हैं और पूर्व के आंकड़ों का आंकलन करें तो यह संख्या जून
के समाप्त होते होते 5 लाख पहुँचने का अनुमान है । संक्रमण का प्रभाव अभी कई महीने
रह सकता है तब तक मिशन डिजिटल इण्डिया से जो क्षेत्र छुट रहे है वह भी इस दिशा में
बढ़ चलेंगें।
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प्रशान्त मिश्र
जिला-गौतमबुद्ध नगर,
उत्तर प्रदेश